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1 संपूण�: सामािजक �ाय 2 संपूण�: सामािजक �ाय 1. सामािजक �ाय का प�रचय ...................................................................................................................................... 3 2. अनुसूिचत जाित ....................................................................................................................................................... 8 3. अनुसूिचत जनजाित ............................................................................................................................................... 21 4. अ� िपछड़ा वग� (ओबीसी)..................................................................................................................................... 42 5. मिहलाएँ ................................................................................................................................................................ 62 6. ब�े ...................................................................................................................................................................... 72 7. व�र� नाग�रक ....................................................................................................................................................... 83 8. िवकलांग ��� (िद�ांग) ...................................................................................................................................... 90 9. LGBT समुदाय ....................................................................................................................................................... 96 10. भारत म� अ�सं�क ......................................................................................................................................... 101 11. �ा� ............................................................................................................................................................. 106 12. िश�ा................................................................................................................................................................ 126 13. मानव संसाधन .................................................................................................................................................. 172 14. भूख ................................................................................................................................................................. 178 15. गरीबी ............................................................................................................................................................... 182 Index 3 संपूण�: सामािजक �ाय 1. सामािजक �ाय का प�रचय एक �ायपूण� समाज वह समाज है िजसम� स�ान की बढ़ती भावना और ितर�ार की घटती भावना को एक उदार समाज का िनमा�ण करके समा� कर िदया जाता है।– भीम राव अ�ेडकर 1.1 प�रचय • समाज म� संसाधनो,ं अवसरो ंऔर िवशेषािधकारो ं के उिचत और समान िवतरण को सामािजक �ाय कहा जाता है। मूल �प से यह एक धािम�क िवचार था पर�ु अब यह सामािजक संरचनाओं की �ायसंगत �वस्था को संदिभ�त करता है। इस �वस्था के मा�म से िव�ीय लाभो ं तक प�ंच प्रा� होती है। इसका एक िभ� नाम "िवतरणा�क �ाय" (distributive justice) भी है। • सामािजक �ाय की अवधारणा �ापक है और इसके समथ�क िविभ� तरीको ंसे इस अवधारणा को लागू करते ह�। व�ुतः , सामािजक �ाय िस�ांत के अंतग�त सामािजक कारको ं पर बल िदया जाता है जैसे जाितयो/ंन�ो ं के बीच धन संबंधी असमानताएं या �ा� देखभाल तक असमान प�ंच। • सामािजक �ाय-संबंधी कुछ अनुप्रयोग, जैसे- न� िस�ांत, संयु� रा� अमे�रका म� राजनीितक बहस का मु�ा बने �ए ह�। सामािजक �ाय की अवधारणा का िवकास: • "सामािजक �ाय" श� की उ�ि� ईसाई धम�शा� और 1840 के दशक की शु�आत म� प्रकािशत प्राकृितक कानून पर लुइगी टापारेली के सै�ांितक गं्रथ (िजसम� इसका पहली बार प्रयोग िकया गया था) से मानी जाती है। जब 19वी ंसदी म� इतालवी रा�� वादी आंदोलन, �रसोिग�म�टो उभरा और इटली के एकीकरण के बारे म� चचा� हो रही थी, उस समय टापरेली इटली के एक पुजारी थे। • ऐितहािसक �ि�कोण से सामािजक �ाय एक धािम�क िवचार रहा है। टापरेली की सामािजक �ाय की प�रभाषा केवल सामािजक मामलो ंके िलए �ाय का एक अनुप्रयोग थी और उसने कहा था िक लोगो ंको वही करना चािहए जो धम�शा�ो ंऔर धम� पर आधा�रत नैितकता की धारणा के आधार पर सही हो। • हालाँिक सभी सामािजक �ाय िस�ांतो ंने धम� पर जोर नही ं िदया। पर�ु औ�ोिगक क्रांित के सामािजक प्रभावो ंके प�रणाम��प इस वा�ांश का िव�ार �आ। बाद के िवचारको ं ने सामािजक �ाय को एक समाज के भीतर लोगो ंके सामा� क�ाण के िलए एक नैितक अिनवाय�ता के �प म� देखा। �ाय से ता�य� उस �वस्था से है जो न केवल स्थािपत करने म� सही और गलत है; ब�� िजसे कोई ��� अपना नैितक अिधकार मानकर हमसे उसका दावा कर सकता है।– जॉन �ुअट� िमल 1.2 �ाय के िविभ� �ि�कोण पूव� दश�न: • धम� से संबंिधत: प्राचीन भारत म� धम� को �ाय से जोड़कर देखा जाता था। एक �ायसंगत सामािजक �वस्था की स्थापना करना राजा की मु� िज�ेदा�रयो ंम� से एक था। • प्रकृित के एक �ापक साव�भौिमक िस�ांत का मानव प्रितिबंब: भारतीय सं�ृित म� हमेशा यह िव�ास रहा है िक लोगो ं के बीच िन��ता और �ाय को बढ़ावा देना, माइक्रोकॉ��क ब्र�ांड के प्राकृितक क्रम और स�ाव के सू� ब्र�ांड का प्रितिनिध� करना ह�। यह मा�ता वैिदक काल की है। इसिलए, भारतीय संदभ� म�, �ाय, प्रकृित के �ापक साव�भौिमक िस�ांत का एक मानवीय प्रितिबंब है। 4 संपूण�: सामािजक �ाय • िवतरणा�क समानता के �प म�: पु�ष, �ाय को तीन मु� तरीको ं से देखते ह�: नैितक �ाय, सामािजक �ाय और कानूनी �ाय। �ाय को िवतरणा�क समानता के �प म� प�रभािषत िकया गया है। इनम� से प्र�ेक प्रकार के �ाय को समग्र �प से ब्र�ांड के अंतिन�िहत मौिलक िवचार की िवशेषता के �प म� समझा जा सकता है। • एक नैितक ब्र�ांड: इसका अथ� है िक शा�ीय भारतीय स�ता म� ब्र�ांड मु� �प से एक नैितक ब्र�ांड है। प्रकृित को िनयंित्रत करने वाले िस�ांत पु�षो ंके सामािजक और ���गत जीवन म� नैितक अवधारणाओं म� बदल जाते ह�। • कन्�ूिशयसवाद: भारत के समान, कन्�ूिशयस ने चीन म� राजाओं के मा�म से �ाय �वस्था को बनाए रखने की िदशा म� काम िकया। इस �वस्था के तहत उिचत �वहार करने वाले लोगो ंको तो पुर�ृत िकया जाता था जबिक गलत काम करने वालो ंको दंड िदया जाता था। पि�मी दश�न: • सुकरात और �ेटो: यूनान के एथ�स म� लगभग 4 ई.पू. �ेटो के ‘द �रप��कʼ ने �ाय के िवचार को �� िकया। �ेटो ने �ाय से जुड़े मु�ो ं का अ�यन करने के िलए सुकरात, �ौकोन और एिडम�टस के साथ चचा� की। यह जानने से पहले िक �ायोिचत िवतरण और �ाय समाज के िलए �ो ं मह�पूण� ह�, सुकरात ने यह समझने की आव�कता पर जोर िदया िक वा�व म� �ाय �ा है। • �ेटो और अर�ू: �ाय को �ेटो और अर�ू दोनो ं ने सद्गुण और िनयमो ंका पालन करने की इ�ा के �प म� प�रभािषत िकया था। इसका ता�य� अिधकारो ं और दािय�ो ंके बीच सम�पता से है। आदश� मानवीय संबंधो ं का चरम िबंदु �ाय था। • प्रकृित कानून का स्रोत और रा� का कत�� था: इसे आमतौर पर कानून के िनमा�ण के बजाय अनुप्रयोग माना जाता था। अर�ू और �ेटो का �ाय वा�व म� दोनो ंएक दूसरे के पूरक ह�, दोनो ंही दाश�िनको ंका उ�े� साम�� का एक ऐसा िस�ांत खोजना है िजसके �ारा समाज म� एकता, समरसता, सद्गुण और खुशहाली लाई जा सके। �ाय की नव-उदारवादी अवधारणा: • जॉन रॉ�: अमे�रकी दाश�िनक जॉन रॉ� की सामािजक िन��ता की जाँच इस तरह की सबसे मह�पूण� जाँच है। रॉ� ने ‘ए �ू ऑफ ज��सʼ (1971) म� सामािजक �ाय के बारे म� अपने िवचारो ंको रेखांिकत िकया, िजसे उ�ोनें �ाय के िस�ांत के �प म� संदिभ�त िकया। इसम� उ�ोनें "�ाय को िन��ता" के �प म� प�रभािषत िकया। o रॉ� के िलए, इसका मतलब यह था िक ���यो ंको असमानता के दोनो ं�रो ं (पहला, समाज के भीतर मौजूद और दूसरा, सामािजक व�ुओ ं के उिचत िवतरण के िलए िदशािनद�श) को �ान म� रखना चािहए। o "अंतर का िस�ांत", िजसम� कहा गया है िक सामािजक और आिथ�क असमानताएं �ीकाय� हो सकती ह� यिद वे समग्र �प से समाज को लाभा��त करते ह�, और "अ�ानता की परत", अ�ानता का ढोगं रॉ� �ारा दी गई लोकिप्रय अवधारणाएं थी।ं • थैचरवाद (Thatcherism): शता�ी की शु�आत के बाद से ही यह वा�ांश लोकिप्रय �आ। कुछ िश�ािवदो ंका अनुमान है िक यह प�रवत�न थैचर और रीगन प्रशासन की नव-उदारवादी नीितयो ंके प�रणाम��प �आ होगा। 1.3 सामािजक �ाय के माग�दश�क िस�ांत • प�ँच: o सामािजक �ाय के सबसे बुिनयादी िस�ांतो ं म� से एक सामािजक व�ुओं तक समान प�ंच है। इसके अनुसार समाज म� सभी की संसाधनो ं तक समान प�ंच होनी चािहए। o उदाहरण के िलए, कई सामािजक �ाय िस�ांतवादी सोचते ह� िक रोजगार, �ा� देखभाल और िश�ा के अवसरो ंतक सभी की समान प�ंच होनी चािहए। o यह सुिनि�त करना िकइन संसाधनो ंतक सभी की प�ँच हो ही एकमात्र ऐसा तरीका है िजससे साव�जिनक कम�चारी इस अवधारणा को जीवंत रख सकते ह�। 5 संपूण�: सामािजक �ाय • �ाय संगतता: o �ाय संगतता का िवचार यह है िक पूव� म� िकये गए िकसी भी गलत कामो ं या संस्थागत पूवा�ग्रहो ं की परवाह िकए िबना सभी को �ाय प्रा� करने का समान अवसर होना चािहए। o इसका अथ� यह हो सकता है िक संसाधन गरीब समुदायो ंया ���यो ंकी िवशेष आव�कताओ ं को पूरा करने के िलए आवंिटत िकए जाएं। • िविवधता: o िविवधता िस�ांत के अनुसार, सरकार और �ापार जगत के िदग्�ाजो ंको मोटे तौर पर उस आबादी का प्रितिनिध होना चािहए िजसके िलए वे काय� करते ह�। o इसका मतलब यह है िक स�ा के पदो ंपर मिहलाओं और अ�ेत लोगो ंके अलावा, अ�सं�क समुदायो ं को साव�जिनक संस्थानो ं म� भी समान �प से प्रितिनिध� िदया जाना चािहए। o नीितगत �र पर इस िस�ांत का अथ� भेदभाव को रोकना या कई भाषाओ ंम� संसाधनो ंकी पेशकश करना हो सकता है। • भागीदारी: o भागीदारी का िवचार यह है िक िकसी समुदाय म� सभी को प्रमुख िनण�यो ंम� अपनी बात रखनी चािहए। o कई देशो ं म�, कुछ चुिनंदा प्रभावशाली ��� साव�जिनक नीित के बारे म� उन समूहो ं से परामश� िकए िबना िनण�य लेते ह� िजनका वे प्रितिनिध� करते ह�। अतः अनजाने म� समुदाय का एक मह�पूण� िह�ा िनण�य प्रिक्रया से बाहर हो सकता है। 1.4 सामािजक �ाय के िविभ� पहलु 1.4.1 समानो ंके साथ समान �वहार: • समान �वहार: इस संबंध म�, िविभ� प्रकार के िविश� िस�ांतो ंको िवकिसत िकया गया है। सभी के साथ समान �वहार करने का िवचार माग�दश�क अवधारणाओ ंम� से एक है। ऐसा माना जाता है िक सभी लोग अ� लोगो ंके साथ कुछ खास गुण साझा करते ह�। नतीजतन, वे समान �वहार और अिधकारो ंके यो� ह�। • अिधकारो ंके �प म� अिभ���: आज के सबसे उदार लोकतंत्रो ंम� ���यो ंको कई मह�पूण� अिधकार िदए गए ह�, िजनम� नाग�रको ंके अिधकार जैसे जीवन, �तंत्रता और संपि� के अिधकार; मतदान के अिधकार जैसे राजनीितक अिधकार, जो लोगो ंको राजनीितक प्रिक्रयाओं म� भाग लेने की अनुमित देते ह�; और कुछ सामािजक अिधकार, जैसे समाज के अ� सद�ो ं के साथ समान अवसर का अिधकार शािमल ह�। • भेदभाव न करना: ���यो ंके साथ समान �वहार करने का िवचार यह मांग करेगा िक उनसे समान अिधकारो ंके अलावा वग�, जाित, रंग या िलंग के आधार पर भी भेदभाव नही ं िकया जाना चािहए। उनका मू�ांकन केवल उनके कम� और कम� के अनुसार ही होना चािहए, न िक उस संगठन के अनुसार िजससे वे संबंिधत ह�। 