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. 1 www.visionias.in ©Vision IAS VISIONIAS www.visionias.in Test Booklet Series TEST BOOKLET GENERAL STUDIES (P) 2023 – Test – 3796 Time Allowed: Two Hours Maximum Marks: 200 INSTRUCTIONS 1. IMMEDIATELY AFTER THE COMMENCEMENT OF THE EXAMINATION, YOU SHOULD CHECK THAT THIS BOOKLET DOES NOT HAVE ANY UNPRINTED OR TURN OR MISSING PAGES OR ITEMS, ETC. IF SO, GET IT REPLACED BY A COMPLETE TEST BOOKLET. 2. ENCODE CLEARLY THE TEST BOOKLET SERIES A, B, C OR D AS THE CASE MAY BE IN THE APPROPRIATE PLACE IN THE ANSWER SHEET. 3. You have to enter your Roll Number on the Test Booklet in the Box provided alongside. Do NOT write anything else on the Test Booklet. 4. This Test Booklet contains 100 items (Questions). Each item is printed in English & Hindi. Each item comprises four responses (answers). You will select the response which you want to mark on the Answer Sheet. In case you feel that there is more than one correct response with you consider the best. In any case, choose ONLY ONE response for each item. 5. You have to mark all your responses ONLY on the separate Answer Sheet provided. See direction in the answers sheet. 6. All items carry equal marks. Attempt all items. Your total marks will depend only on the number of correct responses marked by you in the answer sheet. For every incorrect response 1/3rdof the allotted marks will be deducted. 7. Before you proceed to mark in the Answer sheet the response to various items in the Test booklet, you have to fill in some particulars in the answer sheets as per instruction sent to you with your Admission Certificate. 8. After you have completed filling in all responses on the answer sheet and the examination has concluded, you should hand over to Invigilator only the answer sheet. You are permitted to take away with you the Test Booklet. 9. Sheet for rough work are appended in the Test Booklet at the end. C DO NOT OPEN THIS BOOKLET UNTIL YOU ARE ASKED TO DO SO TEST-12 . 3 www.visionias.in ©Vision IAS 1. जैन धर्म की शिक्षाओं के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. सम्यक् दिमन र्हािीर की शिक्षाओं और ज्ञान र्ें शिश्वास करना ह।ै 2. सम्यक् ज्ञान इस शसद्ांत को स्िीकार करना ह ैकक यह संसार ईश्वर द्वारा सृशजत ह।ै 3. सम्यक् आचरण का तात्पयम पंच र्हाव्रतों के अनुपािन से ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 2 (d) केिि 1 और 3 2. शनम्नशिशित कथनों र्ें से कौन-सा तशर्ि साशहत्य र्ें उशलिशित 'इरै' और 'शतरै' िब्दों का सिोत्तर् िणमन करता ह?ै (a) ये सार्ंतों द्वारा प्राप्त अंिदान थे। (b) ये चोि साम्राज्य र्ें कृशि गशतशिशधयों र्ें संिग्न जनजातीय िोग थे। (c) ये चोि, चेर और पांड्य साम्राज्य के तटीय क्षेत्रों की रक्षा करने िािे योद्ाओं के िगम थ।े (d) ये ऐसे र्ू-र्ाग हैं जो सुदरू दशक्षण क्षेत्रों र्ें चािि की िेती के शिए सबसे उपयुक्त थे। 3. आर्ेर के र्हाराजा सिाई जयससंह शद्वतीय िगोि शिज्ञान के र्हान संरक्षक थे। इस संदर्म र्ें, उन्होंने शनम्नशिशित र्ें से ककन स्थानों पर िगोिीय िेधिािाओं (जतंर र्ंतर) का शनर्ामण करिाया था? 1. कदलिी 2. जयपुर 3. िाराणसी 4. उज्जैन 5. र्थुरा नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1, 2 और 4 (b) केिि 1, 2, 3 और 5 (c) केिि 3, 4 और 5 (d) 1, 2, 3, 4 और 5 4. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: र्हाजनपद राजधानी 1. ित्स : कौिाम्बी 2. िूरसेन : र्थुरा 3. अश्र्क : श्रािस्ती 4. र्लि : कुिीनारा उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से ककतने सही सुर्ेशित हैं? (a) केिि एक युग्र् (b) केिि दो युग्र् (c) केिि तीन युग्र् (d) सर्ी चार युग्र् 5. र्ौयम साम्राज्य की प्रिासशनक व्यिस्था के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. प्रिासशनक व्यिस्था र्ें साम्राज्य का शिर्ाजन प्रांतों र्ें ककया गया था तथा प्रत्येक प्रांत का प्रत्यक्ष िासन एक प्रादशेिक के अधीन था। 2. साम्राज्य र्ें शिशनर्र्मत होने िािी िस्तुओं की दिेरेि के शिए गोप उत्तरदायी था। 3. र्ौयम साम्राज्य की र्ंशत्रपररिद का शनणमय सर्ी प्रकार से अंशतर् होता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 (c) केिि 1 और 3 (d) उपयुमक्त र्ें से कोई नहीं . 5 www.visionias.in ©Vision IAS 6. कथकिी नृत्य के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. कथकिी के नृत्य किा सबंंधी कई पैटनम केरि की प्रारंशर्क यदु् किा से प्रर्ाशित हैं। 2. कथकिी र्ें किाकार (नतमक) के चेहरे को कुछ इस प्रकार रंग कदया जाता ह ैकक िह एक र्ुिौटे का आर्ास दतेा ह।ै 3. कथकिी प्रस् ततुीकरण र्ें पात्रों को सार्ान्यतः साशत्िक, राजशसक और तार्शसक िगों र्ें शिर्क् त ककया जाता ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 7. हाि ही र्ें सुर्िमयों र्ें रही 'नोस्रो और िोस्रो' िब्दाििी शनम्नशिशित र्ें से ककससे संबंशधत हैं? (a) हाइड्रोजन ईंधन आधाररत ऑटोर्ोबाइि से (b) अंतरामष्ट्रीय व्यापार र्ुगतानों से (c) शर्साइि प्रौद्योशगककयों से (d) प्राकृशतक गैस शनष्किमण प्रौद्योशगककयों से 8. उत्तर िैकदक काि के धार्र्मक जीिन के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. पूिम िैकदक काि के दिेताओं जैसे कक शिष्णु और रुद्र का र्हत्ि कर् हो गया था। 2. प्राथमना का र्हत्ि कर् हो गया था, जबकक बशि का र्हत्ि बढ़ गया था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 9. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: अशर्ििे सबंद् िासक 1. जूनागढ़ : रुद्रदार्न प्रथर् 2. रबातक : कशनष्क 3. रुशम्र्नदईे : अिोक उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-सा/से सही सुर्ेशित ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) 1, 2 और 3 (c) केिि 2 (d) केिि 3 10. शििाजी के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. ििम 1656 र्ें नागपुर र्ें शििाजी को औपचाररक रूप से ताज पहनाया गया था। 2. शििाजी र्ोसिे औरंगजेब के सर्कािीन थे। 3. शििाजी प्रतापगढ़ की िडाई र्ें र्ुगि सेना के शिरुद् िडे थे। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 और 3 (b) केिि 2 (c) 1, 2 और 3 (d) केिि 2 और 3 11. शिजयनगर साम्राज्य के धार्र्मक पहिू के सदंर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. ब्राह्मणों की र्ूशर्का अनुष्ठान कराने िािे र्ुशिया तक ही सीशर्त थी। 2. शिजयनगर साम्राज्य के सर्ी िासक राजिंिों ने केिि ििैिाद को ही संरक्षण कदया। 3. र्ंकदरों स ेसंबंशधत शििादों को सुिझाने का कायम राजा के शनयंत्रण र्ें होता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 (c) केिि 3 (d) उपयुमक्त र्ें से कोई नहीं . 7 www.visionias.in ©Vision IAS 12. र्ारत के संपूणम इशतहास के प्रत्येक युग र्ें र्हान संगीतकार हुए हैं। इस संदर्म र्ें, शनम्नशिशित र्ें से कौन सर्कािीन थे? 1. त्यागराज 2. र्ुथुस्िार्ी दीशक्षतार 3. श्यार्ा िास्त्री 4. पुरंदरदास नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1, 2 और 3 (b) केिि 1, 3 और 4 (c) केिि 2, 3 और 4 (d) केिि 1, 2 और 4 13. अिोक के शििािेि, र्ारतीय पुरािेि की िुरुआत के प्रतीक हैं और शनस्संदहे र्ौयम काि के सबसे र्हत्िपूणम स्रोत हैं। इन अशर्िेिों और शििािेिों के सदंर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. अिोक के शििािेि र्ुख्य रूप से प्राकृत र्ािा और ब्राह्मी शिशप र्ें शिि ेगए थे। 2. र्ास्की शििाििे से ज्ञात होता ह ै कक अिोक के शििािेिों पर अिोक के नार् उत्कीणम ककए गए थे। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 14. प्राचीन र्ारत र्ें गशणत के शिकास के संदर्म र्ें, बीजीय सर्ीकरणों को हि करने की चक्रिाि पद्शत या चक्रीय शिशध ककसके द्वारा प्रशतपाकदत की गई थी? (a) बौधायन (b) ब्रह्मगुप्त (c) र्ास्कराचायम (d) र्हािीराचायम 15. िक िासकों के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. शिक्रर् सिंत् का प्रारंर् िक िासक शिक्रर्ाकदत्य द्वारा उज्जैन के िासक को पराशजत ककए जाने की घटना के साथ र्ाना जाता ह।ै 2. िक िासक रुद्रदार्न-प्रथर् ने बौद् धर्म की र्हायान िािा के शसद्ांतों को अंशतर् रूप दनेे के शिए कश्र्ीर र्ें एक बौद् संगीशत का आयोजन ककया था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 16. हाि ही र्ें पॉिीक्िैड फ्िैटिर्म की एक प्रजाशत, स्यूडोसेरोस गैिाथेशन्सस सुर्िमयों र्ें क्यों थी? (a) इसे र्ारत के पिूी तट पर पहिी बार दिेा गया था। (b) यह पशिर्ी घाट की एक स्थाशनक प्रजाशत थी िेककन हाि ही र्ें इसे अपने िन्य पयामिास र्ें शििुप्त घोशित कर कदया गया। (c) बडे पैर्ान ेपर पयामिास के शिनािके कारण इसे IUCN की िाि सूची र्ें कक्ररटकिी एंडेंजडम के रूप र्ें िगीकृत ककया गया ह।ै (d) इसके अकम का सौंदयम प्रसाधनों के व्यािसाशयक उत्पादन र्ें व्यापक स्तर स ेउपयोग ककया जाता ह।ै 17. र्ारत र्ें ताम्रपािाण काि के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. दधू और दधू से शनर्र्मत उत्पाद ताम्रपािाण संस्कृशत की आहार परंपरा के र्खु्य घटक थे। 2. गणेश्वर एक नगरीय ताम्रपािाण स्थि था जो हडप्पा को तांब े की िस्तुओं की आपूर्तम करता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 . 9 www.visionias.in ©Vision IAS 18. हाि ही र्ें, सरकार ने 11िीं कृशि संगणना िुरू की ह।ै इस संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. इसका आयोजन प्रत्येक 5 ििम र्ें ककया जाता ह।ै 2. इसे िाद्य और कृशि संगठन की शिश्व कृशि संगणना के एक र्ाग के रूप र्ें आयोशजत ककया जाता ह।ै 3. यह पररचािन जोत की प्रकृशत और फसि प्रशतरूप के बारे र्ें जानकारी प्रदान करती ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) 1, 2 और 3 (b) केिि 1 (c) केिि 1 और 3 (d) केिि 2 19. र्ौयम कािीन कर-प्रणािी के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. इस साम्राज्य ने िसूिी और संग्रहण की तुिना र्ें करों के शनधामरण को अशधक र्हत्ि कदया। 2. सशिधाता कर-शनधामरण का सिोच्च अशधकारी होता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 20. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: साम्राज्य बदंरगाह/तटीय क्षते्र का शनयतं्रण 1. चोि : पुहार 2. पाण्ड्ड्य : कोरकई 3. चेर : र्ुशजररस उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-सा/से सही सुर्ेशित ह/ैहैं? (a) केिि 1 और 3 (b) केिि 2 (c) 1, 2 और 3 (d) केिि 3 21. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए : शचत्रकिा सबंशंधत राज्य 1. पैतकर : झारिंड 2. फड : राजस्थान 3. पट्टशचत्र : शसकिर् उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-सा/से सही सुर्ेशित ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 22. र्ारत के प्राचीन इशतहास के संदर्म र्ें, 'गंडक' थे- (a) अकाि राहत कायम हतेु शसिों र्ें जारी ककए गए ऋण अशग्रर्। (b) एक स्थान स े दसूरे स्थान पर जाने िािे कथाकार। (c) दरबारी संगीतकार। (d) िंबी दरूी के व्यापार र्ें प्रयुक्त शिशनर्य के शबि। 23. प्रायः सुर्ख़मयों र्ें रहने िािा जयंत कुर्ार बंशथया आयोग संबंशधत ह:ै (a) आपराशधक काननू र्ें सुधार से। (b) स्थानीय स्ििासन शनकायों र्ें अन्य शपछडा िगों (OBCs) के शिए आरक्षण से। (c) िाद्य पदाथों की िेबसिंग संबंधी र्ानकों की सर्ीक्षा से। (d) कें द्रीय सूची र्ें OBCs के र्ीतर उप-िगीकरण के परीक्षण से। 24. होयसि स्थापत्य किा के सदंर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. स्थापत्य की इस िैिी को इंडो-आयमन और द्रशिड िैिी की र्ध्यिती िैिी र्ाना जाता ह।ै 2. इन र्ंकदरों के आधार तारे के आकार के हैं, शजनकी र्ुख्य सरंचना एक चबूतरे पर शनर्र्मत ह।ै 3. उन्होंने र्ूर्तमकिा की बारीक निािी के शिए बडे पैर्ाने पर बिआु पत्थरों का उपयोग ककया था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 1 और 3 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 . 11 www.visionias.in ©Vision IAS 25. ऋग्िैकदक काि के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. िोग र्ूर्तम पूजा नहीं करते थे। 2. र्शहिाओं को उनके आध्याशत्र्क और बौशद्क शिकास के अिसर नहीं कदए जात ेथे। 3. बाि शििाह प्रचशित नहीं था और सती प्रथा का अशस्तत्ि नहीं था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? (a) 1, 2 और 3 (b) केिि 1 और 3 (c) केिि 2 और 3 (d) केिि 1 और 2 26. िह सबसे प्रशसद् कुिाण िासकों र्ें स ेएक था, उसे पेिािर र्ें एक र्ठ और एक शििाि स्तूप के शनर्ामण के शिए जाना जाता ह।ै िह किा और संस्कृत साशहत्य का र्हान संरक्षक था और उसने 78 ई. र्ें एक कैिेंडर प्रारंर् ककया शजसे िक सिंत् के रूप र्ें जाना जाता ह।ै उपयुमक्त पररच्छेद से िासक की पहचान कीशजए। (a) कडकफसस (b) कशनष्क (c) गोंडोफनेस (d) शर्सिंद 27. संगर् साशहत्य के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. तीनों संगर्ों को पांड्य िासकों का संरक्षण प्राप्त हुआ था। 2. संगर् साशहत्य के कशियों र्ें केिि पुरुि िाशर्ि थे, िे सर्ाज के सर्ी िगों से आते थे और उन्हें उनकी रचनाओं के शिए आर्थमक पुरस्कारों से सम्र्ाशनत ककया जाता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 28. र्ध्यकािीन र्ारत के इशतहास के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजएः पद अथम 1. दीिान-ए- इंिा : राज्य का राजस्ि शिर्ाग 2. िािसा : राज्य द्वारा प्रिाशसत र्ूशर् 3. र्ार्िुक : गुिार् सैशनक उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-से सही सुर्ेशित हैं? (a) केिि 1 और 3 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 29. शनम्नशिशित व्यशक्तत्िों र्ें से कौन-से गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त शद्वतीय के िासनकाि स ेसंबंशधत थे? 1. फाह्यान 2. काशिदास 3. अर्र ससंह 4. ह्िेनसांग नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 2, 3 और 4 (b) केिि 1, 2 और 3 (c) केिि 1, 3 और 4 (d) केिि 2 और 4 30. संगर् युग की सार्ाशजक सरंचना के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. संपि िोग ईंट-गारे के र्कानों र्ें रहते थे जबकक शनधमन िोग झोपशडयों र्ें रहते थे। 2. सती प्रथा का पािन सर्ी िगों की र्शहिाओं द्वारा ककया जाता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 . 13 www.visionias.in ©Vision IAS 31. र्शक्त संत बसििा के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. िे किचुरी ििं के राजा शबज्जि शद्वतीय के िासनकाि र्ें र्तं्री थे। 2. उनके संप्रदाय के अनुयायी िीरिैि के नार् से जाने जाते थे। 3. उन्होंने िचन साशहत्य की रचना की शजसर्ें सार्ाशजक शिियों पर अििोकन ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 32. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: पत्तन दिे 1. हबंनटोटा : श्रीिंका 2. चट्टोग्रार् : बांग्िादिे 3. र्ोंगिा : म्यांर्ार उपयुमक्त र्ें से ककतने युग्र् सही सरु्ेशित हैं? (a) केिि एक युग्र् (b) केिि दो युग्र् (c) तीनों युग्र् (d) उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कोई नहीं 33. प्राचीन साशहत्य के संदर्म र्ें, िशितशिस्तर पसु्तक संबंशधत ह:ै (a) ग्रहण की िोज से (b) कश्र्ीर के राजा िशिताकदत्य के जीिन से (c) संगीत के शनयर्ों से (d) गौतर् बुद् के जीिन से 34. शिजयनगर र्ंकदर िास्तुकिा के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. प्रोशिडा िैिी का शिकास इसी अिशध के दौरान हुआ था। 2. र्ुख्य दिेता की पत्नी को अम्र्ान र्ंकदर र्ें प्रशतष्ठाशपत ककया गया था। 3. सबसे ऊंचे गोपरुर् को राय गोपुरर् कहा जाता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 3 (b) केिि 1 और 2 (c) 1, 2 और 3 (d) केिि 2 और 3 35. बादार्ी के चािकु्यों के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. इस राजिंि का संस्थापक पुिकेशिन प्रथर् था। 2. रशिकीर्तम के ऐहोि अशर्िेि र्ें किौज के हिम पर पुिकेशिन शद्वतीय की शिजय का उलिेि ह।ै 3. दशंतदगुम द्वारा पुिकेशिन शद्वतीय को पराशजत करने के बाद बादार्ी के चािुक्य िासन को राष्ट्रकूटों द्वारा प्रशतस्थाशपत कर कदया गया था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 36. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजएः बोशधसत्ि स ेसबंशंधत ह ै 1. र्ंजुश्री : बुद् के ज्ञान 2. सार्ंतर्द्र : आकाि तत्ि 3. आकािगर्म : अभ्यास और ध्यान 4. िसुधारा : धन, सर्ृशद् और प्रचुरता उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-से सही सुर्ेशित हैं? (a) केिि 1 और 4 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1, 2 और 3 (d) केिि 1, 3 और 4 . 15 www.visionias.in ©Vision IAS 37. र्ौयम कािीन स्तरं् िीिम को ससहं िीिम के नार् से र्ी जाना जाता ह ैऔर यह हर्ारा राष्ट्रीय संप्रतीक र्ी ह।ै यह बुद् के जीिन की ककस घटना का प्रतीक ह?ै (a) बुद् के जन्र् का (b) र्हाशर्शनष्क्रर्ण का (c) प्रथर् उपदिे का (d) ज्ञान प्राशप्त का 38. शनम्नशिशित र्ें से कौन-से शचत्रकारहुर्ायूूँ के दरबार से संबंशधत थे? 1. र्ीर सैयद अिी 2. शबहजाद 3. अब्द-उस-सर्द 4. दसिंत नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1, 2, और 4 (b) केिि 2, 3, और 4 (c) केिि 1 और 3 (d) केिि 3 और 4 39. र्ारबगम िायरस रोग के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही नहीं ह/ैहैं? 1. यह एक अत्यशधक गंर्ीर रोग ह ैजो र्नुष्यों और जानिरों दोनों र्ें रक्तस्रािी बुिार का कारण बनता ह।ै 2. जंगिी सूअरों को र्ारबगम िायरस का प्राकृशतक र्ेजबान (होस्ट) र्ाना जाता ह।ै नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 40. 10िीं िताब्दी र्ें प्रशतहार ििं केपतन ने उसके सार्ंती प्रर्ुिों के सर्क्ष स्ियं को स्ितंत्र िशक्तयों के रूप र्ें घोशित करने का र्ागम िोि कदया। इस संदर्म र्ें, शनम्नशिशित र्ें से कौन-से गुजमर-प्रशतहार िंि के बाद उर्रे प्रर्ुि राजपूत राजिंि थे? 1. गहडिाि 2. चाहर्ान 3. चंदिे 4. र्ौिरर नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 3 और 4 (c) केिि 1, 2 और 3 (d) 1, 2, 3 और 4 41. औरंगजेब के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. उसने िरीयत द्वारा शनशिद् गशतशिशधयों को शिशनयशर्त करने के शिए र्ुहतशसब नार्क अशधकाररयों को शनयुक्त ककया। 2. प्रशसद् यात्री जीन बैशप्टस्ट टैिर्नमयर औरंगजेब के िासनकाि के दौरान र्ारत र्ें था। 3. औरंगजेब द्वारा ककया गया एकर्ात्र उदार कायम पारसी त्योहार नौरोज को बढ़ािा दनेा था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही नहीं ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) केिि 3 . 17 www.visionias.in ©Vision IAS 42. उनका जन्र् ितमर्ान आंध्र प्रदिे र्ें हुआ था। ि े18 ििम की आयु र्ें संन्यासी बन गए। उन्होंने अपनी तपस्या, ज्योशति एिं शचककत्सा के ज्ञान तथा िन्य जीिों को िि र्ें करने की अपनी क्षर्ता से पहाडी और आकदिासी िोगों के बीच एक आध्याशत्र्क गौरि प्राप्त कर शिया। ि े 1882 के र्द्रास िन अशधशनयर् के शिरोध र्ें शब्ररटि शिरोधी गशतशिशधयों र्ें िाशर्ि हुए और 1922 के रम्पा शिद्रोह/र्ान्यर् शिद्रोह र्ें एक नेता के रूप र्ें र्हत्िपूणम र्ूशर्का शनर्ाई। उपयुमक्त पररच्छेद द्वारा शनम्नशिशित र्ें से ककस व्यशक्तत्ि का िणमन ककया जा रहा ह?ै (a) पोरट्ट श्रीरार्ुिु (b) सपंगिी िेंकैया (c) एन.जी. रंगा (d) अलिूरी सीतारार् राजू 43. शनम्नशिशित र्ें से कौन-से र्ारत र्ें शस्थत निपािाण कािीन स्थि हैं? 1. शचराूँद 2. पय्यर्पलिी 3. उतू्नर 4. कोडेकि 5. बुर्महोर् नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) 1, 2, 3, 4 और 5 (b) केिि 1, 3, 4 और 5 (c) केिि 2, 3 और 5 (d) केिि 1, 2 और 4 44. र्ध्यकािीन र्ारत र्ें हुए र्शक्त आंदोिन के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. िलिर्ाचायम न े र्गिान शिि की आराधना के आधार पर पुशिर्ागम संप्रदाय का प्रशतपादन ककया। 2. दाद ूदयाि ने ितमर्ान गुजरात और राजस्थान र्ें शनगुमण संत परंपरा को प्रसाररत ककया। 3. सूरदास सोिहिीं िताब्दी के एक संत थे शजन्होंने र्गिान कृष्ण पर कें कद्रत गीतों की रचना की। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 45. हाि ही र्ें, सरकार ने हर घर शतरंगा अशर्यान की िुरुआत की। र्ारतीय झंडा संशहता के सदंर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. झंडे की िबंाई और ऊंचाई (चौडाई) का अनुपात 3:2 होगा। 2. राष्ट्रीय झंडा केिि हाथ से काते हुए और हाथ से बुने हुए िादी कपडे से बना होगा। 3. अिोक चक्र की आकृशत 24 सर्ान दरूी िािी धाररयों के साथ कािे रंग की होगी। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही नहीं ह/ैहैं? (a) केिि 2 (b) केिि 1 (c) केिि 2 और 3 (d) केिि 3 46. दररद्र चारुदत्त के िेिक कौन थे, जो कक गशणका िसंतसेना की कहानी थी और बाद र्ें इसे िदू्रक ने र्ृच्छकरटकर् ्नार् से पुनरमशचत एिं प्रशसद् ककया? (a) अर्रससंह (b) काशिदास (c) बाणर्ट्ट (d) र्ास 47. कफशिस्तीन िरणार्थमयों के शिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कायम एजेंसी (UNRWA) के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. इसका उद्देश्य िसे्ट बैंक, गाजा पट्टी र्ें पंजीकृत एिं िबेनान, सीररया तथा जॉडमन के िरणाथी शिशिरों र्ें रह रह े कफशिस्तीनी िरणार्थमयों को सहायता प्रदान करना ह।ै 2. UNRWA को िगर्ग पूरी तरह से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य दिेों के स्िशैच्छक योगदान से शित्त पोशित ककया जाता ह।ै 3. र्ारत ने इस एजेंसी र्ें कर्ी योगदान नहीं कदया ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 . 19 www.visionias.in ©Vision IAS 48. शिजयनगर साम्राज्य के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित र्ें से कौन-सा िासक राजिंिों का सही कािानुक्रर् ह?ै (a) संगर्-सािुि-तुिुि-अरशिडु (b) संगर्-तुिुि-सािुि-अरशिडु (c) अरशिडु-संगर्-सािुि-तुिुि (d) अरशिडु-तुिुि-सािुि-संगर् 49. शनम्नशिशित र्ें से कौन-सा/से गुप्त साम्राज्य के पतन का/के सरं्ाशित कारण था/थे? 1. र्ध्य एशिया से हूणों का आक्रर्ण। 2. साम्राज्य र्ें सार्तंों का उदय। 3. ब्राह्मणों को कदए जाने िािे र्ूशर् अनुदान र्ें िृशद् के कारण राजस्ि र्ें आई कर्ी। नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 2 और 3 (b) केिि 1 और 3 (c) 1, 2 और 3 (d) केिि 2 50. पाटमनरशिप फॉर ग्िोबि इंफ्रास्रक्चर एंड इन्िेस्टर्ेंट(PGII) के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. यह हाि ही र्ें रोर् र्ें आयोशजत G20 नेताओं के शििर सम्र्ेिन का पररणार् ह।ै 2. इसका उद्देश्य शिकशसत दिेों र्ें शििेि रूप से जििायु प्रशतरोधक अिसंरचना के शिए धन जुटाना ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 51. शनम्नशिशित र्ें से कौन-से साशहशत्यक स्रोत अपनी शििय िस्तु र्ें र्ौयम साम्राज्य के आनुर्शिक साक्ष्य प्रदान करते हैं? 1. र्ेगस्थनीज की इंशडका 2. अथमिास्त्र 3. कदव्यािदान 4. दीपिंि नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1 और 2 (b) 1, 2, 3 और 4 (c) केिि 1, 2 और 3 (d) केिि 3 और 4 52. बहर्नी साम्राज्य के संदर्म र्ें, जाजनगर और र्रहट प्रांत का संबंध शनम्नशिशित र्ें स ेककसके साथ हैं? (a) ओशडिा और र्हाराष्ट्र (b) गुजरात और र्हाराष्ट्र (c) कनामटक और तशर्िनाडु (d) गुजरात और र्ध्य प्रदिे 53. सूफीिाद के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजएः िब्दाििी अथम 1. तिाक्कुि : संतुशि की अनुर्ूशत करना 2. सर्ा : परर्ानंद की ओर िे जाने िािा धार्र्मक संगीत 3. िुक्र : दाशयत्ि की स्िीकृशत उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-सा/से सही सुर्ेशित ह/ैहैं? (a) केिि 3 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 . 21 www.visionias.in ©Vision IAS 54. र्ध्यकािीन र्ारत के एक िासक के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. िह र्हान कशि अर्ीर िुसरो का सर्कािीन था। 2. उसने अपने सैशनकों को उनके िेतन स े संतुि रिने के शिए, उत्पादन िागत के आधार पर कठोर र्ूलय शनयतं्रण उपायों की िुरुआत की। 3. उसने चेहरा और दाग प्रणािी की िुरुआत की। उपयुमक्त कथनों र्ें शनम्नशिशित र्ें से ककस िासक का िणमन ककया गया ह?ै (a) बिबन (b) र्ोहम्र्द शबन तुगिक (c) अिाउद्दीन शििजी (d) इलतुतशर्ि 55. ईसा पूिम दसूरी िताब्दी के र्ध्य र्ें र्ध्य प्रदिे के शिकदिा के पास शस्थत बेसनगर र्ें र्गिान िासदुिे के सम्र्ान र्ें एक स्तंर् की स्थापना करने िािा यूनानी राजदतू कौन था? (a) शर्नांडर (b) हशेियोडोरस (c) गोंदोफर्नमस (d) कडकफसेस 56. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: शििौन े सबंद् राज्य/सघं राज्य क्षते्र 1. ककिि : कनामटक 2. एरटकोप्पका : आंध्र प्रदिे 3. िाईफाकदबी : िद्दाि उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-सा/से सही सुर्ेशित ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 57. र्राठा साम्राज्य र्ें राजा की सहायता के शिए र्ंशत्रयों की एक पररिद स्थाशपत की गई थी शजसे अिप्रधान कहा जाता था। इस संदर्म र्ें, शनम्नशिशित र्ें से कौन राज्य की आय और व्यय की शनगरानी करता था? (a) सुरुनिीस (b) िाकयानिीस (c) र्जूर्दार (d) दाशबर 58. हुर्ायू ंके र्कबरे के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. यह चार िबंे पाश्वम और चम्फडम ककनारों िािी एक शििर् अिर्ुजाकार रूपरेिा र्ें शनर्र्मत ह।ै 2. यह दोहरे गुंबद से ढका हुआ ह।ै 3. इसकी रूपरेिा फारस के शर्राक शर्र्ाम ग्यास ने तैयार की थी। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) 1, 2 और 3 (b) केिि 2 (c) केिि 1 और 2 (d) केिि 2 और 3 59. हाि ही र्ें सुर्ख़मयों र्ें रह ेकैपस्टोन (CAPSTONE) उपग्रह के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. इसका उद्देश्य र्शिष्य के अंतररक्ष यानों के शिए एक शिशिि, दीघमिृत्ताकार चंद्र कक्षा का परीक्षण करना ह।ै 2. इसे यूरोपीय अंतररक्ष एजेंसी और जाक्सा (JAXA) द्वारा िॉन्च ककया गया ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 . 23 www.visionias.in ©Vision IAS 60. बौद् धर्म के िज्रयान संप्रदाय के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. इसके अनुयाशययों का र्ानना था कक जादईु िशक्त को प्राप्त करके र्ोक्ष प्राप्त ककया जा सकता ह।ै 2. तारा इस संप्रदाय की प्रर्ुि दिेी ह।ै 3. यह पूिी र्ारत र्ें िोकशप्रय था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 61. सूफीिाद के शचश्ती शसिशसिे के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. शचश्ती शसिशसिे की स्थापना बाबा फरीददु्दीन गंज-ए-िकर ने की थी। 2. शचश्ती संतों ने धनी अनुयाशययों को आकर्िमत करने के उद्देश्य से अपनी गशतशिशधयों कोसंचाशित करने हतेु बड े और र्ीडर्ाड िािे िहरों को प्राथशर्कता दी। 3. सर्ी शचश्ती सतं अशििाशहत थे, क्योंकक शचश्ती संतों का शििाह करना सख्त िर्जमत था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) केिि 2 और 3 (d) उपयुमक्त र्ें से कोई नहीं 62. शनम्नशिशित र्ें से कौन-से क्षेत्रों र्ें, र्टेािसम का प्रर्ुिता से प्रयोग ककया जा सकता ह?ै 1. ई-कॉर्सम र्ें 2. कौिि िृशद् र्ें 3. टेिीर्ेशडशसन और टेिीहलेथ र्ें 4. आर्ासी पयमटन र्ें 5. शिक्षा और अशधगर् र्ें नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1, 2 और 4 (b) केिि 2, 3 और 4 (c) केिि 1, 3 और 5 (d) 1, 2, 3, 4 और 5 63. यह केरि की 16िीं सदी की एक नाट्य किा ह।ै इसर्ें नाटक को पुतमगािी शर्िनररयों द्वारा नए धर्ाांतररत कैथोशिकों को एक सांस्कृशतक पहचान प्रदान करने और उन्हें रोर्न पोप द्वारा अनुर्ोकदत धार्र्मक रीशत- ररिाज शसिाने के शिए शिकशसत ककया गया था। कथकिी और किारीपयट्टू जैसे किा रूपों ने र्ी इस किा रूप को प्रर्ाशित ककया ह।ै इस किा की सिामशधक आकिमक शििेिता यह ह ैकक नृत्य करते हुए किाकार फिम पर इस तरह पैरों की थाप डािते हैं कक उनसे अनुगूंज जैसी ध्िशन पैदा होती ह,ै इस कारण इसे स्टैंसपंग ड्रार्ा र्ी कहते हैं। उपयुमक्त पररच्छेद र्ें शनम्नशिशित किारूपों र्ें से ककसका िणमन ककया जा रहा ह?ै (a) नकि (b) चशिट्टु नाटकर् (c) कूशडयाट्टर् (d) पढ़यशन 64. र्ध्यकािीन र्ारत के सदंर्म र्ें, आज्ञापत्र (Adnyapatra) शनम्नशिशित र्ें से ककस साम्राज्य/ िशक्त की नीशत का एक िाही आदिे था? (a) बहर्नी साम्राज्य (b) शिजयनगर साम्राज्य (c) र्राठा साम्राज्य (d) चोि साम्राज्य 65. सातिाहनों के सार्ाशजक संगठन के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. सातिाहनों के िासनकाि र्ें अश्वर्ेध और िाजपेय जैसे िैकदक यज्ञ शनशिद् थे। 2. सातिाहनों र्ें एक र्ातृिंिीय सर्ाज के िक्षण कदिायी दतेे हैं। 3. सातिाहनों की राजर्ािा प्राकृत थी। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) 1, 2 और 3 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 (d) केिि 2 . 25 www.visionias.in ©Vision IAS 66. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: र्ािमि आटम सबंद् राज्य 1. शसिंबर् : तशर्िनाडु 2. गतका : पंजाब 3. थोडा : शर्जोरर् उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-सा/से सही सुर्ेशित ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 67. र्ौयमकािीन शसिों के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. र्ौयम काि के कािामपण शसिे, अपने जारी करने िािे प्राशधकारी का शििेि रूप से उलिेि करते थे। 2. शसिे ज्यादातर सोने और चांदी के बने होते थे। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 68. र्ध्यकािीन र्ारत के संदर्म र्ें, 'बटाई' और 'नस्क' थे: (a) अर्ीर िगम के शिए आरशक्षत घोडों की दो अिग- अिग नस्िें। (b) अकबर के िासनकाि के दौरान प्रचशित र्ू- राजस्ि प्रणािी। (c) बटाईदार जो पडोसी गाूँिों के धनी ककसानों की र्ूशर् पर िेती करते थे और उन्हें िगान दतेे थे। (d) जहाूँगीर द्वारा प्रिर्तमत दो सुिेि िैशियाूँ। 69. यह जुडिा िहरों हदैराबाद एिं शसकंदराबाद तथा तेिंगाना के कुछ शहस्सों र्ें र्नाया जाने िािा एक िार्िमक उत्सि ह।ै यह उत्सि दिेी र्हाकािी को सर्र्पमत ह।ै इस दौरान, र्क्त शर्ट्टी या पीति के बतमन र्ें दधू और गुड र्ें पकाए गए चािि का र्ोग िगाते हैं। इस बतमन को नीर् के पत्तों, हलदी और ससदंरू से सजाया जाता ह।ै बतमन के ऊपर एक दीपक जिाकर रिा जाता ह,ै शजसे र्शहिाएं अपने शसर पर रिकर िे जाती हैं और हलदी-ससंदरू, चूशडयों एिं साडी के साथ- साथ अिग-अिग र्ंकदरों र्ें दिेी को अर्पमत करती हैं। उपयुमक्त पररच्छेद र्ें शनम्नशिशित र्ें स े ककस त्योहार का िणमन ककया गया ह?ै (a) पोंगि (b) उगादी (c) चेरट्टकुिंगरा र्रनी (d) बोनािु 70. राष्ट्रकूट राजििं के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. इस िंि के िासक ििै धर्म के कट्टर अनुयायी थे और उन्होंने ककसी र्ी अन्य धर्म के अनुसरण को प्रशतबंशधत ककया। 2. राष्ट्रकूट राजििं के िासक कृष्ण प्रथर् ने एिोरा र्ें र्गिान शिि को सर्र्पमत कैिाि र्ंकदर का शनर्ामण करिाया था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 71. गुप्त साम्राज्य के दौरान पीिुपशत और अश्वपशत थे: (a) सेना के अशधकारी (b) ग्रार् प्रधान (c) राजस्ि संग्राहक (d) शजिों के राज्यपाि . 27 www.visionias.in ©Vision IAS 72. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: दिमन प्रशतपादक 1. द्वतैाद्वतै : शनम्बाकम 2. िुद्ाद्वतै : रार्ानुजाचायम 3. द्वतै : र्ाधिाचायम उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-सा/से सही सुर्ेशित ह/ैहैं? (a) 1, 2 और 3 (b) केिि 1 और 3 (c) केिि 1 (d) केिि 2 और 3 73. र्ध्यकािीन र्ारत के सांस्कृशतक इशतहास के सदंर्म र्ें, "कुलहाकदार सर्ूह" संदर्र्मत करता ह:ै (a) स्िणमकारों को (b) सूफी संतों को (c) िघु शचत्रकारी को (d) िाही सुिेिकों को 74. उत्तरािंड के ििुशडयार र्ें सुयाि नदी के ककनारे शस्थत िैिाश्रयों र्ें प्रागैशतहाशसक काि के शचत्र पाए गए हैं। इस सदंर्म र्ें, शनम्नशिशित र्ें से कौन-सी ििुशडयार गुफा शचत्रों की शिििेताएं हैं? 1. हाथ पकडकर नतृ्य करते हुए र्नुष्य 2. पिु रूपांकनों का अर्ाि 3. र्नुष्यों का छडी जैसे रूप र्ें शचत्रण 4. केिि सफेद और कािे रंग का प्रयोग नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1, 3 और 4 (b) केिि 1 और 3 (c) केिि 2 और 4 (d) केिि 1, 2 और 3 75. हाि ही र्ें सुर्ख़मयों र्ें रही ‘र्ारत की जैि- अथमव्यिस्था ररपोटम 2022’ ककसके द्वारा प्रकाशित की गई ह:ै (a) जैि प्रौद्योशगकी उद्योग अनुसंधान सहायता पररिद (BIRAC) (b) नीशत आयोग (c) उद्योग संिधमन और आंतररक व्यापार शिर्ाग (DPIIT) (d) शिज्ञान और प्रौद्योशगकी शिर्ाग 76. गुप्त साम्राज्य की आर्थमक शस्थशत के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. इस काि र्ें व्यापार एिं िाशणज्य पर करों र्ें िृशद् की गई जबकक र्ूशर् करों र्ें कर्ी की गई। 2. िाही सेना और अशधकाररयों द्वारा ग्रार्ीणों से बिात् श्रर् कराया जाता था। 3. साम्राज्य र्ें रहने िािे िोगों द्वारा दशैनक िेन-दने दीनार (स्िणम शसिे) के र्ाध्यर् स े ककया जाता था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) 1, 2 और 3 (b) केिि 2 (c) केिि 1 और 3 (d) केिि 2 और 3 77. अिोक की नीशतयों पर कसिंग यदु् के प्रर्ािों के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. अिोक न ेअपनी राजधानी र्ें पिु िध पर रोक िगा दी थी। 2. उसने अपनी प्रजा को बिपूिमक बौद् धर्म अपनाने के शिए बाध्य ककया। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 . 