1.4.2 आनुपाितक �ाय: • िविभ� कामो ं की िभ�-िभ� तरीको ं से िन�� और �ायपूण� सराहना: ���यो ंके साथ समान �वहार का अथ� है िक उनके साथ समान अिधकारो ंके अलावा वग�, जाित, रंग या िलंग के आधार पर भेदभाव नही ंिकया जाना चािहए। • प्रदश�न के आधार पर मू�ांकन: उनका मू�ांकन उनके प्रदश�न और काय� के आधार पर िकया जाना चािहए न िक उस समूह के आधार पर िजससे वे पहचाने जाते ह�, �ोिंक समान �वहार िन��ता का एकमात्र मानदंड नही ं है। कुछ �स्थितयो ंम�, हम यह मान सकते ह� िक सभी के साथ समान �वहार करना �ायपूण� नही ंहोगा। • संतुलनकारी काय�: इस प्रकार समाज म� �ाय के िलए समान �वहार के िस�ांत को आनुपाितकता के िस�ांत के साथ संतुिलत करने की आव�कता है। 6 संपूण�: सामािजक �ाय 1.4.3 िवशेष आव�कताओ ंको मा�ता: • तीसरे िस�ांत की आव�कता: लोगो ंके बीच भेदभाव को समा� करने और उनके योगदान के िलए उ�� उिचत भुगतान करना इस बात की गारंटी नही ंहो सकता है िक समाज के अ� पहलुओं म� भी लोगो ं के साथ समान �वहार िकया जाता है या यह िक संपूण� समाज �ायपूण� है। • िविश� आव�कताएं: �ाय के तीसरे िस�ांत के अनुसार, पुर�ार या दािय�ो ंको आवंिटत करते समय एक समाज को प्र�ेक ��� की िविश� ज�रतो ं पर िवचार करना चािहए। �ाय की अवधारणा ���यो ंको समाज के सद�ो ंके �प म� उनकी मौिलक �स्थित और अिधकारो ंके संबंध म� समान �वहार करने पर आधा�रत है। • समान �वहार के िस�ांत के साथ कोई िवरोधाभास नही:ं िविश� ज�रतो ं को समायोिजत करने का िवचार अिनवाय� �प से सभी के साथ समान �वहार करने के िवचार के �खलाफ नही ं है, ब�� यह इसे और �ापक बनाता है �ोिंक सभी के साथ समान �वहार करने के िवचार म� ऐसे लोगो ंके साथ अलग �वहार करना शािमल हो सकता है जो कुछ मामलो ंम� अ� लोगो ंके समान नही ं ह�। 1.5 �ायोिचत िवतरण के संबंध म� तक� • सरकारी ह��ेप की आव�कता: सरकारो ं को यह सुिनि�त करने के अलावा भी अ� उपाय करने की आव�कता हो सकती है िक समाज म� सामािजक �ाय प्रा� करने के िलए लागू कानून और नीितयां लोगो ंके साथ उिचत �वहार कर� । • पूरे समाज म�: व�ुओं और सेवाओं का समान िवतरण, चाहे वह देश भर म� हो या समाज के भीतर िविभ� समूहो ं और लोगो ंके बीच, सामािजक �ाय का एक और पहलू है। • संसाधनो ं का पुनिव�तरण: आिथ�क या सामािजक असंतुलन होने पर नाग�रको ं के िलए समान अवसरो ंका सृजन करने हेतु समाज के कुछ मह�पूण� संसाधनो ंको पुनिव�त�रत करने की आव�कता हो सकती है। • ���गत उ�े�ो ं को आगे बढ़ाने की आव�कता: यह प्र�ेक ��� के िलए �यं को प्रदिश�त करने और अपने ल�ो ं को प्रा� करने म� स�म होने के िलए आव�क माना जाता है। o उदाहरण के िलए, हमारे देश म�, संिवधान ने सामािजक समानता को आगे बढ़ाने के िलए अ�ृ�ता के अ�ास पर प्रितबंध लगा िदया और यह गारंटी दी िक "िन�" जाितयो ंके लोग पूजा स्थलो,ं रोजगार के अवसरो ं और पानी जैसे साव�जािनक संसाधनो ंतक प�ंच प्रा� कर सकते ह�। o उदाहरण के िलए, भूिम जैसे मू�वान संसाधनो ंको अिधक �ायसंगत तरीके से साझा करने के तरीके के �प म� कई रा� सरकारो ं�ारा भूिम सुधार लागू िकये गए ह�। 1.6 रॉ� �ोरी ऑफ ज��स • �ाय का िस�ांत: अमे�रकी दाश�िनक जॉन रॉ� की सामािजक िन��ता की जाँच इस तरह की सबसे मह�पूण� जाँच है। रॉ� ने "ए �ोरी ऑफ ज��स" (1971) म� सामािजक �ाय के बारे म� अपने िवचारो ंको रेखांिकत िकया, िजसे उ�ोनें �ाय के िस�ांत के �प म� संदिभ�त िकया। इसम� उ�ोनें "�ाय को िन��ता" के �प म� प�रभािषत िकया। • सामािजक व�ुओ ंके उिचत आवंटन के िलए िनयम: रॉ� के िलए, इसका अथ� यह था िक ���यो ं को असमानता के दोनो ं �रो ं (पहला, जो समाज के भीतर मौजूद हो और दूसरा, सामािजक व�ुओं के उिचत िवतरण के िलए िदशािनद�श) को �ान म� रखना चािहए। • प्रयु� अवधारणा: "अंतर का िस�ांत", यह दशा�ता है िक सामािजक और आिथ�क असमानताएं तब �ीकाय� हो सकती ह� यिद वे समग्र �प से समाज को लाभा��त करते ह�, और "अ�ानता की परत", अ�ानता का ढोगं रॉ� �ारा दी गई लोकिप्रय अवधारणाएं थी।ं 7 संपूण�: सामािजक �ाय अ�ानता की परत (veil of ignorance): • उनका तक� है िक एक िन�� और �ायपूण� शासन की समझ रखने का एकमात्र तरीका यह है िक हम खुद को ऐसी �स्थित म� होने की क�ना कर� िजसम� हम� िनण�य लेना है िक समाज को कैसे �व�स्थत िकया जाना चािहए, पर�ु हम यह नही ंजानते िक उस समाज म� हम खुद िकस �स्थित म� ह�। • रॉ� इसे 'अ�ानता की परतʼ के तहत सोच के �प म� विण�त करते ह�। उनकी अपे�ा है िक समाज म� हमारी संभािवत �स्थित और दज� के बारे म� पूण� अ�ानता की ऐसी �स्थित म�, प्र�ेक ��� उस तरीके से िनण�य लेगा जो वे आम तौर पर करते ह�, अथा�त वह अपने �यं के िहतो ंके बारे म� सोचकर ही िनण�य लेगा। o गुण: 'अ�ानता की परतʼ की �स्थित का गुण यह है िक यह लोगो ंसे अपे�ा करता है िक वे केवल सामा� तक� संगत ��� हो।ं उनसे अपे�ा की जाती है िक वे अपने िलए सोच� और िजसे अपने िलए िहतकारी मानते ह� उसे ही चुन�। o अवगुण: पर�ु प्रासंिगक बात यह है िक जब वे 'अ�ानता की परतʼ के तहत िनण�य लेते ह� तो वे पाएंगे िक सबसे खराब �स्थित को सोचना ही उनके िहत म� है। • तक� संगत कार�वाई का प�रणाम: अतः , अिधिनयिमत कानूनो ंऔर नीितयो ंसे लाभ प्रा� करना न केवल िकसी एक के िलए ब�� पूरे समाज के िलए सभी के सव��म िहत म� होगा। ऐसी िन��ता उिचत �वहार (न िक दया या उदारता के) के प�रणाम��प आएगी। 1.7 भारत म� सामािजक �ाय का मह� • समानता: बेहतर प�रणामो ं के िलए समान अवसर के बजाय समान �वहार को प्राथिमकता दी जानी चािहए। • शांित और �वस्था: जब ब�सं�क उनकी उपे�ा करते ह� तो समुदाय के भीतर के छोटे समूह िवद्रोही बन जाते ह�। • ग�रमा: यह सुिनि�त करना िक जीवन का एक उ�े� है और जीवन मानवीय ग�रमा के स�ान के साथ जीने यो� है। • पीड़ा को कम करना: यह कमजोर दिलतो,ं गरीब दिलतो,ं आिदवािसयो ंऔर समाज के अ� वंिचत समूहो ंकी पीड़ा को कम करने का एक प्रभावशाली साधन है। • मानव संसाधन: �ा� और शैि�क सुिवधाएं प्रदान करके, यह मानव संसाधनो ंके संर�ण म� सहायता करेगा। • राजनीितक, आिथ�क या धािम�क संस्थानो ंकी स्थापना की �तंत्रता: राजनीितक, आिथ�क, या धािम�क संस्थानो ं की स्थापना की �तंत्रता के साथ ही समाज म� जाित �वस्था, अ�ृ�ता और अ� प्रकार के भेदभाव की बाधाओं को काफी हद तक समा� कर िदया जाएगा। • मिहलाओ ंके साथ उिचत �वहार: दहेज प्रथा और क�ा भू्रण ह�ा म� कमी आएगी। इसके अित�र�, यह घटते िलंगानुपात और लड़िकयो ं के िलए शैि�क िवक�ो ं की कमी को दूर कर सकता है। • कानूनी �ाय: �ाय प्रणाली के प्रशासन को जनसं�ा के सभी समूहो ंको, उनकी सामािजक या आिथ�क �स्थित या िव�ीय संसाधनो ंकी परवाह िकए िबना, �ाय प्रा� करने के िलए िकफायती, ��रत और कुशल संसाधन प्रदान करने चािहए। 1.8 िन�ष� • आज भीहम �ाय को िकस नज़�रए से देखते ह�, इसका प्रमुख घटक प्र�ेक ��� को उसका �ायोिचत मुआवज़ा देना बना �आ है। • लेिकन �ेटो के समय से ही, िकसी ��� का िकस पर अिधकार है, इस बारे म� हमारी धारणा िवकिसत �ई है। आधुिनक िव� म�, एक मनु� के �प म� प्र�ेक ��� के िलए �ा उिचत है और �ा उसका अिधकार है, संबंिधत अवधारणाएं ह�। जम�न दाश�िनक इमैनुएल कांट का मानना था िक लोगो ंका आ�स�ान होता है। • सभी लोगो ंको अपने वांिछत ल�ो ंको प्रा� करने और अपने कौशल को िवकिसत करने का अवसर िमलना चािहए, यिद उनके साथ स�ान पूव�क �वहार िकया जाता है। �ाय की मांग है िक हम प्र�ेक ��� के साथ उिचत और समान �वहार कर� । 8 संपूण�: सामािजक �ाय 2. अनुसूिचत जाित 2.1 प�रचय • अनुसूिचत जाितयां वे जाितयां/न�� ह� जो लंबे समय से चली आ रही अ�ृ�ता की प्रथा के साथ-साथ बुिनयादी ढांचे की कमी और भौगोिलक अलगाव के कारण अ�िधक सामािजक, शैि�क और आिथ�क िपछड़ेपन का अनुभव करती ह� और िजनके िहतो ं के संर�ण तथा उनके ��रत सामािजक-आिथ�क िवकास के िलए िवशेष उपाय करने की आव�कता है। o संिवधान के अनु�ेद 341 के खंड 1 की शत� के अनुसार, इन समुदायो ं को अनुसूिचत जाित घोिषत िकया गया था और इसकी अिधसूचना जारी की गई थी। • िहंदू जाित �वस्था के भीतर अनुसूिचत जाितयो ंके �प म� जाने जाने वाले उप-समुदायो ं को उनकी किथत "िन� �स्थित" के कारण भारत म� ऐितहािसक �प से गरीबी, अ�ाचार और गंभीर सामािजक अलगाव का सामना करना पड़ा है। o संिवधान (अनुसूिचत जाित) आदेश, 1950 के अनुसार, केवल हािशयाई िहंदू समुदायो ंको भारत म� अनुसूिचत जाितयो ंके �प म� वग�कृत िकया जा सकता है। 2.2 अनुसूिचत जाित के संबंध म� मह�पूण� त� • अनुसूिचत जाितयो ंको अनु�ेद 341 के तहत प�रभािषत िकया गया है और वे भारत की जनसं�ा (2011 की जनगणना) का लगभग 16.2% ह�। पंजाब, पि�म बंगाल और उ�र प्रदेश म� अनुसूिचत जाित के सवा�िधक लोग िनवास करते ह�। • सा�रता दर (2011 की जनगणना): 66.1 % (पु�ष - 75.2 %, मिहलाएँ - 56.5 %), िलंगानुपात - 933. • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत म� अनुसूिचत जाित के सद�ो ंकी सं�ा 166 िमिलयन या देश की कुल जनसं�ा का 16.6% है। • रा�� ीय अपराध �रकॉड� �ूरो �रपोट�, 2021: o वष� 2020 (50,291 मामले) की तुलना म�, 2021 (50900 मामले) म� अनुसूिचत जाितयो ं के �खलाफ अ�ाचार और अपराधो ंम� 1.2% की वृ�� �ई। o अनुसूिचत जाितयो ं के �खलाफ अ�ाचार के मामलो ं का उ�तम प्रितशत उ�र प्रदेश (25.82%, 13,146 मामले) म� दज� िकया गया था। इसके बाद क्रमशः राजस्थान (14.7%, 7524 मामले), और म� प्रदेश (14.1%, 7214 मामले) का स्थान था। सूची म� अगले दो रा� िबहार और ओिडशा थे जहाँ अ�ाचार के मामलो ं का प्रितशत क्रमशः 11.4% (5842 मामले) और 4.5% (2327 मामले) था। o अनुसूिचत जाितयो ंके �खलाफ अ�ाचार की 70.8% घटनाएं ऊपर उ���खत शीष� पांच रा�ो ंम� दज� की गईं। o रा�� ीय अपराध �रकॉड� �ूरो के अनुसार, राजस्थान, उ�र प्रदेश और ह�रयाणा म� हाल ही म� िकए गए अ�ाचार अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के �खलाफ जाितगत िहंसा की कू्रर वा�िवकता को प्रितिबंिबत करते ह�। 2.3 अनुसूिचत जाितयो ंसे संबंिधत मु�े • सामािजक: o अनुसूिचत जाित के �खलाफ अ�ाचार (रा�� ीय अपराध �रकॉड� �ूरो डेटा 2021): वष� 2020 (50,291 मामले) की तुलना म�, वष� 2021 (50,900 मामले) म� अनुसूिचत जाितयो ं के �खलाफ अ�ाचार और अपराधो ंम� 1.2% की वृ�� �ई है, जबिक इसी अविध के दौरान अ�ाचार िनवारण अिधिनयम के तहत सजा की दर 36 प्रितशत से कम रही है। यह िचंताजनक है िक 84.09 प्रितशत मामले अभी भी �ायालयो ंम� लंिबत ह�। 