29 www.visionias.in ©Vision IAS 78. र्हायान बौद् धर्म के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. इसका अंशतर् िक्ष्य 'आध्याशत्र्क उत्थान' ह।ै 2. यह संप्रदाय अशधक उदार ह ै और बुद् की अिौकककता र्ें शिश्वास करता ह।ै 3. इसके शिद्वान र्खु्य रूप से पाशि र्ािा का प्रयोग करते थे। 4. सम्राट कशनष्क ने बौद् धर्म के र्हायान संप्रदाय को संरक्षण प्रदान ककया। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? (a) केिि 1, 2 और 3 (b) केिि 1, 3 और 4 (c) केिि 1 और 2 (d) केिि 1, 2 और 4 79. शनम्नशिशित उप-योजनाओं पर शिचार कीशजए: 1. उपर्ोक्ता जागरूकता, प्रचार और र्ूलय शनगरानी योजना (CAPPM) 2. औिध प्रौद्योशगकी उियन सहायता योजना 3. औिशध और शचककत्सा उपकरण संिधमन एिं शिकास योजना 4. प्रधानर्ंत्री र्ारतीय जनऔिशध पररयोजना (PMBJP) उपयुमक्त र्ें से कौन-सी उप-योजनाएं "औिध उद्योग को र्जबूत बनाने (SPI)" की अंब्रेिा योजना का एक शहस्सा हैं? (a) केिि 1, 2 और 4 (b) केिि 1, 3 और 4 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2, 3 और 4 80. र्ध्यकािीन र्ारत के संदर्म र्ें, युद् की तुिुगर्ा पद्शत का प्रयोग ककसके द्वारा ककया गया था? (a) हलदीघाटी के यदु् र्ें र्हाराणा प्रताप के शिरुद् अकबर की र्ुगि सेना द्वारा। (b) सार्ूगढ़ के यदु् र्ें दारा शिकोह के शिरुद् औरंगजेब द्वारा। (c) अहर्दनगर की चांद बीबी के शिरुद् युद् र्ें अकबर द्वारा। (d) पानीपत के प्रथर् युद् र्ें बाबर द्वारा। 81. गुप्त िासन के सदंर्म र्ें, शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजएः आशधकारी का नार् र्शूर्का या कायम 1. शिियपशत : शजिे का र्ुशिया 2. कुर्ारार्ात्य : गांि का र्ुशिया 3. उपररक : प्रांत/र्ंडि का प्रर्ुि उपयुमक्त युग्र्ों र्ें से कौन-से सही सुर्ेशित ह?ै (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 82. डोकरा धातु ढिाई के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. इसर्ें िुप्त र्ोर् प्रकक्रया के र्ाध्यर् से कांस े की ढिाई की जाती ह।ै 2. यह तकनीक छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र र्ें सबसे प्रर्ुि धातु शिलपों र्ें स ेएक ह।ै 3. बस्तर के धातु कारीगरों को गढ़िा कहा जाता ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 3 (d) 1, 2 और 3 83. र्ध्यकािीन र्ारत र्ेंशिज्ञान और प्रौद्योशगकी के शिकास के संदर्म र्ें, रसरत्नाकर पुस्तक के संबंध र्ें शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. यह पुस्तक नागाजुमन द्वारा रशचत ह।ै 2. इसर्ें रासायशनक प्रकक्रयाओं, जैसे जस्ता, पारा और तांबे के शनष्किमण का शििरण ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 . 31 www.visionias.in ©Vision IAS 84. शनम्नशिशित र्ें से ककस यात्री न ेशिजयनगर साम्राज्य का दौरा ककया था और उसके बारे र्ें शििा था? 1. डोसर्ंगो पेस 2. फरनाओ नूशनर् 3. शनकोिाओ र्नूची नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 85. शनम्नशिशित युग्र्ों पर शिचार कीशजए: पतुिी प्रकार 1.तोिु बोम् र्ािट्टा : छाया कठपुतिी 2.यर्पुरी : छड कठपुतिी 3.पािाकूथ ू : दस्ताना कठपुतिी उपयुमक्त र्ें से ककतने युग्र् सही सरु्ेशित हैं? (a) सर्ी तीन युग्र् (b) केिि एक युग्र् (c) केिि दो युग्र् (d) उपयुमक्त र्ें से कोई नहीं 86. कदलिी सलतनत के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. कदलिी कुतुबुद्दीन ऐबक के अधीन पहिी बार ककसी साम्राज्य की राजधानी बनी। 2. कुतुबुद्दीन ऐबक के िासनकाि के दौरान कदलिी सलतनत पर र्ंगोिों के आक्रर्ण बढ़ गए थे और इलतुतशर्ि के िासनकाि के दौरान हर्ेिा के शिए सर्ाप्त हो गए। 3. तुगिक िंि का प्रथर् िासक र्ोहम्र्द शबन तुगिक था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 3 (d) उपयुमक्त र्ें से कोई नहीं 87. कर्ी-कर्ी सुर्ख़मयों र्ें रही ‘गैया पररकलपना’ सबंंशधत ह:ै (a) र्ानि व्यिहार से। (b) हर्ारे सौर र्ंडि र्ें एक अज्ञात ग्रह के अशस्तत्ि से। (c) जीशित जीिों और अपने आसपास के अजैशिक िातािरण के साथ उनकी अंतःकक्रया से। (d) प्रकाि शिद्युत प्रर्ाि से। 88. र्ुगि काि के संदर्म र्ें, आइन-ए-अकबरी से संबंशधत शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. यह अबुि फजि द्वारा इंडो-फारसी िैिी र्ें शििी गई ककताब ह।ै 2. इस ककताब र्ें अकबर द्वारा उशचत प्रिासन के शिए बनाए गए और िाग ूककए गए शनयर्ों एिं कानूनों के साथ ही उसके िासनकाि के दौरान प्रचशित सार्ाशजक पररशस्थशतयों का र्ी उलििे ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 89. पुष्यशर्त्र िुंग के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. िह बौद् धर्म का प्रबि सर्थमक था। 2. र्हर्िम पतंजशि, पुष्यशर्त्र िुंग के सर्कािीन था। 3. धनदिे का अयोध्या अशर्िेि पािाण या धातु पर ऐसा पहिा अशर्िेि ह ैशजसर्ें पुष्यशर्त्र का नार् ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) 1, 2 और 3 (b) केिि 2 (c) केिि 1 और 3 (d) केिि 2 और 3 . 33 www.visionias.in ©Vision IAS 90. हाि ही र्ें प्रस्ताशित र्ारत न्यू कार असेसर्ेंट प्रोग्रार् (र्ारत-NCAP) संबंशधत ह:ै (a) िाहनों र्ें गैर-प्रदिूणकारी ईंधन के प्रयोग से (b) इिेशक्रक िाहनों की व्यिहायमता से (c) कारों की सुरक्षा के आकिन से (d) र्ौजूदा सडक नटेिकम पर िाहनों के यातायात के शनधामरण से 91. र्रतनाट्यर् नृत्य के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजएः 1. र्रतनाट्यर् की एक प्रर्ुि शिििेता एक अकेिी नतमकी द्वारा एकि प्रस्तुशत र्ें कई र्ूशर्काओं का शनिमहन ह।ै 2. र्रतनाट्यर् र्ें नृत्य के दौरान र्ाि-र्ंशगर्ाओं पर बहुत अशधक बि कदया जाता ह।ै 3. ‘िणमर््’ र्रतनाट्यर् का सबसे र्हत्िपूणम घटक है और इसके सार को प्रकट करता ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 1 और 2 (c) केिि 2 और 3 (d) 1, 2 और 3 92. र्ुगि शचत्रकिा के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? 1. अकबर के िासनकाि के दौरान शचत्रकारों ने र्हार्ारत के फारसी संस्करण से दशृ्यों को शचशत्रत करने के अिािा फारसी दतंकथाओं और पांडुशिशपयों को र्ी शचशत्रत ककया था। 2. र्ुगि शचत्रकिा पर र्ारतीय प्रर्ाि के कारण फारसी िैिी के सपाट शद्व-आयार्ी प्रर्ाि के स्थान पर एक शत्र-आयार्ी प्रर्ाि का प्रयोग हुआ ह।ै 3. पररप्रेक्ष्य शनर्ामण की अग्रसंक्षेपण तकनीक र्ुगि िैिी का एक दिेज निाचार था। 4. र्ुगि िैिी र्ें एक पूरा शचत्र बनाने का कायम एक ही किाकार को सौंपे जाने का प्रचिन था। नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 1, 2 और 3 (c) केिि 2, 3 और 4 (d) केिि 1, 3 और 4 93. हाि ही र्ें सुर्ख़मयों र्ें रही ‘शनम्न तापर्ान ऊष्र्ीय शिििणीकरण (LTTD) तकनीक’ के सदंर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. इसे राष्ट्रीय सर्दु्र प्रौद्योशगकी संस्थान (NIOT) द्वारा िक्षद्वीप द्वीप सर्हू र्ें सर्दु्र के जि को पीने योग्य जि र्ें पररिर्तमत करने हतेु स्थाशपत ककया गया ह।ै 2. यह तकनीक उन द्वीपों के शिए उपयुक्त पाई गई ह ैजहा ंसर्ुद्र की सतह के जि और गहरे सर्ुद्र के जि के बीच तापांतर अशधकतर् 2⁰C ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 94. कदलिी सलतनत के सुलतान गयासुद्दीन बिबन के िासनकाि के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. उसने तुकी के अर्ीरों और र्ारतीय र्ुसिर्ानों के बीच र्ेदर्ाि ककए शबना िोगों को योग्यता के आधार पर र्हत्िपूणम पदों पर पदोित ककया। 2. उसने स्ियं को पूणमतया सूशचत रिने के शिए जासूसों की शनयुशक्त की। 3. उसने दीिान-ए-अर्ीर-ए-कोही (कृशि शिर्ाग) की स्थापना की। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 1 और 3 (c) केिि 2 (d) 1, 2 और 3 . 35 www.visionias.in ©Vision IAS 95. िेंरटयन स्पेस स्टेिन र्ॉड्यूि के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. यह चीन के स्थायी अंतररक्ष स्टेिन शतयांगोंग के तीन र्ॉड्यूि र्ें से एक ह।ै 2. इसे अंतररक्ष याशत्रयों के दीघमकाशिक आिास के शिए शडर्ाइन ककया गया ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2 96. र्ंकदर स्थापत्य किा की नागर िैिी के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. र्ंकदर स्थापत्य किा की फर्साना िैिी की तुिना र्ें िैरटना िैिी र्ें र्िन छोटे और सार्ान्य ऊंचाई के होते हैं। 2. नागर िैिी के कई र्ंकदरों र्ें एक ही र्ंकदर के र्ंडप और गर्मगहृ के शिए क्रर्िः फर्साना और िैरटना दोनों िैशियों के शििर दिेे जा सकते हैं। 3. िलिर्ी िैिी की स्थापत्य किा र्ें र्िनों र्ें एक िगामकार छत होती ह ै शजसे िकटाकार छत के रूप र्ें र्ी जाना जाता ह।ै उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-से सही हैं? (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 97. इक्ता प्रणािी के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित कथनों पर शिचार कीशजए: 1. यद्यशप इक्ता प्रणािी का उद्भि इस्िाशर्क शिश्व र्ें हुआ, िेककन र्ारत र्ें इसे इलतुतशर्ि द्वारा संस्थागत ककया गया और िोकशप्रय बनाया गया। 2. कफरोज िाह तगुिक ने इक्ता को एक िंिानुगत प्रणािी बना कदया। 3. इक्ता-धारकों द्वारा राज्य को सैन्य सहायता प्रदान करना आिश्यक था। उपयुमक्त कथनों र्ें से कौन-सा/स ेसही ह/ैहैं? (a) केिि 1 (b) केिि 2 और 3 (c) केिि 2 (d) 1, 2 और 3 98. र्ारत की सांस्कृशतक शिरासत के संदर्म र्ें, शनम्नशिशित र्ें स े ककन िस्तुओं को र्ारत र्ें र्ौगोशिक संकेतक का दजाम प्राप्त ह?ै 1. अरनर्ुिा किडी 2. र्ैसूर अगरबत्ती 3. हर्र्म 4. सडंडीगुि तािे नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1, 2 और 3 (b) केिि 1, 3 और 4 (c) केिि 2 और 4 (d) 1, 2, 3 और 4 99. शनम्नशिशित र्हाजनपदों र्ें से कौन-से बुद् काि के दौरान गणतंत्रिादी कुिीन िगों द्वारा िाशसत थे? 1. र्लि 2. अिंशत 3. र्गध 4. िशज्ज नीचे कदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुशनए। (a) केिि 1 और 2 (b) केिि 1 और 4 (c) केिि 3 और 4 (d) केिि 1, 3 और 4 . 36 www.visionias.in ©Vision IAS 100 "शिस्ताररत शनशध सुशिधा" शनम्नशिशित र्ें स े ककसके द्वारा ऋण प्रदान करने के प्रािधानों से संबंशधत ह?ै (a) शिश्व बैंक (b) एशियाई अिसंरचना शनिेि बैंक (AIIB) (c) संयुक्त राष्ट्र पयामिरण कायमक्रर् शित्त पहि (d) अंतरामष्ट्रीय र्ुद्रा कोि Copyright © by Vision IAS All rights are reserved. No part of this document may be reproduced, stored in a retrieval system or transmitted in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without prior permission of Vision IAS. . 1 www.visionias.in ©Vision IAS VISIONIAS www.visionias.in ANSWERS & EXPLANATIONS GENERAL STUDIES (P) TEST –3796 (2023) Q 1.D • जैन धर्म र्ें सम्यक् दर्मन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चररत्र के रूप र्ें तीन रत्नों को स्वीकार ककया गया ह।ै इन्हें रत्नत्रय या त्रत्ररत्न कहा जाता ह।ै तीनों रत्नों र्ें स ेककसी का भी अत्रस्तत्व दसूरों से अलग नहीं हो सकता ह।ै साथ ही, य ेतीनों आध्यात्रत्र्क र्ुत्रि अथामत् साांसाररक बांधनों से र्ुत्रि की प्रात्रि हतेु अत्रनवायमहैं। • सम्यक् दर्मन का तात्पयम र्हावीर की त्रर्क्षाओं और ज्ञान र्ें त्रवश्वास करना ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • सम्यक् ज्ञान का तात्पयम त्रनम्नत्रलत्रित त्रसद्ाांतों को स्वीकार करना है o ईश्वर का अत्रस्तत्व नहीं ह,ै o सांसार का अत्रस्तत्व त्रबना ककसी सृजनकताम के र्ौजूद ह ैऔर o सभी वस्तओुं र्ें एक आत्र्ा होती ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • सम्यक् आचरण का तात्पयम पांच र्हाव्रतों के अनपुालन स ेह:ै - इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o अहहांसा अथामत् ककसी जीव को ककसी प्रकार की चोट न पहांचाना, o सत्य अथामत् झूठ नहीं बोलना, o अस्तेय अथामत् चोरी नहीं करना, o अपररग्रह अथामत ्धन - धान्य का सांग्रह नहीं करना, o ब्रह्मचयम अथामत् अनैत्रतक जीवन व्यतीत नहीं करना। Q 2.A • सांगर् काल के दौरान, सार्ांतों की आय का र्ुख्य स्रोत भू-राजस्व था। • तत्रर्ल सात्रहत्य र्ें सार्ांतों द्वारा प्राि अांर्दान का उल्लिे इरै (Irai) और त्रतरै (Tirai) दो रूपों र्ें ककया गया ह।ै जहाां इरै एक त्रनयत्रर्त अांर्दान था, वहीं त्रतरै एक प्रकार का उपहार था। इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै • राजस्व वसूली के त्रलए र्ासकों को प्रायः भद्र और नर्म व्यवहार करने की सलाह दी जाती थी। इससे यह प्रतीत होता ह ैकक ककसानों से अपना त्रहस्सा लेने र्ें अत्रधकाररयों द्वारा जोर-जबरदस्ती और ज्यादत्रतयाां की जाती थीं। • सांसाधनों को कई तरीकों स ेजनता के बीच पनुर्वमतररत ककया जाता था, त्रजसका सबस ेलोकत्रप्रय तरीका उपहार था। पुनर्वमतरण का सबसे आसान तरीका भोजन कराना और कपडे दनेा था। योद्ाओं को लूट-पाट और आक्रर्णों से पहले और बाद र्ें दावतें दी जाती थीं। कभी-कभी दावत के अलावा उपहार की वस्तुओं र्ें आयात्रतत उत्कृष्ट र्राब, रेर्र्ी वस्त्र और यहाां तक कक स्वणम आभूषण भी कदए जाते थ।े • ब्राह्मण पुजाररयों और योद्ाओं को अपनी सेवाओं के पाररश्रत्रर्क के रूप से भूत्रर् दान और पर्ु उपहार र्ें त्रर्लते थे। भूत्रर् अनुदान एवां उपहार र्ुख्यतः तीन सर्ृद् और र्त्रिर्ाली वगों द्वारा कदए जाते थे।इन तीन वगों र्ें कृषक बत्रस्तयों के राजा (वेंतर), छोटे सार्ांत (वेलीर) और सर्ृद्र्ाली कृषक पररवार (वेल्लालर) र्ात्रर्ल थे। भूत्रर् के प्रािकतामओं को भूत्रर् से आय अर्जमत करने के अत्रधकार भी कदए जाते थे। . 2 www.visionias.in ©Vision IAS Q 3.D • र्हाराजा सवाई जयहसांह त्रद्वतीय (1686-1743) भारत र्ें राजपूत राज्य आर्रे के र्ासक थे। वह र्ुगलों के सार्ांत थे। उन्हें बादर्ाह औरांगजेब से 'सवाई' (सवा) की उपात्रध प्राि हई। वषम 1701 र्ें र्राठों से त्रवर्ालगढ़ के ककल ेपर कब्जा करने के उपराांत बादर्ाह ने उन्हें उनके प्रत्रसद् पूवमज त्रर्जाम राजा जयहसांह (1611-1667) से सवा गुना श्रेष्ठ घोत्रषत करते हए यह उपात्रध प्रदान की थी। • जयहसांह त्रद्वतीय के द्वारा कुछ ऐसी िगोलीय त्रवसांगत्रतयाां बादर्ाह के सांज्ञान र्ें लायी गयी जो सांभवतः हहांद ूऔर र्तु्रस्लर् पत्रवत्र घटनाओं के सर्य को प्रभात्रवत करती थीं। उन्होंन े इनर्ें सधुार करन ेकी इच्छा व्यि की। इसके बाद उन्हें कदल्ली, जयपरु, वाराणसी, उज्जनै और र्थरुा र्ें अपनी िगोल त्रवज्ञान की वधेर्ालाओं के त्रनर्ामण हते ुर्ाही सर्थमन भी प्राि हआ। o र्थुरा त्रस्थत वेधर्ाला को छोडकर वतमर्ान र्ें सभी वेधर्ालाएां अत्रस्तत्व र्ें हैं। • सवाई जयहसांह त्रद्वतीय के प्रयोगों के कारण कई बडे पत्थरों स ेत्रनर्र्मत उपकरणों का आत्रवष्कार हआ। इनर्ें से अत्रधकाांर् उपकरणों का उपयोग स्थानीय त्रक्षत्रतज के सांदभम र्ें िगोलीय हपांडों के त्रनदरे्ाांक त्रनधामररत करने हतेु ककया जाता था। o जयहसांह त्रद्वतीय के जीवनकाल के दौरान, वेधर्ालाओं का उपयोग त्रजज-ए उलुग बेग जैसे र्ौजदूा पांचाांगों के अद्यतन हतेु पयमवेक्षण करने के त्रलए ककया जाता था। o जयहसांह त्रद्वतीय ने भारत र्ें रहन ेऔर कायम करन ेवाल ेकई ईसा र्सीह के रॉयल केथोत्रलक सर्ाज के सदस्यों (Jesuits) के र्ाध्यर् से यूरोपीय िगोलत्रवदों के साथ सांचार स्थात्रपत ककया। पतुमगाल र्ें राजदतू दलों को भेजने के अलावा, उन्होंने फ्ाांसीसी और बवेररयन जसेुइट्स को वेधर्ालाओं का दौरा करने तथा उनका उपयोग करने हतेु आर्ांत्रत्रत ककया था। • जयहसांह त्रद्वतीय ने 1728 र्ें एक िगोलीय कृत्रत 'त्रजज-ए-र्ुहम्र्द-र्ाही' (र्ुहम्र्द र्ाह की िगोलीय सारणी) की रचना की। उसी वषम उन्होंन ेकदल्ली से लगभग 200 कक.र्ी. दत्रक्षण-पत्रिर् र्ें अपनी नई, भव्य रूप स ेत्रडजाइन की गई राजधानी जयपुर का त्रनर्ामण कराया था। उन्होंने स्थापत्य कला पर प्राचीन हहांद ूग्रांथ ‘त्रर्ल्प र्ास्त्र’ तथा उस सर्य के कई यूरोपीय र्हरों की योजनाओं के त्रवत्रभन्न पहलओुं को अपने त्रवचारों के साथ सांयोत्रजत करके इसका त्रनर्ामण कराया था। • तत्कालीन यूरोपीय यात्री जैसे फ्ाांसीसी लुई रूसलेट और अांग्रेजी त्रबर्प, हबेर नगर त्रनयोजन र्ें जयहसांह त्रद्वतीय की अत्रद्वतीय उत्कृष्टता से बहत प्रभात्रवत हए थे। • इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै Q 4.C • जनपद वैकदक भारत के प्रर्ुि राज्य थे। इस काल के दौरान आयम सबसे र्त्रिर्ाली जनजातीय सर्ूह थे और उन्हें 'जन' कहा जाता था। इससे जनपद र्ब्द की उत्पत्रत्त हई त्रजसर्ें जन का अथम ह ै'लोग' और पद का अथम ह ै'पैर'। • र्ुख्य रूप से कृत्रष और सेना र्ें लोह ेके औजारों के उपयोग के कारण हए सार्ात्रजक-आर्थमक त्रवकास के साथ-साथ धार्र्मक और राजनीत्रतक त्रवकास के कारण छोटे राज्यों या जनपदों से र्हाजनपदों का उदय हआ। इस काल को त्रद्वतीय नगरीकरण के यगु के रूप र्ें भी जाना जाता ह।ै ध्यातव्य ह ैकक प्रथर् नगरीकरण का युग हडप्पा सभ्यता के दौरान था। • बौद् ग्रांथ अांगुत्तर त्रनकाय र्ें सोलह र्हाजनपदों की एक सूची प्राि होती ह।ै ये सोलह र्हाजनपद हैं: अांग, अस्सक (या अश्र्क), अवांत्रत, चेकद, गाांधार, कार्ी, कम्बोज, कोसल, कुरु, र्गध, र्ल्ल, र्त्स्य (या र्च्छ), पाांचाल, र्ूरसने, वत्रज्ज और वत्स (या वर्सा)। • वत्स की राजधानी कौर्ाांबी थी जो गांगा और यर्नुा के सांगर् के तट पर त्रस्थत थी। इस र्हाजनपद र्ें र्ासन के राजतांत्रीय स्वरूप का अनुसरण ककया जाता था। इस र्हाजनपद के र्ासक उदयन ने बौद् धर्म को राजकीय धर्म बनाया था। इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै • र्रूसेन की राजधानी र्थरुा थी। इस र्हाजनपद का एक प्रत्रसद् र्ासक अवांत्रतपुत्त बुद् का त्रर्ष्य था। इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह।ै • अश्र्क की राजधानी को त्रवत्रभन्न नार्ों अथामत ्पोदाना, पोटाली और पोटाना नगर नार् स ेजाना जाता था। यह हवांध्य पवमत श्रेणी के दत्रक्षण र्ें त्रस्थत एकर्ात्र र्हाजनपद था तथा यह दत्रक्षणापथ र्ें त्रस्थत था। इसत्रलए यगु्र् 3 सरु्ते्रलत नहीं ह।ै • र्ल्ल की राजधात्रनयाां कुर्ीनारा और पावा थीं। र्ल्ल एक गणतांत्र र्हाजनपद था। बदु् न ेअपना अांत्रतर् भोजन पावा र्ें ग्रहण ककया था तथा कुर्ीनारा र्ें उनका र्हापररत्रनवामण हआ था। इसत्रलए यगु्र् 4 सही सरु्ते्रलत ह।ै . 3 www.visionias.in ©Vision IAS Q 5.D • र्ौयम साम्राज्य की प्रर्ासत्रनक सांरचना को कई अांगों/प्राांतों र्ें त्रवभात्रजत ककया गया था। प्रत्यके प्राांत का प्रत्यक्ष र्ासन राजकुर्ार (कुर्ार) या र्ाही पररवार के ककसी सदस्य के अधीन था। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • त्रर्लालेिों र्ें उल्लेत्रित चार प्राांत हैं - o दत्रक्षणी प्राांत त्रजसकी राजधानी सुवणमत्रगरर थी, o उत्तरी प्राांत त्रजसकी राजधानी तक्षत्रर्ला थी, o पत्रिर्ी प्राांत त्रजसकी राजधानी उज्जत्रयनी थी तथा o पूवी प्राांत त्रजसकी राजधानी तोसाली थी। • अर्ोक के त्रर्लालेिों र्ें भी इन प्राांतों के राज्यपालों को कुर्ार के रूप र्ें उद्धृत ककया गया ह।ै साथ ही, त्रर्लालेिों र्ें र्हत्वपूणम पदों पर र्ाही राजकुर्ारों को त्रनयुि करने की परांपरा को जारी रिने का सुझाव कदया गया ह।ै o साम्राज्य के वररष्ठ अत्रधकाररयों को प्रादते्रर्क कहा जाता था। इन्हें प्रत्यके पाांच वषम र्ें साम्राज्य का दौरा करन ेऔर ऑत्रडट करने के साथ-साथ प्राांतीय प्रर्ासन पर नजर रिन ेका कायम सौंपा गया था। इसके अलावा, र्हरी और ग्रार्ीण दोनों क्षते्रों र्ें न्यात्रयक अत्रधकारी भी त्रनयुि ककए गए थे त्रजन्हें राजुक कहा जाता था। उन्हें न्यात्रयक कायों के साथ-साथ प्रायः राजस्व के र्ूल्याांकन का कायम भी करना पडता था। त्रवत्रभन्न प्रकार के कायों जैसे अत्रधर्षे उत्पादन, अत्रधर्ेष की त्रनकासी, इसका त्रवतरण या पररव्यय, अन्य क्षेत्रों को जीतने के त्रलए र्जबूत सेना का त्रनर्ामण, व्यापाररयों और कृषकों से कर सांग्रह, आकद के त्रलए एक सुव्यवत्रस्थत प्रर्ासन की आवश्यकता थी। o अथमर्ास्त्र और अर्ोक के अत्रभलेिों र्ें भी र्ांत्रत्रपररषद का उल्लिे ह।ै अथमर्ास्त्र र्ें उल्लेि ककया गया ह ैकक राज्य र्ांत्रत्रयों की सहायता के त्रबना कायम नहीं कर सकता था। किर भी पररषद को तुरांत अपनी राय राजा तक पहांचानी पडती थी। पररषद की प्राथत्रर्क भतू्रर्का सलाहकारी प्रकृत्रत की होती थी। राजा का त्रनणमय ही अांत्रतर् होता था। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै o र्ेगस्थनीज द्वारा रत्रचत पुस्तक इांत्रडका के अनुसार, त्रजला पररषदों र्ें त्रवत्रभन्न सत्रर्त्रतयों के बारे र्ें उल्लेि ह।ै पण्याध्यक्ष व्यापार और वात्रणज्य की दिेरेि करन ेतथा बाट और र्ाप का त्रनरीक्षण करने हतेु उत्तरदायी था। करों का सांग्रह र्लु्काध्यक्ष की त्रजम्र्देारी थी तथा जन्र् और र्तृ्य ुका पांजीकरण करना गोपका कायम था। नगरीय प्रर्ासन के प्रर्ुि को नागररक कहा जाता था। उन्हें दो अधीनस्थ अत्रधकाररयों- गोप और स्थात्रनक द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी। इसर्ें अन्य अत्रधकाररयों का भी उल्लेि ककया गया ह ैजैसे बांधनगरध्यक्ष (जेल की दिेभाल); रक्षी (अथामत् पुत्रलस; लोगों की सुरक्षा का ध्यान रिने वाला); लोहध्यक्ष, सौवर्णमका (व ेअत्रधकारी जो कें द्रों र्ें त्रनर्र्मत वस्तओुं की दिेभाल करत ेथ)े। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै Q 6.D • वतमर्ान र्ें कथकली एक प्रचत्रलत नृत् य रूप ह।ै इसका तुलनात्र्क रूप से हाल ही के सर्य र्ें उद्भव हआ र्ाना जाता ह।ै हालाांकक, यह एक ऐसी कला ह,ै जो प्राचीन काल र्ें दत्रक्षणी प्रदरे्ों र्ें प्रचत्रलत बहत स ेसार्ात्रजक और धार्र्मक रांगर्ांचीय कला रूपों से उत् पन् न हई ह।ै चककयार कुथ,ू कूत्रडयाट्टर्, कृष् णानाट्टर् और रार्ानाट्टर्- केरल की कुछ अनषु् ठात्रनक प्रदर्मन कलाएां हैं, त्रजनका कथकली के प्रारूप और तकनीक पर सीधा प्रभाव ह।ै • केरल के र्ांकदरों की प्रत्रतर्ाओं और लगभग 16वीं र्ताब् दी के र्ट्टानचेरी र्ांकदर के त्रभत्रत्तत्रचत्रों र्ें वगामकार तथा आयताकार र्ौत्रलक र्ुद्राओं को प्रदर्र्मत करने वाले नृत् य के दशृ् य दिे ेजा सकते हैं। ये कथकली की त्रवर्ेषताओं को प्रदर्र्मत करते हैं। o कथकली र्ें र्ारीररक र्दु्राएां और नृत्यकला प्रत्रतरूप, केरल की प्रारांत्रभक र्ार्मल आटम स ेप्रभात्रवत हैं। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • कथकली नतृ् य, सांगीत और अत्रभनय का त्रर्श्रण है। इसर्ें अत्रधकतर भारतीय र्हाकाव् यों से ली गई कथाओं का नाटकीकरण ककया जाता ह।ै यह र्लैीबद् कला रूप ह।ै इसर्ें अत्रभनय के चार पहलू- अांत्रगका, अहायम, वात्रचका, सात्रत्वका तथा नृत् त, नृत् य और नाट्य पहलुओं का उत् कृष् ट सत्रम्र्श्रण ह।ै • नतमक अपने भावों को त्रवत्रधबद् हस् तर्ुद्राओं और चेहरे के भावों स ेअत्रभव् यक् त करता ह।ै इसके पश् चात् (पद्म) पद्यात् र्क भाग होता ह,ै त्रजन् हें गाया जाता ह।ै कथकली नृत् य र्ैली अपनी र्ूलपाठ-त्रवषयक स् वीकृत्रत बलरार् भरतर्् और हस् तलक्षणा दीत्रपका से प्राप् त करती ह।ै . 4 www.visionias.in ©Vision IAS • कथकली एक दशृ् यात् र्क कला ह,ै जहाां पात्र के अहायम, वरे्भषूा और श्रृांगार नाट्य र्ास् त्र के त्रसद्ाांतों पर आधाररत होत ेहैं। पात्रों को कुछ स् पष् ट रूप से पररभात्रषत प्रकारों र्ें वगीकृत ककया जाता ह,ै जैसे - पच् चा, कुत् ती, ताढ़ी, करर या त्रर्नुक् क्। • कलाकार (नतमक) के चहेरे को कुछ इस प्रकार रांग कदया जाता ह ैकक वह एक र्िुौटे का आभास दतेा ह।ै होठों, भौहों और पलकों को उभार कर कदिाया जाता ह।ै चहेरे पर चट्टी बनान ेके त्रलए त्रपस ेहए चावल का लपे और चनूे का त्रर्श्रण लगाया जाता है, त्रजसस ेचहेरे का श्रृांगार उभर कर आता ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • कथकली नृत् य र्खु् यत: व् याख् यात् र्क होता ह।ै कथकली प्रस् ततुीकरण र्ें पात्रों को सार्ान्यतः सात्रत्वक, राजत्रसक और तार्त्रसक वगों र्ें त्रवभक् त ककया जाता ह।ै सात्रत्वक चररत्र कुलीन, वीरोत्रचत, दानर्ील और पररष् कृत होते हैं। पच् चा र्ें हरा रांग प्रर्ुि होता ह ैऔर सभी पात्र ककरीट (र्ुकुट) धारण करत ेहैं। कृष् ण और रार् र्ोर पांिों स ेअलांकृत त्रवर्ेष र्ुकुट पहनते हैं। इांद्र, अजुमन ओर दवेताओं जैसे कुछ कुलीन (राजसी) पात्र पच् चा होते हैं। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै • कथकली के अत्रतररक् त अन् य ककसी नृत् य र्ैली र्ें पूरी तरह से र्रीर के सभी अांगों का उपयोग नहीं होता ह।ै इस नृत् य र्ैली के तकनीकी त्रववरण र्ें चहेरे की र्ाांसपेत्रर्यों स ेलकेर अांगुत्रलयाां, आांिें, हाथ और कलाई सभी कुछ र्ात्रर्ल होता ह।ै इसर्ें चहेरे की र्ाांसपेत्रर्यों की र्हत् वपूणम भतू्रर्का होती ह।ै नाट्य र्ास् त्र के वणमन के अनुसार अन् य ककसी भी नृत् य र्ैली र्ें भौहों, आांि की पुतत्रलयों और त्रनचली पलकों की गत्रत का इतना प्रयोग नहीं ककया जाता, त्रजतना कथकली र्ें ककया जाता ह।ै र्रीर का सारा भार पैरों के बाहरी ककनारों पर होता ह,ै जो थोडे झकेु हए और र्ुडे हए होते हैं। • कलार्र् ्त्रवर्दु् नतृ् य के क्रर् होत ेहैं, त्रजनर्ें कलाकार को स् वयां को अत्रभव् यक् त करन ेऔर अपनी कुर्लताओं का प्रदर्मन करन ेकी परूी छूट होती ह।ै उछालें (कूद), जल् दी से त्रलय ेजाने वाल ेचक् कर (घुर्ाव), छलाांगें और लयात् र्क सांयोजन सब त्रर्लकर कलार्र्् बनाते हैं। यह अत्यत्रधक आकषमक होता ह।ै • कथकली नतृ् य का प्रदर्मन केत्रलकोटट् स ेआरम् भ होता ह,ै त्रजसके द्वारा दर्मकों को आकर्षमत ककया जाता ह।ै इसके बाद तोडयर्् होता ह।ै यह धार्र्मक नतृ् य होता ह,ै त्रजसर्ें एक या दो कलाकार भगवान ्के आर्ीवाद को ग्रहण करन ेके त्रलए प्राथमना करत ेहैं। • केत्रलकोटट् र्ार् को होने वाले कायमक्रर् की औपचाररक घोषणा होती ह।ै इस सर्य िुले स् थान पर ढोल और र्ांजीरे बजाए जाते हैं। इसके परवती भाग के रूप र्ें पुराप् पाड् नार्क एक त्रवर्ुद् नृत् त िण् ड प्रदर्र्मत ककया जाता ह।ै • इसके बाद र्ेलाप् पदर्् र्ें सांगीतकार तथा ढोलवादक र्ांच पर अपनी कुर्लता का प्रदर्मन करके दर्मकों का र्नोरांजन करते हैं। पच् चा या त्रर्नुक् क् के अलावा त्रतरानोक् क् र्ें सभी कलाकारों का र्ांच पर प्रवेर् होता ह।ै इसके पश् चात ्नाटक या चुने हए नाटक का एक त्रनत्रित दशृ् य आरांभ होता ह।ै Q 7.B • हात्रलया सांदभम: SWIFT स ेबाहर होने के बाद रूस के अत्रधकाांर् बैंक वैकत्रल्पक उपायों की तलार् कर रह ेहैं। SWIFT सीर्ा पारीय भुगतान की सुत्रवधा प्रदान करने और इसकी पुत्रष्ट करने से सांबांत्रधत सांदरे् सेवा ह।ै भारत और कई अन्य दरे् भी वकैत्रल्पक उपाय प्राि करना चाहते हैं ताकक व्यापार को जारी रिा जा सके। भारत और रूस अब प्रत्यक्ष रूप से रुपया-रूबल र्ें ही व्यापार की सांभावनाओं की तलार् कर रह ेहैं। इसके त्रलए नोस्रो (Nostro) और वोस्रो (Vostro) िातों का प्रयोग ककया जा सकता ह।ै • नोस्रो और वोस्रो एक बैंक िात ेका वणमन करन ेके त्रलए प्रयोग ककए जान ेवाल ेर्ब्द हैं। वास्तव र्ें, इन दोनों र्ब्दों का प्रयोग एक ही बैंक िात ेका वणमन करन ेके त्रलए ककया जाता ह।ै • इन र्ब्दों का प्रयोग तब ककया जाता ह ैजब एक बैंक के पास दसूरे बैंक का धन जर्ा होता ह।ै आर्तौर पर, यह अांतरामष्ट्रीय व्यापार और त्रवत्तीय लेन-दने से सांबांत्रधत ह।ै नोस्रो और वोस्रो लैरटन र्ब्दों स ेबने हैं त्रजनका अथम क्रर्र्ः "हर्ारा" और "आपका" होता ह।ै • उदाहरण: o बैंक A, बैंक B द्वारा धाररत "हर्ारे (our)" अथामत बैंक A के अपन ेिात ेको सांदर्भमत करन ेके त्रलए नोस्रो र्ब्द का उपयोग करेगा। र्लू रूप स,े नोस्रो र्ब्द "हर्ारा धन जो आपके बैंक र्ें जर्ा है" के त्रलए सांत्रक्षि रूप ह।ै नोस्रो िाता उस बैंक द्वारा प्रबांत्रधत ररकॉडम होता ह ैजो ककसी अन्य बैंक र्ें पसैा जर्ा करता ह।ै ये सरलीकृत व्यापार त्रनपटान और त्रवदरे्ी र्ुद्रा लेन-देन को सक्षर् बनाते हैं। नोस्रो िाते त्रवदरे्ी र्ुद्राओं र्ें र्ूल्यवर्गमत (Denominated) ककए जाते हैं। . 5 www.visionias.in ©Vision IAS o बैंक B, त्रजसर्ें बैंक A का पसैा जर्ा ककया जाता ह,ै वह वोस्रो र्ब्द का प्रयोग "आपका पसैा, जो हर्ारे बैंक र्ें जर्ा ह"ै के सांदभम र्ें करेगा। ▪ उदाहरण के त्रलए, र्ान लीत्रजए कक एक भारतीय बैंक का सांयिु राज्य अर्ेररका र्ें त्रस्थत ककसी त्रवदरे्ी बैंक र्ें एक िाता ह ैऔर यह िाता डॉलर र्ें सांचात्रलत होता ह।ै त्रवदरे् र्ें, तथा त्रवदरे्ी र्दु्रा र्ें सांचात्रलत ऐसे िाते को, सांबांत्रधत भारतीय बैंक द्वारा नोस्रो िाता कहा जाएगा। साथ ही, सांबांत्रधत अर्ेररकी बैंक उसी िाते को वोस्रो िाते के रूप र्ें सांदर्भमत करेगा। ▪ र्ान लीत्रजए कक रूस का एक बैंक भारत र्ें त्रस्थत ककसी बैंक र्ें रुपये र्ें सांचात्रलत एक िाता िोलता ह ैऔर उसर्ें 10 लाि रुपये जर्ा करता ह।ै तब भारत की दनेदारी 10.1 लाि रूबल (रूस की र्ुद्रा) होगी। ऐसा इसत्रलए क्योंकक रुपये की रूबल के साथ वतमर्ान त्रवत्रनर्य दर 1.1 ह।ै यह एक वोस्रो िाता होगा। अब, यकद कोई भारतीय व्यवसायी ककसी रूसी िरीदार को 10 लाि रुपये का सार्ान त्रनयामत करता ह,ै तो भारतीय बैंक रूसी बैंक के वोस्रो िाते स ेरुपए डते्रबट कर लेगा और लने-दने का त्रहसाब चुकता हो जाएगा। o इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 8.B • उत्तर वकैदक काल के दौरान धर्म: o पूवम वैकदक काल के दवेताओं जसैे कक इांद्र और अत्रि का र्हत्व कर् हो गया था। प्रजापत्रत (सृजक), त्रवष्ण ु(रक्षक) और रुद्र (त्रवनार्क) उत्तर वैकदक काल के दौरान प्रर्ुि दवेता थे। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै o बत्रल (Sacrifices) का र्हत्व अभी भी बना हआ था और इससे जुडे अनुष्ठानों का अत्यत्रधक त्रवस्तार हो गया था। o प्राथमना का र्हत्व कर् हो गया था जबकक बत्रल का र्हत्व बढ़ गया था। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o पुरोत्रहताई (Priesthood) एक पेर्ा एवां एक वांर्ानुगत व्यवसाय बन गया था। पुरोत्रहत वगम द्वारा बत्रल के र्ांत्रों/त्रनयर्ों रचना और त्रवस्तार ककया गया था। इसत्रलए इस काल के अांत र्ें, पुरोत्रहतों के वचमस्व तथा बत्रल और अनुष्ठानों के त्रवरुद् एक र्जबूत प्रत्रतकक्रया दिेी गई थी। o बौद् धर्म और जनै धर्म का उदय इस प्रचत्रलत बत्रल प्रथा के त्रवरोध का प्रत्यक्ष पररणार् था। उपत्रनषदों (जो हहांद ूदर्मन के सार हैं) के रचत्रयताओं, ने व्यथम कर्मकाांडों से स्वयां को अलग रिा तथा र्ाांत्रत एवां र्ोक्ष के त्रलए वास्तत्रवकज्ञान पर बल कदया। Q 9.B • जूनागढ़ ररयासत की प्रर्त्रस्त स ेराज्य द्वारा लगाए गए त्रवत्रवध करों स ेराजस्व जरूरतों के बारे र्ें पता चलता ह।ै इस अत्रभलेि र्ें वर्णमत ह ैकक रुद्रदार्न प्रथर् का िजाना (कोष) स्वणम (कनक), चाांदी (रजत) जैसी अन्य कीर्ती धातुओं और रत्नों से भरा हआ था, जो कक त्रवत्रभन्न प्रकार के करों (यथवप्राि) के रूप र्ें सांग्रत्रहत ककए गए थ।े इन करों र्ें भूत्रर् का ककराया (बत्रल), कृत्रष उपज का एक अांर् (भाग) तथा टोल (पथकर) और सीर्ा र्ुल्क (र्ुल्क) र्ात्रर्ल थे। इसर्ें यह भी उल्लिे ह ैकक चांद्रगुि र्ौयम के प्राांतपत्रतयों (Governors) र्ें से एक, पुष्यगिु ने कारठयावाड र्ें त्रगरनार के पास सुदर्मन झील पर एक बाांध का त्रनर्ामण करवाया था। इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै • रबातक अत्रभलिे चट्टान पर उत्कीणम ककया गया एक अत्रभलिे ह।ै इसकी भाषा बतै्रक्रयन और त्रलत्रप ग्रीक ह।ै यह अत्रभलिे वषम 1993 र्ें अिगात्रनस्तान र्ें सरु्खम कोतल के त्रनकट रबातक नार्क स्थल पर प्राि हआ था। यह अत्रभलिे कुषाण सम्राट कत्रनष्क के र्ासन स ेसांबांत्रधत ह।ै साथ ही, यह कुषाण वांर् की वांर्ावली स ेसांबांत्रधत उल्लिेनीय जानकारी प्रदान करता ह।ै यह अत्रभलेि त्रद्वतीय र्ताब्दी ईस्वी सन् का ह।ै इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह।ै’ • र्हान र्ौयम र्ासक अर्ोक ने बौद् धर्म (श्रर्ण परांपरा के एक भाग के रूप र्ें) को अपनाया और अपने र्ासन के दौरान वृहद बौद् धर्म -प्रचारक गत्रतत्रवत्रधयाां आयोत्रजत की। इन गत्रतत्रवत्रधयों से र्ौयम र्ूर्तमकला और स्थापत्य र्ैली के त्रवकास का र्ागम प्रर्स्त हआ। श्रर्ण परांपरा ऐत्रतहात्रसक वैकदक धर्म के सर्ानाांतर ककन्तु इससे अलग कई भारतीय धार्र्मक आांदोलनों को सांदर्भमत करती ह।ै अर्ोक ने बुद् के उपदरे्ों के प्रसार के त्रलए सांपूणम भारतीय उपर्हाद्वीप और यहाां तक कक आधुत्रनक अिगात्रनस्तान, नेपाल, बाांग्लादरे् और पाककस्तान र्ें भी स्तांभ और अत्रभलेिों का त्रनर्ामण करवाया था। इनर्ें से एक रुत्रम्र्नदईे अत्रभलिे र्ें उल्लेि ह ैकक लुांत्रबनी (बदु् का जन्र् स्थल) गाांव को बत्रल कर स ेछूट दी गई थी और उस ेभाग का केवल आठवाां त्रहस्सा ही दनेा होता था। इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत ह।ै . 6 www.visionias.in ©Vision IAS Q 10.B • आधतु्रनक र्राठा राष्ट्र के त्रनर्ामता त्रर्वाजी भोसल ेथ।े इनका जीवन (वषम 1627-1680) अहर्दनगर सल्तनत के त्रवलुि होने और औरांगजेब के आत्रिरी बार दक्कन र्ें आने की दो घटनाओं के बीच दक्कन के इत्रतहास की िाई को पाटता ह।ै औरांगजेब के आत्रिरी दक्कन अत्रभयान र्ें उसके जीवन और साम्राज्य के सांसाधन की व्यापक क्षत्रत हई। • त्रर्वाजी का जन्र् वतमर्ान र्हाराष्ट्र राज्य र्ें पणुे त्रजले के त्रर्वनेरी ककले र्ें हआ था। उन्हें औपचाररक रूप स े6 जनू, 1674 को रायगढ़ के छत्रपत्रत के रूप र्ें ताज पहनाया गया था। त्रर्वाजी र्ाहजी भोसल ेके पतु्र थ।े इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • प्रतापगढ़ का यदु् 10 नवांबर 1659 को हआ था। यह युद् र्हाराष्ट्र राज्य के सतारा र्हर के पास प्रतापगढ़ के ककले र्ें लडा गया था। यह युद् त्रर्वाजी के अधीन र्राठों की सेना और आकदलर्ाही जनरल अिजल िान के अधीन आकदलर्ाही सैत्रनकों के बीच लडा गया था। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै • औरांगजेब र्ुगल साम्राज्य के छठे र्ासक थे। औरांगजेब ने जुलाई 1658 से 1707 र्ें अपनी र्ृत्यु होने तक र्ासन ककया। त्रर्वाजी और औरांगजबे सर्कालीन थ।े इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै Q 11.C • त्रवजयनगर साम्राज्य का एक त्रवत्रर्ष्ट लक्षण यह था कक इसर्ें ब्राह्मणों का र्हत्व धार्र्मक र्ुत्रियाओं के बजाय राजनीत्रतक और धर्मत्रनरपेक्ष कायमकतामओं के रूप र्ें था। अत्रधकतर दगुम-दाननायक (दगुम-प्रभारी) ब्राह्मण होते थे। सात्रहत्रत्यक स्रोत इस बात की पुत्रष्ट करते हैं कक इस युग र्ें दगुों का त्रवर्ेष र्हत्व था। साथ ही, इसकी भी पुत्रष्ट की गई ह ैकक इन दगुों पर ब्राह्मणों का त्रनयांत्रण होता था जोकक त्रवर्ेष रूप से तेलुगु र्लू के ब्राह्मण थे। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • सांगर् वांर् के प्रारांत्रभक र्ासक र्वै थ,े त्रजन्होंने त्रवजयनगर के श्री त्रवरुपाक्ष र्ांकदर का पुनः त्रनर्ामण और पररवधमन का कायम करवाया। सालवु वांर् के लोग र्लू रूप स ेवषै्णव थे त्रजन्होंने त्रर्व और त्रवष्णु दोनों र्ांकदरों को सांरक्षण कदया था। कृष्णदवे राय ने कृष्णस्वार्ी र्ांकदर (वषै्णव र्ांकदर) का त्रनर्ामण करवाया और त्रर्व र्ांकदरों को अनुदान भी कदया। अरात्रवडु राजाओं न ेभी वषै्णव र्ांकदरों को उपहार कदए। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • राजाओं, सांप्रदायों और र्ांकदरों के र्ध्य सांबांधों की त्रनम्नत्रलत्रित चार हबांदओुं के आधार पर व्याख्या की जा सकती ह;ै o राजत्व को बनाए रिने के त्रलए र्ांकदर आधारभतू थे। o सांप्रदाय के र्ुत्रिया, राजाओं और र्ांकदरों के र्ध्य एक कडी का कायम करते थे। o यद्यत्रप स्थानीय सांप्रदाय के लोगों द्वारा र्ांकदरों की त्रनयत्रर्त त्रनगरानी की जाती थी, लेककन र्ांकदरों स ेसांबांत्रधत त्रववादों को सलुझान ेका कायम राजा के त्रनयांत्रण र्ें था। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o ऐसे र्ार्लों र्ें राजा का हस्तक्षेप वैधात्रनक न होकर प्रर्ासत्रनक होता था। Q 12.A • त्यागराज (1767-1847) को कनामटक का सबस ेप्रत्रसद् सांगीतकार र्ाना जाता ह।ै इन्होंने इस सांगीत र्ैली के त्रवकास र्ें अत्यत्रधक र्हत्वपूणम भूत्रर्का त्रनभाई थी। उन्होंन ेसांगीत को भगवान के प्ररे् का अनभुव करन ेके साधन के रूप र्ें दिेा। इस प्रकार गात ेसर्य व ेत्रवर्दु् रूप स ेकेवल भगवान की भत्रि करत ेथ।े o त्यागराज ने कई भत्रि गीत त्रलिे। इनर्ें से अत्रधकाांर् हहांद ूभगवान रार् को सर्र्पमत हैं और आज भी लोकत्रप्रय हैं। जब त्यागराज केवल 8 वषम के थे, तब उन्होंने दसेी तोडी (Desikathodi) राग र्ें “नर्ो नर्ो राघवाय अत्रनर्ां” की रचना की थी। • र्थुसु्वार्ी दीत्रक्षत/दीत्रक्षतार (1775 - 1835) दत्रक्षण भारतीय कनामटक सांगीत र्लैी के प्रत्रतपादक थ।े उन्होंन ेलगभग 500 गीतों की रचना की। इनर्ें स ेअत्रधकाांर् आज भी कनामटक सांगीत प्रदर्मनों र्ें प्रत्रसद् सांगीतकारों द्वारा व्यापक रूप स ेगाए जात ेहैं। o र्ुथुस्वार्ी दीत्रक्षतार द्वारा रत्रचत कई गीत सांस्कृत भाषा र्ें हैं। ये गीत कृत्रत र्लैी (Krithi style) र्ें त्रलिे गए हैं। यह एक ऐसा प्रारूप ह ैत्रजसर्ें कत्रवता सांगीत के अनुसार त्रलिी जाती ह।ै अपने पूरे जीवनकाल र्ें, र्ुथुस्वार्ी दीत्रक्षतार ने दरे् र्ें कई पत्रवत्र स्थानों का दौरा ककया। उनके बारे र्ें कहा जाता ह ैकक उन्होंने त्रवत्रभन्न दवेी-दवेताओं और र्ांकदरों र्ें कृत्रतयों की रचना की। . 7 www.visionias.in ©Vision IAS o उनके द्वारा रत्रचत सभी 500 गीत न केवल र्धुर हैं, बत्रल्क उनर्ें गहन अथम भी सर्ात्रहत ह।ै हालाांकक, उनकी सांस्कृत रचनाएँ र्ांकदर के दवेी-दवेताओं पर आधाररत हैं, लेककन व ेसभी अद्वतै अथामत एकेश्वर रूप, की अवधारणा को वर्णमत करती हैं। र्ुथुस्वार्ी दीत्रक्षतार द्वारा त्रलिे गए ये गीत र्ांकदरों के इत्रतहास और इसके पररसर र्ें र्नाए जाने वाले अनुष्ठानों एवां परांपराओं के बारे र्ें व्यापक जानकारी दतेे हैं। इस प्रकार, वे ऐत्रतहात्रसक जानकारी के र्ूल्यवान स्रोतों के रूप र्ें भी कायम करते हैं। • वेंकट सबु्रह्मण्य को लोकत्रप्रय रूप स ेश्यार्ा र्ास्त्री (1762-1827) के नार् स ेभी जाना जाता ह।ै इनका जन्र् एक तत्रर्ल भाषी औतारा वदार्ा नार्क ब्राह्मण सर्दुाय र्ें हआ था। उनके र्ाता-त्रपता त्रवद्वान थ,े ककां तु सांगीत र्ें उन्हें कोई त्रवर्ेष रुत्रच नहीं थी। o हालाांकक श्यार्ा र्ास्त्री ने अत्रधक कृत्रतया ँनहीं त्रलिीं ककां तु उनकी रचनाएां बहत प्रत्रसद् हैं। ऐसा कहा जाता ह ैकक उन्होंने कुल त्रर्लाकर लगभग तीन सौ कृत्रतयों की रचना की। उन्होंन ेतेलगुु, सांस्कृत और तत्रर्ल भाषा र्ें रचनाएां त्रलिी। इनर्ें से अत्रधकाांर् रचनाएां दवेी को सर्र्पमत हैं। o श्यार्ा र्ास्त्री की रचनाएां सार्ान्यतः साधारण रागों र्ें हैं। उनकी केवल कुछ रचनाएां ही र्ांजी, हचांतार्त्रण, कलागडा और कनामटक कपी जैसे रागों र्ें त्रलिी गई हैं। • परुांदर दास (1484-1564) एक सांत, सांगीतकार, गायक, सर्ाज सधुारक, कत्रव और एक र्हान भि थ।े परुांदर दास न ेद्वतै दर्मन का पालन ककया। य ेव्यास तीथम के त्रर्ष्य थ।े उन्होंने अन्य बातों के अलावा, आत्र्ा की कदव्यता और जात्रत के अहांकार की व्यथमता का उपदरे् कदया। ये उपदरे् सरल एवां बोलचाल की भाषा और सर्झने योग्य उच्चारण के र्ाध्यर् से कदए गए थ ेताकक ये सुगर्ता से जनता तक पहचँ सके। o य ेकनामटक सांगीत र्ें त्रनपुण थ।े सांगीत के इस क्षते्र र्ें उनकी त्रवर्षेज्ञता ऐसी थी कक उन्हें 'त्रपतार्ह (दादा)’ कहा जाता ह।ै • इस प्रकार 1750 स े1850 ईस्वी के बीच त्रतरुवरूर र्ें सांगीत त्रत्रर्रू्तम - त्यागराज, र्थुसु्वार्ी दीत्रक्षतार और श्यार्ा र्ास्त्री, के जन्र् न ेकनामटक सांगीत के त्रवकास के एक नए यगु की र्रुुआत की। o य े त्रत्रर्रू्तम न केवल आपस र्ें सर्कालीन थे, बत्रल्क बीथोवने, र्ोजाटम, वगैनर और हडेन जसै े पत्रिर्ी सांगीत के र्हान सांगीतकारों के भी सर्कालीन थ।े • इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै Q 13.C • र्ौयम काल का सबसे र्हत्वपूणम स्रोत त्रनस्सांदहे अर्ोक के त्रर्लालेि हैं। अर्ोक के त्रर्लालेि भारतीय पुरालेि की र्ुरुआत को त्रचत्रननत करते हैं। अर्ोकके त्रर्लालेिों को अन्य सभी त्रर्लालिेों से अलग बनाने वाली त्रवर्ेषता यह ह ैकक इन्हें स्वयां राज्य के पहले व्यत्रि अथामत राजा द्वारा जारी ककया जाता था। अतः इनसे राजा की सोच और उसके त्रवचारों के बारे र्ें पता चलता ह।ै • य ेत्रर्लालिे प्राकृत भाषा और ब्राह्मी त्रलत्रप र्ें और कभी-कभी िरोष्ठी त्रलत्रप (उपर्हाद्वीप के उत्तर-पत्रिर्ी भागों र्ें) र्ें त्रलि ेगए हैं। कुछ त्रर्लालिे यनूानी और अरार्ेइक र्ें भी त्रलि ेगए हैं। एक त्रद्वभाषी यूनानी-अरार्ेइक त्रर्लालेि दत्रक्षण-पूवम अिगात्रनस्तान र्ें कां धार के त्रनकट र्ार-ए-कुना र्ें और एक तक्षत्रर्ला र्ें पाया गया ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • अर्ोक न ेस्वयां इन अत्रभलिेों को धम्र्त्रलपी (धर्म परायणता) के रूप र्ें त्रनर्दमष्ट ककया था। र्ास्की त्रर्लालिे को 256 ईसा पवूम र्ें प्राकृत भाषा और ब्राह्मी त्रलत्रप र्ें उकेरा गया था। यह एक धर्म र्ासन लिे है, जो लोगों को बौद् धर्म के त्रसद्ाांतों का पालन करने के त्रलए प्रेररत करता ह।ै र्ास्की त्रर्लालिे न ेत्रवश्व को स्पष्ट रूप स ेबताया कक यह अर्ोक ही था त्रजसन े 'दवेनाांत्रपय' नार् से त्रर्लालिे उत्कीणम करवाए थे। त्रर्लालिे र्ें 'दवेनाांत्रपय अर्ोक' का उल्लिे ककया गया ह।ै अर्ोक के साथ 'दवेनाांत्रपय' र्ीषमक को जोडने के अलावा, यह त्रर्लालेि उत्तर-पूवी कनामटक की कृष्णा घाटी तक र्ौयम र्ासन के प्रसार को भी दर्ामता ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै Q 14.C • प्राचीन काल र्ें, भारत र्ें त्रवज्ञान और गत्रणत का अत्यत्रधक त्रवकास हआ था। प्राचीन भारतीयों ने गत्रणत के साथ-साथ त्रवज्ञान की त्रवत्रभन्न र्ािाओं के ज्ञान के त्रवकास र्ें अभूतपूवम योगदान कदया। • भास्कराचायम 12वीं र्ताब्दी के अग्रणी गत्रणतज्ञ थे। उनका जन्र् कनामटक के बीजापुर र्ें हआ था। इन्होंन ेत्रसद्ाांत त्रर्रोर्त्रण नार्क प्रत्रसद् कृत्रत की रचना की। इस ेचार िांडों र्ें त्रवभात्रजत ककया गया ह:ै . 8 www.visionias.in ©Vision IAS o लीलावती (अांकगत्रणत) o बीजगत्रणत (एल्ज़बे्रा) o गोलाध्याय और o ग्रहगत्रणत (ग्रहों का गत्रणत)। • भास्कर न ेबीजगत्रणतीय सर्ीकरणों को हल करने के त्रलए चक्रवाल त्रवत्रध या चक्रीय त्रवत्रध को प्रत्रतपाकदत ककया। इस पद्त्रत को छह र्तात्रब्दयों बाद यूरोपीय गत्रणतज्ञों द्वारा पनुः िोजा गया, उन्होंने इस ेप्रत्रतलोर् चक्र (Inverse Cycle) के रूप र्ें वर्णमत ककया। उन्नीसवीं सदी र्ें एक अांग्रजे जेम्स टेलर ने लीलावती का अनुवाद ककया और त्रवश्व को इस र्हान कृत्रत से पररत्रचत कराया। • बौधायन गत्रणत र्ें अनेक अवधारणाओं को स्पष्ट करने वाले पहल ेव्यत्रि थे, बाद र्ें पत्रिर्ी त्रवश्व द्वारा इन्हें पुनः िोजा गया। o उन्होंने पाई के र्ान की गणना सबसे पहल ेकी थी। वतमर्ान र्ें, पाइथागोरस प्रर्ये के रूप र्ें प्रत्रसद् प्रर्ये पहल ेस ेही बौधायन के र्लु्व सतू्र र्ें त्रवद्यर्ान ह।ै र्लु्व सतू्र पाइथागोरस के सर्य स ेकई वषम पवूम त्रलि ेगए थ।े • 7वीं र्ताब्दी र्ें, ब्रह्मगिु ने गत्रणत को अन्य वजै्ञात्रनकों की अपके्षा से कहीं अत्रधक ऊां चाइयों तक पहचँा कदया। गणुन की अपनी त्रवत्रधयों र्ें उन्होंने स्थानीय र्ान का उपयोग लगभग उसी तरह ककया जैसा कक वतमर्ान र्ें ककया जाता ह।ै उन्होंने गत्रणत र्ें ऋणात्र्क सांख्याओं का पररचय कदया और र्ून्य पर अनेक प्रकक्रयाएां त्रसद् की। उन्होंन ेब्रह्मस्िुट-त्रसद्ाांत त्रलिा, त्रजसके र्ाध्यर् से अरब हर्ारी गत्रणतीय प्रणाली से पररत्रचत हए। • जैन सात्रहत्य (500 ई.पू. -100 ई.पू.) र्ें गत्रणत का त्रवस्तृत वणमन त्रर्लता ह।ै जैन गुरु त्रद्वघात सर्ीकरणों को हल करना जानते थे। उन्होंने त्रभन्नों, बीजीय सर्ीकरणों, श्रृांिलाओं, सर्ुच्चय त्रसद्ाांत, लघुगणक और घाताांकों को भी बहत ही रोचक ढांग से सर्झाया। o जैन गरुु र्हावीराचायम न े850 ई. र्ें गत्रणत सार सांग्रह की रचना की। यह आधुत्रनक त्रवत्रध र्ें त्रलिी गई अांकगत्रणत की पहली पुस्तक ह।ै उनके द्वारा लघुत्तर् सर्ापवत्यम (LCM) की वतमर्ान त्रवत्रध का भी वणमन ककया गया था। इस प्रकार, जॉन नेत्रपयर द्वारा इस त्रवत्रध को दतु्रनया के सार्ने प्रस्तुत करने से बहत पहल ेही यह त्रवत्रध भारतीयों को ज्ञात थी। • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 15.D • र्ौयम साम्राज्य के पतन के बाद, र्ध्य तथा पत्रिर् एत्रर्या के त्रवत्रभन्न आक्रर्णकाररयों द्वारा उत्तर पत्रिर् भारत पर लगातार आक्रर्ण ककया जाने लगा। र्कों को सार्ान्यत: इांडो-सीत्रथयन के नार् स ेभी जाना जाता ह।ै व ेउत्तर-पत्रिर् भारत पर पहली र्ताब्दी ईसा पवूम स ेही आक्रर्ण करन ेलग ेथ।े • र्कों की पाांच र्ािाएां थीं तथा प्रत्येक र्ािा की राजधानी भारत और अिगात्रनस्तान के अलग-अलग भाग र्ें त्रवद्यर्ान थी। o र्कों की एक र्ािा अिगात्रनस्तान र्ें बस गई। इस र्ािा के प्रर्ुि र्ासक वोनोन्स और स्पात्रलररस थे। o दसूरी र्ािा पांजाब र्ें बसी, त्रजसकी राजधानी तक्षत्रर्ला थी। र्उेस इस र्ािा का प्रर्ुि र्ासक था। o तीसरी र्ािा र्थुरा र्ें बसी, जहाां उन्होंने लगभग दो र्तात्रब्दयों तक र्ासन ककया। एत्रजत्रलसजे इस र्ािा का एक प्रर्ुि र्ासक था। o चौथी र्ािा न ेपत्रिर्ी भारत पर अपनी सत्ता स्थात्रपत की, जहाां व ेचौथी र्ताब्दी ईस्वी तक र्ासन करत ेरह।े o र्कों की पाांचवीं र्ािा ने ऊपरी दक्कन र्ें अपनी सत्ता स्थात्रपत की थी। • र्कों की चौथी र्ािा न ेअत्रधकतर् अवत्रध तक र्ासन ककया। इन्होंन ेभारी सांख्या र्ें चाांदी के त्रसके्क भी जारी ककए। इनकी सर्दृ् अथमव्यवस्था का कारण गुजरात का सर्दु्री व्यापार था। सबसे अत्रधक त्रवख्यात र्क र्ासक रुद्रदार्न प्रथर् (130-150 ईस्वी.) था। उसने हसांध, कच्छ और गुजरात पर र्ासन ककया और सातवाहनों स ेकोंकण, नर्मदा घाटी, र्ालवा और कारठयावाड को भी पुन: प्राि ककया। वह कारठयावाड के अधम-र्षु्क क्षते्र र्ें त्रस्थत सदुर्मन झील का पुनरुद्ार करने के त्रलए इत्रतहास र्ें प्रत्रसद् ह।ै वह सांस्कृत का र्हान प्ररे्ी था। उसन ेसबस ेपहल ेत्रवर्दु् सांस्कृत भाषा र्ें एक वहृद अत्रभलिे जारी ककया। • र्कों को न तो भारत के र्ासकों का और न ही जनता के प्रभावी प्रत्रतरोध का सार्ना करना पडा। लगभग 58 ईसा पवूम र्ें उज्जनै के एक राजा न ेर्कों स ेयदु् ककया और उन्हें बाहर भगान ेर्ें सिल रहा। इस राजा न ेस्वयां को त्रवक्रर्ाकदत्य के रूप र्ें वर्णमत ककया था। त्रवक्रर्-सांवत ्नार् का नया सांवत ्58 ईसा पवूम र्ें र्कों पर उसकी त्रवजय स ेआरांभ हआ। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै . 9 www.visionias.in ©Vision IAS • इसी सर्य से, त्रवक्रर्ाकदत्य एक प्रत्रतत्रष्ठत उपात्रध बन गई। त्रजस ककसी ने भी कोई र्हान पराक्रर् कदिलाया उसने इस उपात्रध को उसी तरह धारण कर त्रलया त्रजस तरह रोर् के सम्राट अपनी अतुल र्त्रि और पराक्रर् जताने के त्रलए सीजर की उपात्रध धारण करते थे। • कत्रनष्क एक कुषाण र्ासक था। उसन ेबौद् धर्म का र्िु ह्रदय स ेसांपोषण-सांरक्षण ककया। उसने बौद् धर्मग्रांथों और त्रसद्ाांतों से सांबांत्रधत र्ार्लों पर त्रवर्र्म करने के त्रलए चौथी बौद् सांगीत्रत का आयोजन ककया। इस सांगीत्रत को वसुत्रर्त्र की अध्यक्षता र्ें श्रीनगर (कश्र्ीर) के पास कुां डलवन र्ठ र्ें आयोत्रजत ककया गया था। इसी सांगीत्रत र्ें बौद् धर्म दो सांप्रदायों - हीनयान और र्हायान र्ें त्रवभात्रजत हो गया। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै Q 16.A • हात्रलया सांदभम: सर्ुद्री र्ोधकतामओं ने त्रवर्ािापत्तनर् के रुत्रर्कोंडा सर्ुद्र तट पर एक नए र्रीन फ्लैटवर्म का पता लगाया ह।ै यह इस प्रजात्रत का ऐसा पहला प्रलेत्रित ररकॉडम ह।ै साथ ही, यह भारत के पूवी तट से प्राि होने वाला ऐसा पहला ररकॉडम ह।ै • चर्कील े रांग का यह त्रनतलस्थ जीव पॉलीक्लडै फ्लटैवर्म की एक प्रजात्रत, स्यडूोसरेोस गलैाथते्रन्सस (Pseudoceros galatheensis) स ेसांबांत्रधत ह।ै यह प्रजात्रत भारत र्ें आांध्र प्रदरे् और पवूी तट की र्खु्य भतू्रर् र्ें पहली बार दजम की गई ह।ै इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै • र्ेरीन फ्लैटवर्म को पॉलीक्लैड भी कहा जाता ह।ै ये आर्तौर पर उष्णकरटबांधीय और उपोष्णकरटबांधीय क्षेत्रों के तटवती इलाकों र्ें पाए जाते हैं। • ये परभक्षी जीव होत ेहैं और र्खु्यत: सर्ुद्री जीवों, जैसे - स्पांज, ऐत्रसत्रडयन, केकडों और अन्य छोटे जीवों को िाते हैं। प्रवाल त्रभत्रत्तयों और उथले जल के अन्य सर्ुद्री पाररतांत्रों र्ें परभत्रक्षयों के रूप र्ें उनकी भूत्रर्का र्हत्वपूणम होती ह।ै • इनका चर्कीला रांग अन्य परभत्रक्षयों को चेतावनी दतेा ह ैकक व ेजहरीले हैं और इनका सेवन नहीं ककया जाना चात्रहए। • यह प्रजात्रत सवमप्रथर् वषम 2017 र्ें अांडर्ान र्ें पाई गई थी। ये जीव आर्तौर पर चट्टानी और अांतज्वामरीय क्षेत्रों र्ें पाए जाते हैं। • इनके आगे की तरि दो त्रनकले हए भाग होते हैं त्रजन्हें कूट स्पर्मक (Pseudo Tentacles) कहा जाता ह।ै इस प्रत्येक भाग पर लगभग 12 दक्ृ हबांद ुहोत ेहैं त्रजनका उपयोग ये प्रकार् सांवेदन के त्रलए करते हैं। य ेकागज की तरह पतले होते हैं और आियमजनक रूप से केकडों जसैे जीवों को भ्रत्रर्त करके उनका त्रर्कार कर सकते हैं। • हालाांकक त्रवश्व भर र्ें पॉलीक्लैड फ्लैटवर्म की कई प्रजात्रतयाां पायी जाती हैं, लेककन भारत के पवूी तट पर पायी जाने वाली प्रजात्रत के बारे र्ें बहत कर् जानकारी उपलब्ध ह।ै यहाां इससे पूवम इसका कोई वणमन नहीं त्रर्लता ह।ै Q 17.D • ऐसी सांस्कृत्रतयाां जो ताांब ेऔरपत्थर के उपकरणों के प्रयोग पर आधाररत थीं उन्हें ताम्रपाषात्रणक सांस्कृत्रत कहा जाता ह।ै तकनीकी रूप से, ताम्रपाषाण अवस्था हडप्पा की काांस्ययुगीन सांस्कृत्रत से पहले की ह।ै हालाांकक, भारत के त्रवत्रभन्न भागों र्ें, काांस्ययुगीन हडप्पा सांस्कृत्रत पहले त्रवकत्रसत हई ह ैऔर ताम्रपाषाण सांस्कृत्रतयाां बाद र्ें। ताम्रपाषाण युग के लोग अत्रधकाांर्तः पत्थर और ताांबे की वस्तुओं का प्रयोग करत ेथे। हालाांकक, कभी-कभी त्रनम्न गुणवत्ता वाल ेकाांस्य और यहाां तक कक लोह ेके प्रयोग के उदाहरण भी प्राि हए हैं। • ताम्रपाषाण काल के लोग र्वेर्ी, भेड और बकररयाां पालते थे। र्ायद, व ेपालत ूपर्ओुं को भोजन (र्ाांस) के त्रलए र्ारत ेथ ेतथा उनका उपयोग दधू और दधू स ेत्रनर्र्मत उत्पादों के त्रलए नहीं करत ेथ।े कई जनजातीय लोग, जैसे बस्तर के गोंड र्ानते हैं कक पर्ओुं का दधू केवल पर्ुओं के बच्चों के पीने के त्रलए ह ैऔर इसत्रलए वे अपने र्वेत्रर्यों का दधू दहुते नहीं हैं। पररणार्स्वरूप, ताम्रपाषाण युग के लोग पर्ओुं का पूरा उपयोग करने र्ें सक्षर् नहीं थे। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • गणेश्वर राजस्थान र्ें त्रस्थत एक ताम्रपाषात्रणक स्थल ह।ै इसके त्रनक्षेपों को 2800-2200 ईसा पूवम का र्ाना जाता ह।ै इसत्रलए इसकी बहत सी वस्तुएां पररपक्व हडप्पा सांस्कृत्रत से पूवम की हैं। गणशे्वर र्खु्यतः हडप्पा को ताांब ेकी वस्तओुं की आपरू्तम करता था और इसके बदल ेउस ेकुछ त्रवर्षे प्राि नहीं होता था। गणेश्वर लोग आांत्रर्क रूप से कृत्रष और बड ेपैर्ान ेपर त्रर्कार पर त्रनभमर रहते थे। यद्यत्रप यहाां के त्रर्ल्पकार र्ुख्यतः ताांबे की वस्तुएां बनाते थे तथात्रप ये नगरीकरण को त्रवकत्रसत करन ेर्ें असर्थम थे। गणेश्वर सांस्कृत्रत के अत्रधकाांर् त्रहस्से र्ें सूक्ष्र्पाषाण वस्तुओं और अन्य पत्थर के औजारों की उपत्रस्थत्रत के कारण इसे प्राक्-हडप्पाई ताम्रपाषाण सांस्कृत्रत र्ाना जा सकता ह ैत्रजसने पररपक्व हडप्पा सांस्कृत्रत के त्रनर्ामण र्ें योगदान कदया। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै . 10 www.visionias.in ©Vision IAS Q 18.A • भारत की कृत्रष सांगणना राज्यों और सांघ राज्य क्षेत्रों के सहयोग से वषम 1970-71 से आयोत्रजत की जा रही ह।ै यह सांगणना िाद्य और कृत्रष सांगठन (FAO) के वतै्रश्वक कृत्रष सांगणना कायमक्रर् के एक भाग के रूप र्ें आयोत्रजत की जाती ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o इसका आयोजन प्रत्यके 5 वषम र्ें ककया जाता ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • यह त्रवत्रभन्न सांकेतकों पर जानकारी का र्ुख्य स्रोत ह।ै इन सांकेतकों र्ें पररचालन भूत्रर् जोत की प्रकृत्रत, उनका आकार, वगम के अनुसार भू-जोत का त्रवतरण, भूत्रर् उपयोग सांबांधी आांकडे, काश्तकारी और िसल पैटनम र्ात्रर्ल हैं। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o कृत्रष सांगणना कृत्रष साांत्रख्यकी की एक व्यापक एकीकृत राष्ट्रीय प्रणाली के त्रवकास के त्रलए आधार प्रदान करती ह।ै साथ ही, यह राष्ट्रीय साांत्रख्यकीय प्रणाली के त्रवत्रभन्न घटकों से जुडी होती ह।ै • 11वीं सांगणना के दौरान पहली बार स्र्ाटमिोन और टैबलटे पर डटेा सांग्रहण ककया जाएगा। o यह तेज और अत्रधक सटीक गणना र्ें सहयोग करेगा। o अत्रधकाांर् राज्यों ने भूत्रर् अत्रभलिेों और सवेक्षणों को त्रडत्रजटल कर कदया ह।ै इससे कृत्रष सांगणना के आांकडों के सांग्रह र्ें और तेजी आएगी। • 10वीं कृत्रष सांगणना (2015-16) के अनसुार: o सभी ककसानों र्ें स ेदो हके्टेयर से कर् भूत्रर् वाले लघ ुऔर सीर्ाांत ककसानों का प्रत्रतर्त 86.2% था, लेककन उनके पास कुल िसल क्षेत्र का केवल 47.3% भाग उपलब्ध था। o भू-जोत के असर्ान त्रवतरण की त्रस्थत्रत अभी भी बनी हई ह।ै • वतै्रश्वक कृत्रष सांगणना (WCA) कायमक्रर्: o प्रथर् वैत्रश्वक कृत्रष सांगणना अांतरामष्ट्रीय कृत्रष सांस्थान द्वारा वषम 1930 र्ें आयोत्रजत की गई थी। सांयुि राष्ट्र का िाद्य और कृत्रष सांगठन (FAO) वषम 1950 से दर्कीय आधार पर WCA तयैार कर रहा ह ैऔर उसका पक्षधर ह।ै o भारत र्ें अपनाई गई कृत्रष पररचालन जोत की अवधारणा FAO द्वारा त्रनधामररत अवधारणा से कुछ हद तक त्रभन्न ह।ै ऐसा इसत्रलए ह ैक्योंकक इसर्ें ऐसी जोतें र्ात्रर्ल नहीं हैं त्रजनर्ें िेती नहीं की जा रही ह ैऔर इनका उपयोग त्रवर्ेष रूप से पर्ुधन, र्ुगी पालन और र्छली पकडने आकद र्ें ककया जा रहा ह।ै Q 19.A • प्राचीन भारत र्ें कर-प्रणाली की दतृ्रष्ट स ेर्ौयम काल र्हत्वपणूम ह।ै कौरटल्य ने ककसानों, त्रर्त्रल्पयों और व्यापाररयों से वसूल ककए जाने वाले अनेक करों का वणमन ककया ह।ै इन सभी करों के त्रनधामरण, वसूली और सांग्रह के त्रलए एक दढृ़ और दक्ष सांगठन की आवश्यकता थी। र्ौयों न ेवसलूी और सांग्रहण की तुलना र्ें कर-त्रनधामरण को अत्रधक र्हत्व कदया। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • सर्ाहत्ताम कर-त्रनधामरण और सांग्रहण का सवोच्च अत्रधकारी होता था। सत्रन्नधाता राजकीय कोषागार और भांडागार का र्खु्य सांरक्षक होता था। र्ुख्य कोषाध्यक्ष की तलुना र्ें त्रनधामरक-सह-सांग्राहक(दोनो दात्रयत्वों का त्रनवमहन करने वाला अत्रधकारी) कहीं अत्रधक र्हत्वपूणम होता था। सत्रन्नधाता की अपेक्षा सर्ाहत्ताम के कारण होने वाले नुकसान को अत्रधक गांभीर र्ाना जाता था। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • अत्रभलेिीय साक्ष्यों के आधार पर पता चलता ह ैकक ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें भी भण्डार गृह होते थे त्रजससे प्रकट होता ह ैकक अनाज के रूप र्ें भी करों की वसूली की जाती थी। अनाज के इन भांडार गृहों स ेसांभवत: अकाल, सूिा आकद के सर्य स्थानीय लोगों को सहायता प्रदान की जाती थी। • लुांत्रबनी र्ें त्रस्थत अर्ोक के अत्रभलिे स ेयह अनरु्ान लगाया गया कक भू-राजस्व सांभवत: दो प्रकार का होता था, त्रजस ेबत्रल और भाग कहा जाता था। कर का त्रनधामरण एक क्षेत्र से दसूरे क्षेत्र र्ें त्रभन्न होता था, जो भूत्रर् की उपज के 1/6वें भाग से एक-चौथाई तक होता था। ककसानों द्वारा उपज का 1/4 त्रहस्सा कर के रूप र्ें कदया जाता था। उनके द्वारा भेंट भी दी जाती थी। भतू्रर् कर (भाग) राजस्व का र्ुख्य स्रोत था। यह उपज का 1/6वाां त्रहस्सा होता था। अर्ोक के लुांत्रबनी त्रर्लालिे र्ें कहा गया ह ैकक बदु् के जन्र्स्थान की अपनी यात्रा के दौरान, उसन ेगाांव को बत्रल के भगुतान स ेछूट दी और भाग के भगुतान को घटाकर 1/8 त्रहस्सा कर कदया। . 11 www.visionias.in ©Vision IAS Q 20.C • वेंकटर् पहात्रडयों और कन्याकुर्ारी के र्ध्य के भू-क्षेत्र को तत्रर्लहर् या तत्रर्ल क्षेत्र कहते हैं। इस क्षेत्र के अांतगमत सांपूणम आधुत्रनक तत्रर्लनाडु और केरल र्ात्रर्ल हैं। इस क्षेत्र र्ें त्रवत्रभन्न प्रकार की भौगोत्रलक पररत्रस्थत्रतयाां तथा जलवायु पाई जाती ह।ै यहाां वनों से आच्छाकदत पहात्रडयाां, हरे र्ैदान, चरागाह, र्षु्क प्रदरे्, आद्रमभतू्रर्याां और लांबे सर्ुद्री तट भी पाए जाते हैं। तीन प्रर्िु राजवांर्ों - चेर, चोल और पाण्य का भीतरी भ-ूभागों के साथ-साथ सर्दु्र तट पर भी त्रनयांत्रण था। • चरेों का भीतरी भू-भाग र्ें करूर पर तथा पत्रिर्ी तट पर त्रस्थत प्रत्रसद् प्राचीन बांदरगाह र्तु्रजररस पर आत्रधपत्य था। भीतरी भू- भाग र्ें उरैयूर तथा कोरोर्ांडल तट पर त्रस्थत पहुार पर चोलों का आत्रधपत्य था। इसी प्रकार, पाण्यों का भ-ूक्षेत्रीय र्ुख्यालय र्दरैु और तटीय र्खु्यालय कोरकई बांदरगाह पर त्रनयांत्रण था। ये इस क्षेत्र र्ें इस काल के सबसे र्हत्वपूणम राजनीत्रतक कें द्र थ।े इसत्रलए यगु्र् 1, 2 और 3 सही सरु्ते्रलत हैं। Q 21.B • पतैकर त्रचत्रकला: पैतकर त्रचत्रकला दरे् की सबसे प्राचीन त्रचत्रकला र्ैत्रलयों र्ें से एक ह।ै यह राज्य की लोक कला की रचनात्र्क अत्रभव्यत्रि ह।ै पैतकर त्रचत्रकला को लोकत्रप्रय रूप स ेपूवम की स्क्रॉल पेंटटांग के रूप र्ें जाना जाता ह।ै पैतकर त्रचत्रकला र्खु्यतः र्हाभारत और रार्ायण जैस ेहहांद ूर्हाकाव्यों के त्रवषयों पर आधाररत होती ह।ै o ये पारांपररक त्रचत्रकाररयाां त्रवत्रभन्न दवेी-दवेताओं जैसे त्रर्व और दगुाम द्वारा ककए गए चर्त्कारों की कहात्रनयों का उल्लेि करती हैं। पैतकर के त्रचत्रकार आर्तौर पर केवल प्राथत्रर्क रांगों, जैस े- लाल, पील ेऔर नील ेरांग का उपयोग करते हैं तथा इसर्ें त्रचत्रकारी के आधार के रूप र्ें ताड के पत्तों का उपयोग ककया जाता ह।ै o रांगने हते ुउपयोग ककए जाने वाले ब्रर् त्रगलहरी और बकररयों के बालों स ेबनाए जाते हैं। पैतकर त्रचत्रों र्ें त्रचत्रत्रत अत्रधकाांर् जगह पर लम्बी आँिों वाली र्ानव आकृत्रतयाां बनाई जाती हैं, जो भारतीय त्रचत्रकला र्ैली की एक प्रर्ुि त्रवर्ेषता ह।ै o झारिांड के पवूी भाग र्ें त्रस्थत अर्दबुी गावँ र्ें कई प्रत्रतभार्ाली पतैकर कलाकारों के पररवार त्रनवास करत ेहैं। इस गाांव को पतैकरों के गाांव के रूप र्ें भी जाना जाता ह ैऔर ऐसा कहा जाता ह ैकक इस त्रचत्रकला र्लैी की उत्पत्रत्त यहीं स ेहई थी। राज्य की सांथाल जनजात्रत का र्ानना ह ैकक पतैकर त्रचत्र र्तृ लोगों की भटकती आत्र्ाओं को स्वगम र्ें भजे सकत ेहैं। इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै • िड त्रचत्रकला भारत के राजस्थान राज्य की एक स्थात्रनक त्रचत्रकला र्लैी ह।ै यह राज्य के पारांपररक दवेताओं के आख्यानों को दर्ामती ह।ै त्रचत्रकला की यह र्लैी राजपतू और र्गुल त्रचत्रकला र्तै्रलयों का त्रर्श्रण ह।ै इस र्ैली का उद्भव सैकडों वषम पूवम हआ था तथा यह भीलवाडा क्षेत्र की पौरात्रणक त्रवरासत त्रचत्रकला र्लैी ह।ै इसर्ें िड नार्क कैनवास के एक लांब ेटुकड ेपर त्रचत्रकारीकी जाती ह।ै र्ुख्यतः िड त्रचत्रों र्ें लोक पारांपररक दवेता पाबूजी और गुजमर योद्ा दवेनारायणजी की कहात्रनयों को त्रचत्रत्रत ककया जाता ह।ै . 12 www.visionias.in ©Vision IAS o िड त्रचत्र बहत त्रवस्तृत होत ेहैं। इसर्ें कैनवास के प्रत्यके इांच का उपयोग ककया जाता ह।ै चूांकक त्रचत्रों र्ें प्राचीन कहात्रनयों का त्रचत्रण ककया जाता ह,ै इसत्रलए िड त्रचत्रों र्ें बहत सारी र्ानवीय आकृत्रतया ँबनी होती हैं। त्रजनके आकार और रांग उनकी भतू्रर्काओं और त्रस्थत्रत पर त्रनभमर करत ेहैं। य ेत्रचत्रकाररयाां कपड ेपर की जाती हैं। o गेह/ँचावल के आटे को पानी र्ें उबालकर गाढ़ा र्हीन पेस्ट तैयार ककया जाता ह ैतथा इस त्रर्श्रण को कपडे पर लगा कर धूप र्ें सुिाया जाता ह।ै इस कपडे को किर र्ोहर (पत्थर का एक उपकरण) से रगडा जाता ह ैताकक वह त्रचकना और चर्कदार हो जाए। अब कपडा रांगने के त्रलए तैयार हो जाता ह।ै िड त्रचत्रकला र्ें उपयोग ककए जाने वाले सभी रांग पूरी तरह से प्राकृत्रतक होते हैं, जो त्रवत्रभन्न पौधों और सत्रब्जयों के अकम से प्राि ककए जाते हैं। ऐके्रत्रलक (Acrylic) का प्रभाव लाने हतेु र्ृदा से प्राि रांगों का उपयोग ककया जाता ह।ै इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह।ै • उडीसा पट्टत्रचत्र ग्रार्ीण उडीसा की एक प्राचीन त्रचत्रकला र्ैली ह ैजो कई सकदयों से अत्रस्तत्व र्ें ह।ै पट्टत्रचत्र पद सांस्कृत के र्ब्द 'पट्ट' और 'त्रचत्र' से त्रर्लकर बना ह।ै सांस्कृत भाषा र्ें पट्ट र्ब्द का अथम होता ह ै"कैनवास" या "कपडे का एक टुकडा" और त्रचत्र का अथम होता ह ैतस्वीर। o उडीसा पट्टत्रचत्र (पारांपररक भारतीय त्रचत्रकला) त्रवर्षे रूप स ेभगवान जगन्नाथ और परुी त्रजल ेकी र्ांकदर परांपरा स ेप्ररेरत एक त्रचत्रकला ह।ै o इन त्रचत्रों की त्रवषय-वस्तु कृष्ण के जीवन की घटनाओं और त्रवष्णु के अवतारों से लेकर र्हाकाव्य रार्ायण एवां र्हाभारत की कथाओं से ली जाती हैं। o पट्टत्रचत्र को बनाने की त्रवत्रध बहत लांबी ह ैऔर परूी प्रकक्रया कई चरणों र्ें पूरी होती है, त्रजसर्ें र्ात्रर्ल हैं: ▪ पट्ट को तैयार करना। ▪ वणमकों/रांजकों को तैयार करना। ▪ आकृत्रत का चयन और िाका तैयार करना। ▪ त्रचत्रकारी करना। • उडीसा पट्टत्रचत्र त्रचत्रकला को भौगोत्रलक सांकेतक टैग (GI Tag) प्राि ह।ै इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत नहीं ह।ै Q 22.A • र्ौयमकालीन साम्राज्य र्ें सूिे और अकाल जैसी आपातकालीन त्रस्थत्रतयों से त्रनपटने हतेु कई उपाय ककए गए थे। • र्ौयमकालीन र्हास्थान अत्रभलिे र्ें एक र्ासक द्वारा उस क्षेत्र र्ें तैनात र्हार्ात्र नार्क अत्रधकारी को जारी ककए गए एक आदरे् का उल्लेि त्रर्लता ह।ै • इस आदरे् र्ें राज्य के अत्रधकाररयों द्वारा ककए गए त्रवत्रभन्न प्रकार के अकाल राहत उपायों का उल्लेि ह।ै इसर्ें 'गांडक (Gandakas)' अथामत त्रसक्कों र्ें जारी ककए गए ऋण अत्रग्रर् तथा अन्न भांडार से धान का त्रवतरण करना र्ात्रर्ल ह।ै • इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै Q 23.B • हाल ही र्ें, उच्चतर् न्यायालय न ेस्थानीय स्वर्ासन त्रनकायों के चुनावों र्ें अन्य त्रपछडा वगम (OBCs) के त्रलए 27% आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, उद्व ठाकरे के नतेृत्व वाली र्हा त्रवकास अघाडी सरकार न ेछह सदस्यीय आयोग का गठन ककया। इस आयोग की अध्यक्षता पवूम र्खु्य सत्रचव जयांत कुर्ार बांत्रथया न ेकी। • भारत के उच्चतर् न्यायालय न े20 जुलाई, 2022 को जयांत कुर्ार बांत्रथया आयोग की ररपोटम को स्वीकृत्रत द ेदी। साथ ही, र्हाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को इसके अनुसार त्रनवामचन कराए जाने का त्रनदरे् भी कदया। • आयोग द्वारा स्थानीय त्रनकायों र्ें 27% आरक्षण कदए जान ेकी अनरु्ांसा की गई ह।ै इस अनुर्ांसा को उच्चतर् न्यायालय ने स्वीकार कर त्रलया ह।ै इस प्रकार, राज्य र्ें आयोत्रजत होने वाल ेस्थानीय स्वर्ासन त्रनकायों के त्रनवामचनों र्ें OBCs को 27% राजनीत्रतक आरक्षण प्राि होगा। • सांत्रवधान के अनचु्छेद 340 के अांतगमत 2 अक्टूबर, 2017 को जी. रोत्रहणी आयोग का गठन ककया गया था। इस आयोग को त्रनम्नत्रलत्रित कायम सौंप ेगए थ:े . 13 www.visionias.in ©Vision IAS o OBCs के उप-वगीकरण के बारे र्ें अनरु्ांसा करना; o OBCs, त्रवर्षेरूप स ेकें द्रीय सचूी र्ें र्ात्रर्ल OBCs की श्रणेी र्ें सत्रम्र्त्रलत जात्रतयों और सर्दुायों के सांदभम र्ें आरक्षण के लाभ के सर्ान त्रवतरण हते ुअनरु्ांसा करना। • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 24.A • होयसल वांर् न े11वीं और 14वीं र्ताब्दी के र्ध्य दत्रक्षण कनामटक पर र्ासन ककया था। उनकी स्थापत्य कला को इांडो-आयमन र्लैी और र्ांकदरों की द्रत्रवड र्लैी के बीच र्ध्यवती र्लैी र्ाना जाता ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • इन र्ांकदरों की एक र्हत्वपणूम त्रवर्षेता यह ह ैकक इनके आधार तारों के सर्ान (Star-shaped) हैं। इनके ऊपर चबूतरे त्रनर्र्मत हैं त्रजन पर र्खु्य सांरचनाओं का त्रनर्ामण ककया गया ह।ै इन र्ांकदरों के चारों ओर र्ूर्तमयों को बारीकी स ेउकेरा गया ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • इन र्ांकदरों की एक अन्य त्रवर्ेषता यह ह ैकक य ेबलआु पत्थरों के बजाय सलेिडी (त्रघया पत्थर) स ेबन ेहए हैं, त्रजसने कलाकारों को र्ूर्तमयों को बारीकी स ेउकेरने र्ें सक्षर् बनाया। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै • वतमर्ान र्ें, कनामटक र्ें बलेरू, हलते्रबड और सोर्नाथपरुा के होयसल र्ांकदरों को वषम 2022-2023 के त्रलए त्रवश्व त्रवरासत सूची र्ें भारत के नार्ाांकन के रूप र्ें र्ात्रर्ल ककया गया ह।ै Q 25.B • ऋग्वकैदक सर्ाज का सार्ात्रजक जीवन: o यह त्रपतृसत्तात्र्क (परुुष प्रधान) सर्ाज था। इसकी र्ूलभूत इकाई पररवार (कुल) थी। पररवार के र्ुत्रिया को गहृपत्रत कहा जाता था। o सार्ान्य तौर पर एकल त्रववाह की प्रथा प्रचत्रलत थी जबकक बह-त्रववाह की प्रथा र्ाही एवां कुलीन पररवारों र्ें ही प्रचत्रलत थी। o पत्नी पररवार की दिेभाल करती थी एवां प्रर्ुि सर्ारोहों र्ें भाग लेती थी। र्त्रहलाओं को परुुषों के सर्ान उनके आध्यात्रत्र्क और बौत्रद्क त्रवकास के त्रलए अवसर प्राि थ।े इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै o अपाला, त्रवश्ववारा, घोषा और लोपार्ुद्रा जैसी कवत्रयत्रत्रयों का उल्लेि ऋग्वैकदक काल र्ें ही त्रर्लता ह।ै र्त्रहलाएां लोकत्रप्रय सभाओं र्ें भी र्ात्रर्ल हो सकती थीं। बाल त्रववाह का प्रचलन नहीं था और सती प्रथा भी अत्रस्तत्व र्ें नहीं थी। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o पुरुष एवां र्त्रहलाएां, दोनों ही सतूी और ऊन से बने वस्त्र (र्रीर के ऊपरी एवां त्रनचले भाग र् ेपहने जाने वाले वस्त्र) पहनते थे। र्त्रहला और पुरुष दोनों त्रवत्रवध प्रकार के आभूषण पहनते थ।े गहेां, जौ, दधू (उसके उत्पाद जसैे दही एवां घी) तथा िल एवां सत्रब्जयाां प्रर्ुि भोजन सार्त्रग्रयाँ थीं। ऋग्वैकदक काल र्ें गाय को एक पत्रवत्र पर् ुर्ाना जाता था इसत्रलए गौर्ाांस का सेवन प्रत्रतबांत्रधत था। रथदौड, घडुदौड, द्यूत क्रीडा, सांगीत और नृत्य र्नोरांजन के पसांदीदा साधन थे। ऋग्वकैदक काल र्ें उत्तर वकैदक काल की तरह का कठोर सार्ात्रजक त्रवभाजन नहीं था। • धर्म o ऋग्वैकदक आयम, पृथ्वी, अत्रि, वाय,ु वरुण और इांद्र जैसी प्राकृत्रतक र्त्रियों की पूजा करते थे। वे इन प्राकृत्रतक र्त्रियों को कई दवेताओं का रूप र्ानते थे और उनकी पूजा-अचमना करते थे। o पृथ्वी, अत्रि, वाय,ु वरुण और इांद्र ऋग्वैकदक काल र्ें र्हत्वपूणम दवेता थे। प्रारांत्रभक वकैदक काल के दौरान इांद्र, इन सभी दवेताओं र्ें सवामत्रधक लोकत्रप्रय थ।े इांद्र के बाद, अत्रि का स्थान था, त्रजन्हें दवेताओं और लोगों के बीच र्ध्यस्थ के रूप र्ें र्ाना जाता था। वरुण को प्राकृत्रतक व्यवस्था का रक्षक र्ाना जाता था। o अकदत्रत और उषा जैसी दते्रवयों का भी उल्लेि त्रर्लता ह।ै o पवूम वकैदक काल के दौरान र्ांकदर नहीं थ ेऔर र्रू्तम पूजा भी नहीं की जाती थी। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o लाभ की उम्र्ीद र्ें दवेताओं की प्राथमना की जाती थी। अपमण के रूप र्ें घी, दधू और अन्न कदया जाता था। पूजा के दौरान व्यापक अनुष्ठानों का अनुसरण ककया जाता था। . 14 www.visionias.in ©Vision IAS Q 26.B • कत्रनष्क, कुषाण साम्राज्य का सवामत्रधक र्त्रिर्ाली र्ासक था। उसके साम्राज्य की राजधानी परुुषपरु (वतमर्ान परे्ावर) थी। उसके र्ासन काल के दौरान, कुषाण साम्राज्य उज्बेककस्तान एवां तात्रजककस्तान से लेकर र्थरुा और कश्र्ीर तक त्रवस्तृत था। रबातक त्रर्लालिे (Rabatak inscription) से प्राि जानकारी के अनुसार कत्रनष्क, त्रवर् कडकिसस का उत्तरात्रधकारी था। रबातक त्रर्लालिे र्ें कुषाण राजाओं की एक गौरवर्ाली वांर्ावली का उल्लेि त्रर्लता ह।ै • कत्रनष्क के र्ासनकाल के दौरान बौद् धर्म र्हायान और हीनयान र्ें त्रवभात्रजत हो गया था। उसके द्वारा ही 78 ई. र्ें र्क सांवत की र्रुुआत की गयी थी। उसने पाटत्रलपुत्र पर आक्रर्ण ककया और बौद् त्रभक्ष ुअश्वघोष को पुरुषपुर (वतमर्ान पेर्ावर) ल ेगया। कत्रनष्क, बौद् धर्म का सांरक्षक था और उसने 78 ई. र्ें कश्र्ीर के कुण्डलवन र्ें चौथी बौद् सांगीत्रत आयोत्रजत की थी। इस सांगीत्रत की अध्यक्षता वसुत्रर्त्र द्वारा की गई। इस सांगीत्रत के दौरान बौद् ग्रांथों का सांकलन ककया गया और रटप्पत्रणयों को ताम्र पत्रों पर उकेरा गया। • कत्रनष्क न ेएक त्रवर्ाल स्तपू और एक र्ठ का त्रनर्ामण करवाया था। यह र्ाहजी की ढेरी (Shaji-ki- Dheri) के नार् स ेप्रत्रसद् ह।ै यह स्थान वतमर्ान र्ें पाककस्तानर्ें परे्ावर र्हर के बाहरी इलाके र्ें त्रस्थत ह।ै • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 27.A • सांगर् सात्रहत्य की अवत्रध को इसके आरांभ से प्रथर् दो र्ताब्दी ई. तक र्ाना जाता ह।ै इसर्ें सर्ाज के सभी वगों के परुुष एवां र्त्रहलाएां कत्रव के रूप र्ें सत्रम्र्त्रलत थ।े इन्हें इनकी रचनाओं के त्रलए आर्थमक परुस्कारों स ेसम्र्ात्रनत ककया जाता था। ग्रांथों की रचना तीन सांगर्ों के दौरान हई। सांगर् र्ब्द सम्र्लेन या सर्हू (अकादर्ी) को सांदर्भमत करता ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • तीनों सांगर्ों को पाांय र्ासकों का सांरक्षण प्राि हआ था। इन्हें क्रर्र्ः तलाई सांगर् (प्रारांत्रभक सांगर्), इडाई सांगर् (र्ध्य सांगर्) और कडाई सांगर् (अांत्रतर् सांगर्) कहा जाता था। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • सांगर् सात्रहत्य एक सर्ृद् स्रोत ह,ै क्योंकक इसर्ें कृत्रष सांबांधी गत्रतत्रवत्रधयों का पयामि वणमन त्रर्लता ह।ै कई त्रद्वतीयक उत्पादन गत्रतत्रवत्रधयों जसैे गन्ने से चीनी बनाना इत्याकद का सांगर् सात्रहत्य र्ें त्रवस्तृत वणमन ककया गया ह।ै सांगर् सात्रहत्य र्ें रागी एवां गन्ने की िेती, िसलों की कटाई और अनाज को सुिाने जैसी अनेक प्राथत्रर्क कृत्रष सांबांधी गत्रतत्रवत्रधयों का भी वणमन त्रर्लता ह।ै • प्रारांत्रभक दो सांगर्ों की रचनाएँ वतमर्ान र्ें उपलब्ध नहीं हैं। एट्टुटोगई (Ettutogai) का त्रनर्ामण करने वाल ेसभी ग्रांथ कडाई या अांत्रतर् सांगर् स ेत्रलए गए हैं। • सांगर् सात्रहत्य र्ें तोलकात्रप्पयर् (Tolkāppiyam), एट्टुटोगई, पट्टुप्पट्टू (Pattuppattu), पत्रथनेंककलकनक्कु (Pathinenkilkanakku) और दो र्हाकाव्य त्रर्लप्पाकदकारर् (Silappathigaram) एवां र्त्रणर्िेल ै (Manimegalai) र्ात्रर्ल हैं। इनर्ें स ेतोल्कात्रप्पयर द्वारा रत्रचत तोलकात्रप्पयर् सवामत्रधक आरांत्रभक रचना ह।ै यह तत्रर्ल व्याकरण के साथ सांगर् यगु की सार्ात्रजक, आर्थमक और राजनीत्रतक त्रस्थत्रतयों का वणमन करती ह।ै एट्टुटोगई (आठ सांकलन) र्ें आठ रचनाएँ र्ात्रर्ल थीं। एट्टुटोगई और पट्टुप्पट्टू, दोनों अहर् (प्रेर्) और पुरर् (वीरता) नार्क दो र्ुख्य सर्ूहों र्ें त्रवभात्रजत थे। Q 28.C • दीवान-ए-इांर्ा (Diwan-i-Insha): कदल्ली सल्तनत के दौरान यह त्रवभाग र्ाही पत्राचार की दिेरेि करता था। प्रर्ासत्रनक सांरचना र्ें इसका स्थान तीसरा था। इसके सहायक, गोपनीय पत्राचार सत्रहत सभी र्ाही पत्राचार र्ार्लों का प्रबांधन करते थे।। • दीवान-ए-रसालत (Diwan-i-risalat): यह त्रवदरे्ी र्ार्लों स ेसांबांत्रधत त्रवभाग था। इसका प्रभारी राजनत्रयक पत्राचारों और राजदतू सांबांधी र्ार्लों को दिेता था। • दीवान-ए-त्रवजारत (Diwan-i-Wizarat): यह त्रवत्त त्रवभाग था। इसका अध्यक्ष वज़ीर (प्रधान र्ांत्री) होता था। इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत नहीं ह।ै . 15 www.visionias.in ©Vision IAS • िालसा (Khalisa): राज्य के स्वात्रर्त्व वाली एवां राज्य के द्वारा प्रत्यक्ष रूप स ेप्रर्ात्रसत भतू्रर् थी। इससे प्राि राजस्व सरकार की सांपत्रत्त होती थी। कदल्ली सल्तनत और र्ुगल काल के दौरान इस ेककसी अन्य पक्ष को जागीर या इनार् के तौर पर नहीं कदया जाता था। इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह।ै • र्ार्लकु (Mamluk): यह एक गुलार् सैत्रनक था। यह अब्बासी काल (Abbasid era) के दौरान स्थात्रपत दासों की सेनाओं का एक सदस्य था, त्रजसने बाद र्ें कई र्ुत्रस्लर् राज्यों पर राजनीत्रतक त्रनयांत्रण स्थात्रपत कर त्रलया। र्ार्लुक राजवांर् की स्थापना उत्तर भारत र्ें कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा की गई थी। कुतुबुद्दीन ऐबक र्ध्य एत्रर्या के घुररद साम्राज्य का एक तुकी र्ार्लुक जनरल था। इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत ह।ै Q 29.B • गुि साम्राज्य र्ें चांद्रगुि त्रद्वतीय के र्ासनकाल र्ें अत्यत्रधक सर्ृत्रद् दिेी गई। चांद्रगुि त्रद्वतीय ने त्रवक्रर्ाकदत्य की उपात्रध ग्रहण की थी। उसके र्ासनकाल र्ें बौद् धर्मग्रांथों की िोज र्ें चीनी यात्री िाह्यान भारत आया था, जो उसके र्ासनकाल की एक र्हत्वपणूम घटना ह।ै अनेक त्रवद्वान उज्जैन र्ें चांद्रगुि त्रद्वतीय के दरबार को सरु्ोत्रभत करते थ।े • ऐसा र्ाना जाता ह ै कक चांद्रगिु त्रद्वतीय को कला, सांस्कृत्रत और उसके दरबार को सरु्ोत्रभत करने वाल ेनवरत्नों र्ें अत्यत्रधक कदलचस्पी थी। उन नवरत्नों र्ें कुछ त्रनम्नत्रलत्रित थे: o अर्र हसांह: ये सांस्कृत भाषा के कोर् ग्रांथकार (Lexicographer) और कत्रव थे। o धन्वांतरी: य ेएक र्हान त्रचककत्सक थे त्रजन्होंने चांद्रगुि त्रद्वतीय के दरबार र्ें कायम ककया था। o हररषेण: इन्हें इलाहाबाद स्तांभ त्रर्लालेि (प्रयाग प्रर्त्रस्त) की रचना के त्रलए जाना जाता ह।ै अपनी वृद्ावस्था र्ें हररषेण, चांद्रगुि त्रद्वतीय के दरबार र्ें थे। हररषेण ने चांद्रगुि त्रद्वतीय का वणमन कुलीन र्ासक के रूप र्ें ककया ह।ै o कात्रलदास: इन्हें भारत के एक अर्र कत्रव और नाटककार के रूप र्ें जाना जाता ह।ै o क्षपणक: इन्हें चांद्रगुि त्रद्वतीय के दरबार र्ें कायम करने वाले एक ज्योत्रतषी के रूप र्ें जाना जाता ह।ै o र्ांकु: ये स्थापत्य कला के क्षेत्र से सांबांत्रधत थे और इन्होंने चांद्रगुि त्रद्वतीय के र्ासनकाल के दौरान भव्य सांरचनाओं के त्रनर्ामण र्ें अत्यत्रधक योगदान कदया था। o वराहत्रर्त्रहर: इन्होंने कई पुस्तकों की रचना की। इनर्ें से तीन रचनाएां नार्तः बृहत सांत्रहता, पांचत्रसद्ाांत्रतका और बृहत जातक सवामत्रधक र्हत्वपूणम हैं। • नवनेसाांग एक चीनी बौद् त्रभक्ष ुथा। इसन ेबौद् धर्मग्रांथों को प्राि करन ेके त्रलए राजा हषमवधमन के र्ासनकाल के दौरान भारत की यात्रा की थी। • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 30.A • सांगर् यगु सार्ात्रजक, आर्थमक, धार्र्मक एवां साांस्कृत्रतक जीवन के त्रलए र्हत्वपणूम और अत्रद्वतीय ह।ै इस युग र्ें सवाांगीण त्रवकास हआ। सांगर् सात्रहत्य के साथ-साथ पुरातात्रत्वक साक्ष्य भी इन तथ्यों की पुत्रष्ट करते हैं। • सांगर् युग के दौरान सर्ाज सार्ान्य तौर पर कई सर्ूहों र्ें त्रवभात्रजत था। सांगर् युग की र्ुरुआत र्ें सर्ाज वैकदक जात्रत व्यवस्था अथामत् ब्राह्मण, क्षत्रत्रय, वशै्य और र्ूद्र के आधार पर सांगरठत नहीं था। हालाांकक, सांगर् सात्रहत्य का सबसे प्राचीन ग्रन्थ तोलकात्रप्पयर् सांगर् सर्ाज र्ें प्रचत्रलत चार वगों का वणमन करता ह।ै ये वगम अांतनर (Anthanar), अरसर (Arasar), वैत्रसयार (Vaisiyar) और बेल्लालर (Vellalar) थे। ऐसा कहा जा सकता ह ैकक यह वगीकरण सार्ान्य तौर पर वैकदक सर्ाज के जैसा ही था। • र्ासक वगम को अरसर कहा जाता था और इस वगम के लोगों के बले्लारों स ेववैात्रहक सांबांध होत ेथ।े ध्यातव्य ह ैकक बले्लाल चौथी जात्रत र्ें आत ेथ।े कृत्रष कायम सार्ान्य तौर पर कडैत्रसयर वगम (एक त्रनम्न वगम) द्वारा ककए जाते थे। इनकी त्रस्थत्रत दासों की त्रस्थत्रत से र्ायद ही त्रभन्न प्रतीत होती ह।ै • जात्रत व्यवस्था से बत्रहष्कृत और वनों र्ें त्रनवास करने वाले अनेक जनजातीय लोग अत्यत्रधक दररद्रता र्ें जीवन यापन करते थे और केवल अपनी बतु्रनयादी जरूरतों को ही पूरा कर पात ेथे। सांगर् युग र्ें हर् ससु्पष्ट सार्ात्रजक त्रवषर्ताएां पात ेहैं। सांपन्न लोग ईंट-गारे स ेबन ेर्कानों र्ें रहत ेथ ेऔर त्रनधमन लोग झगु्गी-झोपत्रडयों र्ें रहत ेथ।े नगरों र्ें सांपन्न व्यापारी अपन ेघरों की ऊपरी र्ांत्रजल र्ें रहत ेथ।े इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै . 16 www.visionias.in ©Vision IAS • सांगर् युग र्ें र्त्रहलाओं को एक त्रवर्ेष दजाम प्राि था। सांगर् सात्रहत्य र्ें प्राकृत्रतक स्त्रैण गुणों जसैे अच्छर्् (Achcham), र्डर् (Madam) और नाणर् (Nanam) पर जोर कदया गया ह।ै सतीत्व को र्त्रहलाओं का सबस ेर्हत्वपूणम सद्गुण र्ाना जाता था। त्रर्लप्पाकदकारर् की नात्रयका कण्णगी (Kannagi) के इसी गुण की सराहना की जाती ह ैऔर लोग उसकी उपासना करते हैं। सांगर् युग र्ें र्त्रहलाओं को अपना जीवन साथी चुनने की स्वतांत्रता थी। • र्त्रहलाओं को पनुर्वमवाह करने की अनुर्त्रत नहीं होती थी। उन्हें त्रवरासत र्ें कोई सांपत्रत्त भी प्राि नहीं होती थी। सती प्रथा इस अवत्रध के दौरान आर्तौर पर प्रचत्रलत नहीं थी। हालाांकक, र्ाही पररवार की कुछ र्त्रहलाएां सती प्रथा का पालन करती थीं। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै Q 31.D • बसवन्ना (1105-68) कन्नड प्रदरे् के प्रर्ुि भत्रि सांत थे। 12वीं र्ताब्दी र्ें उनके द्वारा र्ुरू ककए गए भत्रि आांदोलन ने अपने सर्य के दौरान जात्रत पदानुक्रर् व्यवस्था र्ें दरार पैदा की और स्थानीय सर्ाज के ताने-बाने को और व्यापक बनाया। • बसवन्ना प्रारांभ र्ें जनै र्त के अनुयायी थे और कलचरुी राजा त्रबज्जल त्रद्वतीय (चालकु्यों का एक जागीरदार) के दरबार र्ें र्ांत्री थ।े उन्होंने सार्ात्रजक सुधार का कायमक्रर् र्ुरू करने के त्रलए अपनी राजकीय र्त्रियों का इस्तेर्ाल ककया। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • उनके अनयुायी वीरर्वै (त्रर्व के वीर) या हलांगायत (हलांग धारण करन ेवाल)े के नार् स ेजान ेगए। व ेत्रर्व के हलांग स्वरूप की आराधना करत ेहैं। इस सर्ुदाय के पुरुष सार्ान्यतः बाएां कां धे के ऊपर लटके हए पार् पर चाांदी के त्रपटारे र्ें एक छोटा त्रर्वहलांग धारण करते हैं। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • इस प्रदरे् र्ें भत्रि आांदोलन न ेसात्रहत्य की एक सर्दृ् र्लैी का सजृन ककया त्रजसे बाद र्ें वचन सात्रहत्य के नार् से जाना गया। इसकी रचना स्वयां बसव और उनके त्रर्ष्यों (अक्कर्हादवेी, अल्लार्ा प्रभ,ु दवेरदात्रसर्य्या और अन्य) न ेकी थी। गढू़ सूत्रों र्ें त्रलिे गए य ेवचन आध्यात्रत्र्क और सार्ात्रजक त्रवषयों पर स्पष्ट र्ब्दों र्ें गहन सकू्ष्र् अवलोकन व्यि करते हैं। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै Q 32.B • हांबनटोटा बांदरगाह: हाल ही र्ें, श्रीलांका के रक्षा र्ांत्रालय ने अांतररक्ष और उपग्रह त्रनगरानी र्ें र्ात्रर्ल एक चीनी अनुसांधान पोत के इस वषम के अगस्त र्ाह र्ें हांबनटोटा बांदरगाह र्ें प्रवेर् करन ेकी िबरों का िांडन ककया ह।ै हांबनटोटा अांतरामष्ट्रीय बांदरगाह श्रीलांका के हांबनटोटा र्ें त्रस्थत एक डीप वाटर बांदरगाह ह।ै यह कोलांबो बांदरगाह के बाद श्रीलांका का दसूरा सबसे बडा बांदरगाह ह।ै इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै . 17 www.visionias.in ©Vision IAS • भारत और बाांग्लादरे् दोनों पक्षों के बीच कनेत्रक्टत्रवटी को और अत्रधक बढ़ावा दनेे के प्रयास के तहत चट्टोग्रार् और र्ोंगला बांदरगाहों का उपयोग करके पूवोत्तर राज्यों र्ें कागो के राांस-त्रर्पर्ेंट के त्रलए व्यापक प्रायोत्रगक सांचालन (रायल रन) की तैयारी कर रह ेहैं। चटगाांव को आत्रधकाररक तौर पर चट्टोग्रार् कहा जाता ह।ै यह र्हर हहांद र्हासागर (बांगाल की िाडी) र्ें बाांग्लादरे् का एक प्रर्ुि बांदरगाह ह।ै वषम 2010 र्ें, भारत और बाांग्लादरे् ने भारत से र्ाल की आवाजाही के त्रलए बाांग्लादरे् र्ें चटगाांव और र्ोंगला बांदरगाहों के उपयोग की अनुर्त्रत दनेे के त्रलए एक सर्झौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर ककया था। इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह ैऔर यगु्र् 3 सरु्ते्रलत नहीं ह।ै Q 33.D • लत्रलतत्रवस्तर दांतकथाओं के रूप र्ें त्रलिी गई गौतर् बदु् की जीवनी ह।ै यह सांस्कृत और स्थानीय त्रर्त्रश्रत भाषा र्ें त्रलिी गई ह।ै • लत्रलतत्रवस्तर पसु्तक प्रारांत्रभक बौद् धर्म के पाली र्ास्त्रों स ेउद्भूत हई। बाद र्ें इसका त्रवस्तार ककया गया और इसे र्हायान परांपरा र्ें र्ात्रर्ल कर त्रलया गया। • र्हा-वस्तु ("र्हान कहानी") की तरह लत्रलतत्रवस्तर र्ें भी बाद की सूचना या तथ्य र्ात्रर्ल हैं, लेककन इसर्ें कुछ अत्यांत प्राचीन लेिाांर् भी सुरत्रक्षत हैं। ध्यातव्य ह ैकक र्हा-वस्तु एवां लत्रलतत्रवस्तर की कथावस्तु एक ही ह।ै लत्रलतत्रवस्तर की र्लैी और "क्रीडा (Sport)" या "िेल (Play)" के रूप र्ें कदव्य प्राणी की साांसाररक गत्रतत्रवत्रधयों की अवधारणा हहांद ूपुराणों के सर्ान ह।ै • इसका पररचयात्र्क अध्याय त्रवत्रर्ष्ट र्हायान तरीके स ेबुद् का वणमन करता ह।ै इस वणमन र्ें बुद् को गहरे ध्यान र्ें र्ि और एक कदव्य प्रभार्ांडल से त्रघरा हआ वर्णमत ककया गया ह ैजो अपने त्रनकट एकत्रत्रत त्रभक्षओुं एवां बोत्रधसत्वों के एक सर्ूह के सर्क्ष ज्ञान का त्रपटारा िोलने वाल ेहैं। • आगे की कथा त्रवर्ेष रूप से बदु् के गभामधान और जन्र् के सांबांध र्ें ह।ै य ेघटनाएां पहल ेके वतृ्ताांतों र्ें चर्त्कारी और पौरात्रणक तत्वों को जोडती हैं। लत्रलतत्रवस्तर ने बौद् कला को अत्यत्रधक प्ररेरत ककया ह।ै • इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै Q 34.C • त्रवजयनगर वास्तकुला: त्रवजयनगर वास्तुकला (1336-1565 ईस्वी) त्रवजयनगर साम्राज्य के र्ासन काल र्ें त्रवकत्रसत भवन त्रनर्ामण की एक त्रवर्ेष त्रवधा थी। इस साम्राज्य ने त्रवजयनगर र्ें अपनी राजधानी से दत्रक्षण भारत पर र्ासन ककया था। त्रवजयनगर, भारत के वतमर्ान कनामटक र्ें तुांगभद्रा नदी के तट पर त्रस्थत था। o त्रवजयनगर र्ासन के दौरान वास्तुकला ने एक त्रनत्रित पूणमता और अत्रभव्यत्रि की स्वतांत्रता प्राि की। यद्यत्रप इसे सार्ान्यतः द्रत्रवड र्ैली के रूप र्ें जाना जाता ह,ै परांतु इसकी अपनी पृथक त्रवर्ेषताएां भी थीं। वास्तुकला की इस नई र्ैली को प्रोत्रवडा र्लैी कहा जाता ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै . 18 www.visionias.in ©Vision IAS o र्ांकदरों की त्रवर्षेताएां: ▪ त्रवर्ाल र्ांकदर पररसर। ▪ बृहद सांरचना वाले र्ांकदर और इनका त्रनरांतर क्षैत्रतज त्रवस्तार। ▪ भारी-भरकर् और उत्कृष्ट अलांकरण। ▪ पररसर के चारों ओर त्रवर्ाल दीवार। ▪ अम्र्ान र्ांकदर के नार् स ेज्ञात एक नई सांरचना का त्रवकास। यहाां र्ुख्य दवेता की पत्नी को प्रत्रतष्ठात्रपत ककया गया था। उदाहरण - हजारा र्ांकदर का अम्र्ान र्ांकदर। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै ▪ र्ांडप: उठे हए र्ांच के साथ र्ांडप या िुल ेर्ांडप र्ें दवेताओं की प्रत्रतर्ाओं को स्थात्रपत करने के त्रलए होता था। कल्याण र्ांडप एक नई सांरचना थी जहाां त्रवर्ेष अवसरों पर दवेी-दवेताओं के त्रववाह का आयोजन ककया जाता था। एक हजार स्तांभों वाला र्ांडप लोकत्रप्रय था। यह एक त्रवर्ाल सभागार था त्रजसर्ें स्तांभों की अनेक पांत्रियाँ थीं। ▪ स्तांभ: अत्यत्रधक नक्कार्ीदार और त्रवत्रभन्न प्रकार के त्रडजाइनों की त्रवर्ेषता से यिु होते थे । उदाहरण - लपेाक्षी र्ांकदर र्ें स्तांभ सभागार। ▪ गोपरुर्: अत्रधकतर गोपुरर् त्रवजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रत्रसद् राजा कृष्ण दवे राय द्वारा बनवाए गए थे। गोपुरर् बह र्ांत्रजला त्रपरात्रर्डीय सांरचनाएां थीं। त्रवर्ालकाय और लम्बे गोपरुर् को राय गोपरुर् के नार् से जाना जाता ह।ै इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o तुलुव र्ासकों के अधीन त्रवजयनगर र्ें र्ांकदर वास्तुकला अपने चरर्ोत्कषम पर पहांच गई। वास्तुकला के साथ-साथ एक जीवांत र्ूर्तमकला परांपरा भी त्रवकत्रसत हई। इस परांपरा का उपयोग कई पौरात्रणक पात्रों और आख्यानों की र्ूर्तम बनाने के त्रलए ककया गया। हरे्कुट पहाडी पर त्रस्थत त्रवरुपाक्ष र्ांकदर और हजारा रार् र्ांकदर त्रवजयनगर र्ांकदर वास्तुकला के उदाहरण हैं। o कृष्णदवे राय न ेकुछ बेहतरीन प्रस्तर र्ांकदरों का त्रनर्ामण करवाया और अनेक र्हत्वपूणम दत्रक्षण भारतीय र्ांकदरों र्ें प्रभावर्ाली गोपुरर् या प्रवेर् द्वार बनवाए। उन्होंने त्रवजयनगर के पास अपनी र्ाां के नार् पर नागलपुरर् नार्क एक उपनगरीय बस्ती की भी स्थापना की। त्रवजयनगर के कुछ सबसे त्रवस्तृत त्रववरण उसके काल से त्रर्लते हैं। त्रतरुपत्रत का प्रत्रसद् र्ांकदर उसके काल र्ें कािी त्रवकत्रसत हआ क्योंकक वहाां के दवेता उनके आराध्य दवेता थे। Q 35.A • जब पल्लव राजा हसांहत्रवष्णु (500-580 ईस्वी) अपने राज्य का त्रवस्तार करने र्ें व्यस्त थे, लगभग उसी सर्य बादार्ी के चालुक्यों ने बादार्ी (बीजापुर त्रजला) को अपनी राजधानी बनाकर उत्तरी कनामटक र्ें र्ासन करना र्ुरू ककया था। इसके सांस्थापक पलुकेत्रर्न प्रथर् (543-566 ईस्वी) ने बादार्ी के पास की पहाडी को एक र्जबूत ककल े र्ें तब्दील कर कदया और अपनी त्रवस्तारवादी गत्रतत्रवत्रधयों को र्रुू ककया। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o कीर्तमवर्मन प्रथर् (566-597 ईस्वी) ने दत्रक्षण र्ें बनवासी के कदांबों और पत्रिर् र्ें कोंकण के र्ौयों के क्षेत्र पर र्ीघ्र ही त्रवजय प्राि कर ली और अपने क्षते्र र्ें त्रर्ला त्रलया। • कन्नौज का हषमवधमन, पलुकेत्रर्न त्रद्वतीय का सबसे बडा त्रवरोधी था। हषमवधमन दक्कन पर हर्ला करने की योजना बना रहा था। पलुकेत्रर्न त्रद्वतीय ने नर्मदा नदी के तट पर हषम पर एक त्रनणामयक जीत हात्रसल की। रत्रवकीर्तम का ऐहोल अत्रभलिे हषम पर पलुकेत्रर्न त्रद्वतीय की त्रवजय के बारे र्ें त्रवस्तार स ेबताता ह।ै त्रवजय के बाद पुलकेत्रर्न त्रद्वतीय ने परर्शे्वर (Supreme Lord) की उपात्रध धारण की थी। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • बादार्ी के चालकु्य र्ासन को लगभग 750 ईस्वी र्ें राष्ट्रकूटों द्वारा प्रत्रतस्थात्रपत कर कदया गया जब राष्ट्रकूट सार्ांत दांत्रतदगुम ने अांत्रतर् रूप से चालुक्य राजा कीर्तमवर्मन त्रद्वतीय को परात्रजत ककया। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै Q 36.A • र्हायान बौद् धर्म र्ें बोत्रधसत्व o बोत्रधसत्व उस व्यत्रि को कहते हैं त्रजसने सभी बोध-क्षर् लोगों के लाभ के त्रलए बुद्त्व प्राि करने हतेु बोत्रधत्रचत्त (एक सहज इच्छा और करुणार्य त्रचत्त) त्रवकत्रसत कर त्रलया ह।ै यह सावमभौत्रर्क र्ुत्रि र्ें त्रवश्वास करता ह।ै यह र्हायान बौद् धर्म के अांतगमत एक अवधारणा ह।ै . 19 www.visionias.in ©Vision IAS o जातक कथाओं के अनुसार बुद् अपने पूवम जन्र् र्ें बोत्रधसत्व थे। ये कथाएां आत्र्-बत्रलदान और नैत्रतकता जैसे गुणों को अपनाने के त्रलए बोत्रधसत्व के त्रवत्रभन्न प्रयासों को दर्ामती हैं। o बौद् धर्म के थेरवाद सांप्रदाय के अनुसार कोई व्यत्रि त्रजसका लक्ष्य पूणम ज्ञान प्राि करना है, अभी भी जन्र्, बीर्ारी, र्ृत्यु, दःुि, र्त्रलनता और भ्रर् के अधीन ह।ै बुद् बनने के र्ागम पर बोत्रधसत्व को 10 पडावों या भूत्रर्यों से गुजरना पडता ह ैत्रजनर्ें र्ुकदता (प्रसन्नता), त्रवर्लता (त्रनर्मलता), दीत्रि (प्रकार्), अर्चमष्र्ती (उज्ज्वल), सुदजुमया (अत्रत करठन प्रत्रर्क्षण), अत्रभर्ुिता (स्पष्टतः पारलौककक), दरुांगर्ा (साांसाररकता से दरू जाना), अचलता (अत्रडग रहना), साधुर्ती (अच्छे त्रववके वाली प्रज्ञा) और धम्र्-र्ेघा (धर्म का बादल) र्ात्रर्ल हैं। इन 10 भूत्रर्यों को पार करके ही वह पूणम ज्ञानी बन सकता ह।ै • बौद् धर्म के प्रर्िु बोत्रधसत्वों र्ें र्ात्रर्ल हैं: o अवलोककतशे्वर: ये बुद् के चारों ओर सुरक्षा करने वाल ेतीन दवेताओं र्ें स ेएक हैं। इन्हें कर्ल का िूल धारण करने वाला कहा गया ह ैऔर पद्मपात्रण के नार् से भी जाना जाता ह।ै ऐसी त्रचत्रकला अजांता की गुिाओं र्ें भी दिेी जा सकती ह।ै ये सभी बोत्रधसत्वों र्ें सबस ेअत्रधक स्वीकृत हैं। य ेकरुणा के बोत्रधसत्व, दतु्रनया की पुकार सुनने वाले र्ान ेजाते हैंजो उनके सर्ाधान के त्रलए कुर्ल साधनों का उपयोग करते हैं। ये कां बोत्रडया र्ें थेरवाद बौद् धर्म र्ें अनौपचाररक रूप स ेलोकेश्वर नार् से जाने जाते हैं। इन्हें एक र्त्रहला के रूप र्ें भी त्रचत्रत्रत ककया गया ह ैऔर कहा जाता ह ैकक ये परर् पावन दलाई लार्ा के रूप र्ें अवतार लेते हैं। o वज्रपात्रण: य ेभी बुद् के चारों ओर सुरक्षा करने वाले तीन दवेताओं र्ें से एक हैं और इन्हें भी अजांता गुिाओं र्ें त्रचत्रत्रत ककया गया ह।ै वज्रपात्रण र्ें बुद् की सभी र्त्रियों के साथ-साथ सभी पाांच तथागत अथामत् वैरोचन, अक्षोभ्य, अत्रर्ताभ, रत्नसांभव और अर्ोघत्रसत्रद् की र्त्रियाां भी हैं। o र्ांजशु्री: य ेभी बदु् के चारों ओर सुरक्षा करन ेवाले तीन दवेताओं र्ें से एक हैं और इन्हें भी अजांता गुिाओं र्ें त्रचत्रत्रत ककया गया ह।ै य ेबदु् की प्रज्ञा स ेसांबद् हैं और एक परुुष बोत्रधसत्व हैं त्रजसके हाथ र्ें तलवार ह।ै इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै o सार्ांतभद्र: ये अभ्यास और ध्यान से सांबद् हैं। बुद् और र्ांजुश्री के साथ त्रर्लकर य ेबौद् धर्म र्ें र्ाक्यर्ुत्रन त्रत्रर्ूर्तम का त्रनर्ामण करते हैं। इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत नहीं ह।ै o त्रक्षत्रतगभम: इन्हें एक बौद् त्रभक्ष ुके रूप र्ें त्रचत्रत्रत ककया गया ह ैऔर इन्होंने तब तक बुद्त्व प्राि नहीं करने का सांकल्प त्रलया ह ैजब तक कक नरक पूरी तरह स ेिाली नहीं हो जाता ह।ै o र्तै्रये: ये एक भावी बुद् हैं जो भत्रवष्य र्ें पृथ्वी पर प्रकट होंगे, पूणम ज्ञान प्राि करेंगे और त्रवर्ुद् धर्म की त्रर्क्षा देंगे। लाकिां ग बुद्ा को र्ैत्रेय का अवतार कहा जाता ह।ै o आकार्गभम: य ेसृत्रष्ट के आकार् तत्व से सांबांत्रधत हैं। इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत नहीं ह।ै o तारा: ये केवल वज्रयान बौद् धर्म से सांबद् हैं तथा कायम व उपलत्रब्धयों र्ें सिलता के गुणों का प्रत्रतत्रनत्रधत्व करती हैं। o वसधुारा: य ेधन, सर्ृत्रद् और प्रचुरता से सांबद् हैं। ये नेपाल र्ें लोकत्रप्रय हैं। इसत्रलए यगु्र् 4 सही सरु्ते्रलत ह।ै o स्कां द: य ेत्रवहारों और बौद् त्रर्क्षाओं के सांरक्षक हैं। o सीतातपत्र: इन्हें अलौककक ितरे के त्रवरुद् एक रक्षक र्ाना जाता ह ैऔर र्हायान एवां वज्रयान दोनों परांपराओं र्ें इनकी पूजा की जाती ह।ै Q 37.C • भारत र्ें स्तांभ त्रनर्ामण की परांपरा बहत पुरानी ह ैऔर यह दिेने र्ें आया ह ैकक एकैर्ेत्रनयन साम्राज्य र्ें भी त्रवर्ाल स्तांभ बनाए जाते थे। लेककन र्ौयमकालीन स्तांभ एकैर्ेत्रनयन स्तांभों से त्रभन्न हैं। र्ौयमकालीन स्तांभ चट्टानों को काटकर बनाए गए (एक त्रवर्ाल पत्थर से बने हए) हैं त्रजनर्ें उत्कीणम करने वाल ेकलाकार का कौर्ल स्पष्ट कदिाई दतेा है, जबकक एकैर्ेत्रनयन स्तांभ राजत्रर्स्त्री द्वारा अनेक टुकडों को जोडकर बनाए गए थे। • अर्ोक द्वारा पत्थर के स्तांभ बनवाए गए थे जो र्ौयम साम्राज्य के उत्तर भारतीय भाग र्ें पाए गए हैं, त्रजन पर त्रर्लालेि उत्कीणम ककए गए थे। ऐस ेस्तांभों के र्ीषम पर साांड, र्ेर, हाथी जैसे पर्ुओं की आकृत्रत उकेरी हई ह।ै सभी र्ीषामकृत्रतयाां हृष्ट-पुष्ट हैं और उन्हें एक वगामकार या गोल वेदी पर िडे रूप र्ें उकेरा गया ह।ै गोलाकार वेकदयों को सुांदर कर्ल के िूलों से सजाया गया ह।ै o र्ीषामकृत्रतयों वाले प्रस्तर स्तांभों र्ें स ेकुछ स्तांभ आज भी सुरत्रक्षत हैं और त्रबहार र्ें बसराह-बिीरा, लौररया-नांदनगढ़ व रार्पुरवा तथा उत्तर प्रदरे् र्ें सांककसा व सारनाथ र्ें दिेे जा सकते हैं। . 20 www.visionias.in ©Vision IAS • सारनाथ र्ें पाया गया र्ौयमकालीन स्तांभ र्ीषम, जो हसांह र्ीषम के नार् स ेप्रत्रसद् ह,ै र्ौयमकालीन र्रू्तम-परांपरा का सवोत्कृष्ट उदाहरण ह।ै यह आज हर्ारा राष्ट्रीय सांप्रतीक/त्रचन्ह भी ह।ै इस ेअत्यत्रधक सावधानी स ेउकेरा गया ह।ै इसकी गोलाकार वदेी पर दहाडते हए चार र्रेों की बडी-बडी प्रत्रतर्ाएां स्थात्रपत हैं और उस वदेी के त्रनचल ेभाग र्ें घोडा, साांड, त्रहरन आकद को गत्रतर्ान र्दु्रा र्ें उकेरा गया ह ैत्रजसर्ें र्रू्तमकार के उत्कृष्ट कौर्ल की झलक साि कदिाई दतेी ह।ै o यह स्तांभ र्ीषम धम्र्चक्र प्रवतमन (बदु् के द्वारा कदए गए पहल ेउपदरे्) का प्रतीक ह ैऔर बदु् के जीवन की एक र्हान ऐत्रतहात्रसक घटना का द्योतक ह।ै • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 38.C • र्गुल काल के दौरान त्रचत्रकला का त्रवकास: o हर्ायूां: भारत र्ें अपना र्ासन स्थात्रपत करते ही उसने र्ुख्य त्रचत्रकारों को अपने दरबार र्ें बुला त्रलया। उसने दो िारसी कलाकारों - र्ीर सयैद अली और अब्द-उस-सर्द को अपने दरबार र्ें एक कायमर्ाला स्थात्रपत करने और र्ाही त्रचत्र बनाने के त्रलए आर्ांत्रत्रत ककया। यहाां यह ध्यान दनेे योग्य बात ह ैकक दोनों त्रचत्रकार त्रवर्ेष रूप से छत्रव त्रचत्रण के त्रलए जाने जाते थे और इन्हें त्रवर्ेष सम्र्ान प्राि था। इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै o उसने त्रनगार िाना (त्रचत्रों की कायमर्ाला) स्थात्रपत ककया जो उसके पुस्तकालय का ही एक त्रहस्सा था। उसने हम्ज़ानार्ा का त्रचत्रण र्ुरू करवाया था त्रजसे उसके पुत्र और उत्तरात्रधकारी अकबर ने जारी रिा। o बाबर: छत्रव त्रचत्रण र्ें बाबर की गहरी रुत्रच का त्रजक्र उसके सांस्र्रणों र्ें त्रर्लता ह।ै बाबर के सांस्र्रणों र्ें त्रजन कलाकारों का उल्लेि त्रर्लता ह ैउनर्ें त्रबहजाद भी ह।ै त्रबहजाद के त्रचत्र सुांदर होते थे, ककां तु वह चेहरों का उत्तर् त्रचत्रण नहीं करता था; बत्रल्क वह दोहरी ठुड्डी वाले चेहरों को कािी लांबा करके दाढ़ी का आकषमक त्रचत्रण करता था। त्रबहजाद, हरेात (वतमर्ान अिगात्रनस्तान र्ें त्रस्थत) की फ़ारसी त्रचत्रकला र्ैली का र्ुख्य त्रचत्रकार था। वह अपने उत्कृष्ट सांयोजनों और आकषमक रांग- छटा के त्रलए जाना जाता था। इसके अत्रतररि, त्रचत्रकार के रूप र्ें र्ाह र्जुफ्िर का भी उल्लेि त्रर्लता ह ैत्रजसे बाबर केर्- सज्जा का आकषमक त्रचत्रण करने वाला उत्कृष्ट त्रचत्रकार र्ानता था। o अकबर: उसने कई र्हत्वपूणम सांस्कृत ग्रांथों का िारसी र्ें अनुवाद और त्रचत्रण करवाया। हहांद ूर्हाकाव्य र्हाभारत का िारसी अनवुाद और त्रचत्रण भी इसी काल र्ें हआ था त्रजसे ‘रज्र्नार्ा’ के नार् स ेजाना जाता ह।ै इसका त्रचत्रण वषम 1589 र्ें कुर्ल त्रचत्रकार दसवांत के त्रनरीक्षण र्ें पूरा हआ। यह पाांडुत्रलत्रप अलांकृत सुलेि र्ें त्रलत्रपबद् ह ैऔर इसर्ें 169 त्रचत्र हैं। o गोवधमन और त्रर्त्रस्कन जैसे त्रचत्रकार, उसके दरबार के उत्कृष्ट त्रचत्राांकन के त्रलए सम्र्ात्रनत ककए गए थे। एक असाधारण पाांडुत्रलत्रप अकबरनार्ा, अकबर के राजनीत्रतक और व्यत्रिगत जीवन का त्रवस्ततृ त्रववरण ह।ै यह अकबर द्वारा र्ुरू की गई सबसे र्हांगी पररयोजनाओं र्ें से एक थी। o अकबर के दरबार र्ें यूरोपीय लोगों से सांपकम और उनके आगर्न के बाद के बनाए गए अत्रधकाांर् त्रचत्रों र्ें हर् वास्तत्रवकता की ओर झुकाव दिे सकते हैं। यह र्ध्यकालीन भारत र्ें बढ़ती त्रवत्रवधता को दर्ामने के त्रलए पूरक के रूप र्ें बहत ही अनुकूल था। o इस सांदभम र्ें र्डैोना एांड चाइल्ड (1580) आरांत्रभक र्ुगल र्ैली का एक र्हत्वपूणम त्रचत्रण ह,ै जो अपारदर्ी जलीय रांगों से कागज पर त्रचत्रत्रत ह।ै र्ैडोना यहाां एक असाधारण त्रवषय है, जो बाइजेनटाईन कला, यूरोपीय र्ास्त्रीय कला और इसके पुनजामगरण को र्ुगल त्रचत्रर्ाला तक लाती ह,ै जहाां वह रूपाांतररत होकर पूरी तरह से अलग दशृ्य र्ें पररवर्तमत हो जाती ह।ै वर्जमन र्ैरी र्ास्त्रीय तरीके स ेसुसत्रज्जत ह।ै र्ाां और बच्चे के बीच प्रदर्र्मत लगाव यूरोपीय पुनजामगरण कला र्ें र्ानवतावादी दतृ्रष्टकोण से प्रभात्रवत ह।ै बच्चे की र्ारीररक सांरचना और कुछ त्रववरण जैसे-पांिा तथा आभूषण आकद पूरी तरह से भारतीय पररवेर् स ेजुडे हए हैं। Q 39.B • हात्रलया सांदभम: हाल ही र्ें, सेनगेल की प्रयोगर्ाला द्वारा परीक्षण के पररणार्ों का सत्यापन करने के बाद घाना द्वारा र्ारबगम वायरस रोग के पहले दो र्ार्लों की आत्रधकाररक पुत्रष्ट की गई ह।ै यह अत्यत्रधक सांक्रार्क और इबोला जैसा ही एक रोग ह।ै • इस रोग के बारे र्ें सबसे पहले 1967 र्ें जर्मनी के र्ारबगम और फ्ैं किटम र्ें एक साथ इसके िैलने के बाद इसका पता चला था। इसके बाद यह सांक्रर्ण बेलग्रडे और सर्बमया र्ें भी फ़ैल गया था। र्ारबगम र्ें इसकी पहचान होने के कारण इस ेयह नार् कदया गया ह।ै . 21 www.visionias.in ©Vision IAS • WHO के अनुसार, र्ारबगम वायरस रोग (MVD) एक गांभीर, प्रायः प्राण घातक रिस्रावी बुिार ह।ै इस ेपहल ेर्ारबगम रिस्रावी बिुार के नार् स ेजाना जाता था। • र्ारबगम, इबोला की तरह एक िाइलोवायरस ह।ै ये दोनों रोग त्रचककत्सकीय रूप से सर्ान हैं। र्ारबगम वायरस रोग (MVD) एक दलुमभ, लेककन गांभीर रिस्रावी बुिार ह ैजो र्ानव और गैर-र्ानव प्राइर्ेट दोनों को प्रभात्रवत करता ह।ै MVD, र्ारबगम वायरस के कारण होता ह।ै यह िाइलोवायरस पररवार का आनुवांत्रर्क रूप से त्रवत्रर्ष्ट, जूनोरटक (पर्ु-जत्रनत) RNA वायरस ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • राउसटेस फू्ट बटै को र्ारबगम वायरस का प्राकृत्रतक र्जेबान (होस्ट) र्ाना जाता ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • WHO के अनुसार, युगाांडा से आयात्रतत हरे अफ्ीकी बांदर प्रथर् र्ानव सांक्रर्ण का कारण हैं। • WHO के अनुसार इस बीर्ारी र्ें औसत र्ृत्यु दर लगभग 50% ह।ै हालाांकक, यह दर 24% से लेकर 88% तक हो सकती ह ैजो वायरस के उपभदे (स्रेन) और रोग के र्ार्लों के प्रबांधनपर त्रनभमर करता ह।ै • MVD को त्रचककत्सकीय रूप से र्लेररया, टाइिाइड और अन्य त्रवषाणुजत्रनत रिस्रावी बुिार जैसी बीर्ाररयों से अलग करना र्ुत्रश्कल ह।ै हालाांकक, नर्ूनों के प्रयोगर्ाला परीक्षण से इसकी पुत्रष्ट होती ह ैकक यह कोरोनावायरस और इबोला की तरह जैत्रवक रूप से जोत्रिर् भरा ह।ै • MVD के त्रलए अभी तक कोई स्वीकृत एांटीवायरल उपचार या टीका नहीं ह।ै Q 40.C • 10वीं र्ताब्दी र्ें प्रत्रतहार वांर् के पतन ने उसके स्वयां के सार्ांती प्रर्ुिों के सर्क्ष िुद को स्वतांत्र र्त्रियों के रूप र्ें घोत्रषत करने का रास्ता िोल कदया। चालकु्य, चांदले, चाहर्ान, गहडवाल, परर्ार, कलचरुी और गतु्रहल ये सभी त्रवत्रभन्न क्षेत्रों र्ें गुजमर-प्रत्रतहारों के प्रर्ुि सार्ांत थे। इस प्रकार य ेअपन-ेअपने क्षेत्रों र्ें अलग-अलग राजपूत वांर्ो के रूप र्ें स्वतांत्र हो गए। • गहडवालों ने 11वीं र्ताब्दी र्ें कन्नौज पर कब्जा कर त्रलया। कन्नौज से उन्होंने 1090-1193 के दौरान गांगा के दोआब के प्रर्ुि त्रहस्सों पर र्ासन ककया। गहडवाल राजा जयचांद्र को आर्तौर पर बनारस र्हर के साथ उसके घत्रनष्ठ सांबांध के कारण र्ुत्रस्लर् इत्रतहासकारों द्वारा बनारस के राजा के रूप र्ें प्रस्तुत ककया गया ह।ै • गुजमर-प्रत्रतहारों के पतन के बाद चाहर्ान (चौहान) प्रर्ुि र्त्रि के रूप र्ें उभरे। चाहर्ानों की कई र्ािाएां थीं। लेककन उनर्ें से कुछ त्रनर्वमवाद रूप से अवांती और कन्नौज के प्रत्रतहारों के सार्ांत थे। यह भी एक तथ्य ह ैकक 750-950 ईस्वी के दौरान चाहर्ानों द्वारा र्ात्रसत अत्रधकाांर् क्षेत्र प्रत्रतहारो के प्रभुत्व के अधीन भी रह ेथे। वे 973 ई. र्ें व्यावहाररक रूप से स्वतांत्र हो गए। राजा अजयराज द्वारा स्थात्रपत अजयर्रेु (आधुत्रनक अजर्ेर) र्हर उनका राजनीत्रतक कें द्र और सत्ता का भी कें द्र था। • चांदलेों न े10वीं-13वीं र्ताब्दी ईस्वी के बीच र्ध्य भारत पर र्ासन ककया था। उनके क्षेत्र को “जेजाकभुत्रि” (आधतु्रनक बुांदलेिांड) के नार् से जाना जाता था। • एक अन्य सर्कालीन राजपूत राजनीत्रतक र्त्रि परर्ार थी। यह र्त्रि गुजरात, र्ालवा और दत्रक्षणी राजपूताना के क्षेत्र र्ें गुजमर- प्रत्रतहारों और राष्ट्रकूटों के बीच के सांघषम से उभरी थे। र्ालवा के परर्ारों द्वारा र्ात्रसत क्षेत्र र्ें सांपूणम र्ालवा और आस-पास के त्रजले र्ात्रर्ल थे। • र्ौिरर राजवांर् गिुकाल के बाद का एक र्ाही भारतीय राजवांर् था त्रजसन ेछह पीकढ़यों स ेअत्रधक सर्य तक उत्तरी भारत के त्रवर्ाल क्षते्रों पर र्ासन ककया था। उन्होंन ेपहल ेगिु और बाद र्ें हषमवधमन के वांर् के जागीरदार के रूप र्ें कायम ककया। र्ौिररयों न े6वीं र्ताब्दी के र्ध्य र्ें कन्नौज र्ें अपन ेस्वतांत्र राज्य की स्थापना की। • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 41.D • औरांगजेब र्ुगल साम्राज्य का छठा सम्राट था। औरांगजेब ने जुलाई 1658 से 1707 र्ें अपनी र्ृत्यु तक र्ासन ककया। र्ुगल हसांहासन के उत्तरात्रधकार के त्रलए सार्गुढ़ के युद् (1658) र्ें औरांगजबे ने दारा को हराया और र्ुग़ल र्ासक के रूप र्ें र्ाहजहाां का उत्तरात्रधकारी बन गया। . 22 www.visionias.in ©Vision IAS • औरांगजेब की छत्रव एक रूकढ़वादी और ईश्वर से डरने वाले र्ुत्रस्लर् की थी। उसकी धार्र्मक नीत्रतयों की कुछ त्रवर्ेषताएां इस प्रकार थीं: • उसने गैर-र्ुसलर्ानों के त्रलए जत्रजया कर या पोल टैक्स, त्रजसे अकबर ने सर्ाि कर कदया था, पनुः लागू कर कदया। • उसने नौरोज के त्योहार को बांद कर कदया क्योंकक इसे ईरान के सिात्रवद र्ासकों द्वारा पसांद की जाने वाली पारसी प्रथा र्ाना जाता था। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै • उसने नए र्ांकदरों के त्रनर्ामण पर प्रत्रतबांध लगा कदया। उसने र्ांकदरों को तोडने की हनांदा नहीं की बत्रल्क उसका स्वागत ककया। • औरांगजबे न ेसभी प्राांतों र्ें र्हुतत्रसब की त्रनयतु्रि की थी। वे यह सुत्रनत्रित करने के त्रलए त्रजम्र्ेदार थे कक र्रीयत और जवात्रबत (औरांगजेब द्वारा जारी धर्मत्रनरपके्ष आदरे्) द्वारा त्रनत्रषद् बातों का िुले तौर पर उल्लांघन न ककया जाए। जैसे कक, उनका कायम यह दिेना था कक सावमजत्रनक स्थानों पर र्राब और नर्ीले पदाथों का सवेन न ककया जाए। वे वेश्यालयों, जुआघरों आकद को त्रवत्रनयत्रर्त करने और बाट एवां र्ाप की भी जाांच करने का कायम करते थे। • औरांगजेब ने दरबार र्ें गायन पर भी प्रत्रतबांध लगा कदया और सांगीतकारों की पेंर्न बांद कर दी। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • औरांगजेब ने अकबर द्वारा र्ुरू की गई झरोिा दर्मन की प्रथा को बांद कर कदया क्योंकक वह इसे एक अांधत्रवश्वास और इस्लार् के त्रिलाि र्ानता था। इसी तरह, उसने अपने जन्र्कदन पर सम्राट को सोने-चाांदी और अन्य वस्तुओं से तुलादान की प्रथा को भी सर्ाि कर कदया। • जीन-बैत्रप्टस्ट टैवर्नमयर (1605 - 1689) 17वीं सदी का फ्ाांसीसी रत्न व्यापारी और यात्री था। टैवर्नमयर ने "रैवल्स इन इांत्रडया" पुस्तक त्रलिी। इसर्ें र्ुगल साम्राज्य के दौरान सर्ुद्री व्यापार, सर्ुद्री र्ागम, र्ुद्रा, भार और र्ाप एवां भारत र्ें सांचार के साधनों के बारे र्ें त्रवस्ततृ जानकारी दी गई ह।ै उसने र्ाहजहा ँके काल र्ें र्गुल दरबार का दौरा ककया था और औरांगजबे के र्ासनकाल के दौरान भी भारत र्ें था। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै Q 42.D • हाल ही र्ें, प्रधानर्ांत्री नरेंद्र र्ोदी ने आांध्र प्रदरे् के भीर्ावरर् र्ें स्वतांत्रता सेनानी अल्लूरी सीतारार् राजू की 125 वीं जयांती के अवसर पर वषम भर चलने वाल ेजयांती सर्ारोह का र्भुारांभ ककया। इस अवसर पर प्रधानर्ांत्री ने अल्लूरी सीतारार् राजू की 30 िुट ऊां ची काांस्य प्रत्रतर्ा का भी अनावरण ककया। • अल्लूरी सीतारार् राजू भारतीय स्वतांत्रता आांदोलन र्ें र्ात्रर्ल एक भारतीय क्राांत्रतकारी थे। o उनका जन्र् वतमर्ान आांध्र प्रदरे् र्ें 1897 या 1898 र्ें हआ था। o वे 18 वषम की आयु र्ें सांन्यासी बन गए। उन्होंने अपनी तपस्या, ज्योत्रतष एवां त्रचककत्सा के ज्ञान और जांगली जानवरों को वर् र्ें करने की अपनी क्षर्ता से पहाडी और आकदवासी लोगों के बीच एक आध्यात्रत्र्क गौरव प्राि कर त्रलया था। o अल्लूरी सीतारार् राजू ने बहत ही कर् आयु र्ें गांजार्, त्रवर्ािापत्तनर् और गोदावरी र्ें पहाडी लोगों के असांतोष को अांग्रेजों के त्रिलाि अत्यत्रधक प्रभावी गुररल्ला युद् र्ें बदल कदया। o औपत्रनवेत्रर्क र्ासन के कारण आकदवात्रसयों की पारांपररक पोडु (स्थानाांतररत िेती) पर ितरा र्ांडराने लगा क्योंकक सरकार वन भूत्रर् को सांरत्रक्षत करना चाहती थी। 1882 के वन अत्रधत्रनयर् ने जड और पत्रत्तयों जैसे लघु वनोपज एकत्र करने पर प्रत्रतबांध लगा कदया और आकदवासी लोगों को औपत्रनवेत्रर्क सरकार के त्रलए र्जदरूी करने हतेु त्रववर् कर कदया। र्ुत्तदारों द्वारा आकदवात्रसयों का र्ोषण ककया जाता था। र्ुत्तदार औपत्रनवेत्रर्क सरकार द्वारा लगान वसलूने के त्रलए त्रनयुि ककए गए ग्रार् प्रधान होते थे। इसके अलावा, नए कानूनों और प्रणात्रलयों ने उनकी जीवन र्ैली को ही ितरे र्ें डाल कदया था। o अांग्रेजों द्वारा र्ुत्तदारों की र्त्रियों र्ें कटौती से व्यत्रथत र्ुत्तदार भी सरकार त्रवरोधी हो गए। उनकी यह भावना अगस्त 1922 र्ें सर्स्त्र त्रवद्रोह के रूप र्ें प्रकट हई। अल्लूरी सीतारार् राजू के नेतृत्व र्ें कई सौ आकदवात्रसयों ने गोदावरी एजेंसी र्ें हचांतापल्ली, कृष्णदवेीपेटा और राजावोम्र्ांगी पुत्रलस स्टेर्नों पर हर्ला कर कदया। o अांग्रेजों के प्रत्रत बढ़ते असांतोष ने 1922 के रम्पा त्रवद्रोह/र्ान्यर् त्रवद्रोह को जन्र् कदया त्रजसर्ें अल्लूरी सीतारार् राजू ने नेता के रूप र्ें र्हत्वपूणम भूत्रर्का त्रनभाई। ▪ रम्पा त्रवद्रोह र्हात्र्ा गाांधी के असहयोग आांदोलन के साथ हआ। राजू ने लोगों को िादी पहनने और र्राब छोडने के त्रलए राजी ककया। ▪ लेककन साथ ही, राजू ने जोर दकेर कहा कक भारत केवल बल प्रयोग से ही आजाद हो सकता है, अहहांसा से नहीं। . 23 www.visionias.in ©Vision IAS o स्थानीय ग्रार्ीणों द्वारा उनके वीरतापूणम कायों के त्रलए उन्हें "र्ान्यर् वीरुडु" (जांगल का नायक) उपनार् कदया गया था। o 1924 र्ें अल्लूरी सीतारार् राजू को पुत्रलस ने त्रहरासत र्ें त्रलया। उन्हें एक पेड से बाांध कदया गया और सावमजत्रनक रूप से गोली र्ार दी गई। इस प्रकार सर्स्त्र त्रवद्रोह का दर्न कर कदया गया। o इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै Q 43.A • नवपाषाण युग, पाषाण युग का अांत्रतर् चरण था। इस युग की र्रुुआत लगभग 7000 ई. पू. र्ें र्ानी जाती ह।ै नवपाषाण युग र्ानव सांस्कृत्रत के इत्रतहास का एक बहत ही र्हत्वपूणम चरण था। इस सर्य र्नषु्य पूरी तरह से प्रकृत्रत पर त्रनभमर नहीं था बत्रल्क उसने अपनी जरूरतों के त्रलए प्रकृत्रत का उपयोग करना आरांभ कर कदया था। • इस चरण र्ें िाद्य सार्ग्री एकत्र (त्रर्कार-सांग्रह) करने वाली अथमव्यवस्था से िाद्य उत्पाकदत (कृत्रष पर्ुपालन) करने वाली अथमव्यवस्था र्ें पररवतमन के सांकेत त्रर्लते हैं। • भारत र्ें नवपाषाण कृत्रष-आधाररत क्षेत्रों को चार सर्ूहों र्ें वगीकृत ककया जा सकता ह:ै o हसांधु प्रणाली और इसके पत्रिर्ी सीर्ावती प्रदरे्; o गांगा घाटी; o पत्रिर्ी भारत और उत्तरी दक्कन; o दत्रक्षणी दक्कन • र्हत्वपणूम स्थल: o कश्र्ीर र्ें गुिकराल और बज़ुमहोर्, उत्तर प्रदरे् (बेलन घाटी) र्ें र्हगडा, चोपनी र्ाण्डो एवां कोत्रल्डहवा तथा त्रबहार र्ें त्रचराँद। • दत्रक्षण भारत के र्हत्वपूणम स्थल: o आांध्र प्रदरे्र्ें कोडकेल, उतनरू, नागाजुमनकोंड और पय्यर्पल्ली; o कनामटक र्ें टेकलकोटा, र्ास्की, नरसीपुर, सांगनकल्लू, हल्लूर और ब्रह्मत्रगरी o तत्रर्लनाडु र्ें पय्यर्पल्ली। इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै . 24 www.visionias.in ©Vision IAS Q 44.C • श्री वल्लभाचायम (1479CE - 1531CE) एक भत्रि दार्मत्रनक थ।े इन्होंन ेर्दु्ाद्वतै दर्मन का अनुसरण करते हए भारत र्ें पतु्रष्टर्ागम सांप्रदाय की स्थापना की। र्ुद्ाद्वतै उनके द्वारा प्रत्रतपाकदत त्रवर्ुद् अद्वतैवादी दर्मन ह।ै यह एक हहांद ूवैष्णव परांपरा थी जो भगवान कृष्ण की पूजा पर कें कद्रत थी। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • दाद ूदयाल (1544CE - 1603CE) उत्तर भारत (गजुरात और राजस्थान) र्ें त्रनगुमण सांत परांपरा के एक प्रत्रसद् सांत थे। त्रनगुमण, त्रनराकार ईश्वर की प्रत्रतर्ा त्रवहीन उपासना होती ह।ै यह सगणु परांपरा के त्रबल्कुल त्रवपरीत ह।ै सगुण परांपरा र्ें दवेताओं की धार्र्मक त्रचननों और प्रत्रतरूपों के रूप र्ें उपासना की जाती ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o दाद ूका अथम ह ैभाई और दयाल का अथम ह ैदयाल।ु सर्य के साथ उनके अनुयात्रययों को दादपूांथी के नार् स ेजाना जान ेलगा। इन्होंने थाांबा (Thambas) नार्क आश्रर्ों की स्थापना की। • सूरदास (1483CE - 1563CE) वल्लभाचायम के त्रर्ष्य थे। वह एक नेत्रहीन कत्रव थ ेत्रजनके गीत भगवान कृष्ण पर कें कद्रत थे। इनकी सरूसागर नार्क कृत्रत र्ें भगवान कृष्ण के बचपन एवां यौवन का वात्सल्यपणूम और स्नहेपणूम वणमन ककया गया ह।ै इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै Q 45.C • हात्रलया सांदभम: भारत के प्रधानर्ांत्री न ेआजादी के अर्तृ र्होत्सव के एक भाग के रूप र्ें नागररकों स ेअपनी सोर्ल र्ीत्रडया डीपी को त्रतरांग ेस ेबदलन ेका आग्रह ककया। • राष्ट्रीय झांडे का प्रदर्मन, सांप्रतीक और नार् (अनुत्रचत प्रयोग त्रनवारण) अत्रधत्रनयर्, 1950 और राष्ट्रीय गौरव अपर्ान त्रनवारण अत्रधत्रनयर्, 1971 के प्रावधानों द्वारा र्ात्रसत ह।ै भारतीय झांडा सांत्रहता, 2002, र्ें सभी सांबांत्रधत व्यत्रियों के र्ागमदर्मन एवां लाभ के त्रलए ऐस ेसभी कानूनों, परांपराओं, प्रथाओं और त्रनदरे्ों को एक साथ लाने का प्रयास ककया गया ह।ै o राष्ट्रीय झांडे र्ें तीन रांगों की परट्टयाां र्ात्रर्ल होंगी। इनर्ें सर्ान चौडाई वाली तीन आयताकार परट्टयाां या छोटी परट्टयाां र्ात्रर्ल होंगी। सबसे ऊपर की पट्टी भारतीय केसरी रांग और सबसे नीचे की पट्टी भारतीय हरे रांग की होगी। बीच की पट्टी सिेद रांग की होगी। इसके बीच र्ें सर्ान अांतर पर 24 धाररयों वाल ेनवेी ब्ल ूरांग के अर्ोक चक्र का त्रडज़ाइन होगा। अर्ोक चक्र अत्रधर्ान्यत: स्क्रीन हप्रांटेड या अन्यथा छपा हआ या स्टेंत्रसल ककया हआ या उत्रचत रूप से कढ़ा हआ होगा और सिेद पट्टी के कें द्र र्ें झांड ेके दोनों तरि स्पष्ट तौर पर कदिाई दगेा। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै o भारत का राष्ट्रीय झांडा हाथ स ेकात ेहए, हाथ स ेबनु ेहए और र्र्ीन स ेबन ेहए सतूी/पॉत्रलएस्टर/ऊनी/त्रसल्क/िादी के कपडे स ेबना होगा। पॉत्रलएस्टर के उपयोग और र्र्ीन स ेबन ेझांड ेको कदसांबर 2021 के सांर्ोधन के र्ाध्यर् स ेअनरु्त्रत दी गई ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै o राष्ट्रीय झांडा, आकार र्ें आयताकार होगा। झांड ेकी लांबाई और ऊां चाई (चौडाई) का अनपुात 3:2 होगा। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै Q 46.D • गुि काल र्ें धर्मत्रनरपेक्ष सात्रहत्य की रचना र्ें उल्लेिनीय वृत्रद् हई। इन रचनाओं र्ें पयामि र्ात्रा र्ें दरबार की भव्यता का वणमन करने वाली कत्रवताएां र्ात्रर्ल थीं। गुि काल के प्रारांत्रभक चरण र्ें भास (Bhasa) एक प्रत्रसद् कत्रव थे और उन्होंने तेरह नाटकों की रचना की। हालाांकक, भास द्वारा र्ुख्यतः सांस्कृत भाषा का प्रयोग ककया गया था, लेककन उनके नाटकों र्ें प्राकृत भाषा भी पयामि रूप स ेत्रवद्यर्ान ह।ै • भास, दररद्र चारुदत्त (Dradira charudatta) नार्क नाटक के लिेक थ।े बाद र्ें र्दू्रक न ेइस नाटक को र्चृ्छकरटकर् ्(त्रर्ट्टी की गाडी) नार् स ेपनुरमत्रचत ककया। इस नाटक र्ें एक त्रनधमन ब्राह्मण व्यापारी और एक अत्यांत सुांदर गत्रणका के प्ररे् प्रसांग का वणमन ककया गया ह।ै इस ेप्राचीन काल के सवमश्रषे्ठ नाटकों र्ें स ेएक र्ाना जाता ह।ै इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै • भास ने अपने नाटकों र्ें पद ेके त्रलए यवत्रनका र्ब्द का प्रयोग ककया है, जो यूनान से सांपकम का सांकेत ह।ै हालाांकक, गुि काल को सवामत्रधक प्रत्रसत्रद् कात्रलदास की रचनाओं के त्रलए त्रर्ली ह।ै कात्रलदास के जीवन काल को चौथी र्ताब्दी के उत्तराधम से पाँचवीं र्ताब्दी के पूवामद्म के बीच र्ाना जाता ह।ै वह र्ास्त्रीय सांस्कृत सात्रहत्य के सबसे र्हान सात्रहत्यकार थे। उन्होंने अत्रभज्ञानर्ाकुन्तलर् ्की रचना की थी, जो त्रवश्व सात्रहत्य र्ें अत्यत्रधक सम्र्ात्रनत ह।ै . 25 www.visionias.in ©Vision IAS • अत्रभज्ञानर्ाकुन्तलर्् र्ें राजा दषु्यांत और र्कुां तला की प्रेर् कथा का वणमन ह।ै इनके पुत्र भरत को एक र्हान र्ासक के रूप र्ें जाना जाता ह।ै अत्रभज्ञानर्ाकुां तलर्् यूरोपीय भाषाओं र्ें अनुवाद की जाने वाली आरांत्रभक भारतीय रचनाओं र्ें से एक ह ैअन्य प्रर्ुि रचना भगवद्गीता ह।ै • गुि काल के दौरान भारत र्ें रत्रचत नाटकों र्ें दो सार्ान्य त्रवर्षेताएां पाई जाती हैं। o पहली, सभी हास्य नाटक हैं और इनर्ें ककसी दिुद घटना या त्रासदी का वणमन नहीं ह।ै o दसूरी, उच्च और त्रनम्न वगों के पात्र सर्ान भाषा नहीं बोलते हैं। इन नाटकों र्ें र्त्रहला और र्ूद्र पात्र प्राकृत भाषा बोलत ेहैं जबकक उच्च वगम के लोग सांस्कृत भाषा बोलते हैं। • यह ध्यातव्य ह ैकक अर्ोक और सातवाहनों ने प्राकृत भाषा को राजभाषा के रूप र्ें इस्तेर्ाल ककया था। Q 47.A • हाल ही र्ें, भारत न ेत्रनयर ईस्ट र्ें कित्रलस्तीन र्रणार्थमयों के त्रलए सांयिु राष्ट्र राहत और कायम एजेंसी (UNRWA) को 2.5 त्रर्त्रलयन अर्रेरकी डॉलर का योगदान कदया ह।ै • भारत UNRWA का एक सर्र्पमत दाता ह।ै भारत न ेवषम 2018 से र्ध्य पूवम र्ें कित्रलस्तीन र्रणार्थमयों के त्रलए UNRWA की कोर सेवाओं के प्रबांधन हतेु 20 त्रर्त्रलयन अर्ेररकी डॉलर का योगदान कदया ह।ै इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै • UNRWA की स्थापना 8 कदसांबर, 1949 को सांयुि राष्ट्र र्हासभा प्रस्ताव 302 (IV) के तहत वषम 1948 के अरब-इजरायल युद् की पृष्ठभतू्रर् र्ें की गई थी। इसका उद्देश्य कित्रलस्तीन र्रणार्थमयों को प्रत्यक्ष राहत प्रदान करना और र्ानवीय त्रवकास कायमक्रर् को लाग ूकरना ह।ै UNRWA ने 1 र्ई, 1950 को कायम करना र्ुरू कर कदया था। • इस ेवसे्ट बैंक, गाजा पट्टी र्ें पांजीकृत तथा लबेनान, सीररया एवां जॉडमन के र्रणाथी त्रर्त्रवरों र्ें रह रह ेलगभग 5.6 कित्रलस्तीन र्रणार्थमयों को सहायता और सरुक्षा प्रदान करन ेका दात्रयत्व सौंपा गया था। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • कित्रलस्तीन र्रणार्थमयों के त्रलए UNRWA सेवाओं र्ें सर्स्त्र सांघषम के सर्य त्रर्क्षा, स्वास्थ्य दिेभाल, राहत, बुत्रनयादी ढाांचा, त्रर्त्रवर सुधार, सुरक्षा, सूक्ष्र् त्रवत्त व आपातकालीन सहायता र्ात्रर्ल हैं। • UNRWA को लगभग परूी तरह स ेसांयिु राष्ट्र के सदस्य दरे्ों के स्वतै्रच्छक योगदान स ेत्रवत्त पोत्रषत ककया जाता ह।ै UNRWA को कुछ त्रवत्त, सांयुि राष्ट्र के त्रनयत्रर्त बजट से भी प्राि होता है, त्रजसका उपयोग अत्रधकाांर्त: अांतरामष्ट्रीय कार्र्मक व्यवस्था की लागत के त्रलए ककया जाता ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • कित्रलस्तीन र्रणाथी सर्स्या का सर्ाधान नहीं हो सका ह।ै इसके कारण सांयुि राष्ट्र र्हासभा द्वारा UNRWA के अत्रधदरे् को बार-बार नवीनीकृत ककया जाता रहा ह।ै हाल ही र्ें, इसे 30 जून 2023 तक बढ़ा कदया गया ह।ै • जनवरी र्ें UNRWA ने घोषणा की कक उस ेवषम 2022 र्ें अांतरामष्ट्रीय सर्ुदाय से 1.6 त्रबत्रलयन अर्ेररकी डॉलर की आवश्यकता ह।ै इससे कित्रलस्तीन र्रणार्थमयों के त्रनत्रहत व्यय को कवर ककया जा सकता ह।ै साथ ही, इससे सेवाओं को उपलब्ध कराना आसान होगा तथा र्ानवीय त्रवकास कायमक्रर् को सुचारू रूप से लागू ककया जा सकेगा। Q 48.A • त्रवजयनगर साम्राज्य दत्रक्षण भारत के दक्कन पठार क्षेत्र र्ें िैला हआ था। इसे 1336 ई. र्ें सांगर् वांर् के दो भाईयों, हररहर प्रथर् और बुक्का राय प्रथर् द्वारा स्थात्रपत ककया गया था। सांगर् वांर् ने त्रवजयनगर साम्राज्य पर 1336 ई. से 1485 ई. के बीच र्ासन ककया। सांगर् वांर् की स्थापना हररहर प्रथर् और बुक्का द्वारा की गई थी। उनके त्रपता को र्हुम्र्द त्रबन तुगलक ने 1327 ई. र्ें बांदी बना त्रलया था। • सालवु वांर् (Saluva Dynasty) का र्ासनकाल 1485 ई. स ेलकेर 1505 ई. तक था। इस वांर् की स्थापना सालुवों द्वारा की गई थी। वे ऐत्रतहात्रसक परांपरा के अनुसार आधुत्रनक भारत के उत्तरी कनामटक र्ें त्रस्थत कल्याणी क्षेत्र के र्ूल त्रनवासी थे। • तुलवु वांर् (Tuluva dynasty) का र्ासनकाल 1491 ई. स ेलकेर 1570 ई. तक था। कृष्ण दवे राय इस वांर् के एक र्हत्वपूणम र्ासक थ।े तुलुव वांर् त्रवजयनगर साम्राज्य पर र्ासन करने वाला तीसरा वांर् ह।ै इस वांर् का पतैृक सांबांध तुलु-भाषी नागवांर्ी क्षत्रत्रयों से पाया जाता ह।ै . 26 www.visionias.in ©Vision IAS • अरत्रवडु वांर् (Aravidu dynasty) का र्ासनकाल 1542 ई. स ेलकेर 1646 ई. तक था। इसके सांस्थापक त्रतरुर्ल दवे राय थे। इनके भाई रार् राय, त्रपछल ेवांर् (तुलुव वांर्) के अांत्रतर्र्ासक के कुर्ल राजप्रत्रतत्रनत्रध थे। o तालीकोटा र्ें 1565 ई. र्ें रार् राय की हत्या कर दी गई। त्रवजयनगर साम्राज्य लगभग अगले सौ वषों तक अत्रस्तत्व र्ें रहा। हालाांकक, इसका आकार कर् हो गया था और राय र्ासक, दत्रक्षण भारत की राजनीत्रत र्ें र्हत्वपूणम नहीं रह गए थे। • इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै Q 49.C • स्कां दगिु के र्ासनकाल के बाद, गिु र्त्रि कर्जोर पड गई। जल्द ही, कई अधीनस्थ र्ासक स्वतांत्र हो गए। बाद के गुि राजाओं ने 475-530 ईस्वी. के बीच र्ासन ककया। उन्होंने छोटे भू-भागों पर और कर् र्हत्वपूणम र्ासकों के रूप र्ें र्ासन ककया। अांततः गिु र्ासन छठी र्ताब्दी ईस्वी. के र्ध्य र्ें सर्ाि हो गया। गुि र्त्रि के कर्जोर पडने के त्रवत्रभन्न कारण थे। उनर्ें से कुछ कारणों का वणमन नीचे सांक्षेप र्ें ककया गया ह:ै o हण आक्रर्ण: चांद्रगुि त्रद्वतीय के उत्तरात्रधकाररयों को हणों के आक्रर्ण का सार्ना करना पडा। हण र्ध्य एत्रर्या से आए थे। ये श्वेत हणों की एक र्ािा से सांबांत्रधत थे। श्वेत हण र्ध्य एत्रर्या र्ें त्रनवास करने वाले हफ़ेथलाइट्स थे। इन्हें भारतीय स्रोतों र्ें हणों के रूप र्ें जाना जाता ह।ै उत्तर पत्रिर्ी भारतीय सीर्ा पर हर्ला करने से पहले, उन्होंने बैत्रक्रया पर अत्रधकार कर त्रलया था और हहांदकुुर् की पहात्रडयों को पार करने का प्रयास कर रह ेथे। प्रारांभ र्ें, गुि र्ासक उन्हें पीछे धकेलने र्ें सिल रह।े हालाांकक, कुर्ारगुि के उत्तरात्रधकारी अपने साम्राज्य की रक्षा नहीं कर सके। हण आक्रर्णों की प्रत्यके लहर न ेगिु र्ासन को कर्जोर कर कदया। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o सार्ांतों का उदय: गुि साम्राज्य र्ें सार्ांतों के उदय ने र्ासन को और भी कर्जोर कर कदया। गिु र्ासकों द्वारा उत्तरी बांगाल र्ें त्रनयिु राज्यपाल तथा सर्त्ता या दत्रक्षण-पवूम बांगाल र्ें उनके सार्ांत न ेगिु र्ासन के त्रनयांत्रण स ेस्वयां को अलग कर त्रलया। सार्ांत स्वयां को कें द्रीय र्त्रि र्ानन ेलग ेथ।े र्गध के उत्तरवती गुि र्ासकों ने त्रबहार र्ें अपनी र्त्रि स्थात्रपत की। इसके अत्रतररि, त्रबहार और उत्तर प्रदरे् र्ें र्ौिरर वांर् ने अपनी र्त्रि स्थात्रपत कर ली थी और उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o ब्राह्मणों को भतू्रर् अनदुान: इत्रतहासकारों ने यह भी उल्लेि ककया ह ैकक गिु र्ासकों न ेब्राह्मण अनदुान ग्रत्रहताओं को भतू्रर् अनदुान दनेा जारी रिा। साथ ही, इस प्रकक्रया र्ें अनदुान ग्रत्रहताओं के पक्ष र्ें अपने राजस्व एवां प्रर्ासत्रनक अत्रधकारों का आत्र्सर्पमण कर कदया। इस प्रथा से राजस्व र्ें कर्ी आना स्वाभात्रवक था। 473 ईस्वी. र्ें गुजरात स ेर्ालवा की ओर रेर्र् बनुकरों की एक श्रणेी के प्रवासन करने तथा उनके द्वारा अनुत्पादक व्यवसायों को अपनाने से पता चलता ह ैकक उनके द्वारा उत्पाकदत वस्त्रों की व्यापक स्तर पर कोई र्ाांग नहीं थी। गुजरात के व्यापार स ेहोन ेवाल ेलाभ धीरे-धीरे सर्ाि हो गए। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै Q 50.D • हात्रलया सांदभम: G7 दरे्ों के नतेाओं न ेचीन के बले्ट एांड रोड इत्रनत्रर्एरटव को टक्कर दने ेहते ु त्रवकासर्ील दरे्ों के त्रलए 600 त्रबत्रलयन डॉलर की योजना का अनावरण ककया ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • पाटमनरत्रर्प िॉर ग्लोबल इांफ्ास्रक्चर एांड इन्वेस्टर्ेंट (PGII): यह र्ूल्य-सांचात्रलत, उच्च-प्रभावी और पारदर्ी अवसांरचनात्र्क साझेदारी ह।ै यह त्रनम्न और र्ध्यर् आय वगम के दरे्ों की त्रवर्ाल अवसांरचनात्र्क आवश्यकताओं को पूरा करती ह।ै o साथ ही, यह सांयिु राज्य अर्ेररका और उसके सहयोगी दरे्ों के आर्थमक तथा राष्ट्रीय सरुक्षा सांबांधी त्रहतों का सर्थमन करती ह।ै • अर्ेररकी राष्ट्रपत्रत, जो बाइडेन और G7 के अन्य नेताओं ने वषम 2027 तक 600 त्रबत्रलयन डॉलर का त्रवत्तपोषण जुटाने वाली र्हत्वाकाांक्षी योजना का अनावरण ककया ह।ै इस योजना के तहत भारत जसै े त्रवकासर्ील दरे्ों र्ें पारदर्ी और गरे्-चेंहजांग अवसांरचनात्र्क पररयोजनाओं की र्रुुआत की जाएगी। इस ेचीन के बले्ट एांड रोड इत्रनत्रर्एरटव के प्रत्यतु्तर के रूप र्ें दिेा जा रहा ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै . 27 www.visionias.in ©Vision IAS • अर्ेररकी राष्ट्रपत्रत ने PGII के त्रलए अगले पाांच वषों र्ें 200 त्रबत्रलयन अर्ेररकी डॉलर दनेे हतेु दरे् की प्रत्रतज्ञा की भी घोषणा की ह।ै यह रात्रर् अनुदान, सावमजत्रनक त्रवत्त-पोषण और त्रनजी पूांजी के र्ाध्यर् स ेदी जाएगी। • इसी अवत्रध र्ें यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने इस साझेदारी के त्रलए 300 त्रबत्रलयन यूरो जुटाने की यूरोप की प्रत्रतज्ञा की घोषणा की ह।ै Q 51.B • र्गेस्थनीज की रचना इांत्रडका र्ौयम साम्राज्य का उल्लिे करन ेवाला सबस ेर्हत्वपणूम सात्रहत्रत्यक स्रोत ह।ै र्ेगस्थनीज सेल्यूकस का एक दतू था त्रजसने चांद्रगुि र्ौयम के र्ासनकाल के दौरान र्ौयम राजधानी पाटत्रलपुत्र का दौरा ककया था। उसकी कृत्रत, इांत्रडका, चांद्रगुि र्ौयम र्ासन के अधीन भारत, त्रवर्ेष रूप से उत्तरी भारत र्ें भ्रर्ण के दौरान प्राि अनुभवों का सांकलन ह।ै इसत्रलए त्रवकल्प 1 सही ह।ै • एक अन्य सर्ान रूप स ेलोकत्रप्रय स्रोत कौरटल्य की रचना अथमर्ास्त्र ह ैत्रजसर्ें स्पष्ट रूप स ेर्ौयम र्ासन का उल्लिे ककया गया ह।ै परांपरागत रूप से अथमर्ास्त्र को कौरटल्य अथमर्ास्त्र के नार् से जाना जाता ह।ै कौरटल्य को त्रवष्णुगुि या चाणक्य के नार् स ेभी जाना जाता ह।ै ऐसा र्ाना जाता ह ैकक व ेचांद्रगिु र्ौयम के र्ुख्यर्ांत्री थे। उन्होंन ेनांद वांर् को परात्रजत करने र्ें चांद्रगुि र्ौयम की र्दद की थी। इसत्रलए त्रवकल्प 2 सही ह।ै • कदव्यावदान और अर्ोकावदान जैस ेग्रांथों के साथ-साथ र्हावांर् और दीपवांर् जैस ेश्रीलांकाई बौद् वतृ्ताांतों तथा उत्तरकात्रलक परुाणों र्ें वर्णमत राजाओं की सचूी र्ें भी र्ौयों का उल्लिे ह।ै इसत्रलए त्रवकल्प 3 और 4 सही हैं। • कदव्यावदान या दवैीय आख्यान बौद् अवदान कथाओं का एक सांस्कृत सांकलन ह।ै इस सांकलन र्ें र्ौयम साम्राज्य के र्ासकों का स्पष्ट उल्लेि प्राि होता ह।ै • दीपवांर्, श्रीलांका का सबस ेपरुाना र्ौजदूा ऐत्रतहात्रसक ररकॉडम ह।ै इस ेचौथी र्ताब्दी र्ें सांकत्रलत ककया गया था। इसे अत्रधक व्यापक रूप स ेर्हावांर् के ऐत्रतहात्रसक वृत्ताांत और उत्तरोत्तर काल के लेिकों द्वारा त्रलिे गए र्ुख्य स्रोतों र्ें स ेएक र्ाना जाता ह।ै यह राजनीत्रतक इत्रतहास के बजाय धार्र्मक (बौद्) त्रवषयों पर बल दतेा ह।ै दीपवांर्, र्हावांर् के आख्यानों की सर्यावत्रध एक सर्ान ही ह।ै हालाांकक, र्हावांर् के त्रवपरीत दीपवांर् एक अपररष्कृत और अर्ोत्रधत रचना ह ैअथामत इसे बढा-चढा कर प्रस्तुत नहीं ककया गया ह।ै सांभवतः यह हसांहली लोगों का पाली भाषा र्ें त्रलिने का पहला प्रयास था। पाली भाषा को बौद् धर्म की पत्रवत्र भाषा र्ाना जाता ह।ै पाठ की व्यवत्रस्थत सांरचना की कर्ी और लेिन र्ैली की त्रवत्रवधता के कारण, इसे आर् तौर पर कई लेिकों द्वारा रत्रचत र्ाना जाता ह।ै Q 52.A • कृष्णा और तुांगभद्रा नकदयों के बीच त्रस्थत उपजाऊ रायचूर दोआब के त्रलए त्रवजयनगर साम्राज्य और बहर्नी साम्राज्य के र्ध्य सांघषम हए। इस प्रत्रतद्वांत्रद्वता के प्रारांत्रभक चरण र्ें बहर्नी साम्राज्य अत्रधक प्रभावी रहा। यह दो र्तात्रब्दयों तक एक र्ुख्य र्त्रि के रूप र्ें भी स्थात्रपत रहा। बहर्न र्ाह को पूवम र्ें वारांगल और उडीसा के र्ासकों के साथ भी सांघषम करना पडा। सुचारू प्रर्ासन की सुत्रवधा प्रदान करने के त्रलए, जैसा कक कदल्ली सल्तनत र्ें अनुसरण ककया गया था, उसने राज्य को चार क्षेत्रीय प्राांतों र्ें त्रवभात्रजत कर कदया था। इन प्राांतों को ‘तरि’ कहा जाता था। ये प्राांत गुलबगाम, दौलताबाद, बीदर और बरार थे। प्रत्येक प्राांत एक राज्यपाल (तरिदार) के अधीन होता था। प्रत्येक तरिदार अपने प्राांत की सेना की कर्ान सांभालता था। साथ ही, प्रर्ासन और राजस्व सांग्रहण दोनों के त्रलए पणूम रूप से उत्तरदायी होता था। इस व्यवस्था न ेर्त्रिर्ाली र्ासक के अधीन अच्छा कायम ककया, ककां तु कर्जोर र्ासक के अधीन इसके ितरे स्पष्ट कदिने लगे। बहर्न र्ाह ने अपने ग्यारह वषों के र्ासनकाल की अत्रधकाांर् अवत्रध को अपने राज्य र्ें त्रवद्रोत्रहयों का दर्न करने और व्यवस्था स्थात्रपत करने र्ें व्यतीत कर कदया था। उसके द्वारा वारांगल राज्य, राजर्ुांदरी और कोंडात्रवद ुके रेड्डी साम्राज्यों पर जबरन वार्षमक पट्टा लगाने के प्रयासों के कारण ये राज्य बहर्नी साम्राज्य के साथ त्रनरांतर युद्रत रहते थे। इन सभी अत्रभयानों र्ें बहर्न र्ाह त्रवजयी हआ। बहर्न र्ाह ने अपने त्रसक्कों पर त्रद्वतीय त्रसकां दर की उपात्रध धारण की। . 28 www.visionias.in ©Vision IAS • दक्कन के अत्रधकाांर् भागों की त्रवजय और उनका कदल्ली सल्तनत र्ें अत्रधग्रहण र्हुम्र्द त्रबन तुगलक के र्ासनकाल के दौरान सांपन्न हआ। उसने दक्कनी प्रदरे् र्ें त्रवस्तृत प्रर्ासत्रनक व्यवस्था स्थात्रपत की। उलुग िान को प्रदरे् का प्रर्ुि राज्यपाल या "वायसराय" त्रनयुि ककया गया। इस सांपूणम प्रदरे् को '23 इक्लीर्ों या प्राांतों र्ें त्रवभात्रजत ककया गया। इनर्ें से सबसे र्हत्वपूणम जाजनगर (उडीसा), र्रहट (र्हाराष्ट्र), तेलांगाना, बीदर, कत्रम्पली और द्वारसर्ुद्र थे। • तत्पिात, र्ालवा को भी दक्कन के राज्यपाल के अधीन कर कदया गया। • प्रत्येक इक्लीर् को कई ग्रार्ीण त्रजलों (त्रर्क) र्ें त्रवभात्रजत ककया गया था। राजस्व वसूली के त्रलएप्रत्येक त्रर्क को हजारी (एक हजार) और सदी (एक सौ) र्ें त्रवभात्रजत ककया गया था। इसके र्ुख्य अत्रधकारी त्रर्कदार, वली, अर्ीर-ए-हजाराह और अर्ीर- ए-सादाह थे। • इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै Q 53.D • हहांद ू धर्म र्ें भत्रि आांदोलन के सर्ानाांतर, इस्लार् र्ें सूिीवाद ने सर्ान भूत्रर्का त्रनभाई। सूिी, वली, दरवेर् और िकीर र्ब्दावत्रलयों का प्रयोग उन र्ुत्रस्लर् सांतों के त्रलए ककया जाता ह ैत्रजन्होंने तपस्वी अभ्यासों, हचांतन, त्याग और आत्र्बत्रलदान के र्ाध्यर् स ेअपनी सहज ज्ञान यिु र्ानत्रसक र्त्रियों को त्रवकत्रसत करने का प्रयास ककया। 12वीं र्ताब्दी तक सूिीवाद इस्लार्ी सार्ात्रजक जीवन का एक प्रभावर्ाली पहलू बन गया था क्योंकक इसका प्रसार लगभग सम्पूणम र्ुत्रस्लर् सर्ुदाय र्ें हो गया था। • सूिी, दार्मत्रनकों का एक वगम था। ये अपनी धार्र्मक उदारता और सत्रहष्णुता के त्रलए जाने जाते थे। सूकियों ने अल्लाह को सवोच्च सौन्दयम र्ाना। उनका र्ानना था कक प्रत्येक व्यत्रि को अल्लाह की इबादत करनी चात्रहए, उसके ध्यान र्ें र्ि रहना चात्रहए और अपना ध्यान केवल उसी पर कें कद्रत करना चात्रहए। उनका र्ानना था कक अल्लाह 'र्ार्ुक' (त्रप्रय) हैं और सूिी 'आत्रर्क' (प्रेर्ी) हैं। सूिीवाद त्रवत्रभन्न 'त्रसलत्रसलों' या वगों (Orders) र्ें त्रवभात्रजत था। सवामत्रधक लोकत्रप्रय सिूी त्रसलत्रसल े त्रचश्ती, सुहरावदी, कादररया और नक्र्बांदी थे। सूिीवाद ने ग्रार्ीण और र्हरी दोनों क्षेत्रों र्ें स्वयां को स्थात्रपत कर त्रलया था। साथ ही, इन्होंने लोगों को सार्ात्रजक, राजनीत्रतक एवां साांस्कृत्रतक तौर पर व्यापक रूप से प्रभात्रवत ककया। इसने सभी प्रकार की धार्र्मक औपचाररकता, रूकढ़वाकदता, झठू और पािांड का त्रवरोध ककया। इसके साथ ही सिूीवाद ने एक नई त्रवश्व व्यवस्था बनाने का प्रयास ककया त्रजसर्ें आध्यात्रत्र्क आनांद की प्रात्रि अांत्रतर् लक्ष्य था। ऐसे सर्य र्ें जब राजनीत्रतक सत्ता के त्रलए सांघषम हो रहा था, तब सूिी सांतों ने लोगों को उनके नैत्रतक दात्रयत्वों का स्र्रण कराया। सांघषम और त्रववाद से ग्रस्त दतु्रनया र्ें उन्होंने र्ाांत्रत एवां सद्भाव लाने का प्रयास ककया। • सूिीवाद को तसव्वुफ़ के नार् से भी जाना जाता ह।ै यह धार्र्मक प्रथा का एक रहस्यवादी अांग ह।ै यह र्ुख्य रूप से सुन्नी इस्लार् र्ें पाया जाता ह।ै हालाांकक, इसे त्रर्या इस्लार् र्ें भी स्वीकार ककया जाता ह।ै त्रर्या इस्लार् की त्रवर्ेषता इस्लार्ी आध्यात्रत्र्कता, कर्मकाांडवाद, वरैाग्य और गूढ़ता पर कें कद्रत ह।ै • तवाक्कुल (Tawakkul) एक सूिीवाद स ेसांबांत्रधत र्ब्द ह।ै यह अल्लाह की रहर्तों (plan) र्ें पणूम त्रवश्वास करन ेकी अवधारणा का वणमन करता ह।ै इसका अथम ह ैअल्लाह र्ें पणूम त्रवश्वास होना। यह सांततु्रष्ट या सांतोष (Containment) की अनभुतू्रत करन ेके त्रवचार का प्रतीक ह।ै इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै • सर्ा (Samā), सांगीत सनुन ेऔर परर् आनांद की स्ततु्रत र्ें जप करने तथा रहस्यर्य पररवतमन को प्रेररत करने की सूिी प्रथा ह।ै र्ुत्रस्लर् रूकढ़वादी इस तरह की प्रथाओं को गैर-इस्लार्ी र्ानते थे। उनर्ें से अत्रधक र्ुद्तावादी (Puritanical) लोग सूिी सांगीत, गीत एवां नृत्य को र्द्यपान सभाओं एवां अनैत्रतक गत्रतत्रवत्रधयों के साथ सांबद् ककया। इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह।ै • र्कु्र (Shukr) एक अरबी र्ब्दावली ह।ै इसका अथम कृतज्ञता, धन्यवाद, या र्नुष्यों द्वारा स्वीकृत्रत होता ह।ै इस्लार् र्ें यह एक अत्यत्रधक सम्र्ात्रनत गुण ह।ै इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत ह।ै Q 54.C • अलाउद्दीन त्रिलजी एक त्रवर्ाल स्थायी सनेा रिने वाला पहला सलु्तान था। उस ेवह र्ाही िजाने से नकद र्ें भुगतान करता था। उसने चेहरा और दाग नार्क एक उन्नत प्रणाली की र्ुरुआत की। इसर्ें चेहरा (प्रत्यके सैत्रनक का त्रवस्तृत त्रववरण) और दाग (घोडों को दागना) को अनुरत्रक्षत ककया जाता था। . 29 www.visionias.in ©Vision IAS • अलाउद्दीन के आांतररक सधुार: अत्यत्रधक प्रदरे्ों के त्रवलय के पिात् सरकार को त्रस्थर करने के उद्दशे्य से व्यापक प्रर्ासत्रनक सुधार ककए गए थे। अलाउद्दीन का पहला उपाय अर्ीरों को उनके द्वारा जर्ा की गई सांपत्रत्त स ेवांत्रचत करना था। इस सांपत्रत्त ने अर्ीरों को सुल्तान के त्रवरुद् षयांत्र करने के त्रलए अवसर और साधन र्हुयैा कराए थे। अर्ीर व्यत्रियों के पररवारों के बीच त्रववाह सांबांधों की अनुर्त्रत केवल सुल्तान की सहर्त्रत से ही दी जाती थी। सुल्तान ने आदरे् कदया कक जर्ींदार के स्वात्रर्त्व वाले गावों, र्ुफ्त उपहार के रूप र्ें अथवा एक धार्र्मक उद्दशे्य की पूर्तम हतेु दान के रूप र्ें कदए गए गाांवों को र्ाही अत्रधकार और त्रनयांत्रण र्ें वापस त्रलया जाए। उसने पारांपररक ग्रार् अत्रधकाररयों को उनके परांपरागत त्रवर्ेषात्रधकारों स ेवांत्रचत करके उनकी र्त्रियों पर अांकुर् लगाया। भ्रष्ट र्ाही अत्रधकाररयों से कठोरता से त्रनपटा जाता था। सुल्तान ने र्कदरा पर रोक लगा दी और र्ादक पदाथों के उपयोग को प्रत्रतबांत्रधत कर कदया। जुआ िेलने पर प्रत्रतबांध लगा कदया गया तथा जुआररयों को र्हर स ेत्रनष्कात्रषत कर कदया गया था। हालाांकक, त्रनषेध त्रनयर्ों के व्यापक उल्लांघन ने अांततः सुल्तान को प्रत्रतबांधों र्ें छूट दनेे के त्रलए त्रववर् ककया। • अलाउद्दीन प्रत्यक्ष रूप से ककसानों से भूत्रर् कर वसूल करता था। गाांव के र्ुत्रिया, त्रजन्हें परांपरागत रूप से भूत्रर् कर को एकत्रत्रत करने का अत्रधकार प्राि था, उन्हें अब इससे वांत्रचत कर कदया गया था। अलाउद्दीन द्वारा वसूल ककए जाने वाले करों का दबाव गरीबों पर न होकर अर्ीरों पर था। अलाउद्दीन ने अपने त्रवर्ाल साम्राज्य के सभी त्रहस्सों के सांपकम र्ें रहने के त्रलए डाक प्रणाली की स्थापना की। • अपन ेसतै्रनकों को उनके वतेन स ेसांतषु्ट रिने के त्रलए त्रिलजी सलु्तान न ेउत्पादन लागत के आधार पर कठोर र्लू्य त्रनयांत्रण उपायों की र्रुुआत की। o ककसानों द्वारा अपने िेतों र्ें उत्पाकदत अनाज को एक त्रनत्रित र्ूल्य पर बेचने का आदरे् कदया गया था। साथ ही, उन्हें त्रनजी तौर पर इसकी त्रबक्री के त्रलए कोई भी अनाज घर ले जाने की अनुर्त्रत नहीं थी। प्रत्येक व्यापारी वात्रणज्य र्ांत्रालय के साथ पांजीकृत था। उसे अपने द्वारा व्यापार ककए जाने वाल ेसार्ान की त्रनयत्रर्त आपूर्तम की गारांटी दनेे वाले बांधपत्र पर हस्ताक्षर करने होते थे। o आवश्यक वस्तओुं की कीर्तों को त्रनयांत्रत्रत करने हतेु, अलाउद्दीन ने कालाबाजारी और जर्ािोरी के बारे र्ें जानकारी एकत्र करने के त्रलए एक त्रवस्तृत िुकिया नेटवकम की स्थापना की। • अर्ीर िुसरो एक सिूी गायक थ ेऔर प्रायः उन्हें “कव्वाली का जनक” कहा जाता ह।ै कव्वाली भारतीय उपर्हाद्वीप र्ें सूफ़ी गायन का एक भत्रि रूप ह।ै वह कदल्ली के त्रनजार्दु्दीन औत्रलया के त्रर्ष्य थ।े अलाउद्दीन त्रिलजी ने उन्हें अपने दरबारी कत्रव के रूप र्ें र्ीर हसन दहेलवी के साथ सांरक्षण प्रदान ककया था। अलाउद्दीन त्रिलजी ने अर्ीर िुसरो को तूती-ए-हहांद (भारत का तोता) की उपात्रध प्रदान की थी। • इसत्रलए त्रवकल्प (C) सही उत्तर ह।ै Q 55.B • दसूरी र्ताब्दी ईसा पूवम से लेकर तीसरी र्ताब्दी ईस्वी के दौरान, पत्रिर् एत्रर्या और र्ध्य एत्रर्या के कई र्ासकों जैसे इांडो- ग्रीक, र्क, पार्थमयन, कुषाणों ने भारतीय सांस्कृत्रत को आत्र्सात ककया और भारतीय धर्ों को अपनाया। कुछ लोगों ने वैष्णव धर्म को अपनाया, त्रजसका अथम ह ैकक व ेसांरक्षक और पालनकताम, भगवान त्रवष्णु की पूजा करते हैं। ग्रीक राजदतू हते्रलयोडोरस न ेईसा पूवम दसूरी र्ताब्दी के र्ध्य के आसपास र्ध्य प्रदरे् र्ें त्रवकदर्ा के पास बसेनगर र्ें भगवान वासुदवे के सम्र्ान र्ें एक स्तांभ की स्थापना की। • कुछ दसूरे र्ासकों ने बौद् धर्म अपनाया। प्रत्रसद् ग्रीक र्ासक त्रर्नाांडर (बौद् नार् त्रर्हलांद) बौद् बन गया। त्रर्नाांडर और बौद् आचायम नागसेन के बीच वातामलाप के दौरान ककए गए प्रश्न और उत्तर के सांकलन को त्रर्हलांदपन्हो कहा जाता ह।ै यह र्ौयोत्तर काल के बौत्रद्क इत्रतहास का एक प्रर्ुि स्रोत ह।ै बौद् आचायम नागसेन को नागाजुमन भी कहा जाता ह।ै कुषाण र्ासक त्रर्व और बदु् दोनों की पजूा करत ेथ ेऔर इन दवेताओं के त्रचत्र कुषाण त्रसक्कों पर पररलत्रक्षत होत ेथ।े कई कुषाण र्ासक त्रवष्णु के उपासक थे। यह ध्यान दनेे योग्य ह ैकक कुषाण र्ासक वासुदवे का नार् त्रवष्णु के अवतार कृष्ण का एक पयामय ह।ै • पार्थमयन ईरानी र्ूल के थ ेऔर र्कों के साथ र्जबूत साांस्कृत्रतक सांबांध के कारण, इन सर्ूहों को भारतीय स्रोतों र्ें र्क-पहलव के रूप र्ें सांदर्भमत ककया गया था। पाककस्तान के उत्तर-पत्रिर्ी क्षेत्र र्ें पार्थमयन र्ासन को इांत्रगत करने वाला र्हत्वपूणम त्रर्लालेि पेर्ावर के पास र्दमन से प्राि प्रत्रसद् तख्त-ए-बही त्रर्लालेि ह।ै 45 ईस्वी र्ें कदनाांककत यह त्रर्लालेि, पार्थमयन र्ासक के रूप र्ें गोंदोिर्नमस या गोंडोिेरेस को सांदर्भमत करता ह।ै . 30 www.visionias.in ©Vision IAS • कुषाण र्ूल रूप से पत्रिर्ी चीन के त्रनवासी थ।े उन्हें यू-ची (Yueh-chis) भी कहा जाता ह।ै र्कों और पहलवों को परात्रजत करके कुषाणों न ेपाककस्तान र्ें एक बडा साम्राज्य स्थात्रपत कर त्रलया था। कुषाण वांर् का पहला प्रर्िु र्ासक कुजलु कडकिसेस था। उसका पुत्र त्रवर् कडकिसेस उसका उत्तरात्रधकारी बना। अगला र्ासक कत्रनष्क था। कत्रनष्क इत्रतहासर्ें बौद् धर्म के एक र्हान सांरक्षक के रूप र्ें प्रत्रसद् ह।