9 संपूण�: सामािजक �ाय o कुपोषण: कुपोषण एक ऐसी सम�ा है जो अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित को असमान �प से प्रभािवत करती है। अनुसूिचत जाित / अनुसूिचत जनजाित समुदायो ंको प्रभािवत करने वाले अ� मु�ो ं म� मातृ र�ा�ता और ज� के समय ब�ो ंके कम वजन से जुड़ी किमयां शािमल ह�। • राजनीितक: o उ� �रीय सरकारी सेवाओ ंम� कम प्रितिनिध�: रोजगार म� आर�ण कोटा होने के बावजूद सभी साव�जिनक सेवाओं म� व�र� पदो ंपर अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित का प्रितिनिध� कम है। o वोट ब�क की राजनीित: यह चुनावी प्रिक्रया की राजनीितक गणना है िजनका �तंत्रता के बाद से शोषण िकया जा रहा है। o संवैधािनक और िवधायी सुर�ा उपायो ंका उिचत काया��यन न होना: संिवधान म� सभी के िलए समानता की गारंटी दी गई है, इसके बावजूद अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित समुदायो ं के साथ असमान �वहार िकया जाता है। उ�� सामािजक, आिथ�क और राजनीितक भागीदारी से बाहर रखा गया है। इसी तरह, कानून �ारा हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर प्रितबंध लगाने के बावजूद, अभी भी बड़ी सं�ा म� लोग इसम� संल� ह�। • आिथ�क: o भूिमहीनता: भूिमहीन और खेितहर मजदूरो ंके �प म� काम करने वाले दिलतो ंऔर आिदवािसयो ंकी सं�ा बढ़ रही है। o गरीबी और शोषण: वैि�क ब�आयामी गरीबी सूचकांक (MPI), 2021 के अनुसार, 6 ब�आयामी गरीबो ंम� से 5 िनचली जनजाितयो ंया जाितयो ंसे ह�। o आिथ�क �प से िपछड़ापन: उनके पास ब�त कम संपि� होती है और वे िन�-आय वाले �वसायो ं म� संल� होते ह�। अनुसूिचत जाित के लगभग 71 प्रितशत िकसान खेितहर मजदूर ह�। • सां�ृितक: o अनुसूिचत जाित के �खलाफ पूवा�ग्रह: यह अ�ृ�ता के अंत के बावजूद भी जारी है, अनुसूिचत जाितयो ंऔर अनुसूिचत जनजाितयो ं के �खलाफ भेदभाव अभी भी िकसी न िकसी �प म� मौजूद है। उदाहरण के िलए, उ�� साव�जिनक कुओं से पानी लेने या मंिदरो ंम� जाने की अनुमित नही ंहै। o सां�ृितक ितर�ार और राजनीितक हािशयाकरण: उनके खाने की आदतो,ं पोशाक आिद के कारण उनके साथ भेदभाव िकया जाता है और उ�� धािम�क काय� से बाहर रखा जाता है। राजनीित म� भी आर�ण के बावजूद, वे प्रमुख नेताओं के प्रितिनिध ही बने रह जाते ह�। • प्रशासिनक: o क�ाणकारी काय�क्रमो ं म� समावेशन और बिह�रण संबंधी तु्रिटयाँ: अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित समुदाय उनकी अिश�ा, अनिभ�ता, द�ावेजो ं की कमी, प्रशासिनक उदासीनता आिद के कारण िविभ� योजनाओं से लाभा��त नही ंहोते ह�। o योजनाओ ं का उिचत काया��यन न होना: रा� आिथ�क सव��ण 2019-20 म� कहा गया है िक चालू िव� वष� म� िदसंबर 2020 तक अनुसूिचत जाित घटक योजनाओ ं (SCCS) और जनजातीय घटक योजना (TCS) के िलए आवंिटत धन का 40% से भी कम खच� िकया गया था। 2.4 अनुसूिचत जाितयो ंकी दयनीय �स्थित के कारण • सामािजक: o भारत म� अ�ृ�ता का अ�ास अभी भी �ापक �र पर िकया जाता है, भले ही देश के मौजूदा कानूनो ंके तहत जाित �वस्था को औपचा�रक �प से समा� कर िदया गया हो। 10 संपूण�: सामािजक �ाय o राजस्थानी समुदायो ंम� दिलतो ंको आम तौर पर मंिदरो ं म� जाने या साव�जिनक कुओं से पानी लेने की अनुमित नही ंहै। • राजनीितक: o जो दिलत आंदोलनो ं सबसे अिधक कु�ात �ए ह�, उ�ोनें िव�िव�ालयो ंम� आर�ण और भेदभाव जैसी िचंताओं पर �ान क� िद्रत िकया है और ये समग्र �प से दिलत लोगो ंको थोड़ा ही प्रभािवत करते ह�। o दिलतो ंको अब उ� जाित �ारा स्थािपत सामािजक, आिथ�क और राजनीितक �स्थित के िलए खतरा माना जा रहा है। उ� जाितयां अपने वच�� को प्रदिश�त करने के िलए अपराध का सहारा लेती ह�। • आिथ�क: o ऐसा प्रतीत होता है िक पारंप�रक �प से संप� समाजो ं से शोषण का सामना करने के प�रणाम��प दिलतो ं के आिथ�क मानको ंम� वृ�� �ई है। o िद�ी �ूल ऑफ इकोनॉिम� �ारा िकए गए एक अ�यन के अनुसार ऊंची जाितयो ंका उ� उपभोग- �य अनुपात उ� जाितयो ं �ारा िकये जाने वाले अपराधो ंकी उ� दर से जुड़ा �आ है। o कई दिलत अपनी संपि� म� वृ�� करके और शैि�क सफलता हािसल करके उ�-जाित के समूहो ंके बीच शतु्रता को भड़का कर जाितगत बाधाओं को चुनौती देते ह�। o दिलत छात्रो ंके �खलाफ भेदभाव के उपरो� आरोपो ं को रोिहत वेमुला और पायल तड़वी की हािलया आ�ह�ाओं के म�ेनजर समझा जा सकता है। • प्रशासिनक: o श्रम अिधकार सुर�ा उपायो ंकी कमी के साथ संयु� �प से असुरि�त रोजगार �स्थितयो ंके कारण प्रवासी दिलत मिहलाओ ं के �ावसाियक काय� म� संल� न होने की संभावना अिधक होती है। o सरकारी �ूलो ंम�, दिलतो ंको शौचालय साफ करने के िलए िनयु� िकया जाता है, उ�� अ�र क�ा के बाहर बैठना पड़ता है, और उ�� उ� जाितयो ं के सद�ो ंको भोजन परोसने की अनुमित नही ंहोती है। 2.5 अनुसूिचत जाित के िहतो ंके संर�ण हेतु संवैधािनक तंत्र अनु�ेद प्रावधान अनु�ेद 17 • अ�ृ�ता को समा� िकया जाए। अनु�ेद 46 • रा� को "लोगो ं के कमजोर वग� और िवशेष �प से अनुसूिचत जाितयो ं और अनुसूिचत जनजाितयो ं के शैि�क और आिथ�क िहतो ंपर िवशेष �ान देकर उ�� बढ़ावा देना चािहए, और उ�� सामािजक अ�ाय और सभी प्रकार के शोषण से बचाना चािहए"। अनु�ेद 15(4) • उनकी उ�ित के िलए िवशेष �वस्था। अनु�ेद 16(4A) • "अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित, िजनका रा� के अधीन सेवाओं म� पया�� प्रितिनिध� नही ंहै, को रा� सेवाओं म� िकसी भी वग� या पदो ंके वग� म� पदो�ित के मामलो ंम� वरीयता दी जाएगी।" अनु�ेद 243D • पंचायतो ं म� अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के िलए गाँव म� उनके प्रितिनिध� के अनुपात म� आर�ण होगा। अनु�ेद 243T • नगरपािलकाओं म� समान अनुपात म� सीटो ंके आर�णकी गारंटी है। अनु�ेद 330 और 332 • लोक सभा और रा�ो ंकी िवधानसभाओ ं म� क्रमशः अनुसूिचत जाितयो ं और अनुसूिचत जनजाितयो ं के िलए स्थान आरि�त ह�। 11 संपूण�: सामािजक �ाय भाग IX और भाग IXA • यह क्रमशः पंचायतो ं और नगर पािलकाओं से संबंिधत है, दोनो ंस्थानीय सरकारो ं म� अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के सद�ो ंके िलए आर�ण का प्रावधान करते ह�। अनु�ेद 335 • यह क� द्र या रा� के मामलो ंके संबंध म� पदो ंको भरने से संबंिधत है, प्रशासिनक प्रभावशीलता बनाए रखते �ए अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के सद�ो ंके दावो ंपर िवचार िकया जाना चािहए। अनु�ेद 338 • रा�� ीय अनुसूिचत जाित आयोग की स्थापना की गई है । o संिवधान या िकसी अ� कानून के तहत अनुसूिचत जाितयो ं के िलए उ���खत सुर�ा उपायो ं की िनगरानी करना आयोग की िज�ेदारी है। o इसके अित�र�, िशकायतो ं की जाँच करने और अनुसूिचत जाित समुदाय के सद�ो ं के सामािजक आिथ�क िवकास के िलए योजना प्रिक्रया म� भाग लेने के दौरान इसके पास दीवानी अदालतो ं के सभी अिधकार ह�। अनु�ेद 340 • रा�� पित के पास वंिचत वग� की �स्थितयो ं और उनके सामने आने वाली चुनौितयो ं पर गौर करने के िलए एक आयोग बनाने और उनकी �स्थित म� सुधार के तरीको ं की पेशकश करने का अिधकार है। यह वह अनु�ेद था िजसके तहत मंडल आयोग का गठन िकया गया था। 2.6 िवधायी पहल 2.6.1 नाग�रको के अिधकारो ंका संर�ण: • अ�ृ�ता (अपराध) अिधिनयम, 1955: यह भारतीय संिवधान के अनु�ेद 17 के तहत पा�रत िकया गया था, और यह िनधा��रत करता है िक जो कोई भी अ�ृ�ता कानूनो ं का उ�ंघन करता है, उसे अिधकतम छह माह का कारावास, जुमा�ना, या दोनो ंका सामना करना पड़ सकता है। • ऐसे उ�ंघन िजसम� िकसी ��� को साव�जिनक मंिदरो ंया पूजा स्थलो ंम� प्रवेश करने या पिवत्र झीलो,ं तालाबो,ं कुओं आिद और अ� साव�जिनक स्थलो ंसे पानी प्रा� करने से रोकना शािमल है, इस अिधिनयम के तहत दंडनीय ह�। 2.6.2 मैला ढोने वालो ंके िनयोजन का प्रितषेध और उनका पुनवा�स अिधिनयम, 2013: • उ�ूलन और पुनवा�स: सरकार ने मैला ढोने की प्रथा को समा� करने और मैला ढोने वालो ंके वैक��क �वसायो ं म� पुनवा�स को सव�� प्राथिमकता दी है। • िनिष� अिधिनयम: इस अिधिनयम के तहत सूखे शौचालयो ंके िनमा�ण (िजनम� �श की सुिवधा नही ंहै) के साथ-साथ सूखे शौचालयो ंकी हाथ से सफाई के िलए मैला ढोने वाले ���यो ंको िनयोिजत करना प्रितबंिधत है। • अिधिनयम के मह�पूण� पहलू: o यह अ�� शौचालयो ं के िनमा�ण या रखरखाव पर रोक लगाता है। o कोई भी ��� जो हाथ से मैला ढोने के काम पर िनयोिजत करने या इसम� शािमल होने वाले कानून के प्रितबंध का उ�ंघन करता है, उसे एक वष� कारावास, 50,000 �पये का जुमा�ना, या दोनो ंका सामना करना पड़ सकता है। o यह िकसी भी ��� को सेि�क ट�क या सीवर की सफाई का काम लेने या काम करने पर रोक लगाता है। 12 संपूण�: सामािजक �ाय o अिधिनयम के तहत शािमल अपराध सं�ेय और गैर- जमानती दोनो ंह�। o यह शहरी और ग्रामीण दोनो ंस्थानो ंम� मैला ढोने वालो ं के समयब� सव��ण का प्रावधान करता है। • सव�� �ायालय का आदेश: माच� 2014 म� िदए गए सव�� �ायालय के एक िनण�य के अनुसार, सरकार को 1993 से सीवर म� काम करने के दौरान मरने वाले प्र�ेक ��� की पहचान करने और उनके प�रवारो ंको मुआवजे के �प म� 10 लाख �पये (प्रित प�रवार) देने को कहा गया है। 2.6.3 अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित (अ�ाचार िनवारण) अिधिनयम, 1989: • धारा 15(A)(5): इस अिधिनयम के तहत एक पीिड़त या उसके आिश्रत को िकसी आरोपी ��� की जमानत, �रहाई, पैरोल, सजा, या दंडादेश के साथ-साथ िकसी भी संबंिधत काय�वाही या तक� के संबंध म� की गई िकसी भी काय�वाही म� सुनवाई का अिधकार है। उ�� सजा, दोषमु�� या जुमा�ने के संबंध म� िल�खत यािचका दज� करने का भी अिधकार है। • धारा 4: �ूटी पर लापरवाही के िलए जुमा�ना: कोई भी ऐसा ��� जो जानबूझकर इस अिधिनयम के तहत एक साव�जिनक कम�चारी के �प म� अपने दािय�ो ं की अवहेलना करता है और जो अनुसूिचत जाित या अनुसूिचत जनजाित का सद� नही ं है, उसे �ूनतम छह माह और अिधकतम एक वष� तक के कारावास की सजा हो सकती है। • अिधिनयम के काया��यन म� आने वाली चुनौितयाँ: o प्राथिमक प�पात: िवडंबना यह है िक अिधिनयम के प्रमुख प्रवत�क- पुिलस और नौकरशाही के िन�तम �र, जो ग्रामीण �ेत्रो ं म� रा� और समाज के बीच संपक� के प्रमुख िबंदुओं के �प म� काम करते ह�, भी इसके िन�ादन म� बड़ी बाधा ह�। पुिलस अिधका�रयो ंने लगातार कानून का उ�ंघन करने वालो ंकी �रपोट� दज� करने म� अिन�ा जािहर की है। यह संकोच आंिशक �प से अनिभ�ता/अनदेखी का प�रणाम है। o न�ीय प�पात: जाितगत पूवा�ग्रह सबसे आम कारण है िजस कारण लोग अिधिनयम के प्रावधानो ंके बजाय भी प्रथम सूचना �रपोट� (FIR) दायर करने से इनकार करते ह�। �ोिंक अिधिनयम म� स� सजा का प्रावधान है और अिधकांश अपराधो ंम� कम से कम पांच वष� कारावास की सजा होती है। उ� जाित के पुिलस अिधकारी अपनी समक� जाितयो ं के सद�ो ं के �खलाफ मामले दज� करने म� संकोच करते ह�। o �ाियक प�पात: दिलतो ं के �खलाफ �ापक और अिनयिमत �ाियक पूवा�ग्रह है, और यह पूवा�ग्रह आमतौर पर अदालती फैसलो ंम� प�रलि�त होता है। 2.7 अ� पहल 2.7.1 िश�ा के मा�म से सश��करण: • मैिट�क से पूव� छात्रवृि� : o यह क� द्र �ारा िव�पोिषत काय�क्रम है िजसे रा�ो ंऔर क� द्र शािसत प्रदेशो ं�ारा चलाया जाता है। काय�क्रम से संबंिधत सभी खच� के िलए िव� पोषण क� द्र सरकार �ारा िकया जाता है। o लि�त समूहो ंके ब�े (i) शु� शौचालयो ंकी सफाई करने वाले, (ii) चम�कार, (iii) परत हटाने वाले, और (iv) कूड़ा बीनने वालो ंको प्री-मैिट� क िश�ा योजना के तहत िव�ीय सहायता प्रा� होती है। • अनुसूिचत जाितयो ंके िलए िवदेश म� अ�यन हेतु रा�� ीय छात्रवृि�: o इस योजना म� िव�िव�ालयो ं�ारा लगाया जाने वाला वा�िवक शु�, मािसक तौर पर भुगतान िकया जाने वाला रखरखाव भ�ा, यात्रा वीजा शु� और बीमा प्रीिमयम, वािष�क तौर पर भुगतान िकया जाने वाला आक��क भ�ा और अिनयोिजत यात्रा भ�ा शािमल है। o पीएचडी काय�क्रमो ंऔर परा�ातक काय�क्रमो ंके िलए, योजना के तहत अिधकतम 4 वष� और 3 वष� के िलए िव�ीय सहायता प्रदान की जाती है। 13 संपूण�: सामािजक �ाय • अनुसूिचत जाित के छात्रो ंके िलए राजीव गांधी रा�� ीय फैलोिशप: o अनुसूिचत जाित के छात्रो ंको िव�िव�ालयो,ं अनुसंधान संस्थानो ंऔर वै�ािनक संस्थानो ंम� एम.िफल, पीएचडी, और समक� शोध िडग्री जैसे अनुसंधान िडग्री हािसल करने म� सहायता करने हेतु इस योजना के तहत िव�ीय सहायता प्रदान की जाती है। • अनुसूिचत जाित के छात्रो ं के िलए मैिट� क के बाद छात्रवृि� (PMS-SC): o यह योजना अनुसूिचत जाित के छात्रो ं को अिधक शैि�क अवसर प्रदान करने के िलए भारत सरकार का एकमात्र सबसे बड़ा प्रयास है। o अनुसूिचत जाित के छात्रो ं के िलए पो�-मैिट� क छात्रवृि� काय�क्रम हेतु सरकार �ारा 59,000 करोड़ �पये के नए बजट को मंजूरी दी गई है। o क� द्र सरकार योजना की लागत का 60% से अिधक का भुगतान करेगी, शेष 40% भुगतान रा�ो ं�ारा िकया जाएगा। 