ै उसने कुां डलवन (जम्र्ू और कश्र्ीर र्ें श्रीनगर के पास वतमर्ान हरवन) र्ें चतुथम बौद् सांगीत्रत आयोत्रजत कराई। इसर्ें बडी सांख्या र्ें बौद् त्रवद्वानों ने भाग त्रलया था। इसी सांगीत्रत र्ें बौद् धर्म दो सांप्रदायों, अथामत- हीनयान और र्हायान र्ें त्रवभात्रजत हो गया। • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 56.B • कनामटक का ककन्नल गाांव अपने अनोि ेककस्र् के दस्तकारी वाल ेत्रिलौनों और धार्र्मक र्रू्तमयों के त्रलए जाना जाता ह।ै o ककन्नल (त्रजस ेककन्हल भी कहा जाता ह)ै त्रिलौने 15 वीं और 16 वीं र्ताब्दी स ेही प्रचलन र्ें हैं। उस अवत्रध के दौरान इसे त्रवजयनगर साम्राज्य के अर्ीर राजाओं और उसके बाद कोप्पल के नवाबों द्वारा सांरक्षण कदया गया। इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै o हम्पी रथ पर उत्कृष्ट नक्कार्ी के साथ-साथ पांपा पटेश्वर र्ांकदर (Pampapateshwara Temple) र्ें प्रत्रसद् त्रभत्रत्त त्रचत्रों को ककन्नल कारीगरों की कलाकृत्रत र्ाना जाता ह।ै ककन्नल गाांव के लकडी के त्रिलौने पीकढ़यों से चले आ रह ेहैं और कई र्तात्रब्दयों से अत्रस्तत्व र्ें बने हए हैं। इस तथ्य को ध्यान र्ें रिते हए कक यह त्रर्ल्प राज्य के इस त्रहस्से के त्रलए त्रवत्रर्ष्ट और दरे्ज ह,ै इन त्रिलौनों को जीआई (भौगोत्रलक सांकेत) टैग प्रदान ककया गया ह।ै o ककन्नल की र्ूर्तमयाां अपने चर्कीले पेंट और जीवांत रांगों के त्रलए जानी जाती हैं। ये र्ूर्तमयाां आर्तौर पर दवेताओं, पर्ुओं , काष्ठ परट्टकाओं, त्रभत्रत्त त्रचत्रों और यहाां तक कक र्ुिौटों के रूप र्ें होती हैं। o ये र्ूर्तमयाां हस्तत्रनर्र्मत होती हैं। इसे बनाने की परूी प्रकक्रया कािी त्रवस्तृत ह ैतथा यह कािी श्रर्साध्य कायम ह।ै र्ूर्तमयों को बनाने र्ें इस्तेर्ाल की जाने वाली लकडी "पोंकी र्राम (स्थानीय नार्)" नार्क वृक्ष से प्राि होती ह।ै यह ककन्नल और उसके आस-पास के क्षते्रों र्ें उगता ह।ै इस लकडी की त्रवर्ेषता यह ह ैकक यह नरर् और हल्की होती ह ैऔर इसत्रलए र्रू्तमकला के त्रलए उपयुि होती ह।ै • एरटकोप्पका आांध्र प्रदरे् के त्रवर्ािापट्टनर् त्रजल ेस े64 ककलोर्ीटर की दरूी पर वराह नदी के तट पर त्रस्थत एक छोटा-सा गावँ ह।ै एरटकोप्पका का अथम ह ैलकडी की सुांदर कलाकृत्रतयाां और लाह के रांग। o त्रिलौन ेलाह के रांग का प्रयोग करके बनाए जात ेहैं। य ेपारांपररक रूप स ेएरटकोप्पका त्रिलौन ेया एरटकोप्पका बोम्र्ाल ुके नार् स ेजान ेजाते हैं। यह गाांव लकडी स ेबन ेत्रिलौनों के त्रलए बहत प्रत्रसद् ह।ै लाह कोटटांग या लपे के इस्तरे्ाल के कारण त्रिलौनों को लाह के त्रिलौन ेभी कहा जाता ह।ै इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह।ै o ये त्रिलौने लकडी से बने होते हैं और बीज, लाह, छाल, जडों और पत्रत्तयों स ेप्राि प्राकृत्रतक रांगों से रांगे जाते हैं। र्ुलायर् लकडी से इन त्रिलौनों को बनाया जाता ह।ै त्रिलौना बनाने की इस कला को काष्ठ-त्रनर्र्मत लाह त्रर्ल्प (Turned wood Lacquer craft) के नार् से भी जाना जाता ह।ै o एरटकोप्पका त्रिलौने बनाने के त्रलए लाि का उपयोग ककया जाता ह।ै लाि त्रवत्रभन्न प्रकार के कीडों से प्राि रांगहीन रेत्रज़न स्राव होता ह।ै ऑक्सीकरण की प्रकक्रया के दौरान पहले से तैयार वानस्पत्रतक रांगों को लाि र्ें त्रर्लाया जाता ह।ै इस प्रकक्रया के बाद प्राि अांत्रतर् उत्पाद के रूप र्ें सर्ृद् और रांगीन लाह प्राि होता ह।ै लाि डाई का उपयोग एरटकोप्पका त्रिलौनों को सजाने के त्रलए ककया जाता ह।ै य ेत्रिलौने दतु्रनया भर र्ें त्रनयामत ककए जाते हैं। o भारत र्ें एरटकोप्पका त्रिलौनों को GI टैग का प्रदान ककया गया ह।ै • लाईिाकदबी गतु्रडया (Laiphadibi dolls) र्त्रणपरु के र्ैतईे लोगों की पारांपररक कपड ेकी गतु्रडया ह।ै इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत नहीं ह।ै o वतमर्ान र्ें घर पर लाईिकदबी गुत्रडया बनाने की परांपरा र्ें त्रगरावट आई ह।ै परे्ेवरों द्वारा बनाई गई गुत्रडया र्ें आकषमक त्रवर्ेषताएां होती हैं। इन गुत्रडयाओं के चहेरे लगभग गोल होते हैं। ये गोल चेहरे र्ायद इस अवधारणा से प्रेररत होते हैं कक गोल चेहरा सुांदरता का प्रतीक ह।ै . 31 www.visionias.in ©Vision IAS o आांिों और भौंहों को काले धाग ेसे त्रसल कदया जाता ह,ै त्रजसका उपयोग लांबे आकषमक बालों को बनाने के त्रलए भी ककया जाता ह।ै नाक और होंठ लाल रांग स ेत्रसल ेजाते हैं। र्ुिडा सिेद कपड ेसे बना होता ह ैऔर त्रसर र्ें कपड ेके टुकडों भरे होते ह।ै o लाईिाकदबी के लांबे हाथ और धड भूस ेसे बने होते हैं। इन गतु्रडयों के पैर नहीं होत ेहैं और वे अपनी पोटलोई (सजावटी त्रनचली पोर्ाक) पर िडी होती हैं। Q 57.C • र्राठा प्रर्ासन: र्राठा साम्राज्य र्ें स्वराज्य तथा र्ुगलई के नार् से प्रचत्रलत क्षेत्र र्ात्रर्ल थे। स्वराज्य र्ें र्राठा प्रर्ासन प्रणाली लागू की गई थी, जबकक र्ुगलई क्षेत्र स्वराज्य से बाहर था तथा र्राठों के और अन्य बाहरी आक्रर्णों के अधीन था। • कें द्रीय प्रर्ासन र्ें र्ात्रर्ल थ:े o पेर्वा- त्रवत्त और सार्ान्य प्रर्ासन। बाद र्ें य ेप्रधानर्ांत्री के रूप र्ें स्थात्रपत हो गए। o सर-ए-नौबत या सेनापत्रत - यह प्रधान सेनापत्रत होता था। यह एक र्ानद पद था। o अर्ात्य - र्हालिेाकार। o वाकयानवीस - यह आसूचना, पत्राचार एवां अन्य गृह-कायों का प्रर्ुि था। o सत्रचव - यह राजकीय पत्र-व्यवहार का कायम दिेता था। o सुर्ांत - यह राजकीय सर्ारोहों का प्रर्ुि था। • स्थानीय प्रर्ासन या र्ासन: o त्रर्वाजी के अत्रधकाांर् प्रर्ासत्रनक सुधार दक्कन सल्तनत की प्रथाओं पर आधाररत थ।े o प्रर्ासत्रनक सुत्रवधा के उद्दशे्य स ेत्रर्वाजी ने अपने राज्य को चार प्राांतों र्ें त्रवभात्रजत ककया और प्रत्येक को एक प्राांतपत्रत (वायसराय) के अधीन रिा गया। o त्रर्वाजी ने जागीर दनेे की प्रथा को सर्ाि कर कदया और अत्रधकाररयों को नकद र्ें भुगतान करन ेकी व्यवस्था र्रुू की। . 32 www.visionias.in ©Vision IAS o पटेल - यह गाांव का प्रधान या र्ुत्रिया था। o दरे्र्ुि और दरे्पाांडे- ये गाांवों के सर्ूह के प्रभारी थे और उनके कार्काज की त्रनगरानी करते थे। o ककसी भी अत्रधकारी को वांर्ानुगत त्रस्थत्रत प्राि नहीं थी। • राजस्व प्रणाली: o त्रर्वाजी की राजस्व व्यवस्था अहर्दनगर के र्त्रलक अांबर की व्यवस्था पर आधाररत थी। o त्रर्वाजी ने र्ौजूदा दरे्र्ुि और कुलकणी की र्त्रियों को कर् कर कदया। उन्होने कारकुन नार्क राजस्व अत्रधकाररयों को त्रनयुि ककया। o काठी नार्क र्ापने वाली छड का उपयोग करके भूत्रर् को र्ापा जाता था। o भूत्रर् को भी तीन श्रेत्रणयों र्ें वगीकृत ककया गया था: धान के िते, बगीचे की भतू्रर् और पहाडी पथ र्ागम। o ककसान अपनी सुत्रवधा और इच्छा के अनुसार नकद या वस्तु के रूप र्ें भुगतान करने के त्रलए स्वतांत्र थे। o राज्य को भुगतान की जाने वाली रात्रर् त्रनत्रित थी। त्रजसका अथम था कक कर सांग्रहकतामओं के पास ककसानों पर अत्याचार करने की अत्रधक गुांजाइर् नहीं थी। o चौथ और सरदरे्र्ुिी र्राठा साम्राज्य र्ें नहीं बत्रल्क र्ुगल साम्राज्य या दक्कन सल्तनत के पडोसी क्षेत्रों से एकत्र ककए जाने वाले कर थे। o चौथ र्राठों को कदया जाने वाले भू-राजस्व का एक चौथाई भाग होता था। यह र्राठों के आक्रर्णों से िुद को बचाने के त्रलए दनेा पडता था। o सरदरे्र्ुिी उन जर्ीनों पर दस प्रत्रतर्त की अत्रतररि लेवी थी त्रजन पर र्राठों ने वांर्ानुगत अत्रधकारों का दावा ककया था। • राजा की सहायता के त्रलए, राज्य र्ांत्रत्रयों की एक पररषद थी त्रजसे अष्टप्रधान कहा जाता था इसर्ें त्रनम्नत्रलत्रित र्ात्रर्ल थे: o पेर्वा (प्रधानर्ांत्री): वह नागररक और सैन्य दोनों र्ार्लों का प्रर्ुि था। o र्जरू्दार (लिेा परीक्षक): वह राज्य की आय और व्यय की त्रनगरानी करता था। o वॉककन्स/वाकयानवीस: वह राजा के त्रनजी र्ार्लों का प्रभारी था। o दात्रबर: त्रवदरे् सत्रचव o सुरुनवीस (अधीक्षक): वह सभी सरकारी पत्र-व्यवहारों का ध्यान रिता था। o पांत्रडत राव: पौरोत्रहत्य प्रर्ुि o सेनापत्रत: प्रधान सेनापत्रत o न्यायाधीर्: र्ुख्य न्यायाधीर् • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 58.A • हर्ायू ँका र्कबरा: o र्ुगल वास्तुकला की भव्यता का युग हर्ायू ँके र्कबरे के त्रनर्ामण से प्रारम्भ होता ह।ै इस र्कबरे की रूपरेिा ईरान के त्रर्राक त्रर्ज़ाम ग्यास न ेतैयार की थी। इस र्कबरे पर कायम करने के त्रलए वह अपने साथ ईरान से कई कारीगर भी लाया था। यह र्कबरा बागों स ेत्रघरा हआ था तथा बलुआ पत्थर के आच्छाकदत आधार पर बन ेस्र्ारकों का सबसे पहला उदाहरण ह।ै इसे हर्ायूँ की र्ृत्य ुके नौ साल बाद उसकी सबस ेबडी त्रवधवा बगेा बगेर् द्वारा 1565 ईस्वी र्ें बनवाया गया था। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o र्कबरे के पररसर र्ें, सबस ेउल्लिेनीय त्रवर्ेषताएां चतुभुमज उद्यान (चारबाग) हैं, त्रजसर्ें र्कबरे तक जाने के त्रलए र्ागम और जलर्ागम बनाए गए हैं। त्रबल्कुल र्ध्य र्ें त्रस्थत सर्ानुपात्रतक र्कबरे के ऊपर दोहरा गुांबद त्रनर्र्मत ह।ै र्कबरे के पररसर र्ें कई र्ुगल र्ासकों की कब्र त्रस्थत हैं और यहीं से 1857 ई. र्ें लेत्रफ्टनेंट हडसन ने अांत्रतर् र्ुगल सम्राट बहादरु र्ाह त्रद्वतीय को त्रगरफ्तार ककया था। o यह चार लांबे पाश्वम और चम्िडम अथवा त्रनकल ेहए ककनारों वाली एक त्रवषर् अष्टभुजाकार रूपरेिा र्ें त्रनर्र्मत है। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o यह 42.5 र्ीटर ऊँच ेदोहरे गुांबदस ेढका हआ ह,ै त्रजसर्ें सांगर्रर्र के िांभों वाली छतररयाां त्रनर्र्मत हैं। इन र्ध्य छतररयों के गुांबदों को चर्कीले त्रसरेत्रर्क या चीनी त्रर्ट्टी की टाइलों से सजाया गया ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै . 33 www.visionias.in ©Vision IAS Q 59.A • हाल ही र्ें, NASA ने त्रससलुनर ऑटोनोर्स पोजीर्हनांग त्रसस्टर् टेक्नोलॉजी ऑपरेर्ांस एांड नते्रवगरे्न एक्सपरेरर्ेंट (CAPSTONE) सटेैलाइट लॉन्च ककया ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • यह एक र्ाइक्रोववे ओवन के आकार का क्यबूसटै ह ैत्रजसका वजन केवल 55 पाउांड (25 ककग्रा) ह।ै o इस ेएक त्रवत्रर्ष्ट, दीघमवतृ्ताकार चांद्र कक्षा का परीक्षण करने के त्रलए त्रडज़ाइन ककया गया ह।ै o इसका उद्देश्य त्रनम्नत्रलत्रित के र्ाध्यर् से भत्रवष्य के अांतररक्ष यान के त्रलए जोत्रिर् को कर् करने र्ें र्दद करना ह:ै ▪ नवीन नेत्रवगेर्न तकनीकों की पुत्रष्ट करके और ▪ प्रभार्ांडल के आकार की कक्षा की गत्यात्र्कता को सत्यात्रपत करके। o इस कक्षा को त्रनयर-रेक्टाइत्रलत्रनयर हलेो ऑर्बमट (NRHO) के रूप र्ें जाना जाता ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o यह एक लांबी कक्षा ह ैतथा पृथ्वी और चांद्रर्ा के गुरुत्वाकषमण र्ें एक सटीक सांतलुन हबांद ुपर त्रस्थत ह।ै • त्रर्र्न के उद्देश्य: o भत्रवष्य के अांतररक्ष यानों के त्रलए रेक्टाइत्रलत्रनयर हलेो ऑर्बमट के पास त्रससलुनर (cis-lunar) कक्षा की त्रवर्ेषताओं का सत्यापन करना। o इस त्रवत्रर्ष्ट कक्षा र्ें प्रवेर् करने और उसर्ें बने रहने की त्रवत्रध को प्रदर्र्मत करना। यह कक्षा चांद्रर्ा की सतह पर जाने और वापस लौटने के त्रलए एक अत्यत्रधक कुर्ल पथ प्रदान करती ह।ै o अांतररक्ष यान-से-अांतररक्ष यान नेत्रवगेर्न सेवाओं का प्रदर्मन करना। यह भत्रवष्य के अांतररक्ष यानों को पृथ्वी से रैककां ग पर पूणम रूप से त्रनभमर हए त्रबना चांद्रर्ा के सापेक्ष अपना स्थान त्रनधामररत करने र्ें सर्थम बनाती हैं। o भत्रवष्य के चांद्र अत्रभयानों हतेु व्यावसात्रयक सर्थमन की नींव रिना। o लो अथम ऑर्बमट से परे, चांद्रर्ा तक और उससे आगे प्रक्षेत्रपत ककए गए छोटे सर्र्पमत क्यूबसैटों स ेअनुभव प्राि करना। Q 60.D • बौद् धर्म के सांप्रदाय (Schools of Buddhism) • र्हायान: o यह बौद् धर्म के दो र्ुख्य सांप्रदायों र्ें से एक ह।ै o र्हायान र्ब्द एक सांस्कृत र्ब्द ह ैत्रजसका र्ात्रब्दक अथम ह ै- "र्हान वाहन" (Great Vehicle)। o यह बदु् के दवैीय तत्व (Heavenliness) और बुद् की र्ूर्तम पूजा एवां बुद् सत्व को र्ूतम रूप दनेे वाले बोत्रधसत्वों र्ें त्रवश्वास करता ह।ै o यह उत्तर भारत और कश्र्ीर स ेप्रारम्भ होकर र्ध्य एत्रर्या, पवूी एत्रर्या और दत्रक्षण पवूम एत्रर्या के कुछ क्षते्रों र्ें िैल गया। o चीन, कोररया, त्रतब्बत और जापान र्ें स्थात्रपत बौद् सांप्रदाय र्हायान परांपरा से सांबांत्रधत हैं। • हीनयान o वस्तुतः इसका र्ात्रब्दक अथम ह-ै छोटा वाहन (Lesser Vehicle), त्रजसे पररत्यि वाहन या दोषपूणम वाहन के रूप र्ें भी जाना जाता ह।ै यह बुद् की र्ूल त्रर्क्षा या अपन ेअग्रजों के त्रसद्ाांतों र्ें त्रवश्वास करता ह।ै o यह र्ूर्तम पूजा र्ें त्रवश्वास नहीं करता ह ैऔर आत्र्-अनुर्ासन एवां ध्यान के र्ाध्यर् से व्यत्रिगत रूप र्ें र्ोक्ष प्राि करने का प्रयास करता ह।ै o थेरवाद हीनयान का एक सांप्रदाय ह।ै • थरेवाद o यह वतमर्ान र्ें त्रवद्यर्ान बौद् धर्म की सबसे प्राचीन र्ािा ह।ै o यह बुद् की र्ूल त्रर्क्षाओं के सबसे त्रनकटता से सांबद् ह।ै o थेरवाद सांप्रदाय श्रीलांका र्ें त्रवकत्रसत हआ और बाद र्ें र्ेष दत्रक्षण पूवम एत्रर्या र्ें िैल गया। यह कां बोत्रडया, लाओस, म्याांर्ार, श्रीलांका और थाईलैंड र्ें बौद् धर्म का एक प्रर्ुि सांप्रदाय ह।ै . 34 www.visionias.in ©Vision IAS • वज्रयान o वज्रयान का अथम ह ै"वज्र का वाहन" (The Vehicle of the Thunderbolt)। इसे ताांत्रत्रक बौद् धर्म भी कहा जाता ह।ै o यह 11वीं ईसवी र्ें त्रतब्बत र्ें स्थात्रपत हआ। o इसके अनुसार वज्र नार्क जादईु/ताांत्रत्रक र्त्रियों को प्राि करके र्ोक्ष प्राि ककया जा सकता ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o यह र्ेष बौद् सांप्रदायों की तुलना र्ें गढू़ तत्वों और अनुष्ठानों के एक बहत ही जरटल सर्ुच्चय पर आधाररत ह।ै o तारा इस सांप्रदाय की प्रर्िु दवेी ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o यह पवूी भारत र्ें लोकत्रप्रय था। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o इसर्ें लार्ा नार्क गुरु की भतू्रर्का को त्रवर्ेष र्हत्व कदया जाता ह।ै लार्ा दार्मत्रनक और आनुष्ठात्रनक परांपराओं र्ें र्हारत हात्रसल ककए हए त्रसद् आचायम होते ह।ै लार्ाओं की एक लांबी वांर्ावली ह।ै दलाई लार्ा एक सुप्रत्रसद् त्रतब्बती लार्ा हैं। Q 61.D • सूिी सांत ख्वाजा र्ोइन-उद-दीन त्रचश्ती न ेभारत र्ें त्रचश्ती त्रसलत्रसला की र्रुुआत की। वह 1192 ईस्वी र्ें र्ुहम्र्द ग़ौरी के साथ भारत आया और 1236 ईस्वी तक अजर्ेर र्ें रहा। अन्य सांतों और ख्वाजा र्ोइन-उद-दीन के अनयुात्रययों र्ें बत्रख्तयार काकी और उनके त्रर्ष्य िरीददु्दीन गांज-ए-र्कर र्ात्रर्ल थे। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • त्रचश्ती सांत के अनुसार बाध्यकारी प्राथमनाओं की अपेक्षा त्रनःस्वाथम सवेा अत्रधक र्हत्वपणूम ह।ै इन्होंन ेस्वचे्छा स ेधन और सरकारी सवेा का त्याग ककया। इसका अथम सर्ाज स ेपणूमतः त्रवरि होना नहीं ह।ै त्रनजार्दु्दीन औत्रलया को छोडकर सभी प्रर्िु त्रचश्ती सांतों का त्रववाह हआ। इस प्रकार, सांत के त्रलए ववैात्रहक जीवन को तब तक स्वीकार ककया गया ह ैजब तक कक यह उसके परर् आध्यात्रत्र्क जीवन की राह र्ें बाधक न हो। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै • ख्वाजा र्ोइन-उद-दीन त्रचश्ती अजर्रे र्ें बस गए थ ेक्योंकक यह राजनीत्रतक गत्रतत्रवत्रध के कें द्र, कदल्ली स ेदरू एक छोटा सा र्हर था। ख्वाजा एकाांत वाल ेआध्यात्रत्र्क जीवन र्ें त्रवश्वास करते थ;े उनके त्रलए एक छोटा सा गाांव एक बडे, भीडभाड वाल ेर्हर से बहेतर था। इसी तरह, उनके त्रर्ष्य, हर्ीददु्दीन, नागपुर र्ें बस गए। हालाांकक, इसका तात्पयम यह नहीं ह ैकक त्रचश्ती सांतों ने स्वयां को राज्य की सवेा से पूणमतः अलग कर त्रलया था। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै Q 62.D • र्ेटावसम (Metaverse) हर्ारी वास्तत्रवक दतु्रनया का त्रडत्रजटल क्षेत्र र्ें त्रवस्तार ह।ै यह दतु्रनया भर र्ें इसे एक्सेस करने वाले ककसी भी व्यत्रि के त्रलए एक इर्र्समव र्ल्टी-यूजर अनुभव प्रदान करता ह।ै • र्ाकम जुकरबगम या सत्या नडेला जैसे CEOs इसके बारे र्ें बात कर चुके हैं। इनके अनुसार र्ेटावसम इांटरनेट का भत्रवष्य ह।ै साथ ही, यह एक वीत्रडयो गेर् ह ैया हो सकता ह ैकक यह ज़ूर् (Zoom) का एक अत्यांत असहज और बदतर सांस्करण हो? हालाांकक, इसके बारे र्ें अभी सटीक रूप से कुछ भी कहना करठन ह।ै • िेसबुक ने घोषणा की ह ैकक वह स्वयां को र्ेटा (Meta) पर रीब्राांड कर रहा ह ैऔर अपने भत्रवष्य को आगार्ी "र्ेटावसम" पर कें कद्रत करेगा। उस सर्य से, इस र्ब्द का क्या अथम ह,ै यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा ह।ै र्ेटा एक आभासी वास्तत्रवकता (VR) वाले सोर्ल प्लेटिॉर्म का त्रनर्ामण कर रहा ह,ै वहीं रोबॉक्स (Roblox) उपयोगकताम-जत्रनत वीत्रडयो गेर् की सुत्रवधा द ेरहा ह।ै साथ ही कुछ कां पत्रनयाां ब्रोकन गेर् वल्डम की तुलना र्ें कुछ अत्रधक सुत्रवधाएां प्रस्तुत कर रही हैं। ब्रोकन गेर् वल्डम की त्रस्थत्रत नॉन-िां त्रजबल टोकन्स (NFTs) से सांलिता के कारण उत्पन्न हई ह।ै • इस आभासी दतु्रनया तक पहांचने के त्रलए इांटरनेट और त्रडत्रजटल उपकरणों की आवश्यकता होती ह।ै इसके पीछे की तकनीक को सांवर्धमत वास्तत्रवकता (AR) और आभासी वास्तत्रवकता (VR) कहा जाता ह।ै • र्ेटावसम के अनुप्रयोग: . 35 www.visionias.in ©Vision IAS • ई-कॉर्सम: र्टेावसम भौत्रतक और आभासी दतु्रनया के बीच के अांतराल को सर्ाि कर सकता है, इसत्रलए यह ऑनलाइन और ऑिलाइन कॉर्सम को एक कर दतेा ह।ै इसका तात्पयम ह ैकक उपयोगकताम त्रडत्रजटल रूप से र्टेावसम के र्ाध्यर् से भौत्रतक दतु्रनया का अनुभव करने र्ें सक्षर् होंगे। इससे ऑनलाइन र्ॉहपांग को और अत्रधक सुत्रवधाजनक बनाया जा सकता ह।ै कां पत्रनयों को र्ेटावसम से बहत लाभ होगा। यह न केवल उनके उपभोिा आधार को बढ़ाएगा बत्रल्क यह नए उत्पादों की सर्ीक्षा भी प्रदान कर सकता ह।ै इस प्रकार यह उन्हें भत्रवष्य के त्रलए सही कदर्ा प्रदान करेगा। ई-कॉर्सम व्यवसाय ढाांचे के तहत र्ेटावसम के र्ाध्यर् से त्रवत्रभन्न ब्राांड कां पत्रनयाां वतै्रश्वक दर्मकों के साथ सांपकम स्थात्रपत कर सकती हैं, इसर्ें भूवैज्ञात्रनक बाधाएां प्रत्रतकूल रूप से प्रभात्रवत नहीं करेंगी। • कौर्ल वतृ्रद्: र्टेावसम र्ें अत्रधगर् (लर्नांग) के नए अनुभवात्र्क पररदशृ्य त्रवकत्रसत करने की क्षर्ता त्रवद्यर्ान ह।ै इसत्रलए यह दरूस्थ तरीके स ेकौर्ल वतृ्रद् र्ें र्हत्वपणूम भतू्रर्का त्रनभा सकता ह।ै • आभासी पयमटन (Virtual Tourism): 360° वचुमअल टूर के साथ, दर्मक न केवल ररकॉडम ककए गए स्थान को दिे सकते हैं बत्रल्क वास्तत्रवक प्रभावों के साथ वाांत्रछत स्थान पर त्रडत्रजटल रूप स ेउपत्रस्थत भी हो सकते हैं। उदाहरण के त्रलए, वचुमअल ररयत्रलटी हॉत्रलडे "राई त्रबिोर यू फ्लाई" सांभात्रवत पयमटकों को उनके वाांत्रछत गांतव्यों की यात्रा करने र्ें र्दद करता ह।ै • त्रर्क्षा और अत्रधगर्: आभासी वास्तत्रवकता और र्टेावसम के प्रभाव के सांयोजन स ेलर्नांग अनभुव र्ें गणुात्र्क सधुार हआ ह।ै छात्र अबअत्रधक गहन और उच्च गणुवत्ता वाल े ज्ञान सांसाधनों के साथ लाइव प्रयोग दिे सकते हैं। एक अन्य र्टेावसम उदाहरण र्ाइक्रोसॉफ्ट द्वारा बनाया गया र्ेर् (Mesh) ह।ै यह एक त्रर्त्रश्रत वास्तत्रवकता र्ांच ह ैजहाां िैकल्टी, कर्मचारी और छात्र अपने 3D अवतार का उपयोग करके बातचीत कर सकते हैं। • स्वास्थ्य दिेभाल: टेलीर्ते्रडत्रसन और टेलीहले्थ र्हार्ारी के बाद से र्टेावसम द्वारा सांचात्रलत एक अवधारणा ह।ै इनर्ें रोगी और डॉक्टर वचुमअल 3D क्लीत्रनक र्ें बातचीत कर सकत ेहैं। • इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै Q 63.B • चत्रवट्टु नाटकर् एक रांगारांग और भव्य नाट्य रूप ह।ै इस ेउसके पात्रों के आकषमक र्ेकअप, सुसत्रज्जत पररधानों, त्रवस्तृत भांत्रगर्ाओं और दहे की सु-पररभात्रषत गत्रतयों के कारण एक लोक कला र्ाना जाता ह।ै र्ाना जाता ह ैकक यह कला रूप केरल के कोडुांगल्लूर र्ें ईसाई र्त के प्रसार के साथ प्रचत्रलत हआ। • 16वीं सदी के इस र्हानगरीय कला रूप की कथाएां पत्रवत्र रोर्न साम्राज्य स ेप्ररेरत हैं। य ेकथाएां र्लयालर् भाषा के प्रारांत्रभक रूप र्ें त्रलिी गई हैं। • इस नाटक को पतुमगाली त्रर्र्नररयों द्वारा नए धर्ाांतररत कैथोत्रलकों को एक साांस्कृत्रतक पहचान प्रदान करन ेके त्रलए त्रवकत्रसत ककया गया था। साथ ही, इन्हें रोर्न पोप द्वारा अनरु्ोकदत धार्र्मक रीत्रत-ररवाज त्रसिान ेके त्रलए भी त्रवकत्रसत ककया गया था। • चत्रवट्टु नाटकर् र्ें पत्रिर्ी दशृ्य कला ओपरेा के प्रभाव को दिेा जा सकता ह।ै साथ ही, यह कथकली और कलारीपयट्टू जसैे कला रूपों स ेभी प्रभात्रवत ह।ै • चत्रवट्टु नाटकर् की सवामत्रधक आकषमक त्रवर्षेता यह ह ैकक नतृ्य करत ेहए कलाकार िर्म पर इस तरह परैों की थाप डालत ेहैं कक उनस ेअनगुूांज जसैी ध्वत्रन पदैा होती ह।ै इस कारण इस ेस्टैंहपांग ड्रार्ा भी कहत ेहैं। • यह लोक नृत्य-नारटका ‘तट्टू’ कह ेजाने पर र्ांच पर प्रदर्र्मत की जाती ह।ै ‘तट्टु’ का त्रनर्ामण लकडी के तख्तों से ककया जाता ह।ै कलाकारों की उत्कृष्ट वेर्भूषा र्ांच पर पात्रों को त्रचत्रत्रत करती ह।ै सार्ान्यतः वरे्भषूा प्राचीन ग्रीक-रोर्न सतै्रनकों और यरूोपीय राजाओं की वरे्भषूा की तरह लगती ह।ै • चेंडा, पडत्तम्बेर, र्द्दलर् और इलत्तालर् (झाांझ) की र्दद स ेपाश्वम सांगीत कदया जाता ह।ै वतमर्ान सर्य र्ें इसर्ें तबला, किडल (सारांगी), बाांसुरी और बुलबलु जैसे वाद्ययांत्रों का भी प्रयोग ककया जाता ह।ै चत्रवट्टु नाटकर् के प्रदर्मन का आरांभ र्ांगलाचरण के गान के साथ होता और र्ुभारांभ क्रर् वृत्तर् (Virutham) के रूप र्ें होता ह।ै यह एक गान ह ैत्रजसके बाद एक दरबार का दशृ्य आता ह ैऔर नाटक आरांभ हो जाता है • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै • पांजाब के गाांवों र्ें नकल (Naqal) नाट्य कला रूप बहत लोकत्रप्रय ह।ै यह जीवन के सहज पक्ष को त्रजतना सकू्ष्र् और व्यांग्यात्र्क रूप स ेप्रस्तुत करता ह,ै उतना ही रोचक लगता ह।ै . 36 www.visionias.in ©Vision IAS o आर् तौर पर त्रर्रासी, नकल और भाांड लोग इस कला र्ें त्रवर्ेषज्ञता रिते थे। एक नकल र्ांडली र्ें र्सिरे और सांगीतकार के अलावा नतमक और गायक र्ात्रर्ल होते हैं। र्ांडली के र्ुत्रिया को सार्ान्यतः उस्ताद कहा जाता ह।ै दलु्ला भट्टी, सोहनी र्त्रहवाल, कीर्ा र्लकी, होदी और कोकलान जैसी ककां वदांत्रतयाँ और अधम-ऐत्रतहात्रसक कहात्रनयाां नकल के लोकत्रप्रय प्रदर्मनों की सूची र्ें र्ात्रर्ल हैं। • कूत्रडयाट्टर् केरल के सबस ेपरुान ेपारांपररक नाट्य रूपों र्ें स ेएक ह।ै यह सांस्कृत नाट्य परांपराओं पर आधाररत ह।ै इस नाट्य रूप के पात्रों र्ें, चाक्यार-अत्रभनेता, नाांत्रबयार-वादक तथा नाांग्यार-र्त्रहलाओं की भतू्रर्का त्रनभान ेवाल ेअत्रभनेता र्ात्रर्ल होत ेहैं। o सूत्रधार-कथावाचक और त्रवदषूक नाटक के नायक होते हैं। त्रवदषूक ही सांवाद बोलते हैं। हस्त र्दु्राओं और आांिों की गत्रत पर बल इस नृत्य और रांगर्ांच को अत्रद्वतीय बनाता ह।ै • पढ़यत्रन केरल के र्ध्य त्रावणकोर क्षते्रों र्ें दवेी र्ांकदरों स ेसांबांत्रधत एक आनुष्ठात्रनक रांगर्ांच कला ह।ै इसका र्ांचन र्ांकदर पररसर र्ें रात र्ें ककया जाता ह।ै पढ़यत्रन, दवेी भद्रकाली को प्रसन्न करन ेहते ुएक प्रतीकात्र्क अनषु्ठान ह।ै ऐसा र्ाना जाता ह ैकक पौरात्रणक राक्षस, दाररकान पर त्रवजय प्राि करने के बाद भी उनका क्रोध र्ाांत नहीं हआ था। यह उत्सव 7 से 28 कदन तक र्नाया जाता ह।ै यह अवत्रध इसर्ें भाग लेने वाल ेऔर इसे आयोत्रजत करने वाले गाांवों की सांख्या पर त्रनभमर करती ह।ै Q 64.C • आज्ञापत्र (Adnyapatra),अर्ात्य रार्चांद्रपांत द्वारा र्राठी भाषा व र्ोडी त्रलत्रप र्ें त्रलिा गया एक र्ाही आदरे् ह।ै यह र्राठा नीत्रत के त्रसद्ाांतों पर आधाररत ह।ै यह आदरे् त्रर्वाजी के पौत्र सांभाजी त्रद्वतीय का र्ागमदर्मन करने के उद्देश्य स ेजारी ककया गया था। रार्चांद्रपांत ने त्रर्वाजी के र्राठा दरबार र्ें त्रवत्त र्ांत्री (अर्ात्य) के रूप र्ें सवेा दी थी। वह अष्ट प्रधान की पररषद र्ें र्ात्रर्ल था। यह आदरे् त्रर्वाजी के आदर्ों, त्रसद्ाांतों और राज्य प्रर्ासन की नीत्रतयों का औपचाररक दस्तावेज र्ाना जाता ह।ै • यह आज्ञापत्र लगभग 7000 र्ब्दों का एक हस्तलेि ह।ै इसे दो िांडों र्ें बाांटा गया ह।ै पहले िांड र्ें प्रथर् दो अध्याय र्ात्रर्ल हैं। ये र्राठा साम्राज्य के त्रनर्ामण और इसके सांरक्षण र्ें त्रर्वाजी और उनके पुत्रों की उपलत्रब्धयों का सांत्रक्षि त्रववरण दतेे हैं। दसूरे िांड र्ें सात अध्याय र्ात्रर्ल हैं। इसर्ें उन्होंने राज्य नीत्रत के त्रसद्ाांतों और प्रर्ासन के त्रवत्रभन्न पहलओुं पर चचाम की है, त्रजन्हें उन्होंने त्रर्वाजी के दरबार र्ें सेवा दतेे हए सीिा था। • र्ोडी लगभग 700 वषों तक र्राठी त्रलिने के त्रलए प्रयोग की जाने वाली त्रलत्रप थी। त्रलत्रप का प्रयोग युद् सांबांधी पत्राचार और र्राठों के बीच गुि सार्ात्रजक-राजनीत्रतक बातचीत के त्रलए ककया जाता था। • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 65.B • दक्कन और र्ध्य भारत र्ें र्ौयों के र्ूल उत्तरात्रधकाररयों र्ें सातवाहन सबस ेर्हत्वपूणम थे। सातवाहनों को पुराणों र्ें आांध्र के रूप र्ें वर्णमत ककया गया ह।ै • सातवाहन र्ूल रूप से सांभवतः दक्कन की एक जनजात्रत थी। हालाांकक, व ेब्राह्मण रीत्रत ररवाजों का बहत अत्रधक पालन करत ेथ।े इस कारण उन्होंने ब्राह्मण होन ेका दावा ककया। उनके सबसे प्रत्रसद् र्ासक, गौतर्ीपुत्र र्ातकणी ने िुद को अत्रद्वतीय ब्राह्मण के रूप र्ें वर्णमत ककया। साथ ही उन्होंने दावा ककया कक उन्होंने चार वणों वाली वणम व्यवस्था की स्थापना की थी, जो बाद र्ें त्रवकृत हो गई। • सातवाहन, ब्राह्मणों को भतू्रर् अनदुान के रूप र्ें दने ेवाल ेपहल ेर्ासक भी थे। हालाांकक, बौद् त्रभक्षुओं को इस तरह के अनुदान कदए जाने के अन्य उदाहरण भी र्ौजूद हैं। • सातवाहनों के बारे र्ें सबसे रोचक सार्ात्रजक त्रववरण उनकी पाररवाररक सांरचना से सांबांत्रधत ह।ै सातवाहनों र्ें र्ातवृांर्ीय सार्ात्रजक सांरचना के लक्षण कदिाई दते ेहैं। इनर्ें र्ासक का नार् उनकी र्ाता के नार् पर रिने की प्रथा प्रचत्रलत थी। गौतर्ीपतु्र और वत्रर्ष्ठीपतु्र जैसे नार्ों से सांकेत त्रर्लता ह ैकक उनके सर्ाज र्ें र्ाता का बहत र्हत्व था। कभी-कभी र्ासक और उसकी र्ाता दोनों की आज्ञा से त्रर्लालेि जारी ककया जाता था। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • सातवाहन साम्राज्य र्ें तीन श्रेणी के सार्ांत थे। र्ासक उच्चतर् श्रणेी र्ें होता था त्रजसे राजा कहा जाता था और उसे त्रसके्क जारी करने का अत्रधकार था। दसूरी श्रणेी र्ें र्हाभोज और तीसरी श्रेणी र्ें सेनापत्रत र्ात्रर्ल होते थे। इन सार्ांतों और भू-स्वात्रर्यों को अपन-ेअपने इलाकों र्ें कुछ अत्रधकार प्राि थे। . 37 www.visionias.in ©Vision IAS • सातवाहन, ब्राह्मणवाद के त्रवजय की प्रगत्रत का प्रत्रतत्रनत्रधत्व करत ेहैं। र्रुू स ेही, राजाओं और रात्रनयों न ेअश्वर्धे, वाजपये जसैे वकैदक यज्ञ ककए और ब्राह्मणों को इन यज्ञों के त्रलए दत्रक्षणा भी दी। उन्होंने बडी सांख्या र्ें वैष्णव दवेताओं जैस-ेकृष्ण और वासुदवे की भी पूजा की। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • सातवाहनों की राजभाषा प्राकृत थी। सभी त्रर्लालेि प्राकृत भाषा और ब्राह्मी त्रलत्रप र्ें त्रलिे गए थे। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै Q 66.B • त्रसलांबर् र्ार्मल आटम का एक लोकत्रप्रय रूप ह ैत्रजस ेकुछ त्रवत्रर्ष्ट हत्रथयारों, र्खु्यत: बाांस की छत्रडयों की सहायता स ेप्रदर्र्मत ककया जाता ह।ै इस ेतत्रर्लनाडु (भारत), जो इस कला का जन्र् स्थान भी है, र्ें व्यापक रूप स ेप्रदर्र्मत ककया जाता ह।ै त्रसलांबर् के प्रारांत्रभक अत्रभलिे तत्रर्ल सांगर् सात्रहत्य र्ें भी त्रर्लत ेहैं। इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै o योद्ा का प्रथर् उद्देश्य बाांस की छडी को हत्रथयार के रूप र्ें प्रयोग करके त्रवरोत्रधयों को परात्रजत करना होता ह।ै छडी रूपी हत्रथयार की लांबाई योद्ा की ऊां चाई पर त्रनभमर करती ह।ै लडाई र्ें, योद्ा हत्रथयार को पकडने के त्रलए अपनी भुजा को तीन- चौथाई लांबाई तक ही िैलाता ह।ै o 1760-1799 के दौरान पुलीदवेन और वीर पाांडया कट्टाबोम्र्न के सर्य र्ें, अांग्रेजों के त्रवरुद् लडने के त्रलए इस कला र्ें सुधार ककया गया था। उसके बाद से त्रसलांबर् अपने र्ूल राज्य के साथ-साथ परेू दरे् र्ें लोकत्रप्रय हो गया। हालाांकक, एक उग्रता पूणम गत्रतत्रवत्रध होने के कारण, अांग्रेजों ने इस कला पर प्रत्रतबांधलगा कदया था। स्वतांत्रता के बाद भारत र्ें इस पर लगे प्रत्रतबांध को सर्ाि कर कदया गया। • गतका र्ार्मल आटम का एक पारांपररक रूप ह,ै जो ऐत्रतहात्रसक रूप स ेत्रसि गरुुओं स ेसांबांत्रधत ह।ै यह जनता के बीच त्रसि र्ार्मल आटम के रूप र्ें लोकत्रप्रय ह।ै o यह दो या दो स ेअत्रधक योद्ाओं के बीच छडी स ेककए जान ेवाल ेयदु् की एक र्लैी ह।ै इसर्ें अभ्यास करत ेसर्य वास्तत्रवक तलवारों की जगह लकडी की छत्रडयों/तलवारों का प्रयोग ककया जाता ह।ै इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत ह।ै o यह र्हान त्रसि गुरुओं के युद् काल के दौरान त्रसि योद्ाओं के त्रलए आत्र्रक्षा की र्ूल तकनीकों र्ें से एक थी। o जब 17वीं र्ताब्दी के अांत र्ें त्रसि, र्ुगल साम्राज्य से लड रह ेथे, उसी सर्य कलाबाजी और तलवारबाजी को त्रर्त्रश्रत करके गतका को युद् के साधन के रूप र्ें प्रयोग ककया गया था। • थोडा, त्रहर्ाचल प्रदरे् की एक र्ार्मल आटम ह।ै इसर्ें व्यत्रि द्वारा तीरांदाजी कौर्ल का प्रदर्मन ककया जाता ह।ै इस र्ार्मल आटम की उत्पत्रत्त कुल्ल ूर्ें हई ह।ै इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत नहीं ह।ै o थोडा, नार् तीर के र्ीषम पर लग ेलकडी के गोल टुकडे से त्रलया गया है, त्रजसका उपयोग इसकी भेदक क्षर्ता को कुां द करने के त्रलए ककया जाता ह।ै o थोडा के त्रलए आवश्यक उपकरण धनुष और तीर हैं। कुर्ल और पारांपररक कारीगरों द्वारा तीरांदाज की ऊां चाई के अनुरूप 1.5 र्ीटर स े2 र्ीटर तक के लकडी के धनुष तैयार ककए जाते हैं। तत्पिात, धनुष की लांबाई के अनुपात र्ें लकडी के तीर बनाए जाते हैं। Q 67.D • र्ौयम काल के त्रसक्कों पर जारीकताम की आकृत्रत अांककत नहीं की जाती थी। इन्हें काषामपण त्रसक्कों के रूप र्ें जाना जाता ह।ै य ेजारी करने वाल ेप्रात्रधकारी को त्रनर्दमष्ट नहीं करत ेहैं। इन पर र्ौयम र्ासकों से सांबांत्रधत कुछ प्रतीक अांककत होते हैं। र्ौयम काल के दौरान आहत (Punch-marked) त्रसके्क जारी ककए गए थ ेजो अत्रधकाांर्त: चाांदी स ेत्रनर्र्मत थ।े इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • र्ौयमकालीन आहत त्रसक्कों र्ें एक सर्ान प्रतीक पाए जात ेहैं। इसकी अत्रधक सांभावना ह ैकक इन्हें कें द्रीय प्रात्रधकरण द्वारा जारी ककया गया होगा। इन प्रतीकों र्ें र्ेहराब पर अधमचांद्र, र्ेहराब पर र्यूर आकद र्ात्रर्ल हैं। • र्ौयम त्रसक्कों र्ें चाांदी के काषामपण त्रसके्क प्रर्िु थ।े काषामपण त्रसक्का लगभग 3.4 ग्रार् का होता था। यह पहल ेसे चली आ रही र्गध काषामपण श्रृांिला का ही एक भाग था। र्ौयम साम्राज्य के दौरान सोन ेके त्रसक्कों का उपयोग नहीं ककया जाता था। सवमप्रथर् कुषाण र्ासकों ने बड ेपरै्ाने पर सोने के त्रसके्क जारी ककए थे। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै . 38 www.visionias.in ©Vision IAS Q 68.B • अकबर न ेपुरानी प्रणात्रलयों र्ें सधुार करन ेऔर ककसानों को हात्रन पहांचाए त्रबना राजस्व र्ें वृत्रद् करने के त्रलए त्रवत्रभन्न प्रकार के भू-राजस्व एवां भू- र्ाप पद्त्रतयों का उपयोग ककया। • वषम 1580 र्ें, अकबर ने दहसाला नार्क एक नई भू-राजस्व प्रणाली की र्ुरुआत की। इस प्रणाली के तहत त्रवत्रभन्न िसलों की औसत उपज के साथ-साथ त्रपछले दस (दह) वषों र्ें प्रचत्रलत औसत कीर्तों का र्ूल्याांकन ककया जाता था। औसत भाग का एक त्रतहाई भाग राज्य को दये होता था। • अकबर न ेपरुानी बटाई या गल्ला-बख्र्ी प्रणाली को भी जारी रिा। इस प्रणाली र्ें, उपज को ककसानों और राज्य के बीच एक त्रनत्रित अनुपात र्ें बाांटा जाता था। िसल को र्डाई के बाद या इसे काट कर और बाांध कर ढेर ककए जाने, या िते र्ें िड ेहोने की त्रस्थत्रत र्ें ही त्रवभात्रजत कर त्रलया जाता था। • अकबर के र्ासनकाल र्ें प्रयोग की जान ेवाली तीसरी प्रणाली नस्क थी। इसर्ें ककसान द्वारा दये रात्रर् का अनुर्ान अतीत र्ें उसके द्वारा ककए जा रह ेभुगतान के आधार पर लगाया जाता था। • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 69.D • पोंगल, आांध्र प्रदरे् और तत्रर्लनाडु र्ें लगातार चार कदनों तक र्नाया जाने वाला एक प्रर्ुि त्योहार ह।ै इस त्योहार के दौरान आांध्र प्रदरे् के हर घर को सुांदर तरीके से रांगोली और िूलों से सजाया जाता ह।ै इस त्योहार पर पारांपररक पकवान पोंगल बनाना अत्रनवायम ह।ै • उगादी हहांद ूचन्द्र-सौर कैलेंडर का प्रथर् कदन होता ह।ै इसे आत्रधकाररक तौर पर आांध्र प्रदरे् के त्रलए नव वषम के पहल ेकदन के रूप र्ें जाना जाता ह।ै उगादी पचडी, र्ीठे, कडव ेऔर िटे्ट स्वाद वाला एक पकवान ह ैजो इस त्योहार का र्ुख्य आकषमण ह।ै बोलचाल की भाषा र्ें इसे चांद्रर्ाना उगाकद के नार् स ेजाना जाता ह।ै यह र्ुभ कदन र्ाचम और अप्रैल र्हीने र्ें आता ह।ै • चरेट्टकुलांगरा भरनी केरल के आलप्पुझा र्ें र्ावेत्रलक्कारा के त्रनकट चेरट्टकुलांगरा र्ांकदर र्ें आयोत्रजत होने वाले दर्मनीय त्योहारों र्ें से एक ह।ै यह उत्सव कुां भर् (िरवरी-र्ाचम) नार्क र्लयालर् र्हीने र्ें आयोत्रजत ककया जाता ह।ै यह उत्सव दवेी भगवती को सर्र्पमत ह।ै इस अवसर पर सांपणूम र्हर जीवांत हो उठता ह ैऔर सांपूणम भूदशृ्य पर आनांद छा जाता ह।ै इस उत्सव के दौरान र्ुख्य आकषमण केट्टुकाष्चा हैं। ये त्रवर्ाल प्रत्रतर्ाएां हैं जो वस्त्रों, िूलों और आभूषणों से सुसत्रज्जत होती हैं। यह, इसका आयोजन करने वाले क्षेत्रों के अांतगमत र्ात्रर्ल 13 'करा' या क्षेत्रों के त्रलए एक र्हत्वपूणम क्षण होता ह।ै • बोनाल ूएक वार्षमक उत्सव ह ैजो जडुवा र्हरों हदैराबाद एवां त्रसकां दराबाद तथा तेलांगाना के कुछ त्रहस्सों र्ें र्नाया जाता ह।