2.7.2 उ�िमता िवकास काय�क्रम: • लघु उ�ोग सेवा संस्थान (SISIs): यह केवल समाज के सबसे कमजोर सद�ो ंके िलए उ�िमता िवकास काय�क्रम चलाता है। अनुसूिचत जनजाित समूहो ं के लोगो ंको लघु- �रीय �वसाय शु� करने म� मदद करने के िलए प्रो�ाहन और प्रिश�ण प्रा� होता है। • लघु उ�ोग िवकास संगठन: लघु उ�ोग िवकास संगठन तकनीकी, प्रबंधकीय और आिथ�क सिहत िविभ� �ेत्रो ंम� परामश� सेवाएं प्रदान करता है। अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के उ�मो ंके िलए शु� म� 50% की कटौती की जाती है। • ग्रामीण कारीगर काय�क्रम: ग्रामीण अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित िश�कारो ंको उनकी तकनीक और उपकरण िवकिसत करने, उनकी �मताओं को अ�तन करने और �ापार स्थािपत करने म� मदद करने के िलए, ग्रामीण कारीगर काय�क्रम प्रचार योजनाएं और प्रिश�ण काय�क्रम भी चलाता है। • ��ड अप इंिडया (2016): कम से कम एक अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित और एक मिहला उ�मी को भारत म� एक अनुसूिचत वािण��क ब�क शाखा से सात साल तक की अविध के िलए ग्रीनफी� ऋण प्रा� होगा। • अ�ेडकर सोशल इनोवेशन एंड इन�ूबेशन िमशन (ASIIM) (2020): सामािजक �ाय मंत्रालय व�चर कैिपटल फंड के मा�म से अगले चार वष� म� अनुसूिचत जाित के युवाओं के 1000 �ाट�अप के िलए सहायता प्रदान करेगा। 2.7.3 िवशेष क� द्रीय सहायता: • रा�� ीय अनुसूिचत जाित िव� और िवकास िनगम (NSCFD: 1989): o रा�� ीय अनुसूिचत जाित िव� और िवकास िनगम का �ापक ल� अनुसूिचत जाित के प�रवारो ंको �रयायती ऋण के �प म� िव�ीय सहायता प्रदान करना और लि�त शे्रणी (जो दोहरी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे ह�) के युवा लोगो ं को �ावसाियक प्रिश�ण प्रदान करना है। • अनुसूिचत जाित िवकास िनगम (1978-79): o इन िनगमो ंकी मु� िज�ेदारी पात्र अनुसूिचत जाित के प�रवारो ंकी पहचान करना, उ�� आिथ�क िवकास काय�क्रमो ंम� भाग लेने के िलए प्रो�ािहत करना, ऋण सहायता के िलए िव�ीय संस्थानो ं के काय�क्रमो ं को प्रायोिजत करना, कम �ाज वाली मािज�न मनी के �प म� िव�ीय सहायता प्रदान करना और पुनभु�गतान दािय�ो ंको कम करनेके िलए स��डी देना तथा अ� गरीबी उ�ूलन पहलो ंका काया��यन करना है। • रा�� ीय सफाई कम�चारी िव� और िवकास िनगम (NSKFDC: 1997): o यह एक अ� मंत्रालय-संब� िनगम है। यह रा� चैनेलाइिजंग एज�िसयो ं के मा�म से सामािजक- आिथ�क िवकास हेतु आय-सृजन प�रयोजनाओं के िलए सफाई कम�चा�रयो,ं हाथ से मैला ढोने वालो ंऔर उनके आिश्रतो ंको ऋण सुिवधा प्रदान करता है। 14 संपूण�: सामािजक �ाय • अनुसूिचत जाित के िलए व�चर कैिपटल फंड (2014- 15): o वष� 2014 म�, सरकार ने अनुसूिचत जाितयो ं के िलए एक व�चर कैिपटल फंड स्थािपत करने की योजना की घोषणा की। यह अनुसूिचत जाित के सद�ो ंके बीच उ�िमता को प्रो�ािहत करने और उ�� कम �ाज पर िव� पोषण प्रदान करने के िलए िकया गया था। • अनुसूिचत जाित उप-योजना (SCSP) के िलए िवशेष के�ीय सहायता (SCA): 1980 o यह एक �ापक नीित है जो यह सुिनि�त करती है िक अनुसूिचत जाितयो ंको सभी सामा� िवकास �ेत्रो ंसे लि�त िव�ीय और भौितक लाभ प्रा� हो।ं • अनुसूिचत जाितयो ं के िलए ऋण वृ�� गारंटी योजना (2014): o समाज के िनचले तबके म� उ�मशीलता को प्रो�ािहत करने और रोजगार सृजन के िलए, सरकार ने वष� 2014 म� घोषणा की िक अनुसूिचत जाित के उन युवा और �ाट�-अप उ�िमयो ंके िलए ऋण वृ�� सुिवधाओ ंहेतु 200 करोड़ �पये आवंिटत िकए जाएंगे जो नई म�म वग� शे्रणी म� शािमल होने के इ�ुक ह�। 2.7.4 अ� योजनाएं: • प्रधानमंत्री आदश� ग्राम योजना (PMAGY: 2009-10): o क� द्र �ारा प्रायोिजत: 50% से अिधक अनुसूिचत जाित के लोगो ं की आबादी वाले अनुसूिचत जाित ब�ल गांवो ं के एकीकृत िवकास के िलए एक क� द्र प्रायोिजत पायलट काय�क्रम चलाया जा रहा है। o दायरा: यह काय�क्रम शु�आत म� पांच रा�ो-ं असम, िबहार, िहमाचल प्रदेश, राजस्थान और तिमलनाडु के 1000 गांवो ंम� शु� िकया गया था। 22 जनवरी, 2015 से प्रभावी इस योजना म� एक और संशोधन िकया गया और भारतीय रा�ो ंपंजाब, म� प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कना�टक, उ�र प्रदेश, तेलंगाना, ह�रयाणा, छ�ीसगढ़, झारखंड, उ�राखंड, पि�म बंगाल, और ओिडशा म� 1500 अनुसूिचत जाित-ब�ल गांवो ंतक इसका िव�ार िकया गया। o ल�: योजना का मु� ल� अनुसूिचत जाित ब�ल गांवो ंका सम��त िवकास करना है। o अंतराल को पाटने वाला घटक: िवशेष �प से, संबंिधत क� द्रीय और रा� योजनाओं को एक साथ लागू करके; इन गांवो ंको प्रित गाँव 20 लाख �पये की रािश तक के अंतर को पाटने वाले अनुदान के �प म� क� द्रीय सहायता प्रदान करके यिद रा� ने एक समान योगदान िदया तो उसके िलए रािश म� अित�र� 5 लाख की वृ�� की जाएगी। "अंतर को पाटने" वाले घटक के प्रावधान के मा�म से, वत�मान क� द्र और रा� सरकार की योजनाओं �ारा कवर नही ं की जाने वाली गितिविधयां भी शु� की जानी ह�। . • बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (2008): o ल�: योजना का मु� ल� काया��यन संगठनो ंको मा�िमक िव�ालयो,ं उ�तर मा�िमक िव�ालयो,ं कॉलेजो ंऔर िव�िव�ालयो ंम� पढ़ने वाले अनुसूिचत जाित के लड़को ं और लड़िकयो ं को छात्रावास की सुिवधा प्रदान करने के िलए एक छात्रावास िनमा�ण अिभयान शु� करने के िलए पे्र�रत करना है। o िव�ार: योजना की मदद से, रा� सरकार� , क� द्र शािसत प्रदेश प्रशासन, क� द्रीय और रा� िव�िव�ालय और अ� संस्थान नए िवकिसत कर सकते ह� या जो पहले से मौजूद ह� उनका िव�ार कर सकते ह�। अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित अिधिनयम पर सव�� �ायालय (2018) • अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित अिधिनयम पर सव�� �ायालय के िनण�य के तहत उ� �ायालयो ंऔर सव�� �ायालय दोनो ंके पास अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित अिधिनयम सिहत िविभ� "िवशेष संिविधयो"ं के तहत आपरािधक काय�वाही को समा� करने का अिधकार है। 15 संपूण�: सामािजक �ाय • अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित (अ�ाचार िनवारण अिधिनयम), 1989 की काय�वाही को उ�तम �ायालय �ारा संिवधान के अनु�ेद 142 के अनुसार या उ� �ायालय �ारा दंड प्रिक्रया संिहता की धारा 482 के अनुसार रोका जा सकता है। o जब �ायालय यह िनधा��रत करता है िक अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित अिधिनयम का उ�ंघन करने के बावजूद अपराध प्राथिमक �प से िनजी या असै� प्रकृित का है। o जब अपराध करने का कारण पीिड़त की जाित नही ंथी। o जब मामले को जारी रखना कानूनी �वस्था का दु�पयोग होगा • अदालत का मानना है िक यिद दो प�ो ंके बीच समझौते के आधार पर र� करने की यािचका का मू�ांकन करते समय अपराधी को दंिडत नही ंिकया जाता है तो यह अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित अिधिनयम के मूल ल� का उ�ंघन नही ंकहलाएगा। 2.8 रा�� ीय अनुसूिचत जाित आयोग (NCSC) • अनु�ेद 338: रा�� ीय अनुसूिचत जाित आयोग (NCSC) भारत म� एक संवैधािनक प्रािधकरण है िजसका उ�े� अनुसूिचत जाित (SC) के िहतो ंका संर�ण करना है। इस आयोग का उ�ेख भारत के संिवधान के अनु�ेद 338 म� िकया गया है। • अिधदेश: यह अनुसूिचत जाितयो ं और अनुसूिचत जनजाितयो ंके िलए एक रा�� ीय आयोग की स्थापना करता है, िजसे उनके िलए प्रदान िकए गए सुर�ा उपायो ं से संबंिधत सभी मामलो ंकी जाँच और िनगरानी करने, िविश� िशकायतो ंकी जाँच करने और उनके सामािजक-आिथ�क िवकास की योजना प्रिक्रया म� भाग लेने और सलाह देने का काम सौपंा गया है। दिलतो ं के �खलाफ होने वाली िहंसा को कम करने म� भूिमका: • जाँच: अनुसूिचत जाित के िलए संवैधािनक और अ� कानूनी सुर�ा उपायो ं के साथ-साथ उनकी प्रभावशीलता का मू�ांकन करने हेतु प्रासंिगक िकसी भी मामले की जाँच और िनगरानी करना आयोग की िज�ेदारी है। • अिधकारो ंकी जाँच: अनुसूिचत जाितयो ंके अिधकारो ंऔर सुर�ा उपायो ं के वंचन से संबंिधत िविश� िशकायतो ंकी जाँच करना अिनवाय� है। o रा�� ीय अनुसूिचत जाित आयोग ऐसी �स्थितयो ं से संबंिधत िविभ� कानूनी िविनयमो ं के लागू होने की िनगरानी करता है। • सां��की का संकलन: यह 1955 के नाग�रक अिधकार अिधिनयम और 1989 के अ�ाचार िनवारण अिधिनयम के तहत लाए गए मामलो ंसे संबंिधत आंकड़ो ंका संकलन और िव�ेषण करता है। • मामला िनपटान की दर की िनगरानी करना : यह कुछ अदालतो ंके मामलो ंके िनपटारे की दर पर भी नज़र रखता है। िपछले कुछ वष� म� आयोग �ारा अ�ाचार की �रपोट� की कई जाँच घटना स्थल पर ही (on-the-spot) की गई ह�। • िवशेष �ायालय: आयोग का प्राथिमक काय� नाग�रक अिधकार अिधिनयम और अ�ाचार अिधिनयम के तहत नाग�रक अिधकारो ंऔर अ�ाचारो ंके ��रत अिभयोजन के िलए िवशेष अदालतो ंकी स्थापना है। रा�� ीय अनुसूिचत जाित आयोग से संबंिधत मु�े: • गैर-बा�कारी िसफा�रश�: अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के �खलाफ कुल अपराधो ंम� अनुसूिचत जाित पर िकये गए अ�ाचारो ंकी िह�ेदारी 89% है। भले ही आयोग के पास इस �ेत्र म� �ापक जाँच और पूछताछ की श��यां ह� और वह िकसी को दोषी ठहरा सकता है और कार� वाई की िसफा�रश कर सकता है पर�ु इसकी िसफा�रश� कानूनी �प से बा�कारी नही ंह�। 16 संपूण�: सामािजक �ाय • कम संवेदनशील: आयोग की वत�मान प्राथिमकताएं इन समुदायो ंके अिभजात वग� के प� म� झुकी �ई ह�। �ोिंक आयोग, िशकायतो ंपर कार� वाई करता है। यह कहा जाता है िक आयोग गरीब दिलतो ंके प्रित कम सहानुभूित रखता है �ोिंक वे अिशि�त होते ह� या वे अपने अिधकारो ंके प्रित जाग�क नही ं होते ह�। आयोग ने अपनी �तः सं�ान श��यो ंका उिचत ढंग से प्रयोग नही ंिकया है। • अिनयिमतता: आयोग को संसद को एक वािष�क �रपोट� सौपंनी होती है। कभी-कभी रा�� पित को प्र�ुत िकए जाने के दो या अिधक वष� के बाद �रपोट� पेश की जाती है। यहाँ तक िक जब �रपोट� संसद म� पेश की जाती ह�, तब भी उन पर संभवतः ही कभी बहस होती है। • यािचका: आपरािधक जाँच के मामले म�, वत�मान सा� और अिभयोजन िनयमो ं और प्रिक्रयाओं का पालन करना आव�क होगा। यह उ� �ायालय के अिधका�रयो ंको अपील के �प म� मुकदमेबाजी के िलए सश� करके आयोग की प्रभावशीलता को कम करता है और इसकी प�रचालन प्रभावशीलता को भी प्रभावी ढंग से समा� कर देता है। • िवल�: जाँच करने और िनण�य सुनाने म� िवल� होता है। इसके अलावा, एक �ापक धारणा यह है िक आयोग आम तौर पर अिधकांश मामलो ंम� सरकार का ही प� लेता है। • प्रसार: संस्थानो ंका प्रसार, जैसा िक अनुसूिचत जाितयो ंके मामले म� �आ है, ने संस्थागत भ्रम पैदा िकया है िजसम� प्र�ेक के कत�� और काय� अ�� हो गए ह�। संस्थानो ंके दोहराव और प्रसार ने अिनि�तताओं म� वृ�� की है। आगे की राह: • अित�र� अिधकार: आयोग को आपरािधक जांचो ं म� अित�र� अिधकार िदया जाना चािहये। • समय पर चचा�: वािष�क �रपोट� आयोग की एक मह�पूण� कार� वाई है िजसे कभी-कभी नजरंदाज कर िदया जाता है। �यं अनु�ेद 338 म� या �रपोट� पर संसदीय बहस के िलए समय िनधा��रत करने की रा�� पित की श�� को िनयंित्रत करने वाली प्रिक्रयाओं म� संशोधन करने की आव�कता है। • डेटाबेस: संसद और रा� िवधानसभाओं म� आरि�त िनवा�चन �ेत्रो ं के अनुभव जैसे कई िवषयो ं पर िव�सनीय आंकड़ो ं की त�ाल आव�कता है। इस तरह, आयोग अ�ृ�ता के बदलते माहौल और िहतो ं के अंतर-समूह संघष� जैसी सामािजक चुनौितयो ंके प्रित अिधक संवेदनशील हो जाएगा, साथ ही िसिवल सोसाइटी की चचा�ओं म� भी योगदान देगा। • िनयु��: अ��, उपा�� और अ� सद�ो ंकी िनयु�� के िलए एक अिधक �ापक संस्थागत प्रणाली की आव�कता है। जैसा िक पहले भी कहा गया है, आयोग की प्रभावशीलता के िलए नेतृ� और कािम�क मह�पूण� कारक ह�। • अ�यन करना: आयोग के िलए यह उिचत होगा िक वह गुणा�क अ�यन करे,सामािजक मानविव�ानी और अ� सामािजक वै�ािनको ंको इस तरह के अ�यन करने के िलए िनयु� करे, और सामािजक संरचना म� समकालीन प�रवत�नो ंऔर संक्रमणो ंकी �रकॉिड�ग और काया��यन की प्रिक्रया को संस्थागत करे। • अिधक संवेदनशील: अिभजात वग� �ारा िवकिसत पूवा�ग्रहो ं का सामना करने के िलए, आयोग को उन बिह�रणो ं के बारे म� पता होना चािहए जो िश�ा और जानकारी की कमी के कारण हो सकते ह�, और इसके िलए उसे अपनी �तः सं�ान श��यो ंका उपयोग करना चािहए। 2.9 बजट 2023-2024 (अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित) • आंकड़े: िव� वष� 2023-24 के िलए कुल 49,90,842.73 करोड़ �पये का क� द्रीय बजट जारी िकया गया है। िजसम� से अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के क�ाण हेतु क्रमशः 1,59,126.22 करोड़ �पये और 1,19,509.87 करोड़ �पये का आवंटन िकया गया है। o दिलतो ंऔर आिदवािसयो ंके िलए लि�त धनरािश क्रमशः 30,475 करोड़ �पये और 24,384 करोड़ �पये है। • मैिट�क के बाद छात्रवृि�: मैिट� क के बाद छात्रवृि� (पो� मैिट� क �ॉलरिशप) के िलए आवंिटत धनरािश म� बढ़ोतरी �ई है। अनुसूिचत जाितयो ंऔर अनुसूिचत जनजाितयो ंके िलए क्रमशः 6359.14 करोड़ �पये और 1970 करोड़ �पये का आवंटन िकया गया है। 17 संपूण�: सामािजक �ाय • स�म आंगनवाड़ी और िमशन श��: मिहला एवं बाल िवकास मंत्रालय के तहत छत्र योजनाओं ‘स�म आंगनवाड़ी और िमशन श��ʼ के िलए कुल 20,554 करोड़ �पये आवंिटत िकये गए ह�। o अनुसूिचत जाित की मिहलाओं के क�ाण के िलए कुल 5038 करोड़ �पये आवंिटत िकए गए ह�, और o अनुसूिचत जनजाित की मिहलाओं के क�ाण के िलए 2166 करोड़ �पये आवंिटत िकए गए ह�। • कुछ सुझाव: o योजनाओ ं को वहनीय बनाना: अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाितयो ंके िलए लागू की गई कुल योजनाओ ंम� से लगभग 50% (लगभग 46 योजनाएं) योजनाएं ऐसी ह� िजनका कोई भौितक उ�े� नही ंहै। यह सुझाव िदया जाता है िक िव� मंत्रालय और नीित आयोग संबंिधत मंत्रालयो ंइन योजनाओ ंतक प�ँच बनाने के िलए अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के िलए �� भौितक ल�ो ंऔर पारदश� प्रिक्रयाओं को िवकिसत करने का िनद�श द�। o पुरानी योजनाओ ं को समा� करना: 50,000 करोड़ से अिधक पुरानी पहल ह� िज�� अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित के लोगो ं के क�ाण और िवकास म� एक बड़ी बाधा माना जाता है। यह धनरािश जनजातीय मामलो ंके मंत्रालय और सामािजक �ाय और सश��करण मंत्रालय से संबंिधत मंत्रालयो ंको अ� नई योजनाओं म� िनवेश के िलए लौटाया जाना चािहए। o नीित आयोग के िदशािनद�श: अपै्रल 2018 के नीित आयोग के िदशा-िनद�शो ं के अनुसार, सभी अिनवाय� िवभागो ंको दिलतो ंऔर आिदवािसयो ंके िलए उनकी जनसं�ा के अनुपात म� धन का योगदान करना चािहए। o प्र�� लाभ योजनाएं: मैिट� क के बाद छात्रवृि�, छात्रावास और कौशल िवकास योजनाओं जैसी प्र�� लाभ योजनाओ ंके िलए िकये जाने वाले िव�पोषण की रािश को बढ़ाया जाना चािहए, और लाभािथ�यो ं को ज� से ज� धन का ह�ांतरण िकया जाना चािहए। रा�� ीय िवदेशी छात्रवृि� योजना के िलए अिधक आवंटन िकया जाना चािहए। o दिलत मिहलाएँ: िनगरानी और कुशल िन�ादन सुिनि�त करने के िलए मजबूत तंत्र के साथ दिलत मिहलाओ ंके िलए 50% आवंटन सिहत एक िविश� घटक योजना को लागू िकया जाना चािहए। 2.10 भारत म� हाथ से मैला ढोने की प्रथा • हाथ से मैला ढोने वालो ंके िनयोजन का प्रितषेध और पुनवा�स अिधिनयम, 2013 म� मैला ढोने वालो ंको इस �प म� प�रभािषत िकया गया है: मैला ढोने वाले से ता�य� एक ऐसे ��� से है िजसे एक अ� ���, स्थानीय प्रािधकरण, एज�सी, या ठेकेदार, ने इस अिधिनयम की शु�आत के बाद से िकसी भी समय अ�� शौचालय म�, या िकसी खुली नाली या ग�े म�, िजसम� अ�� शौचालय से मानव मल का िन�ारण िकया जाता है, मानव मल की हाथ से सफाई करने, ले जाने, िनपटान करने, या अ�था िकसी भी तरीके से उपचा�रत करने, या रेलवे ट� ैक पर, या ऐसी अ� जगहो ं पर इस काय� म� िनयोिजत िकया है। • सामािजक-आिथ�क जाितगत जनगणना 2011 के अनुसार, इस अिधिनयम के लागू होने के बाद से 1,82,505 प�रवार ऐसे ह� िजनका प्राथिमक �वसाय मैला ढोना है। कुछ एज�िसयो ं के अनुसार, मैला ढोने वालो ं म� 75% से अिधक मिहलाएं शािमल ह�। • सामािजक �ाय और अिधका�रता मंत्रालय के अनुसार, 2016 से नवंबर 2019 के बीच देश म� सीवर और सेि�क ट�क की सफाई के दौरान 282 सफाई कम�चा�रयो ंकी मौत हो गई थी। • मैला ढोने वालो ंकी पहचान करने की िज�ेदारी: प्र�ेक स्थानीय प्रािधकरण (नगर पािलका या पंचायत), छावनी बोड� , या रेलवे प्रािधकरण अपने �ेत्र म� हाथ से मैला ढोने वालो ंका सव��ण करता है। संवैधािनक प्रावधान: • अनु�ेद 14: िविध के सम� समानता • अनु�ेद 17: अ�ृ�ता का उ�ूलन • अनु�ेद 21: प्राण और दैिहक �तंत्रता का अिधकार • अनु�ेद 23: मानव त�री और बाल श्रम पर प्रितब� 18 संपूण�: सामािजक �ाय िवधायी प्रावधान: • हाथ से मैला ढोने वालो ं का िनयोजन और उनका पुनवा�स अिधिनयम, 2013: o दायरा: ज�ू और क�ीर रा� को छोड़कर, यह पूरे देश पर लागू होता है। o दािय�: अ�� शौचालयो ंकी पहचान और सव��ण करने तथा �� सामुदाियक शौचालय उपल� कराना स्थानीय प्रशासन का दािय� है, जबिक ग्रामीण �ेत्रो ंम� यह दािय� पंचायतो ंका है। o हाथ से मैला ढोने की प्रथा का उपयोग और रोज़गार का िनषेध: क़ानून, अ�� शौचालयो ं के साथ-साथ सीवरो ंऔर सेि�क ट�को ंकी सफाई म� लगे ���यो ंके साथ-साथ हाथ से मैला ढोने की प्रथा का उपयोग और रोज़गार पर रोक लगाता है। अंतरा��� ीय प्रावधान: • संिधयाँ और अनुबंध: भारत, मैला ढोने की अमानवीय प्रथा को प्रितबंिधत करने वाली कई अंतररा�� ीय संिधयो ं और अनुबंधो ंका ह�ा�रकता� है। इनम� से तीन िन�िल�खत ह�: o िहलाओं के �खलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उ�ूलन पर क��शन (CEDAW), o न�ीय भेदभाव के उ�ूलन पर क��शन (CERD), o मानवािधकारो ंकी साव�भौम घोषणा (UDHR) संस्थागत प्रावधान: • रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग: एक वैधािनक संगठन िजसे सफाई कम�चा�रयो ंके क�ाण से जुड़े मु�ो ंकी जाँच करने और सरकार को िसफा�रश� करने का काम सौपंा गया है। • रा�� ीय सफाई कम�चारी िव� और िवकास िनगम: यह िकसी भी �वहाय� आय-सृजन पहल के िलए सफाई कम�चा�रयो,ं मैला ढोने वालो ंऔर उनके आिश्रतो ंको िव�ीय सहायता उपल� कराता है। इस िनगम ने वैक��क नौक�रयो ंका सृजन िवकिसत करने और उ�मशीलता को बढ़ावा देने के िलए 22 प्रिश�ण संस्थानो ंऔर िविभ� प्रकार के कौशल प्रिश�ण को मा�ता दी है। अ� पहल: • मैला ढोने वालो ंके पुनवा�स के िलए �-रोजगार योजना (SRMS) • �� भारत अिभयान: मैला ढोने की प्रथा का उ�ूलन �� भारत अिभयान के उ�े�ो ंम� से एक है। • सफाई िमत्र सुर�ा चुनौती: इसका उ�े� 30 अपै्रल, 2021 तक पूरे भारत के 243 शहरो ंम� सभी सेि�क और सीवेज ट�क के सफाई काय� को पूण�तः मशीनो ं�ारा करना है। • अ�ाचार िनवारण अिधिनयम: यह 1989 म� सफाई कम�चा�रयो ंके िलए एक एकीकृत र�क बन गया; 90% से अिधक मैला ढोने वाले अनुसूिचत जाित के थे। इस अिधिनयम ने िनिद�� पारंप�रक �वसायो ंसे मैला ढोने वालो ं को हटा िदया। • ‘��ता अिभयान एपʼ: इसे अ�� शौचालयो ंऔर मैला ढोने वालो ंके बारे म� डेटा एकत्र करने और िजयोटैग के िलए बनाया गया था तािक अ�� शौचालयो ंको �� शौचालयो ंसे बदला जा सके और ग�रमापूण� जीवन देने के िलए मैला ढोने वालो ंका पुनवा�स िकया जा सके। • सव�� �ायालय का िनण�य, 2014: वष� 2014 म� सव�� �ायालय ने एक िनण�य म� सरकार को 1993 से सीवेज के काम म� मारे गए सभी लोगो ंकी पहचान करने और उनके प�रवारो ं को प्रित प�रवार 10 लाख प्र�ेक �पये का मुआवजा देने का आदेश िदया गया। चुनौितयाँ: • अपया�� पहचान: आिधका�रक और गैर-सरकारी आंकड़ो ंके बीच काफी असमानताएं ह�। उदाहरण: 2018 म� िकए गए एक रा�� ीय सव��ण म� 14 भारतीय रा�ो ं के वैधािनक शहरो ंम� मैला ढोने वाले लोगो ंको िच��त िकया गया था। • काया��यन अंतराल: रा�� �ापी सव��ण (2018) से पता चला है िक देश म� कुल 87,913 लोग मैला ढोने का काम करते ह� पर�ु उनम� से केवल 27,268 लोगो ंको ही लागू योजनाओ ंम� शािमल िकया गया है। 19 संपूण�: सामािजक �ाय • सरकार की उदासीनता: स्थानीय सरकार� यह मानने को तैयार नही ंह� िक उनके �ेत्रो ंम� भी मैला ढोने का काम िकया जाता है (वाटरएड इंिडया �ारा 2018 म� िकया गया आधारभूत सव��ण) • उ�ंघनकता� के �प म� सरकार: सरकार का सबसे बड़ा उ�ंघनकता� भारतीय रेलवे है �ोिंक रेल म� शौचालय होते ह� और इसिलए पट�रयो ंको साफ करने के िलए मैला ढोने वालो ंको िनयु� िकया जाता है। • िव�पोषण म� कमी: फरवरी म�, सरकार ने �रोजगार योजना के िलए बजट आवंटन को 9% घटाकर 2021-'22 के िलए 100 करोड़ �पये कर िदया। • अ�: यह प्रथा जाित, वग� और िव�ीय असमानताओं से पे्र�रत है। �वहाय� वैक��क राज� स्रोत के अभाव म� अिधकांश लोगो ं को अपने दावो ं और अिधकारो ं की जानकारी नही ंहै। आगे की राह: • नेटवक� का िव�ार: �� भारत अिभयान के तहत सीवर नेटवक� के िव�ार को प्राथिमकता दी जानी चािहए और मानव सेि�क ट�क की सफाई को ख� करने के िलए एक �व�स्थत रखरखाव योजना िवकिसत की जानी चािहए। • उिचत प्रवत�न: हाथ से मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह से समा� करने के िलए कानूनो ंको स�ी से लागू िकया जाना चािहए। • परी�ण और जाँच: सुर�ा�क उपायो ंका परी�ण और जाँच की जानी चािहए, साथ ही बेहतर �ा� सुिवधाओ,ं बीमा कवरेज, प�शन योजनाओंऔर मैला ढोने वालो ंके िलए िनवारक और सामािजक िचिक�ा िश�ा पर िनयमो ं की �वस्था की जानी चािहए। • वैक��क आजीिवका: िवशेष �प से हाथ से मैला ढोने वाली मिहलाओं के िलए कौशल िवकास और आजीिवका प्रिश�ण प्रदान करके, भेदभाव मु�, सुरि�त और वैक��क आजीिवका सुिनि�त करना आव�क है। • जाग�कता: कानूनो ं और काय�क्रमो ं के काया��यन के िलए एक सहायक प�रवेश िवकिसत करने हेतु, स्थानीय सरकार को िशि�त करना और सामुदाियक जाग�कता बढ़ाना आव�क है। • पुनवा�स: पुनवा�स काय� म� सहायता के िलए, मैला ढोने वालो ं की �मता को बढ़ाने की आव�कता है। • नए िवक�: नए िवक�ो ंको सभी �ेत्रो ंको अपनाना होगा जैसे- रेलवे म� बायो-टॉयलेट 2.11 रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग • उ�ि�: सफाई कम�चा�रयो ं के क�ाण के िलए िविश� उपायो ं पर सरकार को िसफा�रश� देने हेतु रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग की स्थापना वष� 1993 म� रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग अिधिनयम, 1993 की शत� के अनुसार की गई थी। • ल�: उनकी िचंताओं पर िवचार करना और सभी �रो ंपर उनकी �स्थितयो ं म� सुधार के िलए एक �ापक रणनीित िवकिसत करना। o इसका एकमात्र उ�े� सभी पहलुओं म� कम�चा�रयो ं की �स्थित को बेहतर बनाना और यह सुिनि�त करना था िक िबना िकसी पूवा�ग्रह के उ�� उनके उिचत अिधकार प्रा� हो।ं o आयोग ने सफ़ाई कम�चा�रयो ंको प्रा� होने वाले सभी िहतो ं और अिधकारो ं को बढ़ावा देने और उनके संर�ण के िलए कड़ी मेहनत की है। o अिधदेश: हाथ से मैला ढोने वालो ंके िनयोजन का प्रितषेध और उनका पुनवा�स अिधिनयम, 2013 के प्रावधानो ं के अनुसार, रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग को अिधिनयम के काया��यन की िनगरानी करने, इसके प्रभावी काया��यन पर क� द्र और रा� सरकारो ंको सलाह देने और उ�ंघन/ अिधिनयम के प्रावधानो ंके काया��यन गैर-काया��यन के संबंध म� िशकायतो ंकी जाँच करने का काम सौपंा गया है। o इसम� िविश� आधारो ं पर काम करने और यह सुिनि�त करने का प्रावधान था िक ऐसे कम�चा�रयो ं और िनचले तबके के ���यो ं के अिधकारो ं का उ�ंघन न हो। o इस प्राथिमक ल� को प्रा� करने के िलए, आयोग को सफाई कम�चा�रयो ंके िलए िवशेष �प से तैयार और िवकिसत िविभ� योजनाओं की बेहतर िनगरानी और काया��यन के िलए �ापक जाँच करने और आंकड़ो ंका मू�ांकन करने का काम सौपंा गया था। 