ै यह त्योहार दवेी र्हाकाली को सर्र्पमत ह।ै र्हाकाली दवेी दगुाम की रौद्र अवतार हैं। o "बोनर्" र्ब्द तेलुगु र्ें भोजन या दावत का प्रतीक ह।ै o इस दौरान, भि त्रर्ट्टी या पीतल के बतमन र्ें दधू और गुड र्ें पकाए गए चावल का भोग लगाते हैं। इस बतमन को नीर् के पत्तों, हल्दी और हसांदरू से सजाया जाता ह।ै र्त्रहलाएां इन बतमनों को त्रसर पर रिकर र्ांकदरों र्ें ल ेजाती हैं। o येल्लम्र्ा के अलावा, बोनालु उत्सव के दौरान, र्हाकाली के बाकी स्वरूपों की भी पूजा की जाती ह।ै इन स्वरूपों र्ें र्ैसम्र्ा, डोक्कलम्र्ा, पेदम्र्ा, पोचम्र्ा, यले्लम्र्ा, पोलेराम्र्ा और अांकलम्र्ा र्ात्रर्ल हैं। Q 70.B • दत्रक्षण भारत र्ें 8वीं र्ताब्दी र्ें दांतीदगुम ने राष्ट्रकूट वांर् की स्थापना की। • राष्ट्रकूटों की राजधानी र्ोलापरु के त्रनकट र्ान्यिेत या र्ालिडे थी। • ध्रुव के र्ासनकाल र्ें राष्ट्रकूटों ने उत्तर की ओर अत्रभयान प्रारांभ ककया। वह कन्नौज पर अत्रधकार करना चाहता था। कन्नौज उस सर्य का एक वभैवर्ाली नगर था। इस अत्रभयान के कारण इस क्षेत्र र्ें 'त्रत्रपक्षीय सांघषम' की र्ुरुआत हई थी। • कृष्ण प्रथर् राष्ट्रकूट वांर् के र्हत्वपूणम र्ासकों र्ें से एक था। उसने एलोरा (औरांगाबाद के त्रनकट, र्हाराष्ट्र) र्ें प्रत्रसद् कैलार् र्ांकदर का त्रनर्ामण करवाया। यह र्ांकदर भगवान त्रर्व को सर्र्पमत ह ैऔर इसका त्रनर्ामण एकाश्र्क पत्थर अथामत चट्टान के एक टुकडे से ककया गया ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै . 39 www.visionias.in ©Vision IAS • अरबी वृत्तान्तों से हर्ें पता चलता ह ैकक राष्ट्रकूटों का अरबी व्यापाररयों, जो उनके साम्राज्य का दौरा करते थे, के साथ कािी र्ैत्रीपूणम सांबांध था। इन व्यापाररयों को र्त्रस्जदों का त्रनर्ामण करन ेऔर त्रबना ककसी अवरोध के अपन ेधर्म का अनसुरण करन ेकी स्वतांत्रता थी। यह राष्ट्रकूट र्ासकों की धाार्र्मक उदारता को ही उजागर नहीं करता, बत्रल्क अरब लोगों के साथ व्यापार बढ़ाकर आर्थमक लाभ प्राि करने की उनकी प्रवृत्रत्त को भी दर्ामता ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै o राष्ट्रकूट र्ासकों ने धार्र्मक सत्रहष्णुता का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत ककया था। साथ ही उन्होंने हहांद,ू जैन, बौद् और इस्लार् जैसे सभी धर्ों को सांरक्षण भी प्रदान ककया था। उन्होंने ककसी की भी हत्या उसकी धार्र्मक र्ान्यताओं के त्रलए नहीं की थी। त्रवत्रभन्न सांप्रदायों के सदस्यों के बीच भी सत्रहष्णुता कदिाई देती थी। धार्र्मक दान करने से दवैीय कृपा की प्रात्रि सांबांत्रधत उम्र्ीद धार्र्मक और सार्ात्रजक-धार्र्मक गत्रतत्रवत्रधयों के त्रलए त्रवत्तपोषण का एक स्रोत बन गई थी। Q 71.A • यद्यत्रप गुि काल के दौरान सार्ांतों का उदय हआ था, ककां तु गिु साम्राज्य र्ें एक त्रवस्तृत प्रर्ासत्रनक व्यवस्था त्रवद्यर्ान थी। यह प्रर्ासत्रनक व्यवस्था गुि साम्राज्य के प्रत्यक्ष त्रनयांत्रण वाले क्षेत्रों र्ें प्रचत्रलत थी। राजा प्रर्ासन का र्ुख्य आधार था तथा उसे र्ांत्रत्रपररषद और अन्य अत्रधकाररयों द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी। गुि र्ासन का सैन्य सांगठन सांभवतः अत्यत्रधक त्रवर्ाल था। युद् के सर्य सेना का नेतृत्व राजा स्वयां करता था, परांतु आर्तौर पर सेना का नेतृत्व, 'सांत्रध-त्रवग्रत्रहक' (र्ाांत्रत और युद् के प्रभारी र्ांत्री) नार्क एक र्ांत्री द्वारा ककया जाता था। इसे उच्च अत्रधकाररयों के एक सर्ूह द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी। र्हाबलात्रधकृत नार्क अत्रधकारी का उल्लेि कई त्रर्लालेिों र्ें त्रर्लता ह।ै पीलपुत्रत (हात्रथयों की सनेा का अध्यक्ष), अश्वपत्रत (अश्व सेना का अध्यक्ष) और नरपत्रत (पदैल सतै्रनकों का अध्यक्ष) जैस ेअत्रधकारी सांत्रध-त्रवग्रत्रहक के अधीन कायम करते थे। सेना को नकद र्ें भुगतान ककया जाता था। इनकी आवश्यकताओं को रणभांडागररक नार्क भांडार प्रभारी अत्रधकारी द्वारा पूरा ककया जाता था। अन्य कतमव्यों के साथ-साथ, इस अत्रधकारी को कुल्हाडी,तीर-धनुष, भाले, तलवार, र्ूल, बरछी आकद जैसे यदु् और रक्षात्र्क हत्रथयारों की आपूर्तम करने का कायम भी सौंपा गया था। इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै Q 72.B • र्ध्यकालीन भारत र्ें दर्मन o रहस्यवाकदयों द्वारा प्रर्ुि धार्र्मक आांदोलन र्ुरू ककए गए। उन्होंने धार्र्मक त्रवचारों और त्रवश्वासों र्ें र्हत्वपूणम योगदान कदया। भत्रि सांत जैस-े वल्लभाचायम, रार्ानुज, त्रनम्बाकम एक नई दार्मत्रनक सोच लाए त्रजसका र्ूल र्ांकराचायम के अद्वतै त्रसद्ाांत र्ें था। o रार्ानुजाचायम का त्रवत्रर्ष्टाद्वतै: त्रवत्रर्ष्टाद्वतै का तात्पयम ह ैसांर्ोत्रधत अद्वतैवाद। इस दर्मन के अनुसार अांत्रतर् वास्तत्रवक सत्ता ब्रह्म (ईश्वर) ह ैऔर पदाथम एवां आत्र्ा उसके गणु हैं। o श्रीकां ंांठाचायम का त्रर्वाद्वतै: इस दर्मन के अनुसार परब्रह्म त्रर्व हैं जो र्त्रि से सांपन्न हैं। त्रर्व इस सांसार के भीतर एवां बाहर व्याि हैं। o र्ाधवाचायम का द्वतै: द्वतै का र्ात्रब्दक अथम द्वतैवाद ह ैजो गैर द्वतैवाद एवां र्ांकराचायम के अद्वतैवाद के त्रवरुद् ह।ै उनका र्ानना ह ैकक यह सांसार र्ाया नहीं ह ैअत्रपतु र्तभेदों से पूणम यथाथम ह।ै इसत्रलए यगु्र् 3 सही सरु्ते्रलत ह।ै o त्रनम्बाकामचायम का द्वतैाद्वतै: द्वतैाद्वतै का तात्पयम अद्वतैवाद ह।ै इस दर्मन के अनुसार ईश्वर न ेस्वयां को सांसार एवां आत्र्ा के रूप र्ें प्रकट ककया ह।ै परांतु यह सांसार व आत्र्ा ब्रह्म से त्रभन्न हैं। व ेईश्वर के सहारे स ेजीत्रवत रह सकते हैं। व ेअलग हैं, परांत ुएक- दसूरे पर आत्रश्रत हैं। इसत्रलए यगु्र् 1 सही सरु्ते्रलत ह।ै o वल्लभाचायम का र्दु्ाद्वतै: वल्लभाचायम ने वेदाांत सूत्र एवां भगवद ्गीता पर टीका त्रलिी। उनके अनुसार ब्रह्म श्रीकृष्ण थे त्रजन्होंने स्वयां को आत्र्ा और पदाथम के रूप र्ें प्रकट ककया। परर्ात्र्ा और आत्र्ा अलग नहीं हैं अत्रपतु एक हैं। उन्होंने र्ुद् अद्वतैवाद पर बल कदया। उनका दर्मन पुत्रष्टर्ागम (अनुग्रह की राह) एवां सम्प्रदाय रुद्र सांप्रदाय के नार् से प्रत्रसद् हआ। इसत्रलए यगु्र् 2 सरु्ते्रलत नहीं ह।ै . 40 www.visionias.in ©Vision IAS Q 73.C • 15वीं र्ताब्दी के दौरान त्रचत्रकला की िारसी र्ैली ने त्रचत्रकला की पत्रिर्ी भारतीय र्ैली को प्रभात्रवत करना आरांभ कर कदया था। यह कल्पसूत्र की कुछ सत्रचत्र पाांडुत्रलत्रपयों के ककनारे पर कदिाई दनेे वाली िारसी र्ैली और त्रर्कार के दशृ्यों से स्पष्ट होता ह।ै पत्रिर् भारतीय पाांडुत्रलत्रपयों र्ें गहरे नीले और सुनहरे रांग का प्रयोग करना भी िारसी त्रचत्रकला का प्रभाव सर्झा जाता ह।ै • 16वीं र्ताब्दी के पवूामद्म स ेसांबांत्रधत त्रचत्रकला का सवोत्तर् उदाहरण लघ ुत्रचत्रकला का एक सर्हू ह ैत्रजस ेसार्ान्यतः ‘कुल्हाकदार सर्हू’ कहत ेहैं। • इस सर्हू र्ें ‘चौरपांचात्रर्का’-‘त्रबल्हण द्वारा रत्रचत चोर के पचास श्लोक, गीत गोत्रवन्द, ‘भागवत’ परुाण और ‘रागर्ाला’ के सत्रचत्र उदाहरण र्ात्रर्ल हैं। o इन लघ ुत्रचत्रकलाओं की र्लैी की त्रवर्षेता चटकील ेत्रवषर् रांगों, प्रभावर्ाली और कोणीय आरेिण, पारदर्ी वस्त्रों का प्रयोग तथा ऐसी र्ांकु रूप टोत्रपयों ‘कुलहा’ का प्रकट होना ह ैत्रजन पर परुुष आकृत्रतयाां पगडी पहनती ह।ै o चौरपांचात्रर्का युगों की त्रवत्रर्ष् ट त्रनर्ानी बन गई ह।ै यह उत्तर भारत की एक बहत लोकत्रप्रय कहानी चांपावती और त्रबल्हण की एक धर्मत्रनरपेक्ष कहानी पर आधाररत थी। • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 74.B • र्ैलत्रचत्रों के अवर्ेष र्ध्य प्रदरे्, उत्तर प्रदरे्, आांध्र प्रदरे्, कनामटक और त्रबहार के कई त्रजलों र्ें त्रस्थत गुिाओं की दीवारों पर पाए गए हैं। • उत्तरािांड र्ें कुर्ाऊां की पहात्रडयों र्ें भी कुछ र्ैल-त्रचत्र त्रर्ले हैं। अल्र्ोडा-बारेत्रछना र्ागम पर अल्र्ोडा से लगभग बीस ककलोर्ीटर की दरूी पर सुयाल नदी के ककनारे त्रस्थत लिुत्रडयार र्ें पाए गए र्ैलाश्रयों र्ें अनेक त्रचत्र प्रागैत्रतहात्रसक काल से सांबांत्रधत हैं। o लितु्रडयार का र्ात्रब्दक अथम ह ैएक लाि गिुाएां। o यहाां पाए जाने वाले त्रचत्रों को तीन श्रेत्रणयों र्ें बाांटा जा सकता ह:ै ▪ र्ानव त्रचत्र, ▪ पर्ु त्रचत्र, और ▪ ज्यात्रर्तीय आकृत्रतयाां। o ये त्रचत्र सिेद, काल ेऔर लाल रांगों के हैं। o इसर्ें र्नषु्य को छडी जसै ेरूप र्ें दर्ामया गया ह।ै o पर् ुत्रचत्रों र्ें एक लांब ेथूथन वाला जानवर, एक लोर्डी और कई पैरों वाली त्रछपकली त्रचत्रकारी के र्खु्य त्रवषय हैं। o लहरदार रेिाएां, आयताकार ज्यात्रर्तीय त्रडजाइनों और अनेक हबांदओुं के सर्ूह भी इन त्रचत्रों र्ें दिेे जा सकते हैं। o इन त्रचत्रों र्ें दर्ामए गए दशृ्यों र्ें से एक दशृ्य अत्यांत आकषमक ह,ै त्रजसर्ें र्ानव आकृत्रतयों को हाथ पकडकर नाचत ेहए दर्ामया गया ह।ै o कुछ त्रचत्र पहल ेसे बने त्रचत्रों पर बन ेपाए गए हैं। वहाां सबस ेपहले काल ेरांग के त्रचत्र बनाए गए हैं; किर उन पर लाल रांग के त्रचत्र बनाए गए हैं और अांत र्ें उन पर सिेद रांग के त्रचत्र बने हए पाए गए हैं। • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 75.A • हाल ही र्ें जारी भारत की जैव-अथमव्यवस्था ररपोटम, 2022 र्ें यह उल्लेि ककया गया ह ैकक भारत की जैव-अथमव्यवस्था वषम 2025 तक 150 त्रबत्रलयन अर्ेररकी डॉलर और वषम 2030 तक 300 त्रबत्रलयन अर्ेररकी डॉलर से अत्रधक होने की सांभावना ह।ै • जवै प्रौद्योत्रगकी उद्योग अनुसांधान सहायता पररषद (BIRAC) द्वारा अथमव्यवस्था र्ें बायोटेक क्षते्र के योगदान के आांकडों के आधार पर भारत की जवै-अथमव्यवस्था ररपोटम 2022 (India BioEconomy Report 2022) जारी की गई ह।ै • इस ररपोटम र्ें यह कहा गया ह ैकक दरे् की जैव-अथमव्यवस्था वषम 2020 र्ें 70.2 त्रबत्रलयन अर्रीकी डॉलर से बढ़कर वषम 2021 र्ें 80 त्रबत्रलयन अर्रीकी डालर से अत्रधक हो गई ह।ै इसर्ें 14.1 प्रत्रतर्त की वृत्रद् दजम की गई ह।ै . 41 www.visionias.in ©Vision IAS • जवै प्रौद्योत्रगकी उद्योग अनुसांधान सहायता पररषद (BIRAC) भारत सरकार के जैव प्रौद्योत्रगकी त्रवभाग (DBT) की धारा 8, अनुसूची ‘ि’ द्वारा स्थात्रपत सावमजत्रनक क्षेत्र का एक गैर-लाभकारी उद्यर् ह।ै BIRAC एक उद्योग-अकादत्रर्क इांटरिेस ह।ै यह अपने अत्रधदरे् को व्यापक प्रभाव वाल ेकायों द्वारा लागू करता है, त्रजसर्ें लत्रक्षत त्रवत्तपोषण (टागेरटड फ़ां हडांग), टेक्नोलॉजी का आदान-प्रदान, बौत्रद्क सम्पदा प्रबांधन और सर्थमन प्राि योजनाओं की र्दद से उत्कृष्ट ररटनम उत्पन्न करने के अवसर प्राि होते हैं। इससे बायोटेक कां पत्रनयों को नवाचार उत्कृष्टता लाने और त्रवश्व स्तर पर प्रत्रतस्पधी बनने र्ें सहायता त्रर्लती ह।ै • भारत र्ें जवै प्रौद्योत्रगकी क्षते्रक: भारत दत्रक्षण एत्रर्या र्ें र्ीषम 3 और त्रवश्व र्ें जैव प्रौद्योत्रगकी के र्ीषम 12 गांतव्यों र्ें से एक है और वैत्रश्वक जैव प्रौद्योत्रगकी उद्योग र्ें भारत की त्रहस्सेदारी लगभग 3% ह।ै इसके अलावा, भारत र्ें यू.एस.ए. के बाहर यूनाइटेड स्टेट िूड एांड ड्रग एडत्रर्त्रनस्रेर्न (USFDA) द्वारा अनुर्ोकदत त्रवत्रनर्ामण सांयांत्रों की दसूरी सबस ेबडी सांख्या ह।ै यह उदीयर्ान क्षेत्रक (Sunrise Sector) स्वास्थ्य दिेभाल, औद्योत्रगक त्रवत्रनर्ामण, कृत्रष, पयामवरण और स्वच्छ ऊजाम के त्रलए प्रौद्योत्रगकी आधाररत सर्ाधानों को सक्षर् बनाता ह।ै Q 76.B • यद्यत्रप गुि काल र्ें कृत्रष, अथमव्यवस्था का र्ुख्य अांग थी लेककन वात्रणज्य और त्रर्ल्प उत्पादन जैसे अन्य व्यवसाय भी प्रचलन र्ें थे। इन व्यवसायों र्ें त्रवत्रभन्न सार्ात्रजक सर्ूह सांलि थे। • इस सर्य कृषक सर्ाज र्ें कुछ पररवतमन दिे ेजा सकत ेहैं। भतू्रर् व्यवस्था अत्रधक जरटल होती जा रही थी। भतू्रर् का अनदुान धार्र्मक और अनुष्ठान करन ेवालों या अत्रधकाररयों को कदया जाता था। ऐस ेर्ार्लों र्ें जब ब्राह्मणों को दी जाने वाली भूत्रर् एक आद्रमभूत्रर् या वन भूत्रर् होती थी तो अनुदान ग्रात्रहयों ने उन क्षते्रों र्ें कृत्रष को अपनाने र्ें अग्रणी भूत्रर्का त्रनभाई। कृत्रष सांबांधी गत्रतत्रवत्रधयों की त्रनगरानी र्ें ब्राह्मण प्रवीण हो चुके थे। उन्हें कृत्रष त्रनयर्ावत्रलयों जैसे कक कृत्रषपरार्र (Krishiparashara) से र्दद त्रर्ली, जो इस अवत्रध या बाद की अवत्रध र्ें रचनाओं र्ें र्ात्रर्ल की गई थी। गिु काल र्ें भतू्रर् करों की सांख्या र्ें वतृ्रद् हई तथा व्यापार और वात्रणज्य पर करों र्ें कर्ी आई। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • सांभवत: राजा उपज के एक-चौथाई भाग से लेकर छठवें भाग तक अलग-अलग कर वसूलता था। इसके अत्रतररि, जब भी र्ाही सेना ग्रार्ीण क्षते्रों स ेगजुरती थी तो स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें भोजन कराना पडता था। ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें कार् करने वाले राजकीय अत्रधकारी अपने त्रनवामह के त्रलए ककसानों से पर्ु, िाद्यान्न, िाट जैसी वस्तुएां लेते थे। र्ध्य और पत्रिर्ी भारत र्ें ग्रार्ीणों को भी र्ाही सनेा और अत्रधकाररयों द्वारा त्रवत्रष्ट (Vishti) नार्क बलात श्रर्/जबरन श्रर् के अधीन ककया गया था। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • अथमव्यवस्था र्ें लेन-दने के कायम सुचारू रूप से चलाने के त्रलए त्रवत्रभन्न र्ासकों द्वारा त्रवत्रभन्न प्रकार के त्रसके्क जारी ककए गए थे। प्राचीन भारत र्ें गिु र्ासकों को सबस ेबडी सांख्या र्ें सोन ेके त्रसके्क जारी करन ेके त्रलए जाना जाता ह ैत्रजन्हें उनके त्रर्लालिेों र्ें दीनार कहा गया ह।ै हालाांकक, गुिकाल के त्रसक्कों र्ें सोने की र्ात्रा कुषाणों के त्रसक्कोंकी तरह र्ुद् नहीं ह ैऔर सांभवतः इसका उपयोग आर् लोगों द्वारा अपने दतै्रनक लेन-दने र्ें नहीं ककया जाता था। दतै्रनक लेन-दने ज्यादातर ताांबे के त्रसक्कों या अन्य प्रकार की र्दु्राओं र्ें ककया जाता था। ककन्त ुकुषाणों की तलुना र्ें गिु काल के ताांब ेके त्रसके्क बहत कर् हैं। इस प्रकार, ऐसा प्रतीत होता है कक इस अवत्रध र्ें वात्रणत्रज्यक गत्रतत्रवत्रधयाां उतनी नहीं िल-िूल रही थी त्रजतनी कक कुषाण काल र्ें। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै Q 77.A • कहलांग यदु् के पररणार्स्वरूप अर्ोक न ेबौद् धर्म को अपना त्रलया था। परांपरा के अनुसार, वह एक बौद् त्रभक्ष ुबन गया। उसने बौद्ों को अपार दान कदया और बौद् धर्म-स्थलों की तीथमयात्राएां की। पारांपररक अनशु्रतु्रत के अनसुार, अर्ोक न ेबौद्ों के तीसरे सम्र्लेन (सांगीत्रत) का आयोजन ककया और उसने धर्म प्रचारकों को केवल दत्रक्षण भारत र्ें ही नहीं, बत्रल्क श्रीलांका, म्याांर्ार (बर्ाम) और अन्य दरे्ों र्ें भी भेजा ताकक वहाां के लोगों को बौद् धर्म अपनाने के त्रलए प्ररेरत ककया जाए। • अर्ोक न ेर्त्रहलाओं सत्रहत सर्ाज के त्रवत्रभन्न वगों के बीच धर्म का प्रचार-प्रसार करन ेके त्रलए ‘धम्र्र्हार्ात्रों’ की त्रनयतु्रि की। उसन ेअपन ेसाम्राज्य र्ें न्याय-कायम करन ेके त्रलए ‘रज्जकुों’ की भी त्रनयतु्रि की। . 42 www.visionias.in ©Vision IAS • अर्ोक कर्मकाांडों का, त्रवर्ेष रूप से त्रस्त्रयों र्ें प्रचत्रलत अनुष्ठानों या रस्र्ों का त्रवरोधी था। उसन ेकई तरह के पत्रक्षयों और पर्ओुं को र्ारन ेस ेर्ना ककया। उसन ेअपनी राजधानी र्ें पर्ओुं की हत्या पर रोक लगा दी और बत्रल के त्रलए पर्ओुं की हत्या करना त्रनत्रषद् कर कदया। उसने ऐसे तडक-भडक वाले सार्ात्रजक सर्ारोहों पर भी रोक लगा दी त्रजनर्ें लोग रांगरेत्रलयाां र्नाते थे। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • उसके उपदरे्ों का लक्ष्य पररवार-सांस्था और तत्कालीन सार्ात्रजक वणम व्यवस्था की रक्षा करना था। उसका र्ानना था कक यकद लोग भला आचरण करेंगे तो व ेस्वगम जाएांग,े ककन्त ुउसन ेऐसा कभी नहीं कहा कक व ेत्रनवामण प्राि करेंगे, जो कक बौद् धर्म का परर् लक्ष्य ह।ै • उसने आदरे् कदया कक लोगों को अपने र्ाता-त्रपता की बात र्ाननी चात्रहए, ब्राह्मणों एवां बौद् त्रभक्षुओं का सम्र्ान करना चात्रहए और दासों तथा सेवकों पर दया करनी चात्रहए। इन सबसे अलग, धम्र्त्रलपी लोगों से राजा के प्रत्रत दढृ़ भत्रि या विादारी कदिाने के त्रलए कहती ह।ै य ेत्रनदरे् बौद् और ब्राह्मण दोनों धर्ों र्ें पाए जात ेहैं। उसन ेअपनी प्रजा पर बौद् धर्म को थोपन ेकी कोत्रर्र् नहीं की, बत्रल्क उसन ेबौद् को नहीं र्ानन ेवाल ेऔर यहाां तक कक बौद् त्रवरोधी सांप्रदायों को भी दान कदए। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै Q 78.D • र्हायान बौद् धर्म: o इसका अथम वहृत सांवाहक/र्हान र्ागम होता ह।ै o यह सांप्रदाय अत्रधक उदार ह ैऔर बदु् एवां बोत्रधसत्वों की अलौकककता र्ें त्रवश्वास करता ह,ै जो बदु् प्रकृत्रत को दर्ामता ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o र्हायान के तहत अांत्रतर् लक्ष्य "आध्यात्रत्र्क उत्थान" ह।ै र्हायान के अनयुायी बदु् की र्रू्तम या र्रू्तम पूजा र्ें त्रवश्वास करते हैं। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o बोत्रधसत्व की अवधारणा र्हायान बौद् धर्म का पररणार् ह।ै र्हायान को "बोत्रधसत्व यान" भी कहा जाता ह।ै ऐसा कहने का तात्पयम यह ह ैकक इसके अनुयायी सभी प्रबुद् व्यत्रियों के उद्ार की बोत्रधसत्व अवधारणा र्ें त्रवश्वास करते हैं। दसूरे र्ब्दों र्ें, व ेसभी प्रात्रणयों की पीडा से सावमभौत्रर्क र्ोक्ष र्ें त्रवश्वास करते हैं। o एक बोत्रधसत्व सभी प्रात्रणयों के लाभ के त्रलए पणूम ज्ञान प्राि करने का प्रयास करता ह।ै जो बोत्रधसत्व यह लक्ष्य प्राि कर लेता ह ैउसे ‘सम्यक्सांबुद्ाय’ कहा जाता ह।ै o प्रर्ुि र्हायान ग्रांथों र्ें कर्ल सतू्र, र्हावांर् आकद र्ात्रर्ल हैं। o कर्ल सूत्र के अनुसार, र्हायान सांप्रदाय एक व्यत्रि द्वारा पालन की जाने वाली छह त्रसत्रद्यों (या पारत्रर्ता) र्ें त्रवश्वास करता ह:ै ▪ दान (उदारता) ▪ र्ील (सद्गुण, नैत्रतकता, अनरु्ासन और उत्रचत आचरण) ▪ काांत्रत (धैयम, सहनर्ीलता, स्वीकृत्रत) ▪ वीयम (ऊजाम, पररश्रर्, जोर्, प्रयास) ▪ ध्यान (एक-हबांद ुपर ध्यान कें कद्रत करना) ▪ प्रज्ञा (ज्ञान और अांतदृमत्रष्ट) o त्रवद्वानों के अनुसार, उत्तरवती काल र्ें त्रवकत्रसत हए र्हायान के उप-सांप्रदायों र्ें से एक वज्रयान था। o र्हायान त्रवद्वानों न ेर्खु्य रूप स ेसांस्कृत भाषा का प्रयोग ककया। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै o सम्राट कत्रनष्क न ेकश्र्ीर र्ें चतथुम बौद् सांगीत्रत का आयोजन ककया। इस ेर्हायान बौद् धर्म के आरांभ के रूप र्ें त्रचत्रननत ककया जाता ह।ै इस सांगीत्रत के उपराांत बौद् धर्म हीनयान और र्हायान सांप्रदायों र्ें त्रवभात्रजत हो गया। कत्रनष्क न ेबौद् धर्म के नए र्हायान सांप्रदाय को सांरक्षण प्रदान ककया त्रजससे इसकी लोकत्रप्रयता बढ़ी। इसत्रलए कथन 4 सही ह।ै o वतमर्ान र्ें, त्रवश्व र्ें अत्रधकाांर् बौद् अनुयायी र्हायान सांप्रदाय के हैं (वषम 2010 की ररपोटम के अनुसार लगभग 53.2 %)। o इसका अनुसरण करने वाले अन्य दरे्ों र्ें नेपाल, बाांग्लादरे्, जापान, त्रवयतनार्, इांडोनेत्रर्या, र्लते्रर्या, हसांगापुर, र्ांगोत्रलया, चीन, भूटान, त्रतब्बत आकद र्ात्रर्ल हैं। . 43 www.visionias.in ©Vision IAS Q 79.C • रसायन और उवमरक र्ांत्रालय के औषध त्रवभाग न े"औषध उद्योग को र्जबतू बनान े(SPI)" की योजना के त्रलए कदर्ा-त्रनदरे् जारी ककए हैं। इस योजना के अधीन त्रवत्तीय वषम 2021-22 से त्रवत्त वषम 2025-26 की अवत्रध के त्रलए कुल त्रवत्तीय पररव्यय 500 करोड रुपये होगा। • यह योजना दरे् भर र्ें र्ौजदूा िार्ाम सर्हूों और MSMEs को उनकी उत्पादकता, गणुवत्ता और त्रस्थरता र्ें सधुार के त्रलए आवश्यक सहायता के सांदभम र्ें बढ़ती र्ाांग को परूा करेगी। • औषध उद्योग को र्जबूत बनाने (SPI) की योजना का उद्देश्य भारत को औषध क्षेत्र र्ें त्रवश् व स् तर पर अग्रणी बनाने के त्रलए र्ौजूदा बुत्रनयादी सुत्रवधाओं को र्जबूत करना ह।ै • इस योजना के अांतगमत, िार्ाम क्लस्टर को सार्ान्य सुत्रवधाओं के त्रनर्ामण के त्रलए त्रवत्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इससे न केवल गुणवत्ता र्ें सुधार होगा बत्रल्क क्लस्टरों का सतत त्रवकास भी सुत्रनत्रित होगा। • इसके अलावा, SMEs और MSMEs की उत्पादन सुत्रवधाओं को उन्नत करने के त्रलए राष्ट्रीय और अांतरामष्ट्रीय त्रनयार्क र्ानकों (WHO-GMP या अनुसूची-M) को पूरा करने के त्रलए छूट के साथ ब्याज दर या उनके पूांजीगत ऋणों पर पूांजीगत सत्रब्सडी प्रदान की जाएगी त्रजससे र्ात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता र्ें वृत्रद् की जा सके। • इस योजना र्ें 3 घटक/उप-योजनाएां हैं: o सार्ान्य सतु्रवधाओं के त्रलए औषत्रध उद्योग को सहायता (APICF): इसका उद्देश्य सार्ान्य सुत्रवधाओं का त्रवकास कारण और उनके त्रनरांतर त्रवकास के त्रलए र्ौजूदा िार्ामस्युरटकल क्लस्टरों की क्षर्ता को र्जबूत करना ह।ै o औषध प्रौद्योत्रगकी उन्नयन सहायता योजना (PTUAS): इसका उद्देश्य राष्ट्रीय और अांतरामष्ट्रीय त्रनयार्क र्ानकों को पूरा करने वाले सूक्ष्र्, लघु और र्ध् यर् िार्ाम उद्यर्ों (MSMEs) को प्रोत्सात्रहत करना ह।ै o औषत्रध और त्रचककत्सा उपकरण सांवधमन एवां त्रवकास योजना (PMPDS): इसका उद्देश्य अध्ययन/सवेक्षण ररपोटम, जागरूकता कायमक्रर्ों, डेटाबसे के त्रनर्ामण और उद्योग को बढ़ावा दनेे के र्ाध्यर् से िार्ामस्युरटकल और त्रचककत्सा उपकरण क्षेत्रकों की सांवृत्रद् और त्रवकास को सुत्रवधाजनक बनाना ह।ै • प्रधानर्ांत्री भारतीय जनऔषत्रध पररयोजना (PMBJP): प्रधानर्ांत्री भारतीय जनऔषत्रध पररयोजना (PMBJP) औषध त्रवभाग द्वारा र्ुरू ककया गया एक अत्रभयान ह।ै इसका उद्दशे्य जनता को सस्ती कीर्त पर गुणवत्तापूणम दवाएां उपलब्ध कराना ह।ै PMBJP स्टोर जेनेररक दवाएां उपलब्ध कराने के त्रलए स्थात्रपत ककए गए हैं। इन कें द्रों पर जनेेररक दवाएां कर् कीर्तों पर उपलब्ध हैं लेककन ये गुणवत्ता और प्रभावकाररता र्ें र्हांगी ब्राांडेड दवाओं के सर्ान हैं। इसे नवांबर 2008 र्ें औषध त्रवभाग द्वारा जन औषत्रध अत्रभयान के नार् से र्ुरू ककया गया था। िार्ामस्यूरटकल एांड र्ेत्रडकल त्रडवाइसेज ब्यूरो ऑि इांत्रडया (PMBI), PMBJP के त्रलए कायामन्वयन एजेंसी ह।ै यह SPI के तहत उप-योजना नहीं ह।ै • नरे्नल िार्ामस्यरुटकल प्राइहसांग अथॉररटी (NPPA), औषध त्रवभाग "उपभोिा जागरूकता, प्रचार और र्लू्य त्रनगरानी (CAPPM)" योजना को कायामत्रन्वत करता ह।ै इस योजना के दो घटक अथामत् (a) राष्ट्रीय घटक और (b) राज्य घटक हैं। o राष्ट्रीय घटक र्ें हप्रांट और इलेक्रॉत्रनक र्ीत्रडया के र्ाध्यर् से प्रचार के त्रलए व्यय, उपभोिा जागरूकता के त्रलए सेत्रर्नार आयोत्रजत करना, नर्ूनों की िरीद करना आकद र्ात्रर्ल हैं। o योजना के राज्य घटक के तहत, राज्यों र्ें र्ूल्य त्रनगरानी और सांसाधन इकाइयाां (PMRUs) स्थात्रपत करने की योजना ह।ै PMRU राज्य औषत्रध त्रनयांत्रक की अध्यक्षता र्ें एक पांजीकृत सोसाइटी ह।ै NPPA/राज्य स्वास्थ्य त्रवभाग, नागररक सर्ाज और अन्य त्रहतधारकों के प्रत्रतत्रनत्रध PMRU के सदस्य हैं। • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 80.D • पानीपत के प्रथर् युद् र्ें बाबर ने एक नई यदु् पद्त्रत की र्ुरुआत की। इस पद्त्रत को तलुगुर्ा पद्त्रत के नार् स ेजाना जाता ह।ै तुलुगर्ा का अथम पूरी सेना को त्रवत्रभन्नइकाइयों, अथामत बाएां, दाएां और र्ध्य भाग र्ें त्रवभात्रजत करना था। o इसके आगे बाएां और दाएां भागों को आगे रहने वाली टुकत्रडयों तथा पीछे रहने वाली टुकत्रडयों र्ें उप-त्रवभात्रजत ककया गया था। र्ध्य अत्रग्रर् भाग को बैलगात्रडया {अराबा (Araba)} प्रदान की जाती थीं। अराबा (Araba) को दशु्र्न के सार्ने रहने वाली पांत्रियों र्ें रिा जाता था और उनको जानवरों के चर्डे के रस्सों से एक-दसूरे से बाांध कदया जाता था। . 44 www.visionias.in ©Vision IAS o उनके पीछे तोपें रिी जाती थीं त्रजनकी सुरक्षा र्ेंटेलेट (Mantelets) द्वारा की जाती थी। र्ेंटेलेट, घेराबांदी द्वारा हर्ला करते सर्य सुरक्षा के रूप र्ें उपयोग ककए जाने वाले गत्रतर्ील कवचनुर्ा आश्रय होते थे। उनका उपयोग आसानी से तोपों को चलाने के त्रलए ककया जा सकता था। • यदु् की इस नई त्रवधा की र्रुुआत न ेभारत र्ें बारूद, घडुसवार सेना और तोपिान ेको लोकत्रप्रय बना कदया। हालाांकक, भारत के लोग पहल ेस ेही बारूद स ेपररत्रचत थ,े लेककन बाबर के आगर्न के साथ उत्तर भारत र्ें तोपिान ेके त्रलए इसका उपयोग सार्ान्य हो गया। इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै • अन्य तीन यदु्ों के बारे र्ें तथ्य: o सार्गूढ़ का यदु् (1658): सार्गूढ़ का युद् र्ुगल बादर्ाह र्ाहजहाां के पुत्रों के बीच लडा गया था। यह युद् र्ाहजहाां के सबसे बडे पुत्र और उत्तरात्रधकारी दारा त्रर्कोह तथा उसके दो छोटे भाइयों औरांगजेब तथा र्ुराद बख़्र् (र्ाहजहाां के तीसरे और चौथे पुत्र) के बीच लडा गया था। इस युद् का र्कसद यह तय करना था कक उनके त्रपता (र्ाहजहाां) के बाद हसांहासन का उत्तरात्रधकारी कौन होगा। o हल्दीघाटी का यदु् (1576): हल्दीघाटी का युद् 18 जून 1576 को र्हाराणा प्रताप के नेतृत्व वाली र्ेवाड सेना और आर्ेर के र्ानहसांह प्रथर् के नेतृत्व वाली र्ुगल सेना के बीच लडा गया था। तत्कालीन सर्य र्ें अकबर र्ुगल बादर्ाह था। o सलु्ताना चाांदबीबी: सुल्ताना चाांदबीबी (1550-1599 ईस्वी.) एक भारतीय र्ासक और योद्ा थी। उन्होंने 1580-1590 ईस्वी र्ें इब्रात्रहर् आकदल र्ाह त्रद्वतीय की अवयस्कता के दौरान बीजापुर सल्तनत के राज्य-सांरक्षक और सन 1595-1600 ईस्वी र्ें अपने भतीजे बहादरु र्ाह की अवयस्कता के दौरान अहर्दनगर सल्तनत के राज्य-सांरक्षक के रूप र्ें कायम ककया। चाांद बीबी को 1595 ईस्वी. र्ें सम्राट अकबर की र्गुल सनेा के त्रिलाि अहर्दनगर की रक्षा करने के त्रलए जाना जाता ह।ै Q 81.C • गिु साम्राज्य के तहत प्रर्ासन की प्रणाली: o र्ौयम राजाओं के त्रवपरीत गुि राजाओं ने परर्शे्वर, र्हाराजात्रधराज, परर्भट्टारक जसैी आडांबरपणूम उपात्रधयाां धारण की। इससे यह सांकेत त्रर्लता ह ैकक उन्होंने अपने साम्राज्य के भीतर छोटे राजाओं पर र्ासन ककया। हालाांकक, राजपद वांर्ानुगत था लेककन राज सत्ता ज्येष्ठात्रधकार की प्रथा का दढृ़ता से पालन करने के कारण सीत्रर्त थी। o ऐसा प्रतीत होता ह ैकक राजा स्थायी सेना रिते थे और उनके सार्ांत सर्य-सर्य पर उनकी सहायता के त्रलए अपनी-अपनी सेना भेज कदया करते थे। अश्व-चात्रलत रथों का र्हत्व सर्ाि हो चुका था और घडुसवारों का र्हत्व बढ़ गया था। अश्वों पर सवार होकर तीर चलाना सैत्रनक रणनीत्रत का भाग बन गया था। गिुकाल र्ें जहाां एक तरि भतू्रर् करों की सांख्या र्ें वतृ्रद् हई थी तो वहीं दसूरी तरि व्यापार और वात्रणज्य पर करों की सांख्या र्ें कर्ी आ गई थी। o सांभवतः राज्य, उपज का चौथ ेभाग स ेलकेर छठे भाग तक कर के रूप र्ें लेता था। इसके अत्रतररि, जब भी राजकीय सेना गाांवों स ेगुजरती थी तो स्थानीय प्रजा के द्वारा उनके भोजन आकद का िचम वहन ककया जाता था। ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें कार् करने वाले राजकीय अत्रधकारी अपने त्रनवामह के त्रलए ककसानों से पर्ु, िाद्यान्न, िाट जैसी वस्तुएां लेते थे। o त्रर्ल्पकारों, व्यापाररयों आकद के सांगठनों (श्रेत्रणयों) पर उनके अपने ही त्रनयर् लागू होते थे। वैर्ाली और इलाहाबाद (वतमर्ान प्रयागराज) के त्रनकटवती भीटा से प्राि र्हुरों स ेपता चलता ह ैकक गुिकाल र्ें श्रते्रणयों का त्रवकास हआ था। o र्ौयों की तुलना र्ें गुि अत्रधकारी वगम ज्यादा बडा नहीं था। गिु साम्राज्य के उच्च स्तरीय अत्रधकारी कुर्ारार्ात्य कह ेजात ेथ।े उन्हें राजा उनके प्राांत र्ें ही त्रनयिु करत ेथ ेऔर उन्हें नगद वेतन कदया जाता था । इसत्रलए यगु्र् 2 सही सरु्ते्रलत नहीं ह।ै o चूांकक गुि र्ासक सांभवतः वैश्य थे, इसत्रलए प्रर्ासत्रनक पदों पर त्रनयुत्रि केवल उच्च वगों तक ही सीत्रर्त नहीं थी। अनेक पदों का प्रभार एक ही व्यत्रि के हाथ र्ें सौंपा जाने लगा और इस प्रकार पद वांर्ानुगत हो गए। स्वाभात्रवक रूप से राजकीय त्रनयांत्रण कर्जोर हो गया। गिु राजाओं ने प्राांतीय और स्थानीय र्ासन व्यवस्था की स्थापना की। o राज्य कई प्राांतों र्ें त्रवभात्रजत थ ेत्रजन्हें भतु्रि (Bhukti) कहा जाता था। प्रत्यके भतु्रि का प्रभार उपररक (Uparika) के पास होता था। भतु्रियाां कई त्रजलों र्ें त्रवभात्रजत थीं त्रजन्हें त्रवषय (Vishayas) कहा जाता था। प्रत्यके त्रवषय का प्रभारी त्रवषयपत्रत (Vishayapati) होता था। पूवी भारत र्ें प्रत्यके त्रवषय, वीत्रथ (Vithis) र्ें त्रवभात्रजत थ ेऔर वीत्रथयाां, गाांवों र्ें त्रवभात्रजत थीं। इसत्रलए यगु्र् 1 और 3 दोनों सही सरु्ते्रलत हैं। o गिुकाल र्ें गाांव के र्तु्रिया की सत्ता बढ़ गई। वह ग्रार् श्रेष्ठों की सहायता से गाांव का कार्काज दिेता था। गाांवों और छोटे-छोटे र्हरों के प्रर्ासन से प्रर्ुि स्थानीय लोग जुड ेहए थ।े उनकी अनुर्त्रत के त्रबना जर्ीन की िरीद-त्रबक्री नहीं हो सकती थी। . 45 www.visionias.in ©Vision IAS Q 82.D • डोकरा धात ुढलाई (Dhokra Casting): o डोकरा ताांबा, त्रनकल और जस्ता की एक त्रर्श्रधात ुह।ै इनके इस्तरे्ाल स ेबनाई गई र्रू्तमयाां प्राचीन काल की कदिाई दतेी हैं। इस तरह की तकनीक का प्राचीनतर् उदाहरण हडप्पा काल (र्ोहनजोदडो की नतमकी की र्रू्तम) र्ें दिेा गया ह।ै o लोकत्रप्रय र्ूर्तमकला परांपराओं र्ें डोकरा धातु ढलाई से बनी र्रू्तमयाां, लिु र्ोर् (Lost wax) प्रकक्रया या त्रसरे पडुेम तकनीक (Cire perdue technique) स ेबनाई जाती हैं। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o य ेछत्तीसगढ़ के बस्तर, र्ध्य प्रदरे् के कुछ त्रहस्सों, ओत्रडर्ा और पत्रिर् बांगाल र्ें त्रर्दनापरु के सबसे प्रर्ुि धातु त्रर्ल्पों र्ें से एक हैं। इसर्ें लुि र्ोर् प्रकक्रया के र्ाध्यर् स ेकाांस्य ढलाई की जाती ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o बस्तर के धात ुकारीगरों को गढ़वा (Ghadwa) कहा जाता ह।ै लोकत्रप्रय र्ब्दावली र्ें, 'गढ़वा' र्ब्द का अथम ह ैर्ूर्तमयों को आकार दनेा और उन्हें बनाना। र्ायद यही कारण ह ैकक कलाकारों को गढ़वा नार् कदया गया ह।ै इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o इस कला के रूपाांकन (Motifs) र्ुख्यतः लोक सांस्कृत्रत स ेप्रभात्रवत हैं। इसर्ें हाथी, घोडे जैस ेजानवरों की आकृत्रतयाां, दवेी- दवेता, ढक्कन वाले पात्र, लैंप एवां लैंप स्टैंड और पडेों तथा र्ािाओं के रूप र्ें जरटल त्रडजाइन र्ात्रर्ल हैं। o नोट: लिु र्ोर् प्रकक्रया या त्रसरे पडुेम तकनीक: यह धातु ढलाई की एक प्रकक्रया ह।ै इसर्ें र्ोर् की एक र्ूर्तम बनाई जाती है, इसे त्रचकनी त्रर्ट्टी से लेपकर सूिने के त्रलए छोड कदया जाता ह।ै सूिने के बाद र्ोर् को त्रपघलाकर त्रनकाल त्रलया जाता है त्रजससे एक साांचा तैयार होता ह।ै इसके बाद त्रपघली हई धातु को इसी साांचे र्ें डाल कदया जाता ह।ै Q 83.C • र्ध्यकालीन भारत र्ें रसायन त्रवज्ञान (Chemistry) का रस त्रवद्या (Alchemy) से गहरा सांबांध था। यह ताांत्रत्रक उपासना पद्त्रत का एक अत्रभन्न अांग थी। हालाांकक, भारत र्ें रस त्रवद्या की र्ुरुआत अथवमवेद या ऋग्वेद काल से भी र्ानी जा सकती है, लेककन व्यावहाररक रस त्रवद्या ताांत्रत्रक काल के दौरान अपने चरर् पर पहांची थी। • ब्राह्मणवादी या बौद् धर्म, दोनों के ही ताांत्रत्रक ग्रांथों र्ें क्षारीय धातुओं को दसूरी धातु र्ें बदलने की पद्त्रतयाां बताई गई हैं, त्रवर्ेष रूप से पारे को सोने र्ें। • रसरत्नाकर (Rasaratnakara) र्ें रस त्रवद्या की प्रकक्रयाओं और पारे के कई यौत्रगकों को तयैार करन ेका वणमन ककया गया ह।ै ध्यातव्य ह ैकक रसरत्नाकर की रचना, प्रत्रसद् बौद् रसायनर्ास्त्री नागाजुमन द्वारा की गई ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै o इस पसु्तक र्ें जस्ता, पारे एवां ताांब ेके त्रनष्कषमण और पारे के कक्रस्टलीय लाल सल्िाइड (स्वणम हसांदरू या र्करध्वज) को तैयार करन ेजसैी कई रासायत्रनक प्रकक्रयाओं का त्रववरण कदया गया ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै o स्वणम हसांदरू अभी भी स्वदरे्ी त्रचककत्सा पद्त्रत को अपनाते हए भारत र्ें त्रचककत्सकों द्वारा कई रोगों के त्रलए रार्बाण के रूप र्ें अनुर्ांत्रसत की जाती ह।ै o इस पुस्तक र्ें त्रवत्रभन्न भौत्रतक-रासायत्रनक प्रकक्रयाओं को पूरा करने के त्रलए दो दजमन से अत्रधक प्रकार के उपकरणों (Yaniras) का भी वणमन ककया गया ह।ै भौत्रतक-रासायत्रनक प्रकक्रयाओं र्ें त्रनम्नत्रलत्रित र्ात्रर्ल हैं: ▪ आसवन (Distillation) ▪ उध्वमपातन (Sublimation), ▪ त्रनष्कषमण (Extraction), ▪ त्रनस्तापन (Calcination), ▪ पाचन (Digestion), ▪ वाष्पीकरण (Evaporation), ▪ त्रनस्यांदन (Filtration), ▪ धूर्क (Fumigation), . 46 www.visionias.in ©Vision IAS ▪ सांलयन (Fusion), ▪ चूणीकरण (Pulverization), ▪ भाप और रेत द्वारा गर्म करना, ▪ कई धातु यौत्रगकोंको तैयार करना। Q 84.A • त्रवजयनगर साम्राज्य के बारे र्ें जानकारी दनेे वाली पुस्तकों र्ें, वतमर्ान र्ें त्रनम्नत्रलत्रित यात्रत्रयों की रचनाएां ही उपलब्ध हैं: o त्रनकोलो कोंटी, वते्रनस (इटली) का एक व्यापारी था और इसने 1420 ई. र्ें भारत की यात्रा की थी; o अब्दरु रज्जाक सर्रकां दी एक िारसी त्रवद्वान एवां दतू था और इसने 1443 ईस्वी र्ें भारत की यात्रा की थी; o दआुते बरबोसा एक पुतमगाली अत्रधकारी था और इसने 1515 ई. र्ें भारत की यात्रा की थी; o डोहर्ांगो पसे एवां िरनाओ नतू्रनज़ साहत्रसक पुतमगाली व्यापारी थे। इन्होंने क्रर्र्ः 1520 ई. और 1535-37 ई. र्ें भारत की यात्रा की थी। o नायक सांस्था का गहन अध्ययन दो पुतमगाली त्रवद्वान िरनाओ नतू्रनज़ और डोहर्ांगो पसे द्वारा ककया गया। उन्होंने सोलहवीं र्ताब्दी के दौरान तुलवु वांर् के कृष्णदवे राय और अच्यतु राय के र्ासनकाल र्ें भारत की यात्रा की थी। o त्रवदरे्ी व्यापार सांबांधी जानकारी हर्ें कृष्णदवे राय के अर्ुिर्ाल्यद (Amuktamalyada), डोहर्ांगो पेस और नतू्रनज़ द्वारा प्राि होती ह।ै उन्होंने अश्व व्यापार का रोचक त्रववरण ककया ह।ै o त्रनकोलो कोंटी ने अपनी यात्राओं के बारे र्ें नहीं त्रलिा ह।