20 संपूण�: सामािजक �ाय o रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग का गठन एक �ाय� संगठन के �प म� काय� करने के िलए िकया गया था। इसका प्राथिमक काय� िशकायतो ंके सटीक मू�ांकन के िलए सरकार को �रपोट� प्र�ुत करना और िसफा�रश� देना तथा यथासंभव अिधकतम सीमा तक उनका समाधान करने का तरीका सुझाना होगा। �ा आप जानते ह�? • रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग के अिधदेश के अनुसार, सफाई कम�चा�रयो ं की पहचान करना उसकी िज�ेदारी नही ंहै। • ��ता, रा� का दािय� है, और इस संबंध म� क� द्र के पास कोई भी डेटा उपल� नही ंहोता है। �स्थित: • रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग के मुतािबक, िपछले दस सालो ंम� देश म� सीवर और सेि�क ट�क की सफाई के दौरान 631 से �ादा लोगो ंकी मौत �ई है। • वष� 2019 म� मैला ढोने से होने वाली मौतो ंकी सं�ा िपछले पांच वष� म� सबसे अिधक थी। सीवर और सेि�क ट�क की सफाई के दौरान 110 मजदूरो ंकी मौत हो गई थी। • यह 2018 की तुलना (इस वष� कुल 68 मौत �ई थी)ं म� होने वाली मौतो ंम� 61% की वृ�� दशा�ता है। • 2018 म� एकत्र िकए गए आंकड़ो ंके अनुसार, देश के सभी रा�ो ंम� से उ�र प्रदेश म� सवा�िधक 29,923 ��� मैला ढोने के काय� म� संल� थे। काय�: • सुझाव: �स्थित और सुिवधाओं म� असमानताओं को कम करने के साथ-साथ सफाई कम�चा�रयो ं के अवसरो ं को बढ़ाने के िलए क� द्र सरकार के काय�क्रमो ंपर सुझाव देना। • िव�ेषण और आकलन: सफाई कम�चा�रयो ं के िलए सामािजक और आिथ�क पुनवा�स पहल और योजनाओ ंका िन�ादन। • जाँच: िवशेष िशकायतो ंकी जाँच करना और िन�िल�खत के गैर-काया��यन का �त: सं�ान लेना : o सफाई कम�चा�रयो ंके िकसी समूह के िनण�यो ंके संबंध म� काय�क्रम या योजनाएँ। o सफाई कम�चा�रयो ंके सामािजक और आिथ�क उ�ान के उपायो ंके साथ सफाई कम�चा�रयो ंकी सम�ाओ ं को कम करने के उ�े� से िदशा-िनद�श या िनद�श जारी करना। o सफाई कम�चा�रयो ं पर लागू होने वाले िवधानो ं की आव�कता। o ऐसी सम�ाओ ंको उपयु� प्रािधका�रयो ंया क� द्र या रा� सरकारो ंके सम� उठाना। • आविधक �रपोट�: क� द्र और रा� सरकारो ंको िनयिमत �रपोट� सौपंना। • सरकार से सूचना की मांग करना: अपने काय� को पूरा करने म�, रा�� ीय सफाई कम�चारी आयोग िकसी भी सरकार, स्थानीय या अ� प्रािधकरण से सूचना की मांग कर सकता है। िव�ािथ�ओ ंके िलए नोट्स: 21 संपूण�: सामािजक �ाय 3. अनुसूिचत जनजाित 3.1 प�रचय • रा�� ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग (NCST) के अनुसार, हमारे देश म� अनुसूिचत जनजाित की आबादी को अ� समुदायो ंसे अलग करने वाली िवशेषताओ ंम� आिदमता (primitiveness), भौगोिलक अलगाव, शम�लापन/भोलापन और सामािजक, शैि�क और आिथ�क िपछड़ापन शािमल ह�। • "अनुसूिचत जाित" की प�रभाषा (िब्रिटशकालीन कानून के अनुसार) के समान ही 1931 की जनगणना म� "अनुसूिचत जनजाित" की प�रभाषा दी गई है। • रा�� ीय अनुसूिचत जनजाित आयोग का अनुमान है िक भारत म� लगभग 700 अनुसूिचत जनजाितयाँ ह�। अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित एक दूसरे से ब�त अलग होती ह�। • 2011 की जनगणना के अनुसार, देश म� लगभग 104 िमिलयन (कुल जनसं�ा का 8.6%) जनजातीय लोग ह�। वन, जनजातीय सं�ृित और अथ��वस्था दोनो ं म� मह�पूण� भूिमका िनभाते ह�। गभा�धान से लेकर मृ�ु तक, वन आिदवािसयो ंके जीवन के तरीको ंको प्रभािवत करते ह�। • 1953 म� काका कालेलकर आयोग ने सबसे पहले अनुसूिचत जनजाितयो ंको एक िवशेष समूह (िबना िकसी िवशेष धम� वाले) के �प म� मा�ता देने की िसफा�रश की थी । • अनुसूिचत जनजाितयो ं की बड़ी आबादी िह�ा ओिडशा, म� प्रदेश, छ�ीसगढ़, झारखंड, महारा�� , गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पि�म बंगाल जैसे नौ रा�ो ंम� िनवास करती है। ये रा� पूव�, म� और पि�मी बे� का िह�ा ह�। • उ�र-पूव� �ेत्र की आबादी लगभग 12%, दि�णी �ेत्र की आबादी लगभग 5% और उ�री रा�ो ंकी आबादी लगभग 3% है। अनुसूिचत जनजाित की प�रभाषा: • 1931 की जनगणना: चंूिक संिवधान म� अनुसूिचत जनजाितयो ंके िलए िवशेष मानक िनधा��रत नही ंिकये गए ह� अतः �तंत्रता के शु�आती वष� म� 1931 की जनगणना की प�रभाषा को लागू िकया गया था। • अनु�ेद 366: संिवधान के अनु�ेद 366 िवशेष �प से अनुसूिचत जनजाितयो ंकी प�रभाषा का उ�ेख िकया गया है: "अनुसूिचत जनजाित" िकसी भी ऐसी जनजाित, जनजातीय समुदायो,ं उनके भीतर वग�, या उनके भीतर के समूहो ं को संदिभ�त करती है िज�� संिवधान के अनु�ेद 342 के तहत इस संिवधान के उ�े�ो ंके िलए अनुसूिचत जनजाित माना जाता है। • धारा 342(1): रा�� पित, रा�पाल से परामश� करने के बाद, िकसी भी रा� या क� द्र शािसत प्रदेश के संदभ� म� िकसी भी जनजाित या जनजातीय समुदायो,ं या जनजाितयो ंया जनजातीय समुदायो ंके िह�े या समूहो ं की अनुसूिचत जनजाितयो ंके �प म� घोषणा कर सकता है। 3.2 अनुसूिचत जनजाित से संबंिधत सिमितयाँ 3.2.1 शाशा सिमित (2013): • वष� 2013 म�, आिदवासी समुदायो ंसे संबंिधत िन�िल�खत 5 मह�पूण� मु�ो ं जैसे- (1) आजीिवका और रोजगार, (2) िश�ा, (3) �ा�, (4) अनै��क िवस्थापन और पलायन, (5) ) और कानूनी और संवैधािनक मामले इ�ािद की जाँच के िलए एक उ�-�रीय सिमित का गठन िकया गया था। सिमित की अ��ता प्रो. विज�िनयस शाशा ने की थी। 22 संपूण�: सामािजक �ाय • अनुसंशाएँ/िसफा�रश�: o कानूनी और प्रशासिनक ढाँचा जनजाित सलाहकार प�रषद के दायरे और िज�ेदा�रयो ं का िव�ार कर� । इसका नाम बदलकर जनजाित सलाहकार, सुर�ा और िवकास प�रषद िकया जाए। �ाय� प�रषदो ंको रा� िव� आयोग के अंतग�त लाया जाए और िव� आयोग को रा� और �ाय� प�रषद के बीच संसाधनो ं के उिचत आवंटन हेतु मानदंड स्थािपत करने चािहए। o सामािजक-आिथ�क ढाँचा सुिनि�त कर� िक आिदवािसयो ंको �ा�, िश�ा, आजीिवका, पेयजल, ��ता, सड़क, िबजली, और दीघ�कािलक आय सिहत सामािजक- आिथ�क उ�ित म� उिचत िह�ेदारी िमले। �ाय� िजला प�रषदो ं और अ� राजनीितक संगठनो ं म� आिदवासी मिहलाओं के साथ-साथ छोटे आिदवासी समूहो ं के िलए एक ितहाई आर�ण की �वस्था हो। जनजातीय �ेत्रो ंम� कृिष प्रिश�ण महािव�ालयो ं और श्रम गहन (labour-intensive) प्रसं�रण उ�ोगो ंकी स्थापना की जाए। कृिष उ�ादन बढ़ाने के िलए आिदवासी �ेत्रो ंम� सू� जलसंभरण (Micro watersheds) के िनमा�ण को प्राथिमकता दी जानी चािहए। सरकार को आिदवासी युवाओं के कौशल िवकास हेतु सभी आव�क कदम उठाने चािहए तािक उ�� रोजगार यो� अथवा आ�िनभ�र बनाया जा सके। o भूिम ह�ांतरण के संबंध म� आिदवासी �ेत्र को अलगाव से बचाने वाले कानूनो ं को स�ी से लागू िकया जाना चािहए। कानूनन, उ�� अपने घरो ंम� उपल� संसाधनो ं�ारा प्रा� धन म� उिचत िह�ेदारी चािहए। िनयमो ं को स�ी से लागू करके और पेसा (PESA) की शत� के अनुसार आिदवासी �ारा िकये गए भूिम ह�ांतरण के सभी �पो ंको उनके मािलको ंको वापस करके रोका जाए। o िश�ा के संबंध म� �देशी िश�ा िजलो ंके िलए िश�को ंको स्थानीय �र पर िनयु� िकया जाना चािहए। नए िश�क प्रिश�ण संस्थानो ं की स्थापना की जानी चािहए, और पा�क्रम सामािजक- सां�ृितकसंदभ�, जनजातीय लोकाचार, भाषा आिद के �ि�कोण से उपयु� होना चािहए। रा� सरकारो ंको यह सुिनि�त करने के िलए ब�भाषी िश�ा नीित अपनानी चािहए िक प्रारंिभक िश�ा स्थानीय भाषा म� दी जाए। पा�क्रम म� स्थानीय सं�ृित, लोककथाओ ंऔर इितहास को शािमल करने से आिदवासी युवाओ ं म� आ�िव�ास जगाने और उनके जीवन म� िश�ा की प्रासंिगकता बढ़ाने म� मदद िमल सकती है। खानाबदोश जनजाितयो ं का अपना आवासीय िव�ालय होना चािहए। ब�ो ं के िलए मु� और अिनवाय� िश�ा का अिधकार अिधिनयम, 2009 को स�ी से लागू िकया जाना चािहए। 3.2.2 मंुगेकर �रपोट� (2012): • कानूनो ंम� संशोधन: जनजातीय प�रवेश के अनुसार सभी कानूनो ंम� संशोधन िकये िबना उ�� अनुसूिचत �ेत्रो ंलागू करना बंद कर� । इसके अलावा अनुसूिचत �ेत्रो ं के िलए कानूनो ंम� आव��ानुसार संशोधन कर� । • रा�पाल का काया�लय: अनुसूिचत जनजाित से संबंिधत मु�ो ंसे िनपटने के िलए, अनुसूिचत �ेत्रो ंम� रा�पालो ंका काया�लय अलग, पूण�तः कम�चारी से यु� और भलीभांित सुस��त होना चािहए। 23 संपूण�: सामािजक �ाय • िक्रयाशील ग्राम सभा: तंत्र म� उनकी भूिमका चाहे जो भी हो पर�ु, इसम� शािमल सभी लोगो ंको ग्राम सभा को पूरी तरह से िक्रयाशील बनाना चािहए और इस पर अिधक �ान देना चािहए। • सहभागी �ि�कोण: िकसी भी काय�क्रम को िक्रया��त करने से पहले काय�क्रम काया��यन के िलए सहभागी �ि�कोण अिनवाय� होना चािहए। • ग्राही प्रशासन: लोगो ंके प्रित ग्राही प्रशासन की एक पं�� मौजूद होनी चािहये। • सुर�ा�क उपाय: उनकी पूव� उपे�ा की पुनरावृि� को रोकने के िलए, जनजातीय उपयोजना ढांचे म� उिचत संशोधनो ं के साथ िवकासा�क काय�क्रमो ं से पहले सुर�ा�क उपाय िकए जाने चािहए। • जनजातीय �ेत्र का संर�ण: जनजातीय �ेत्र के संर�ण और अवैध �प से ली गई भूिम को बहाल करने के िलए ग्राम सभाओ ंको प्रभावी कार� वाई करने म� स�म बनाने के िलए, भूिम ह�ांतरण को िनयंित्रत करने वाले सभी रा� कानूनो ंकी जाँच की जानी चािहए और उ�� अपडेट िकया जाना चािहए। • �ेत्र के सबसे िनचले �र पर प्रािधकार का ह�ांतरण: दु�पयोग के मामलो ंके प्र�ु�र म� अपरािधयो ंके �खलाफ स� कार�वाई और कुशल सुधारा�क उपायो ं का संस्थागतकरण िकया जाना चािहए। • �ा� संकट की पहचान करना: जनजातीय �ेत्रो ंम� गैर- मा�ता प्रा� �ा� संकटो ंको िमशन-मोड और �ापक �ि�कोण से देखना मह�पूण� है। िमशन म� पारंप�रक िचिक�को ंऔर डेयरी को पूण� �प से शािमल िकया जाना चािहए। 3.2.3 भू�रया आयोग (2002–2004): • इसने 5वी ंअनुसूची, जनजातीय भूिम और वन, �ा� और िश�ा, पंचायतो ंके संचालन और जनजातीय मिहलाओ ंकी �स्थित सिहत कई िवषयो ंकी जाँच की। 3.2.4 लोकुर सिमित (1965): • जनजातीय मामलो ंके मंत्रालय ने मई 2014 म� मानदंडो ंम� संशोधन के िलए काय�बल की िसफा�रशो ं के आधार पर अनुसूिचत जनजाितयो ंके �प म� नए समुदायो ंको जोड़ने की प्रिक्रया को अपडेट करने हेतु जून 2014 म� एक मसौदा कैिबनेट नोट प्र�ुत िकया। • िजन अ�तन मानको ंपर सरकार िवचार कर रही थी, उनम� शािमल ह�, o रा� की शेष आबादी की तुलना म� सामािजक आिथ�क �स्थितयो ं िवशेष �प से िश�ा के मामले म� िपछड़ापन। o भौगोिलक अलगाव जो कभी मौजूद था लेिकन वत�मान म� हो भी सकता है और नही ंभी। o िविश� बोली या भाषा। o एक मूल सं�ृित का अ��� िजसम� जीवन चक्र, िववाह, संगीत, नृ�, कला और लोककथाओं के पहलू शािमल ह�। o अंतिव�वाह या बिहिव�वाह की �स्थित म�, िववाह मु� �प से अनुसूिचत जनजाितयो ंके बीच होता है (यह मानदंड िकसी समुदाय को अनुसूिचत जनजाित के �प म� नािमत करने के िलए आव�क है, न िक िकसी ��� के अनुसूिचत जनजाित के दज� का आकलन करने के िलए नही)ं। • मसौदा कैिबनेट नोट के मुतािबक िजन समुदायो ंने "िहंदू" जीवन शैली को अपनाया है, वे �त: जनजातीय समुदायो ंके तहत अपात्र नही ंहोगें। • इसके अलावा, यह सलाह दी गई िक नए समुदाय की आबादी की तुलना रा� की मौजूदा अनुसूिचत जनजाित आबादी से की जाए, और इस बात का �ान िदया जाए िक इन परामश� पर समान �प से िवचार िकया जाए। 3.2.5 ढेबर आयोग (1960–1961): • ढेबर आयोग (1960-1961) के अनुसार, अनुसूिचत जनजाितयो ंके बीच िवकास की दर म� असमानता थी। 24 संपूण�: सामािजक �ाय • अनुसूिचत चौथी पंचवष�य योजना के दौरान जनजाितयो ंकी एक उपशे्रणी उन समूहो ंको िन�िपत करने के िलए स्थािपत की गई थी िज�� िवकास के िनचले �र पर माना जाता था। • ढेबर आयोग के िन�ष� और अ� शोधो ंके आधार पर, यह तैयार िकया गया था। 3.3 अनुसूिचत जनजाित के िलए संवैधािनक प्रावधान शै�िणक और सां�ृितक सुर�ा उपाय अनु�ेद 15(4) • अनुसूिचत जनजाित सिहत अ� िपछड़े वग� की उ�ित के िलए िवशेष �वस्था। अनु�ेद 29 • अ�सं�को ंके िहतो ंका संर�ण (िजसम� अनुसूिचत जनजाितयां शािमल ह�) अनु�ेद 46 • रा�, जनता के दुब�ल वग� के, िविश�तया, अनुसूिचत जाितयो ंऔर अनुसूिचत जनजाितयो ं के िश�ा और अथ� संबंधी िहतो ंकी िवशेष संिविध से अिभवृ�� करेगा और सामािजक अ�ाय और सभी प्रकार के शोषण से उनका संर�ण करेगा। अनु�ेद 350 • िविश� भाषा, िलिप या सं�ृित को संरि�त करने का अिधकार; और मातृभाषा म� िनद�श। • सामािजक सुर�ा उपाय अनु�ेद 23 • िभखारी और इसी प्रकार के जबरन श्रम के अ� �पो ं के साथ ही मानव त�री पर प्रितबंध। अनु�ेद 24 • बाल श्रम पर रोक। आिथ�क सुर�ा उपाय अनु�ेद 244 • पांचवी ं अनुसूची के खंड (1) के अनुसार, असम, मेघालय, िमजोरम, और ित्रपुरा को छोड़कर अ� सभी रा�ो ं(जो इस अनु�ेद की छठी अनुसूची के खंड (2) के अंतग�त आते ह�) को अनुसूिचत �ेत्रो ंऔर अनुसूिचत जनजाितयो ंको प्रशािसत और िविनयिमत करना चािहए। अनु�ेद 275 • संिवधान की पांचवी ंऔर छठी अनुसूिचयो ंम� सूचीब� कुछ रा�ो ं(अनुसूिचत जनजाितयो ं और अनुसूिचत �ेत्रो)ं को सहायता अनुदान प्रदान िकया जाता है। राजनीितक सुर�ा उपाय अनु�ेद 164(1) • िबहार, म� प्रदेश और उड़ीसा म� जनजातीय मामलो ंके मंत्री की िनयु�� होना अिनवाय� ह�। अनु�ेद 330 • लोकसभा म� अनुसूिचत जनजाित के िलए सीट� आरि�त ह�। अनु�ेद 337 • रा� िवधानसभाओं म� अनुसूिचत जनजाित के िलए सीट� आरि�त ह�। अनु�ेद 243 • पंचायतो ंम� सीट आर�ण; अनु�ेद 334: आर�ण के िलए दस वष� की अविध (इसे बढ़ाने के िलए कई बार संशोधन िकये गए ह�)। अनु�ेद 244 • "अनुसूिचत �ेत्रो"ं और "आिदवासी �ेत्रो"ं के �प म� संदिभ�त कुछ स्थानो ंके िलए संिवधान के भाग X के तहत एक िविश� प्रशासन प्रणाली की प�रक�ना की गई है। अनु�ेद 371 • पूव��र रा�ो ंऔर िस��म के संबंध म� िवशेष प्रावधान। 25 संपूण�: सामािजक �ाय अ� सुर�ा उपाय अनु�ेद 338A • यह रा� को भारत म� अनुसूिचत जनजाितयो ंके अिधकारो ंके प्रावधानो ंऔर सुर�ा उपायो ं के काया��यन की िनगरानी हेतु एक रा�� ीय आयोग बनाने का िनद�श देता है। संिवधान की पांचवी अनुसूची • इसम� अनुसूिचत �ेत्रो ंके प्रबंधन के िलए िदशािनद�शो ंका उ�ेख है। • अनुसूिचत जनजाित वाले रा�ो ं (पर�ु अनुसूिचत �ेत्रो ं वाले नही)ं म� यह स्थानीय जनजाितयो ंके तीन-चौथाई प्रितिनिध� के साथ जनजाित सलाहकार प�रषदो ंके िनमा�ण की गारंटी देता है। • प�रषद की दािय�ो ंम� जनजाितयो ंके क�ाण और उ�ित से संबंिधत मु�ो ंपर सलाह देना शािमल है। संिवधान की छठी अनुसूची • असम, मेघालय, ित्रपुरा और िमजोरम चार उ�र-पूव� रा�ो ंम� जनजातीय भूिम का शासन संिवधान की छठी अनुसूची के अंतग�त आता है। 3.4 िवधायी सुर�ा उपाय • अनुसूिचत जनजाितयो ंको उनके भौगोिलक िहतो ंकी र�ा के िलए संिवधान �ारा प्रदान िकए गए सुर�ा उपायो ं के अलावा, अित�र� कानूनी अिधकार भी िदए गए ह�, जैसे िक वन �ेत्रो ंकी सुर�ा। • अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित (अ�ाचार िनवारण) अिधिनयम, 1989। • अनुसूिचत जनजाित इनके तहत संरि�त ह�: o बंधुआ मजदूर प्रणाली (उ�ूलन) अिधिनयम, 1976, o बाल श्रम (िनषेध और िविनयमन) अिधिनयम ,1986, o अनुसूिचत जनजाितयो ं की भूिम के ह�ांतरण और बहाली के संबंध म� रा� अिधिनयम और िविनयम, o वन संर�ण अिधिनयम,1980, o पंचायती राज (अनुसूिचत �ेत्रो ंतक िव�ार) अिधिनयम 1996, और o �ूनतम मजदूरी अिधिनयम,1948. • अनुसूिचत जाित और अनुसूिचत जनजाित (अ�ाचार िनवारण) संशोधन अिधिनयम, 2015 • अनुसूिचत जनजाित और अ� पारंप�रक वन िनवासी (वन अिधकारो ंकी मा�ता) अिधिनयम, 2006। जनजातीय िवकास के िलए संस्थान • रा�� ीय अनुसूिचत जनजाित िव� एवं िवकास िनगम: यह लि�त आबादी को कम दर पर िव�ीय सहायता प्रदान करके अनुसूिचत जनजाितयो ंकी आिथ�क �स्थित म� सुधार करने के िलए काम करता है। • भारतीय जनजातीय सहकारी िवपणन संघ (TRIFED): इसकी स्थापना 1987 म� �ई थी और यह एक रा�� ीय सहकारी संगठन है। इसका ल� �देशी व�ुओं के �ावसायीकरण के मा�म से जनजातीय लोगो ंका सामािजक- आिथ�क उ�ान करना है। िविभ� काय�क्रम इस प्रकार है: 26 संपूण�: सामािजक �ाय o िमशन वन धन: संक� से िस�� (2021): "संक� से िस�� - िमशन वन धन" के िमशन मोड का उपयोग कई जनजातीय िवकास काय�क्रमो ंकी शु�आय करने के िलए िकया जाएगा, िजसे ट� ाईफेड लागू करना चाहता है �ोिंक यह िविभ� मंत्रालयो ं और िवभागो ंकी कई योजनाओं के अिभसरण के मा�म से अपनी गितिविधयो ंका िव�ार करता है। o टेक फॉर ट� ाइबल” (Tech for Tribal) काय�क्रम(2020): प्रधानमंत्री वन धन योजना (PMVDY) के िह�े के �प म�, यह 5 करोड़ आिदवासी उ�िमयो ंकी �मताओं के साथ-साथ वन उपज इक�ा करने वाली जनजाितयो ंकी �मता को िवकिसत करने की इ�ा रखता है। o वन धन योजना (2018): जनजातीय संग्राहको ंकी �मता और कौशल म� सुधार करना और प्राथिमक प्रसं�रण और मू�वध�न के िलए सुिवधाओं की स्थापना करके उनके क�े माल की िबक्री सुिनि�त करना। o वन धन सामािजक दूरी जाग�कता अिभयान (2020): आिदवािसयो ंको कोिवड से जुड़ी सुर�ा सावधािनयो ंके बारे म� बताना। o ट� ाईफूड (TRIFOOD) योजना: इसे अग� 2020 म� शु� िकया गया था और यह लघु वन उपज के मू�वध�न म� सहायता करती है। ट� ाइफूड पाक� , लघु वनोपजो ंऔर इस �ेत्र के जनजातीय लोगो ं�ारा एकित्रत भोजन से प्रसं�ृत खा� पदाथ� का िनमा�ण कर� गे। 3.5 अनुसूिचत जनजाित से संबंिधत मु�े • राजनीितक: o उप-रा�� ीय आंदोलन: यह अपया�� सामािजक और आिथ�क बुिनयादी ढांचे के कारण होता है: झारखंड, उ�राखंड और बोडोल�ड "उप-रा�� ीय आंदोलनो"ं के कुछ उदाहरण ह� जो मु�धारा के िवकास म� भाग लेने के िलए संसाधनो ंकी कमी वाले �ेत्रो ंके प�रणाम��प उभरे ह�। o सा�वादी िवचारधारा: भूिम अिधकार और पुनिव�तरण के मु�े के राजनीितकरण के कारण आिदवासी सा�वादी िवचारधारा के िशकार हो जाते ह�। • सामािजक: o िवस्थापन: उदारीकरण, िनजीकरण और वै�ीकरण (LPG) सुधारो ं के बाद से, जबरन पुनवा�स के कारण �देशी आबादी के घर कई िवरोधो ंका ल� रहे ह�। प�रणाम��प, बड़े पैमाने पर, पंूजी-गहन िवकास प�रयोजनाओं के िलए �देशी लोगो ंकी जबरन बेदखली एक िचंताजनक घटना बन गई है। o पुनवा�स: िवकास प�रयोजनाओं के कारण िवस्थािपत जनजातीय समुदाय के सद�ो ंके पुनवा�स म� कुछ किमयां ह�। ऐसा अनुमान है िक िनमा�ण प�रयोजनाओं और प्राकृितक आपदाओ ं के कारण 85 लाख लोग िवस्थािपत �ए ह� पर�ु अब तक जनजातीय समुदायो ं के केवल 21 लाख सद�ो ं का ही पुनवा�स �आ है। o �ा�: केवल िपछले दो ह�ो ं म� ही खा�रया सावर समुदाय के सात वय�ो ंकी मौत हो गई। उनकी जीवन प्र�ाशा सामा� भारतीय की तुलना म� लगभग 26 वष� कम है। 27 संपूण�: सामािजक �ाय पि�म गोदावरी िजले म�, िसकल सेल एनीिमया के प्रसार की दर 10% के करीब है। o अलगाव: रेड कॉ�रडोर �ेत्रो ं (िवशेष �प से झारखंड, ओिडशा और म� प्रदेश म�) म� शासन �वस्था की कमी और अधूरे भूिम सुधार जैसे कुछ मु�े ह� िजस कारण जनजाितयो ंका क�ाण नही ंहो पाया है। पूव��र म� जनजाितयाँ प्रायः �ेत्र और प्राकृितक संसाधनो ंके संबंध म� आंत�रक टकराव का सामना करती ह�। o सामािजक जीवन पर प्रभाव: ब�त से लोगो ंको धीरे-धीरे अपने मूल देशो ंसे या शहरी मिलन ब��यो ंम� हटाया जा रहा है। उनकी अथ��वस्था और सं�ृित का भिव� खतरे म� है। वै�ीकरण के प�रणाम��प �देशी जनजाितयो ं के बड़े �ेत्रो ं को भी अितसंवेदनशील और बिह�ृत िकया गया है, िजसने भारत म� उ�ीिड़तो ं की सं�ा बढ़ गई है। o जनजातीय मिहला: जनजाितयो ं म� ब�त सी मिहलाएँ एिनिमया (आयरन की कमी) से जूझ रही ह�। 31 माच�, 2015 तक, पूरे भारत म� 6,796 उप-के�ो,ं 1,267 प्राथिमक �ा� के�ो ं (PHCs), और 309 सामुदाियक �ा� के�ो ं(CHCs) म� जनजातीय समुदायो ंका अभाव था। बागवानी, औ�ोिगक �ेत्रो ं म�, उनका प्रबंधको,ं पय�वे�को ं और यहाँ तक िक अ� पु�ष कम�चा�रयो ं�ारा यौन शोषण भी िकया जाता ह�। • आिथ�क प्रभाव: o वन उपज: प्राथिमक संसाधनो ंम� ईंधन, चारा और गौण वन उ�ाद शािमल ह�, जो कभी गांवो ंको �तंत्र �प से उपल� �आ करते थे, पर�ु अब या तो ये मौजूद नही ं ह� या उ�� आयात करने की आव�कता है। o बेरोज़गारी: के�ीय बे� म� जनजाित अिधकांशतः खनन और औ�ोिगक गितिविधयो ंम� संल� होते है। हालाँिक म� भारतीय जनजातीय बे� म� ब�त अिधक औ�ोिगक रोज़गार ह�, पर�ु समकालीन �वसायो ं म� उ�� ब�त कम स्थानीय रोजगार उपल� ह�। िश�ुता अिधिनयम के प्रावधानो ंके अलावा, ऐसी कोई आव�कता नही ंहै िक िनजी या संयु� �ेत्र के �वसाय जनजातीय श्रिमको ं को अपने वहां नौकरी पर रख�। वे तेजी से बढ़ते, कम भुगतान वाले, अ�स्थर, तदथ� और िनरािश्रत रोजगार बाजार म� काम करने के िलए मजबूर हो जाते ह�। म� भारत म� लगभग 40% जनजातीय लोगो ंको पंूजीवाद के इस िवकृत और अ�िधक शोषणकारी �ेत्र म� काम करके आय प्रा� होती ह�। o अनौपचा�रक रोज़गार: खनन और उ�नन जैसी िनमा�ण प�रयोजनाओं और औ�ोिगक प�रसरो ं म� बाहरी कम�चा�रयो ंके बढ़ती सं�ा के कारण स्थानीय आिदवासी लोगो ंको काम से हटाया जा है। • पया�वरणीय प्रभाव: o पया�वरणीय �रण: जनजातीय िवकास का मूल ल� अपने आस-पास के पया�वरण को संरि�त करके जनजातीय समुदाय के सतत िवकास को बढ़ावा देना है �ोिंक यह उनकी आजीिवका का मु� आधार है। o जलवायु प�रवत�न: आिदवासी लोग सबसे अिधक प्रभािवत ह� �ोिंक वे पूरी तरह से वनो ंपर िनभ�र ह� जोिक जलवायु चक्र पर िनभ�र करता है। • अ� मु�े: o वै�ीकरण: आिदवािसयो ं �ारा संसाधनो ं का दोहन उदारीकरण की नीित और संसाधनो ंके उपयोग की नई रा� धारणाओ ं के िब�ुल िवपरीत है, और यह िवभाजन वै�ीकरण के बाजारो�ुख दश�न की शु�आत के साथ ही �ापक हो गया है। 28 संपूण�: सामािजक �ाय o प्रौ�ोिगकी: अंतरा��� ीय पंूजीवाद की असमान आिथ�क और राजनीितक श�� और हाल ही म� प्रौ�ोिगकी म� तेजी से सुधार ने आिदवािसयो ंके पा�र�स्थितक �प से कमजोर �ेत्रो ंसे प्राकृितक संसाधनो ंकी चोरी और लूट को आसान बना िदया है। o सां�ृितक िवकृित: जनजाितयो ंको जबरन समाज म� शािमल िकया जा रहा है, िजसके कारण उनकी अपनी िविश� सां�ृितक पहचान न� होती जा रही है और उनका अ��� खतरे म� पड़ रहा ह�। o जनजातीय सं�ृित: जनजातीय सं�ृित िश�ा, शहरीकरण, उ�ोग और सं�ृितकरण से प्रभािवत �ई है, िजससे उनम� पहचान का संकट पैदा हो गया है। 3.6 िवशेष �प से कमजोर जनजातीय समूह • ढेबर आयोग: जनजाितयो ं म� िवशेष �प से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) कम िवकिसत समुदाय ह�। उ�� मूल �प से वष� 1973 म� ढेबर आयोग �ारा आिदम जनजातीय समूहो ं(primitive tribal groups) के �प म� मा�ता दी गई थी। आिदम जनजातीय समूहो ंका वष� 2006 म� सरकार �ारा िवशेष �प से कमजोर जनजातीय समूहो ं (PVTGs) के �प म� पुनः नामकरण िकया गया था। • मूलभूत िवशेषताएँ: पीवीटीजी के कई मूलभूत ल�ण ह�, िजनम� सम�पता, छोटी आबादी होना, भौितक �प से दूरस्थ स्थानो ं पर रहना, एक साधारण साँचे म� ढली सामािजक संस्थाएँ होना, िल�खत भाषा न होना, अपे�ाकृत अ�िवकिसत तकनीक और धीमी गित से प�रवत�नो ं के अनु�प ढलना शािमल है। • िवतरण: 18 रा�ो ंऔर अंडमान और िनकोबार �ीपसमूह क� द्र शािसत प्रदेशो ं म� 75 पीवीटीजी रहते ह�। चँूिक इन आिदवासी जनजाितयो ंकी सं�ृितयाँ ब�त िभ� ह�, इसिलए प्र�ेक समूह के सम� उ�� चुनौितयाँ भी काफी िविश� ह�। पीवीटीजी से संबंिधत आंकड़े: • ओिडशा म� सबसे अिधक पीवीटीजी (13) रहते ह�, उसके बाद क्रमशः आंध्र प्रदेश (12), झारखंड सिहत िबहार (9), छ�ीसगढ़ सिहत म� प्रदेश (7) छ�ीसगढ़ सिहत तिमलनाडु (6) और गुजरात (5) का स्थान आता है। • शेष पीवीटीजी पि�म बंगाल (3), महारा�� (3), कना�टक (2), उ�राखंड (2), राजस्थान (1), ित्रपुरा (1), और मिणपुर (1) म� रहते ह�। • िनकोबार �ीप समूह का एक जनजातीय समूह और अंडमान म� चार जनजातीय समूहो ंको भी पीवीटीजी के �प म� वग�कृत िकया गया है। • 4 लाख से अिधक की आबादी के साथ, म� प्रदेश और राजस्थान के सह�रया लोग सबसे बड़े पीवीटीजी ह�। 29 संपूण�: सामािजक �ाय • पीवीटीजी म� स�िटनलीज की आबादी सबसे कम है (9 माच�, 2005 के सबसे हािलया आंकड़ो ंके अनुसार, यहाँ िविभ� स्थानो ंपर 32 और 13 लोगो ंके दल देखे गए थे)। सरकार की पहल: • आिदम कमजोर जनजातीय समूहो ं िवकास के िलए योजना (2008): o पीवीटीजी के सामािजक-आिथ�क िवकास की गारंटी के िलए इस योजना को 2008 म� शु� िकया गया था। इस काय�क्रम �ारा समिथ�त गितिविधयो ं म� आवास, भूिम िवतरण, भूिम िवकास, कृिष िवकास, पशु िवकास, िलंक सड़को ंका िनमा�ण, ऊजा� के गैर-पारंप�रक स्रोतो ंका िनमा�ण, सामािजक सुर�ा आिद शािमल ह�। • प्रधानमंत्री पीवीटीजी (िवशेष �प से कमजोर जनजातीय समूह) िवकास िमशन (2023) o इसके िवषय म�: िव� वष� (2023-24) के बजट म� उ���खत सात स�ऋिष ल�ो ंम� से एक, "अंितम दूरी तक प�ंचना" (Reaching The Last Mile) म� प्रधानमंत्री पीवीटीजी िमशन की शु�आत शािमल होगी। o मानदंड: पीवीटीजी के िनधा�रण के िलए मानदंड: एक �स्थर या घटती �ई जनसं�ा। कृिष म� पुरानी प्रौ�ोिगकी का उपयोग। ब�त कम सा�रता दर अथ��वस्था का िनवा�ह �र o ल�: पीवीटीजी िमशन का ल� देशभर म� पीवीटीजी समुदायो ंके िलए आवास, पानी, सड़क, संचार, िश�ा और �ा� सिहत मूलभूत सेवाओं को उपल� कराना है। o �ि�कोण: यह काय�क्रम वनबंधु क�ाण योजना के रणनीितक �ि�कोण का अनुसरण करता है, जो आव�कता पर आधा�रत है और कई काय�क्रमो ं�ारा प्रदान िकए जाने वाले संसाधनो ं के उपयोग को अिधकतम करने का प्रयास करता है। o काया��यन: ग्रामीण िवकास, जल संसाधन, िश�ा, �ा� और मिहला एवं बाल िवकास मंत्रालय प्रधानमंत्री-पीवीटीजी िमशन को पूरा करने की िदशा म� काय� कर रहे ह�। पीवीटीजी के सम� आने वाली चुनौितयाँ • पहचान म� असंगतता: पीवीटीजी की पहचान करने के िलए रा� �ारा अलग-अलग प्रिक्रयाओ ं का प्रयोग करते ह�। पीवीटीजीकी पहचान करने के िलए एक सुसंगत काय�प्रणाली का उपयोग नही ंिकया गया था �ोिंक इसके िलए केवल जनजातीय मामलो ंके मंत्रालय के िनद�शो ंको ही �ान म� रखा गया था। • सूची पुरानी है: भारतीय मानव िव�ान सव��ण ने नोट िकया है िक पीवीटीजी सूची दोहराई गई है। उदाहरण के िलए, इस सूची म� उसी समूह के नाम शािमल ह�, जो पहले से सूची म� शािमल थे जैसेिक ओिडशा म� मनिकिडया और िबरहोर। • आधारभूत सव��णो ं का अभाव: उपल� आंकड़ो ं के आधार पर इन समुदायो ं के िलए िवकास गितिविधयो ंको शु� करने हेतु पीवीटीजी प�रवारो,ं उनके िनवास और उनकी सामािजक आिथ�क �स्थित की सटीक पहचान करने के िलए आधारभूत सव��ण िकए जाते ह�। • असमान क�ाणकारी लाभ: अ� प�र�स्थितयो ंम�, एक पीवीटीजी केवल एक िजले के एक छोटे से िह�े म� ही लाभा��त होता है, जबिक उसी समूह को पड़ोसी �ॉको ंम� सम�ाओं का सामना करना पड़ता है। o एक उदाहरण के �प म�, लांिजयासाओरा को पूरे ओिडशा म� पीवीटीजी माना जाता है, य�िप इनके िलए माइक्रो-प्रोजे�्स केवल दो �ॉको ंम� चलाए गए ह�। लांिजयासाओरा के शेष सद�ो ं को अनुसूिचत जनजाित (STs) माना जाता है और उ�� वे इन िवकासो ं से लाभा��त नही ंहोते ह�। • िवकासा�क पहल के लाभ: आिदम जनजातीय समूहो ंके िवकास" की जाँच करने के िलए वष� 2002 म� जनजातीय मामलो ंके मंत्रालय �ारा स्थािपत स्थायी सिमित के अनुसार, बांधो,ं उ�ोगो ंऔर खानो ंसिहत िवकास पहलो ंसे आिदवासी लोग, िवशेष �प से पीवीटीजी ही सबसे अिधक प्रभािवत होते ह�। 30 संपूण�: सामािजक �ाय • भूिम अिधकारो ंसे वंचन: आरि�त वनो ंऔर संरि�त वनो ं की घोषणा के प�रणाम��प पीवीटीजी का �व�स्थत �प से उनके संसाधनो ंसे अलगाव हो गया है। इसके अलावा, वन अिधकार अिधिनयम (2006) के अ��� म� होने के बावजूद भी अभी भी कई पीवीटीजी के आवास संबंधी अिधकारो ंका उ�ंघन िकया जा रहा है। o उदाहरण के िलए: प्रोजे� टाइगर के तहत वष� 2009 म� अचानकमार टाइगर �रजव� से 245 बैगा प�रवारो ं को जबरन हटा िदया गया था। o उदाहरण के िलए: ओिडशा रा� का वन प्रशासन िसमिलपाल टाइगर �रजव� (STR) म� उस रा� के मनिकिडया लोगो ंको उनके आवास संबंधी अिधकारो ं से वंिचत करता है। • आजीिवका संबंधी मु�े: जंगलो ं के िवनाश, पया�वरण प�रवत�न और वन संर�ण नीितयो ं से वे गैर-इमारती वन उपज (NTFP) को एकित्रत नही ंकर पाते ह�। चँूिक वे गैर- इमारती वन उपज के बाज़ार मू� से अनजान होते ह� अतः िबचौिलयो ं�ारा उनका फायदा उठाया जाता है। o �ा� संबंधी मु�े: गरीबी, �� पेयजल तक प�ंच न होना, अ�� प�रवेश, �ा� सेवाओं की कमी, अंधिव�ास और वनो ंकी कटाई के कारण, पीवीटीजी एनीिमया, मले�रया, जठरांत्र संबंधी बीमा�रयो,ं सू� पोषक त�ो ंकी कमी, चम� रोग सिहत िविभ� �ा� सम�ाओ ंका सामना करते ह�। o संपक� रिहत �देशी समूह जैसे-अंडमान �ीप समूह की स�िटनलीज जनजाित को भी अजनिबयो ं से रोग होने की ब�त संभावना है। • िनर�रता: य�िप िपछले कुछ वष� म� कई पीवीटीजी की सा�रता दर म� वृ�� �ई है, तथािप यह कम यानी 30% और 40% के बीच है। इसके अलावा, मिहलाओ ंम� अिश�ा एक गंभीर सम�ा है। • अंडमान और िनकोबार म� जनजाितयो ंकी कमजो�रयां: अंडमान और िनकोबार के आिदवासी िनवासी असुरि�त ह� �ोिंक बाहरी लोग उनके आवास का लाभ उठाते रहे ह�। o बाहरी कारको ं से भूिम, जल और सामा� जैव िविवधता का उनका उपयोग प्रभािवत हो रहा है, िजसके प�रणाम��प उनम� भौितक और अमूत� दोनो ंप�रवत�न हो रहे ह�। o सव�� �ायालय का आदेश: भारत के सव�� �ायालय ने वष� 2002 म� अंडमान ट� ंक रोड (ATR) को बंद करने का आदेश िदया था पर�ु यह अभी भी चालू है, और पय�टक जारवा के िलए "मानव सफारी" पर जाने हेतु इसका इ�ेमाल करते ह�। िवगत वष� के प्र� (प्रारंिभक परी�ा) प्र�. भारत म� िवशेष �प से कमजोर जनजातीय समूहो ं (PVTGs) के बारे म� िन�िल�खत कथनो ंपर िवचार कीिजये: (2019) 1. पीवीटीजी 18 रा�ो ंऔर एक क� द्र शािसत प्रदेश म� रहते ह�। 2. पीवीटीजी का दजा� िनधा��रत करने के िलए �स्थर या घटती जनसं�ा एक मापदंड है। 3. देश म� अब तक आिधका�रक �प से 95 पीवीटीजी अिधसूिचत ह�। 4. पीवीटीजी की सूची म� इ�लर और कोडंा रे�ी जनजाितयो ं को शािमल िकया गया है। उपरो� म� से कौन-सा/से कथन सही है/ह�? a) केवल 1, 2 और 3 b) केवल 2, 3 और 4 c) केवल 1, 2 और 4 d) केवल 1, 3 और 4 3.7 अनुसूिचत जनजाितयो ंके िलए क�ाणकारी काय�क्रम 3.7.1 िश�ा के मा�म से सश��करण: • रा�� ीय फैलोिशप और छात्रवृि�: उ� िश�ा, प्री-मैिट� क और पो�-मैिट� क के िलए छात्रवृि� योजना इ�ािद। • जनजातीय �ेत्रो ंम� �ावसाियक प्रिश�ण क� द्र: िविभ� पारंप�रक/आधुिनक �वसायो ं म� जनजातीय युवाओं के कौशल म� सुधार करना। सड़क और प�रवहन मंत्रालय के अनुसार, सरकार आिदवासी समुदायो ंऔर देश भर के 115 सबसे गरीब िजलो ंम� चालक प्रिश�ण क� द्र स्थािपत करने का प्रयास कर रही है। 31 संपूण�: सामािजक �ाय • एकल� आदश� आवासीय िव�ालय/आश्रम िव�ालय: अनुसूिचत जनजाित के युवाओं को बोिड�ग �ूली िश�ा प्रदान करना। वष� 2018 म� सरकार ने 50 प्रितशत से अिधक अनुसूिचत जनजाित आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय ���यो ंवाले प्र�ेक �ॉक म� एकल� मॉडल आवासीय िव�ालयो ंकी स्थापना की घोषणा की। • कम सा�रता वाले िजलो ं म� अनुसूिचत जनजाित की लड़िकयो ंको िश�ा प्रदान करना: इस पहल के ज�रये िनिद�� िजलो ं या �ॉको ं म� सामा� मिहला आबादी और आिदवासी मिहलाओं के बीच सा�रता अंतर को पाटने का प्रयास िकया जा रहा है। • क�ूरबा गांधी बािलका िव�ालय (अनुसूिचत जाित, अनुसूिचत जनजाित, अ� िपछड़ा वग�, अ�सं�को,ं और गरीबी रेखा से नीचे वाले प�रवारो ंके िलए): उ� प्राथिमक आवासीय िव�ालयो ं की स्थापना करके वंिचत समूहो ंकी मिहलाओं को उ�ृ� िश�ा प्रदान करना। �ूल इनोवेशन एंबेसडर ट� े िनंग प्रोग्राम • यह देशभर म� अनेक ब�ो ंकी रचना�कता शैली का िवकास करके आिदवासी ब�ो ंके �ूलो ंम� प्रवेश को प्रो�ािहत करेगा। • यह हजारो ंछात्रो ंको नवीन कौशल म� प्रिशि�त करेगा, एक अिभनव सं�ृित को बढ़ावा देगा, और एक नए और गितशील भारत की नीवं तैयार करेगा। • �ूल इनोवेशन एंबेसडर ट� े िनंग प्रोग्राम, एकल� मॉडल आवासीय िव�ालयो ं (EMRS) के छात्रो ं की मदद करेगा, �ोिंक जनजातीय मामलो ंके मंत्रालय का ल� भी जनजातीय ब�ो ंको सव��म संभव िश�ा प्रदान करना है। िश�ा पर ढेबर आयोग की िसफा�रश� (1960) • िपछड़े �ेत्रो ंम� सभी आिदवासी ब�ो ंको म�ा� भोजन, कपड़े, मु� िकताब�, पढ़ने और िलखने की सामग्री आिद प्रदान करना, कम से कम 30 �ूली ब�ो ंवाले �ेत्रो ंम� आिदवासी सामािजक और सां�ृितक जीवन के अनु�प �ूल खोलना �ूलो ं म� आिदवासी सं�ृित का माहौल बनाना और �ूल का समय, छुि�यो ंको समायोिजत करना। • कोठारी आयोग ने ढेबर आयोग के सुझावो ं पर सहमित जताई और सलाह दी िक ब�ो ंके साथ-साथ माता-िपता को भी िशि�त िकया जाना चािहए। 3.7.2 आिथ�क सश��करण: • जनजातीय उ�ादो/ंउ�ादो ंके िवकास और िवपणन के िलए संस्थागत सहायता: इस योजना का ट� ैक �रकॉड� िनराशाजनक है। इस योजना के तहत केवल आठ रा�ो ं को ही प्रा� होती है। छ�ीसगढ़ को इसके मा�म से वष� 2014 म� केवल एक बार 2.32 करोड़ �पये की रािश प्रा� �ई लेिकन उसके इसका उपयोग नही ं िकया। ित्रपुरा एकमात्र ऐसा रा� है, िजसे इसके मा�म से 2014 से 2018 तक प्रितवष� धनरािश प्रा� �ई है और वह इस पूरी रािश को खच� कर चुका है। • अनुसूिचत जनजाित के सद�ो ं से बने �यं सहायता समूहो ं के िलए सू� िव� योजना: ग्रामीण िवकास मंत्रालय के आंकड़ो ं के अनुसार, ब�िकंग �ेत्र से �यं सहायता समूह को 2.8 लाख करोड़ �पये िदए गए। प्रित गांव उ�मो ंकी सं�ा म� 79% की वृ�� �ई, जबिक प्रित ��� मािसक राज� म� 22% की वृ�� �ई। अनुसूिचत जनजाितयो ंको भी काफी लाभ �आ। • आिदवासी मिहला सश��करण योजना: इसके तहत अनुसूिचत जनजाित की मिहलाओं के आिथ�क िवकास हेतु 1 लाख तक की योजनाओं के िलए प्रित वष� 4% की �ाज दर पर 90% तक का ऋण मुहैया कराया जाता है। • ��ड अप इंिडया योजना: आकां�ी मिहलाओ ं और अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित के उ�िमयो ं को �वसाय शु� करने के िलए प्रो�ािहत करना। इस योजना का ब�त कम प्रभाव पड़ा। वष� 2018 तक केवल 57 उ�िमयो ंको ही इसके तहत ऋण प्रा� �आ। 32 संपूण�: सामािजक �ाय 3.7.3 सामािजक सश��करण: • जनजातीय उप योजना के िलए िवशेष के�ीय सहायता: जनजातीय मामलो ंके मंत्रालय �ारा रा�ो ंको कृिष, बागवानी, रेशम उ�ादन और अ� �ेत्रो ंम� प�रवार- उ�ुख आय-सृजन काय�क्रमो ंके िलए प्रदान िकया जाता है। • वन ग्राम िवकास: यह मानव िवकास सूचकांक को बढ़ाने और िनवािसयो ं को बुिनयादी सुिवधाएं और सेवाएं प्रदान करने के उ�े� से 10वी ंयोजना के तहत शु� िकया गया था। • पंचायत (अनुसूिचत �ेत्रो ं तक िव�ार) अिधिनयम, 1996: अिधिनयम, पांचवी ंअनुसूची म� शािमल �ेत्रो ंवाले नौ रा�ो ं के आिदवासी �ेत्रो ं तक पंचायत के प्रावधानो ं का िव�ार करनेका प्रावधान करता है। • �ा� पोट�ल: यह एक ई-पोट�ल है जो एकल �ेटफॉम� पर भारत के जनजातीय समुदाय के िलए �ा� और पोषण संबंधी सभी जानका�रयां उपल� कराता है। 3.8 अनुसूिचत जनजाित और अ� पारंप�रक वनवासी (अिधकारो ंको मा�ता) अिधिनयम, 2006 • वन अिधकार अिधिनयम, 2006 िनवािसयो ं के हािशयाई सामािजक आिथ�क वग� के संर�ण और पया�वरण पर उनके अिधकारो ं (िजनम� जीवन और आजीिवका का अिधकार शािमल है) को मा�ता देने के उ�े� से
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