ै दो अन्य व्यत्रियों की रचनाओं से हर्ें त्रनकोलो कोंटी के बारे र्ें जानकारी त्रर्लती ह,ै त्रजन्हें उन्होंने अपनी साहत्रसक यात्राओं के बारे र्ें बताया था। • त्रनकोलाओ र्नूची (1639 ई. - 1717 ई.) वेत्रनस का एक यात्री था। उसने बांगाल सत्रहत भारत के त्रवत्रभन्न त्रहस्सों की यात्रा की तथा इस भूत्रर् और उसके लोगों का एक त्रवश्वसनीय त्रववरण प्रस्तुत ककया। उसने र्गुल साम्राज्य के बारे र्ें त्रववरण प्रस्तुत ककया ह।ै • त्रवजयनगर साम्राज्य का दौरा करन ेवाल ेअन्य यात्री हैं: o अब्दरु रज्जाक: यह एक िारसी, तैर्ूरी इत्रतहासकार और त्रवद्वान था। इसने दवे राय त्रद्वतीय के र्ासनकाल र्ें िारस के तैर्ूर राजवांर् के र्ासक र्ाहरुि के राजदतू के रूप र्ें त्रवजयनगर साम्राज्य की यात्रा की थी। o अथनात्रसयस त्रनककत्रतन: यह रूस का पहला प्रत्रसद् यात्री था। o दआुत ेबरबोसा: यह एक पुतमगाली लेिक, लेख्य प्रर्ाणक और अन्वषेक था। इसने कृष्ण दवे राय के अधीन त्रवजयनगर र्ासन का रोचक त्रववरण प्रस्तुत ककया ह।ै • इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै Q 85.A • आन् ध्र प्रदरे् की छाया नाटक को तोलु बोम् र्ालट्टा (Tholu Bommalata) कहते हैं तथा इनकी परांपरा अत्यांत सर्ृद् ह।ै इनकी पुतत्रलयाां आकृत्रत र्ें बडी होती हैं तथा उनकी कर्र, गदमन, कां ध ेऔर घुटनों र्ें जोड होते हैं। o पुतत्रलयाां दोनों तरि से रांगी जाती ह ैत्रजससे पद ेपर रांगीन छाया पडती ह।ै पुतली नाटकों का सांगीत र्ुख्यतः इस क्षेत्र का र्ास् त्रीय सांगीत होता ह ैतथा उनकी कथाएां रार्ायण, र्हाभारत और पुराणों की होती ह।ै • त्रबहार की पारांपररक छड पतुत्रलयों को यर्परुी (Yampuri) के नार् स ेजाना जाता ह।ै य ेपुतत्रलयाां काष्ठ की बनी होती हैं। पत्रिर्ी बांगाल और उडीसा की छड पुतत्रलयों के सर्ान य ेपुतत्रलयाां एक टुकडे र्ें होती हैं और उनर्ें कोई जोड नहीं होता ह।ै इसत्रलए, इन् हें चलाना अन् य छड पुतत्रलयों से त्रभन्न होता ह ैअत: इन्हें चलाने के त्रलए अत्यांत त्रनपुणता की आवश्यकता होती ह।ै • केरल र्ें पारांपररक पतुली नाटकों को पावाकूथ ू(Pavakoothu) कहा जाता ह।ै इसका प्रादुमभाव 18वीं र्ताब्दी र्ें वहाां के प्रत्रसद् र्ास् त्रीय नतृ् य नाटक कथकली के पतुली-नाटकों पर पडन ेवाल ेप्रभाव के कारण हआ। . 47 www.visionias.in ©Vision IAS o पावाकूथू र्ें पुतली की लांबाई एक से दो िीट के बीच होती ह।ै र्स्तक तथा दोनों हाथ लकडी स ेबना कर एक र्ोटे कपडे से जोडे जाते हैं किर एक छोटे से थलैे के रूप र्ें इन्हें त्रसल कदया जाता हैं। o पुतली के चेहरे के अलांकरण र्ें रांग, टीन के चर्कीले टुकडे तथा र्ोर के पांिों आकद का उपयोग ककया जाता ह।ै o पररचालक उस थैली र्ें अपने हाथ डाल कर पुतली के र्स्तक और दोनों भुजाओं का सांचालन करता ह।ै इस प्रस्तुत्रत के सर्य चेंडा, चेनत्रगल, इलाथलर् वाद्य-यांत्रों तथा र्ांि का उपयोग ककया जाता ह।ै o केरल के य ेपुतली-नाटक रार्ायण तथा र्हाभारत की कथाओं पर आधाररत होते हैं। • इसत्रलए त्रवकल्प (a) सही उत्तर ह।ै Q 86.D • कदल्ली सबस ेपहल ेतोर्र राजपतूों के अधीन ककसी साम्राज्य की राजधानी बनी। तोर्र राजपूतों को 12वीं र्ताब्दी के र्ध्य र्ें अजर्रे के चौहानों ने परास्त ककया था। तोर्रों और चौहानों के र्ासनकाल र्ें ही कदल्ली वात्रणज्य का एक र्हत्वपूणम कें द्र बन गई थी। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • चांगेज़ िान के नेततृ्व र्ें र्ांगोलों न े1219 ई. र्ें उत्तर-पवूी ईरान र्ें राांसऑक्सत्रसयाना (आधतु्रनक उज्बकेकस्तान) पर आक्रर्ण ककया था। अलाउद्दीन त्रिलजी (र्ासनकाल: 1296-1316) के र्ासनकाल के तरुांत बाद कदल्ली सल्तनत को किर से चांगेज़ िान के आक्रर्ण का सार्ना करना पडा। त्रिलजी र्ासनकाल के दौरान चांगेज़ िान के आक्रर्ण अत्रधक तीव्र और कू्रर हो गए थे। हालाांकक, अलाउद्दीन त्रिलजी र्ांगोलों को परास्त करने र्ें सिल रहा। र्र्सुद्दीन इल्तुतत्रर्र् या इल्तुतत्रर्र् (1211-1236) र्ार्लुक राजाओं र्ें से तीसरा था त्रजसने उत्तरी भारत र्ें गौरी के जीते हए क्षते्रों पर र्ासन ककया। इसका र्ासनकाल त्रिलजी वांर् से पहले था। इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • तगुलक वांर् (1320-1414) को करौना तकुम (Quaraunah Turks) के नार् स ेभी जाना जाता ह।ै गयासुद्दीन तुगलक, तुगलक वांर् का सांस्थापक (प्रथर् र्ासक) था। इसत्रलए कथन 3 सही नहीं ह।ै Q 87.C • हात्रलया सांदभम: हाल ही र्ें पयामवरण वैज्ञात्रनक जेम्स लवलॉक (James Lovelock) का त्रनधन हो गया। उन्होंने गैया पाररत्रस्थत्रतकी त्रसद्ाांत (Gaia ecology theory) के त्रवचार को प्रस्तुत ककया था। • गैया पररकल्पना को गैया त्रसद्ाांत के नार् से भी जाना जाता ह।ै • गैया पररकल्पना के बारे र्ें: o इसे पहली बार 1970 के दर्क र्ें प्रस्तात्रवत ककया गया था। o इसके अनसुार पथृ्वी पर सभी जीव और उनके अजतै्रवक पररवरे् बारीकी से एक-दसूरे से जुडे हए हैं। ये त्रर्लकर एक एकल और स्व-त्रवत्रनयत्रर्त जरटल तांत्र का सृजन करते हैं। o यह एकल तांत्र सर्ग्र रूप स ेस्व-त्रवत्रनयत्रर्त िीडबैक तांत्र द्वारा पथृ्वी की सतह को रहने योग्य त्रस्थत्रत र्ें बनाए रिती ह।ै • इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै Q 88.C • अकबरनार्ा को अकबर के र्ासनकाल का त्रवस्तृत त्रववरण प्रदान करने के त्रलए त्रलिा गया था। इसर्ें अकबर के र्ासनकाल के दौरान हई राजनीत्रतक रूप से र्हत्वपूणम घटनाओं का ररकॉडम ह।ै इसके साथ ही इसर्ें, कालक्रर् का सांदभम कदए त्रबना, अकबर के साम्राज्य के भौगोत्रलक, सार्ात्रजक, प्रर्ासत्रनक और साांस्कृत्रतक इन सभी पहलओुं की एक सर्कात्रलक तस्वीर भी त्रर्लती ह।ै • उस सर्य की ककताबों को अक्सर तेज आवाज र्ें पढ़ा जाता था। इसत्रलए अबुल िजल ने इसे एक ऐसी भाषा र्ें त्रलिा जो अलांकारपूणम ह ैऔर त्रजसर्ें उच्चारण तथा लय को र्हत्व कदया गया ह।ै इस इांडो-िारसी र्ैली को दरबार र्ें सांरक्षण प्राि था और उस सर्य बडी सांख्या र्ें ऐसे लिेक थे जो अबुल िजल की तरह त्रलिना चाहते थे। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै . 48 www.visionias.in ©Vision IAS • अकबरनार्ा को तीन पुस्तकों र्ें त्रवभात्रजत ककया गया ह।ै इनर्ें से पहली दो पुस्तकों र्ें र्हत्वपूणम या ऐत्रतहात्रसक घटनाओं का उनके कालानुक्रर् के अनुसार वणमन ह ैजबकक तीसरी पुस्तक ‘आइन-ए-अकबरी’ ह।ै इसके प्रथर् िांड र्ें आदर् से लेकर अकबर के जीवन के एक िगोलीय चक्र (30 वषम) तक र्ानव जात्रत का इत्रतहास ह।ै दसूरा िांड अकबर के र्ासन के 46वें वषम (1601) र्ें सर्ाि होता ह।ै इसके अगले ही वषम अबुल िजल, राजकुर्ार सलीर् की सात्रजर् का त्रर्कार हो गया और उसके अपने ही साथी बीर हसांह बुांदलेा ने उसकी हत्या कर दी। • आइन-ए-अकबरी र्ें दर्ामया गया ह ैकक र्ुगल साम्राज्य एक त्रवत्रवधतापूणम आबादी वाला साम्राज्य था त्रजसर्ें हहांदओुं, जैत्रनयों, बौद्ों और र्ुसलर्ानों की आबादी थी तथा एक त्रर्त्रश्रत सांस्कृत्रत थी। आइन-ए-अकबरी र्ें अकबर द्वारा उत्रचत प्रर्ासन के त्रलए बनाए गए और लागू ककए गए ‘आइन’ या त्रनयर्ों और त्रवत्रनयर्ों का उल्लेि ह।ै इसे उस सर्य का एक प्रर्ासत्रनक र्ैनुअल र्ाना जाता ह ैजो आधुत्रनक गजेरटयर के सर्ान था। आइन-ए-अकबरी र्ें बताए गए त्रनयर् अकबर के र्ासन और कई त्रवभागों तथा उसके त्रवत्रभन्न अत्रधकाररयों आकद के बारे र्ें जानकारी दतेे हैं। • अबुल िजल ने इस पुस्तक र्ें र्सुलर्ानों के साथ-साथ स्थानीय हहांदओुं और जैत्रनयों तथा अन्य सर्ुदायों की सार्ात्रजक त्रस्थत्रत, सात्रहत्रत्यक गत्रतत्रवत्रधयों और कानून तथा दर्मन के अध्ययन की भी चचाम की ह।ै इसके अलावा इसर्ें प्रत्रतत्रष्ठत यात्रत्रयों और र्ुत्रस्लर् सांतों तथा सूकियों पर भी अध्याय हैं। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै Q 89.D • अर्ोक द्वारा धम्र् और बौद् धर्म को स्थात्रपत करने के प्रयासों के बाद र्ुांगों को ब्राह्मणवादी रूकढ़वाद की ओर लौटन ेके त्रलए जाना जाता ह।ै धनदवे के अयोध्या लिे र्ें पषु्यत्रर्त्र र्ुांग को दो अश्वर्धे यज्ञ करन ेका श्रये कदया गया ह।ै बौद् सतू्र य ेदावा करत ेह ैकक उसन ेबौद्ों को प्रतात्रडत ककया था। कदव्यावदान र्ें पुष्यत्रर्त्र को त्रवर्ेष रूप स ेअर्ोक द्वारा त्रनर्र्मत बौद् र्ठों और पजूा स्थलों के त्रवध्वांसक के रूप र्ें दर्ामयागया ह।ै उदाहरण के त्रलए, ऐसा कहा जाता ह ैकक उसने पाटत्रलपुत्र र्ें कुकुता अरार्ा र्ठ को नष्ट करने का प्रयास ककया था। इसत्रलए कथन 1 सही नहीं ह।ै • धनदवे के अयोध्या लिे र्ें पषु्यत्रर्त्र र्ुांग की प्रर्ांसा की गई ह ैऔर कहा कहा गया है कक उसने दो घोडों की बत्रल (द्वीरस्वर्ेधायत्रजन) दी थी। दो अश्वर्ेध यज्ञ करना उसकी सैन्य सिलता का सांकेत दतेा ह।ै यह पाषाण या धातु पर त्रलिा गया पहला लिे ह ैत्रजसर्ें पषु्यत्रर्त्र र्ुांग के नार् का उल्लिे ह।ै इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै • र्हर्षम पतांजत्रल एक सांत थ ेत्रजन्होंन ेर्हाभाष्य नार्क ग्रांथ की रचनी की थी। यह र्ाना जाता ह ैकक उनका काल दसूरी र्ताब्दी ईसा पूवम के आस-पास था। व ेपषु्यत्रर्त्र र्ुांग (185-149 ईसा पवूम, र्ुांग वांर् के सांस्थापक और प्रथर् र्ासक) के सर्कालीन थ।े वे पषु्यत्रर्त्र र्ुांग द्वारा ककए गए अश्वर्धे यज्ञ के पजुारी थ।े इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै Q 90.C • हाल ही र्ें सडक पररवहन एवां राजर्ागम र्ांत्रालय ने भारत न्य ूकार अससेर्ेंट प्रोग्रार् (Bharat NCAP) र्रुू करने के त्रलए सार्ान्य वैधात्रनक त्रनयर् (General Statutory Rules :GSR) अत्रधसूचना के र्सौदा को र्ांजूरी प्रदान की ह।ै o भारत-NCAP को 1 अप्रैल, 2023 से लागू ककया जाएगा। o यह एक नया कार सरुक्षा र्लू्याांकन कायमक्रर् ह।ै यह ‘दघुमटना परीक्षणों’ र्ें प्रदर्मन के आधार पर वाहनों को 'स्टार रेटटांग' देने के त्रलए एक तांत्र प्रस्तात्रवत करता ह।ै इसत्रलए त्रवकल्प (c) सही उत्तर ह।ै o भारत NCAP के र्ानक वैत्रश्वक बेंचर्ाकम के अनरुूप हैं और न्यूनतर् त्रनयार्कीय आवश्यकताओं से भी अत्रधक व्यापक हैं। o प्रस्तात्रवत भारत NCAP र्ूल्याांकन 1 से 5 स्टार तक की स्टार रेटटांग दगेा। o इस कायमक्रर् के त्रलए वाहनों का परीक्षण आवश्यक बुत्रनयादी ढाांचे से युि परीक्षण एजेंत्रसयों र्ें ककया जाएगा। o यह दरे् र्ें त्रनर्र्मत या आयात्रतत 3.5 टन से कर् सकल वजन वाले M1 श्रेणी के स्वीकृत र्ोटर वाहनों पर लागू होगा। ▪ M1 श्रेणी के र्ोटर वाहन यात्री पररवहन के त्रलए उपयोग ककए जाते हैं। इनर्ें चालक की सीट के अत्रतररि आठ सीटें होती हैं। . 49 www.visionias.in ©Vision IAS o भारत र्ें ऑटो कां पत्रनयाां ऑटोर्ोरटव उद्योग र्ानक-145 (AIS-145: Automotive Indian Standard-145) का पालन करती हैं। ये र्ानक सीट बेल्ट सांकेतक (seatbelts tell-tale), यात्री एयरबैग और गत्रत सीर्ा अलार्म जैसे वाहन सुरक्षा र्ानकों को लाग ूकरते हैं। o यह वाहन त्रनर्ामताओं को सुरक्षा परीक्षण र्ूल्याांकन कायमक्रर् र्ें स्वचे्छा स ेभाग लनेे और नए कार र्ॉडलों र्ें उच्च सरुक्षा स्तरों को अपनाने के त्रलए प्रोत्सात्रहत करेगा। इसका लक्ष्य 2024 तक सडक दघुमटना र्ें होने वाली र्ौतों को 50% तक कर् करना ह।ै o यह सुरत्रक्षत वाहनों के त्रनर्ामण के त्रलए भारत र्ें र्लू उपकरण त्रनर्ामताओं (original equipment manufacturers - OEMs) के बीच एक स्वस्थ प्रत्रतस्पधाम को भी प्रोत्सात्रहत करेगा। o यह भारतीय वाहनों की त्रनयामत क्षर्ता बढ़ाने के साथ ही कारों र्ें सांरचनात्र्क सरुक्षा और यात्री सरुक्षा सुत्रनत्रित करेगा। o यह भारत को दतु्रनया का र्ीषम ऑटोर्ोबाइल हब बनाने के त्रर्र्न के साथ दरे् के ऑटोर्ोबाइल उद्योग को आत्र्त्रनभमर बनाने र्ें एक र्हत्वपूणम कदर् त्रसद् होगा। • वतै्रश्वक एन.सी.ए.पी. (Global NCAP): अर्रेरका 1978 र्ें ग्राहकों को कै्रर् से सांबांत्रधत कार सरुक्षा के बारे र्ें जानकारी प्रदान करने के त्रलए कायमक्रर् र्रुू करन ेवाला पहला दरे् था। बाद र्ें इसी तरह के कई कायमक्रर् अन्य दरे्ों र्ें भी प्रारांभ ककए गए थे। Q 91.D • भरतनाट्यर् नृत्य का इत्रतहास 2000 साल पुराना ह।ै भरतर्ुत्रन के नाट्यर्ास्त्र (200 ईसा पूवम स े200 ईसवी सन्) के साथ प्रारांभ हए अनेक ग्रांथों से इस नृत्य र्ैली के त्रवषय र्ें जानकारी प्राि होती ह।ै • प्राचीन काल की धातु और पत्थर की प्रत्रतर्ाओं तथा त्रचत्रों र्ें इस नृत्य र्ैली के त्रवस्तृत व्यवहार के दर्मनीय प्रर्ाण भी त्रर्लते हैं। त्रचदम्बरर्् र्ांकदर के गोपुरर्ों पर भरतनाट्यर्् नृत्य की त्रवत्रभन्न भाव-भांत्रगर्ाएां और र्ूर्तमकार द्वारा पत्थर को काट कर बनाई गई प्रत्रतर्ाएां दिेी जा सकती हैं। • भरतनाट्यर् नतृ्य को एकहायम के रूप र्ें भी जाना जाता है, त्रजसर्ें नतमकी एकल प्रस्ततु्रत र्ें अनके भतू्रर्काएां त्रनभाती ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • यह कहा जाता ह ैकक 19वीं सदी के आरांभ र्ें राजा सरिोजी के सांरक्षण र्ें तांजौर के प्रत्रसद् चार भाइयों ने भरतनाट्यर् के उस रांगपटल का त्रनर्ामण ककया त्रजसे हर् आज दिेते हैं। • दवेदात्रसयों द्वारा इस र्लैी को जीत्रवत रिा गया। दवेदासी वास्तव र्ें वे यवुत्रतयाां होती थीं जो अपने र्ाता-त्रपता द्वारा र्ांकदर को दान र्ें द ेदी जाती थी और उनका त्रववाह दवेताओं से होता था। दवेदात्रसयाां र्ांकदर के प्राांगण र्ें दवेताओं को अपमण के रूप र्ें सांगीत व नृत्य प्रस्तुत करती थीं। • भरतनाट्यर् का रांगपटल बहत त्रवस्तृत होता ह ैजबकक प्रस्तुतीकरण र्ें त्रनयत्रर्त ढाांचे का अनुसरण ककया जाता ह।ै सबस ेपहले यहाां स्ततु्रत-गान होता ह।ै पहला नृत्य एकक अलाररप्प ूह ैत्रजसका र्ात्रब्दक अथम है- िूलों स ेसजावट। यह ध्वत्रन अक्षरों के पठन के साथ र्ुद् नृत्य सांयोजन का एक अर्ूतम िण्ड ह।ै • अगला एकक, जात्रतस्वरर् एक लघ ुर्दु् िण्ड ह ैजो कनामटक सांगीत के ककसी राग के सांगीतात्र्क स्वरों के साथ प्रस्ततु ककया जाता ह।ै जात्रतस्वरर् र्ें सात्रहत्य या र्ब्द नहीं होते पर अड्वू/अडाऊ की रचना की जाती ह ैजो र्ूल नृत्य इकाई, नृत्त, होते हैं। वे भरतनाट्यर् नृत्य र्ें प्रत्रर्क्षण के त्रलए आधार का त्रनर्ामण करते हैं। • एक एकल नतृ्य के रूप र्ें भरतनाट्यर् र्ें अत्रभनय या नतृ्य की भाव-भांत्रगर्ाओं पर अत्यत्रधक बल कदया जाता ह ैत्रजसर्ें नतमकी अपनी गत्रतत्रवत्रधयों और भाव-भांत्रगर्ाओं द्वारा सात्रहत्य को अत्रभव्यि करती ह।ै भरतनाट्यर् नृत्य के एक प्रदर्मन र्ें जात्रतस्वरर् का अनुसरण र्ब्दर्् द्वारा ककया जाता ह।ै साथ र्ें गाया जाने वाला गीत आर्तौर पर सवोच्च सत्ता (ईश्वर) की आराधना होती ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • र्ब्दर् ्के बाद नतमकी वणमर् ्प्रस् तुत करती ह।ै वणमर् ्भरतनाट्यर् रांगपटल की एक बहत र्हत्वपणूम रचना ह।ै इसर्ें इस र्ास्त्रीय नृत्य-रूप के तत्व का सार और नृत्य तथा नतृ्त दोनों का सत्रम्र्श्रण होता ह।ै इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै o यहाां नतमकी दो गत्रतयों र्ें जरटल लयात्र्क नर्नूे प्रस् तुत करती ह ैजो लय के ऊपर त्रनयांत्रण को दर्ामते हैं और उसके बाद सात्रहत्य की पांत्रियों को त्रवत्रभन्न तरीकों से प्रदर्र्मत करती ह।ै o यह अत्रभनय र्ें नतमकी की श्रेष्ठता को दर्ामता ह।ै साथ ही यह नतृ्य कलाकार की अांतहीन रचनात्र्कता को भी दर्ामता ह।ै वणमर्् भारतीय नृत्य के सबसे सुांदर रचनाओं र्ें से एक ह।ै . 50 www.visionias.in ©Vision IAS • इस करठन वणमर् ्के बाद नतमकी र्नोवतृ्रत्तयों की एक त्रवत्रवधता को अत्रभव्यि करन ेवाल ेएकक-अत्रभनय को प्रस्ततु करती ह।ै भाव या रस चेहरे के अत्रभनय, र्रीर की गत्रतत्रवत्रधयों और हस्त र्ुद्राओं द्वारा अत्रभव्यि ककए जाते हैं। इन नव रसों र्ें स ेएक रस को चुनकर सात्रहत् य र्ें उसकी रचना की जाती ह ैऔर बाद र्ें उसे नतमकी द्वारा अत्रभव्यि ककया जाता ह।ै सार्ान्य िण्ड कीतमनर््, कृत्रत पदर्् और जावली हैं। कीतमनर्् र्ें र्ूल-पाठ र्हत्वपूणम होता ह ैजहाां कृत्रत एक रचना ह,ै त्रजसर्ें सांगीत के पहलू पर प्रकार् डाला जाता ह।ै त्रवर्ेषता र्ें दोनों प्रायः धार्र्मक हैं और रार्, त्रर्व, त्रवष्णु आकद के जीवन की उपकथाएां प्रस्तुत करते हैं। पदर्् और जावली प्रेर् और बहधा दतै्रवक पषृ्ठभूत्रर् पर आधाररत होते ह।ै • भरतनाट्यर् प्रस्तुतीकरण का अांत त्रतल् लाना के साथ होता ह ैजहाां इसकी उत्पत्रत्त त्रहन् दसु् तानी सांगीत के तराना र्ें होती ह।ै यह एक अनुनादी (गुांजायर्ान) नृत्य ह ैजो सात्रहत्य की कुछ पांत्रियों के साथ सांगीत के अक्षरों के साथ-साथ प्रस्ततु ककया जाता ह।ै त्रवत्रर्ष्ट रूप से अत्रभकत्रल्पत लयात्र्क पांत्रियों के एक चरर्ोत्कषम पर पहांचने के साथ िण्ड का सर्ापन होता ह।ै प्रस्तुतीकरण का अांत र्ांगलर््, भगवान से आर्ीवमचन र्ाांगने के साथ होता ह।ै Q 92.A • कथन 1 सही ह:ै अकबर के र्ासनकाल के दौरान र्ाही प्रत्रतष्ठानों र्ें स ेएक र्ें त्रचत्रकला का आयोजन ककया जाता था। इसर्ें र्ात्रर्ल होने के त्रलए बडी सांख्या र्ें सभी जात्रतयों के त्रचत्रकारों को आर्ांत्रत्रत ककया जाता था। दसवांत और बसावन इस काल के प्रत्रसद् त्रचत्रकार थे। िारसी दांतकथाओं को त्रचत्रत्रत करन ेके अलावा जल्द ही त्रचत्रकारों को र्हाभारत के िारसी सांस्करण के त्रचत्रण का कायम सौंपा गया। इस प्रकार, िारसी त्रचत्रकला र्ें भारतीय दशृ्य और त्रवषयवस्तु प्रचलन र्ें आए। क्लीवलैंड म्यतू्रजयर् ऑि आटम (USA) र्ें र्ौजदू ततुी-नार्ा (Tuti-nama) की एक सत्रचत्र पाांडुत्रलत्रप र्गुल र्लैी की पहली कृत्रत प्रतीत होती है। इस पाांडुत्रलत्रप की त्रचत्रकला र्ैली, र्ुगल र्ैली के प्रारांत्रभक चरण को दर्ामती ह।ै • कथन 2 सही ह:ै भारतीय रांग जैसे र्ोरपांिी नीला, भारतीय लाल, आकद का उपयोग ककया जाने लगा। िासकर िारसी र्लैी के सपाट प्रभाव को भारतीय ब्रर् की गोलाई द्वारा प्रत्रतस्थात्रपत ककया जान ेलगा त्रजसन ेत्रचत्रों को त्रत्र-आयार्ीप्रभाव प्रदान ककया। • कथन 3 सही नहीं ह:ै अकबर के अधीन पतुमगाली पजुाररयों के द्वारा दरबार र्ें यरूोपीय त्रचत्रकला की र्रुुआत की गई थी। उनके प्रभाव र्ें अग्रसांक्षेपण के त्रसद्ाांत को व्यापक रूप से अपनाया गया। इस तकनीक का उपयोग करके त्रनकट और दरू के लोगों और चीजों को पररप्रके्ष्य र्ें त्रचत्रत्रत ककया जा सकता था। • कथन 4 सही नहीं ह:ै जहाँगीर के र्ासनकाल र्ें र्ुगल त्रचत्रकला चरर्ोत्कषम पर पहचँ गई थी। त्रचत्रकला के सांदभम र्ें उसकी बहत ही पारिी नजर थी। र्गुल र्लैी र्ें एक ही त्रचत्र र्ें लोगों के चहेरे, र्रीर और परैों को अलग-अलग त्रचत्रकारों द्वारा त्रचत्रत्रत करना प्रचलन र्ें था। जहाँगीर का ऐसा दावा था कक वह त्रचत्र र्ें प्रत्येक कलाकार के कायम को अलग-अलग कर पहचान सकता था। त्रर्कार, युद् और राज दरबार के दशृ्यों को त्रचत्रत्रत करने के अलावा जहाँगीर के अधीन छायात्रचत्र त्रचत्रकला और पर्ुओं की त्रचत्रकला र्ें त्रवर्ेष प्रगत्रत हई थी। य ेत्रचत्र उच्च कोरट के सौंदयम स ेपररपूणम थे। य ेर्खु्य रूप स ेअत्रभजात्य और धर्मत्रनरपके्ष थ।े र्ुगल बादर्ाह के उदाहरण का अनुसरण करते हए दरबाररयों और प्राांतीय अत्रधकाररयों ने भी त्रचत्रकला को सांरक्षण प्रदान ककया था। उन्होंने त्रचत्रकला की र्गुल तकनीक र्ें प्रत्रर्त्रक्षत त्रचत्रकारों को त्रचत्र बनाने हतेु त्रनयुि ककया। हालाांकक उनके त्रलए उपलब्ध त्रचत्रकार त्रनम्न योग्यता के थ ेत्रजन्हें र्ाही त्रचत्रर्ाला र्ें कार् पर नहीं रिा जा सकता था। र्ाही त्रचत्रर्ाला के त्रलए केवल प्रथर् श्रणेी के त्रचत्रकारों की आवश्यकता होती थी। Q 93.A • पथृ्वी त्रवज्ञान र्ांत्रालय (MoES) न ेअपन ेस्वायत्त सांस्थान राष्ट्रीय सर्दु्र प्रौद्योत्रगकी सांस्थान (NIOT) के र्ाध्यर् से सर्दु्र के जल को पयेजल र्ें पररवर्तमत करन ेहते ुत्रनम्न तापर्ान ऊष्र्ीय त्रवलवणीकरण (LTTD) तकनीक त्रवकत्रसत की ह।ै इस तकनीक का प्रदर्मन लक्षद्वीप के द्वीपों र्ें सिलतापवूमक ककया गया ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • अब तक दरे् र्ें 4 LTTD सांयांत्रों को सिलतापूवमक स्थात्रपत ककया जा चुका ह।ै लक्षद्वीप के कवरत्ती, त्रर्त्रनकॉय, अगत्ती र्ें से प्रत्येक र्ें एक-एक सांयांत्र और उत्तरी चेन्नई थर्मल पावर स्टेर्न (NCTPS), चेन्नई र्ें एक सांयांत्र स्थात्रपत ककया गया ह।ै • इन सांयांत्रों की सिलता के आधार पर गृह र्ांत्रालय (MHA) ने वैज्ञात्रनकों को कें द्र र्ात्रसत प्रदरे् लक्षद्वीप के अत्रर्नी, एांड्रोथ, चेटलेट, कदर्त, कलपेनी और ककल्टन र्ें 1.5 लाि लीटर/कदन की क्षर्ता वाले 6 और LTTD सांयांत्र स्थात्रपत करने का कायम सौंपा ह।ै . 51 www.visionias.in ©Vision IAS • LTTD तकनीक को लक्षद्वीप के द्वीपों के त्रलए उपयिु पाया गया ह।ै इसके आस-पास सर्दु्र की सतह के जल और गहरे सर्दु्र के जल के बीच लगभग 15⁰C का आवश्यक तापाांतर पाया जाता ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही नहीं ह।ै • उत्क्रर् परासरण (Reverse Osmosis) एक त्रझल्ली प्रकक्रया (membrane process) ह,ै त्रजस ेत्रवश्व स्तर पर िारे जल के त्रवलवणीकरण के त्रलए उपयिु तकनीक के रूप र्ें स्वीकार ककया गया ह।ै र्ांत्रालय द्वारा त्रवकत्रसत LTTD तकनीक इसस ेकािी अलग ह।ै LTTD एक ऐसी प्रकक्रया ह ैत्रजसर्ें सर्दु्र के गर्म सतही जल को त्रनम्न दाब पर द्रतुगत्रत स ेवाष्पीकृत ककया जाता ह ैऔर वाष्प को ठांड ेगहरे सर्दु्र के जल द्वारा सांघत्रनत ककया जाता ह।ै LTTD प्रौद्योत्रगकी र्ें सर्दु्री जल के उपचार हते ुन तो पहल ेऔर न ही बाद र्ें ककसी भी रसायन की आवश्यकता होती ह।ै इसत्रलए इसर्ें प्रदषूण कर् स ेकर् होता ह ैऔर द्वीपीय क्षते्रों के त्रलए यह उपयुि होती ह।ै • त्रवलवणीकरण सांयांत्र की लागत अन्य बातों के साथ-साथ कई कारकों पर त्रनभमर करती ह।ै इन कारकों र्ें प्रयोग की जाने वाली प्रौद्योत्रगकी और सांयांत्र की अवत्रस्थत्रत भी र्ात्रर्ल ह।ै लक्षद्वीप सर्हू र्ें 6 LTTD सांयांत्रों को स्थात्रपत करने की कुल लागत 187.75 करोड रुपए ह।ै Q 94.C • कथन 1 सही नहीं ह:ै बलबन न ेस्वयां को तुकम अर्ीरों के त्रहतों के रक्षक के रूप र्ें पेर् ककया। उसने र्हत्वपूणम सरकारी पदों पर ककसी ऐस ेव्यत्रि को त्रनयुि करने से इनकार कर कदया जो ककसी कुलीन पररवार से सांबांत्रधत नहीं था। उसने भारतीय र्ुसलर्ानों को सत्ता और र्त्रि के सभी पदों से बाहर कर कदया। o इस बात पर बल दनेे के त्रलए कक अर्ीर उसके सर्कक्ष नहीं हैं, उसने त्रसजदा और पैबोस (दांडवत करने और सुल्तान के कदर् चूर्ने) की रस्र्ों पर जोर कदया। ये रस्र्ें र्ूल रूप से ईरानी थीं और इन्हें गैर-इस्लार्ी र्ाना जाता था। • कथन 2 सही ह:ै स्वयां को पूणमतया सूत्रचत रिने के त्रलए बलबन ने प्रत्येक र्हकर्े र्ें जासूस त्रनयुि ककए। आांतररक अर्ाांत्रत और अव्यवस्था स ेत्रनपटने के त्रलए और पांजाब र्ें स्वयां को स्थात्रपत कर चुके और कदल्ली सल्तनत के त्रलए एक गांभीर ितरा उत्पन्न करने वाले र्ांगोलों को भगाने हतेु उसने एक र्त्रिर्ाली कें द्रीकृत सेना सांगरठत की। • कथन 3 सही नहीं ह:ै र्ुहम्र्द त्रबन तुगलक ने दोआब र्ें िेती का त्रवस्तार करन ेऔर उसर्ें सुधार करने के त्रलए एक योजना र्ुरू की। उसने दीवान-ए-अर्ीर-ए-कोही (कृत्रष त्रवभाग) नार्क एक अलग त्रवभाग की स्थापना की। इस क्षेत्र को एक अत्रधकारी के नेतृत्व र्ें त्रवकास िांडों र्ें त्रवभात्रजत ककया गया था। इस अत्रधकारी का कायम ककसानों को ऋण दकेर िेती का त्रवस्तार करना और ककसानों को बहेतर िसलों की िेती करने - जैसे जौ के स्थान पर गेहां, गेहां के स्थान पर गन्ना, गन्ना के स्थान पर अांगूर और िजूर आकद की िेती के त्रलए प्ररेरत करना था। o आांतररक अर्ाांत्रत से त्रनपटने और र्ांगोलों को भगाने के त्रलए बलबन ने एक र्त्रिर्ाली कें द्रीकृत सेना का गठन ककया। इस उद्देश्य से उसने सैन्य त्रवभाग (दीवान-ए-अजम) का पुनगमठन ककया और जो सैत्रनक लडने के लायक नहीं रह गये थ ेउन्हें पेंर्न दकेर उनकी छुट्टी कर दी। Q 95.C • चीन ने अपने अांतररक्ष कायमक्रर् र्ें एक र्हत्वपणूम उपलत्रब्ध प्राि करते हए एक नई वैज्ञात्रनक प्रयोगर्ाला (वेंरटयन स्पेस स्टेर्न र्ॉयूल) को अपने त्रनर्ामणाधीन अांतररक्ष स्टेर्न ‘त्रतयाांगोंग’ के साथ जोडा ह।ै इसके साथ ही चीन ने इस क्षेत्र र्ें प्रत्रतस्पधाम को और बढ़ा कदया ह।ै वेंरटयन र्ॉयूल को त्रतयाांगोंग स्टेर्न के र्ुख्य त्रतयानह ेत्रलहवांग र्ॉयूल के साथ जोडा गया ह।ै • यह चीन के स्थायी अांतररक्ष स्टेर्न त्रतयाांगोंग के तीन र्ॉयलू र्ें स ेदसूरा ह।ै पहल ेत्रतयानह ेर्ॉयलू को र्खु्य आवासीय कक्ष र्ें पहल ेही वषम 2021 र्ें अांतररक्ष र्ें स्थात्रपत ककया जा चकुा ह।ै तीसरे और अांत्रतर् र्ॉयलू र्ेंगरटयन (Mengtian) के अक्टूबर 2022 र्ें लॉन्च ककए जान ेकी सांभावना ह।ै इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • 17.9 र्ीटर (59 िीट) लांबा वेंरटयन लैब र्ॉयूल ऐसा र्ॉयूल होगा जहाां अांतररक्ष यात्री वैज्ञात्रनक प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही एक अन्य लैब र्ॉयूल र्ेंगरटयन ("ड्रीहर्ांग ऑि द हवेन") को भी जोडा जाएगा त्रजसे अभी लाांच ककया जाना ह।ै • वेंरटयन की त्रवर्षेता इसर्ें एक एयरलॉक केत्रबन का होना है। यह स्टेर्न के पूरा बन जाने पर अत्रतररि यान गत्रतत्रवत्रधयों के त्रलए र्ुख्य त्रनकास-प्रवेर् हबांद ुहोगा। . 52 www.visionias.in ©Vision IAS • यह स्टेर्न पर चालक दल के रोटेर्न के दौरान अांतररक्ष यात्रत्रयों के त्रलए अल्पकात्रलक आवासीय कक्ष के रूप र्ें भी कायम करेगा। इस ेकेवल तीन अांतररक्ष यात्रत्रयों के दीघमकात्रलक आवास के त्रलए त्रडज़ाइन ककया गया ह।ै इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै • सरकारी स्वात्रर्त्व वाले ग्लोबल टाइम्स के अनुसार वेंरटयन को त्रवज्ञान और जीव त्रवज्ञान के प्रयोगों के त्रलए त्रडज़ाइन ककया गया ह।ै 23 टन का यह लैब र्ॉयूल वतमर्ान र्ें अांतररक्ष र्ें र्ौजूद ककसी भी अन्य एकल-र्ॉयूल अांतररक्ष यान की तुलना र्ें अत्रधक भारी ह।ै • र्ेंगरटयन र्ॉयलू के अक्टूबर र्ें लॉन्च होने की सांभावना ह।ै वेंरटयन की तरह इसे T-आकार की सांरचना का त्रनर्ामण करते हए त्रतयानह ेके साथ जोडा जाना ह।ै इस सांरचना का पूरा होना आर् चीनी लोगों के बीच गवम का त्रवषय ह।ै ऐसा इसत्रलए क्योंकक द्रव्यर्ान के आधार पर यह सांरचना अांतरामष्ट्रीय अांतररक्ष स्टेर्न (ISS) का लगभग पाांचवाां भाग ह।ै Q 96.B • कथन 1 सही नहीं ह:ै 'लैरटना' अथवा रेिा-प्रासाद र्ैली के भवनों र्ें त्रर्िर साधारण होते हैं त्रजनका आधार वगामकार होता है और दीवारें भीतर की ओर र्ुडकर चोटी पर एक हबांद ुपर त्रर्लती हैं। नागर र्ैली र्ें दसूरा प्रर्ुि रूप िर्साना र्लैी ह।ै िर्साना र्लैी के भवन लरैटना या रेिा-प्रासाद र्लैी के भवनों की तलुना र्ें अत्रधक चौड ेऔर कर् ऊां चाई के होत ेहैं। इनकी छतें अनेक ऐसी त्रर्लाओं की बनी होती हैं जो भवन के कें द्रीय भाग के ऊपर एक त्रनत्रित हबांद ुतक सिाई से जुडी होती हैं। लैरटना सीधे ऊपर उठे हए लांब ेगुांबदों की तरह कदिाई दतेे हैं। • कथन 2 सही ह:ै बहत से उत्तर भारतीय र्ांकदरों र्ें यह दिेा जा सकता ह ैकक िर्साना त्रडजाइन का उपयोग र्ांडपों र्ें हआ है जबकक र्ुख्य गभमगृह एक लरैटना र्ैली र्ें बने भवन र्ें त्रस्थत होता ह।ै कालाांतर र्ें, लैरटना र्ैली के भवनों की सांरचना जरटल हो गई और व ेअकेले लांब ेगुांबद की तरह कदिने के बजाय र्ांकदरों पर कई छोटे-छोटे त्रर्िर बनने लगे। य ेत्रर्िर पहाड की चोरटयों की तरह ऊपर उठे होते थ ेऔर उनर्ें सबसे बडा त्रर्िर बीच र्ेंहोता था और यह बीच वाला त्रर्िर सदवै गभमगहृ के ठीक ऊपर होता था। • कथन 3 सही ह:ै वलभी र्ैली के वगामकार र्ांकदरों र्ें र्ेहराबदार छतों से त्रर्िर का त्रनर्ामण होता था। इस र्ेहराबी कक्ष का ककनारा गोल होता ह।ै यह र्कटाकार अथामत् बाांस या लकडी के बने छकडे की तरह होता ह।ै ऐसा छकडा प्राचीन काल र्ें बैलों से िींचा जाता होगा। ऐस ेभवनों को आर्तौर पर र्कटाकार भवन (Wagon- Vaulted Buildings) कहा जाता ह।ै Q 97.D • इिा प्रणाली को प्रारांत्रभक इस्लार्ी राज्यों र्ें अपनाया गया था। राज्य की सवेा करन ेके परुस्कार के रूप र्ें य ेइिे कदए जात ेथ।े त्रिलाित के प्रर्ासन र्ें यह प्रथा धन की व्यवस्था करन ेऔर असतै्रनक तथा सतै्रनक अत्रधकाररयों को वतेन दने ेके त्रलए प्रचत्रलत थी। o 13वीं र्ताब्दी की र्ुरुआत र्ें तुकी त्रवजयों ने अनेक छोटे स्थानीय राजाओं का अांत कर कदया। तुकों द्वारा ही कदल्ली सल्तनत की स्थापना की गयी थी। अपने राज्य के सुदढृ़ीकरण के त्रलए तुकी र्ासकों न ेअपने अर्ीरों (उर्रा) को नकद वेतन के स्थान पर राजस्व अत्रधकार (इिा; राजस्व भूत्रर् अनुदान) का आवांटन ककया। भारत र्ें इिा प्रणाली को सांस्थागत और लोकत्रप्रय बनान ेवाला र्ासक इल्ततुत्रर्र् था। इसत्रलए कथन 1 सही ह।ै • अर्ीरों या कुलीनों को कदए जान ेवाल ेराजस्व अनुदान (इिा) र्ें इिा-धाररयों को राजस्व वसलून ेके अत्रतररि सतै्रनक और क़ानून तथा व्यवस्था का उत्तरदात्रयत्व भी त्रनभाना होता था। इस प्रकार, प्राांतीय प्रर्ासन का नेतृत्व र्ुत्रि/वली (muqti/wali) द्वारा ककया जाता था। उन्हें घडुसवारों और पदैल सतै्रनकों स ेयिु एक सेना रिनी होती थी। आवश्यकता पडने पर उन्हें राज्य को सैन्य सहायता दनेी पडती थी। इसत्रलए कथन 3 सही ह।ै • इिा के अनदुान का अथम भतू्रर् पर अत्रधकार दनेा नहीं था। यह अनुदान वांर्ानगुत भी नहीं था। हालाांकक, किरोज र्ाह तगुलक के र्ासन काल र्ें इिा-धारकों न ेवांर्ानगुत अत्रधकार अर्जमत कर त्रलए थ।े य ेराजस्व अनदुान स्थानाांतरणीय भी थे। इिा-धारकों का तीन या चार वषम के अांतराल पर एक क्षेत्र से दसूरे क्षेत्र र्ें स्थानाांतरण ककया जाता था। इसत्रलए कथन 2 सही ह।ै . 53 www.visionias.in ©Vision IAS Q 98.D • भौगोत्रलक सांकेतक (geographical indication” GI) त्रवत्रर्ष्ट भौगोत्रलक उत्पत्रत्त वाले उत्पादों के त्रलए उपयोग ककया जाने वाला एक सांकेत ह।ै अपनी उत्पत्रत्त या र्ूल के कारण इन उत्पादों र्ें त्रवत्रर्ष्ट गुण या प्रत्रतष्ठा होती ह।ै GI के रूप र्ें कायम करने के त्रलए एक सांकेतक को ककसी कदए गए स्थान पर उत्पन्न होने वाले उत्पाद की पहचान करनी होती ह।ै o औद्योत्रगक सांपदा की सुरक्षा के त्रलए पेररस कन्वेंर्न के अनुच्छेद 1(2) और 10 के तहत भौगोत्रलक सांकेतक को बौत्रद्क सांपदा अत्रधकारों (IPRs) के एक घटक के रूप र्ें र्ात्रर्ल ककया गया ह।ै ये बौत्रद्क सांपदा अत्रधकार सर्झौते के व्यापार-सांबांत्रधत पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights: TRIPS) के अनुच्छेद 22 से 24 के तहत भी र्ात्रर्ल हैं। • सांसद ने कदसांबर 1999 र्ें वस्तु के भौगोत्रलक उपदर्मन (रत्रजस्रीकरण और सांरक्षण) अत्रधत्रनयर्, 1999 पाररत ककया। यह अत्रधत्रनयर् भारत र्ें वस्तुओं स ेसांबांत्रधत भौगोत्रलक सांकेतकों के पांजीकरण और उन्हें बहेतर सांरक्षण प्रदान करने का प्रयास करता ह।ै o इस अत्रधत्रनयर् को पेटेंट, त्रडजाइन और रेडर्ाकम के र्हात्रनदरे्क द्वारा प्रर्ात्रसत ककया जाता है, जो भौगोत्रलक सांकेतकों के रत्रजस्रार हैं। भौगोत्रलक सांकेतक रत्रजस्री चेन्नई र्ें त्रस्थत ह।ै यह अत्रधत्रनयर् 15 त्रसतांबर 2003 से प्रभावी ह।ै • अरनर्लुा कन्नडी का र्ात्रब्दक अथम अरनर्लुा दपमण होता ह।ै यह सार्ान्य काांच के दपमण के त्रवपरीत एक त्रर्श्र धात ु(Metal alloy) स ेत्रनर्र्मत दपमण होता ह।ै यह एक असाधारण पारांपररक हस्तत्रनर्र्मत धात ुदपमण ह।ै यह जीवन र्ें सर्तृ्रद्, भाग्य और धन लान ेके त्रलए त्रवख्यात ह।ै o इसकी आगे की सतह परावतमक दपमण की तरह कायम करती ह।ै इसकी िात्रसयत यह ह ैकक यह आर्तौर पर पीछे की सतह वाले परावतमक दपमणों र्ें कदिाई दनेे वाल ेत्रद्वतीयक परावतमन को सर्ाि कर दतेा ह।ै इसर्ें केरल की सर्ृद् सांस्कृत्रत और धातुकर्म वस्तुओं के प्रत्रत इसका झुकाव प्रदर्र्मत होता ह।ै ऐसा कहा जाता ह ैकक इस दपमण का असाधारण आध्यात्रत्र्क र्ूल्य ह ैऔर यह सौभाग्य लाता ह।ै o वषम 2004 र्ें 45 सेंटीर्ीटर लांब ेअरनर्लुा दपमण को लांदन के त्रब्ररटर् सांग्रहालय र्ें रिा गया और इस ेभौगोत्रलक सांकेतक (GI) टैग प्रदान ककया गया था। इस प्रकरण के बाद केरल के एक छोटे स ेकस्ब ेस ेसांबांत्रधत इस दलुमभ त्रर्ल्प को त्रवश्व भर र्ें पहचान त्रर्ली। o अरनर्ुला कन्नडी के अतुलनीय और धार्र्मक र्हत्व के कारण अरनर्ुला को केरल पयमटन द्वारा त्रवरासत गाांव (Heritage village) घोत्रषत कर कदया गया ह।ै इसका एक कारण त्रवलुि हो रह ेइस त्रर्ल्प पर पयमटकों का ध्यान आकर्षमत करना था। • वषम 1900 के दौरान र्सैरू अगरबत्ती का त्रनर्ामण कायम बैंगलोर र्ें एक सांगरठत उद्योग बन गया। स्थानीय रूप से इसे ऊदबती (उडते हए धुांए) के रूप र्ें जाना जाता ह।ै इसे बनाने के त्रलए जडी-बूरटयों, िूलों, आवश्यक तेलों, छाल, जडों और चारकोल को पीसकर एक त्रचकना पेस्ट तैयार ककया जाता ह।ै इसके बाद इस पेस्ट को बाांस की छत्रडयों पर लपेटकर धूप र्ें सिुाया जाता ह।ै o इसके र्खु्य अवयव चांदन और आइलनै्थस र्ालाबाररकर् (Ailanthus malabaricum) हैं। इनर्ें स े आइलनै्थस र्ालाबाररकर् स ेहलर्दी प्राि होता ह।ै य ेअवयव र्लू रूप स ेकनामटक के वनों र्ें पाए जात ेहैं। इसत्रलए इस उत्पाद को GI टैग प्राि ह।ै • हर्र्म (Hmaram) त्रर्जोरर् की र्त्रहलाओं की वरे्भषूा का एक लोकत्रप्रय पररधान ह।ै यह एक हस्तत्रनर्र्मत र्ॉल होती ह।ै इसे कर्र र्ें लपटेकर और एक तरि बाांधकर र्ॉटम स्कटम की तरह पहना जाता ह।ै इस ेसर्ारोहों, त्योहारों या त्रवर्षे आयोजनों र्ें सिेद ब्लाउज के साथ पहना जाता ह।ै यह कपास स ेबनाया जाता ह ैऔर इस ेप्राकृत्रतक नील स ेरांगा जाता ह।ै इस ेGI टैग प्राि ह।ै • हडांडीगलु का ताला त्रनर्ामण उद्योग सकैडों वषम परुाना ह।ै हडांडीगलु के ताल ेगुणवत्ता और पणूम सरुक्षा तथा र्हत्वपणूम सतु्रवधाओं जैसी त्रवर्षेताओं के त्रलए जान ेजात ेहैं। सबस ेर्हत्वपणूम बात यह ह ैकक व ेअत्यांत आकषमक और त्रडजाइन र्ें अत्रद्वतीय होत ेहैं। o र्ैंगो लॉक, डोर लॉक, ररक लॉक, बेल लॉक, ड्रॉअर लॉक, र्टर लॉक और बकु र्टर लॉक हडांडीगुल र्ें बनने वाले कुछ लोकत्रप्रय प्रकार के ताले हैं। o हडांडीगलु के ताल ेअपनी सरुक्षा त्रवर्षेता के कारण प्रत्रसद् हैं। इनकी इसी त्रवर्षेता के कारण इन्हें त्रवर्षे रूप स ेर्ांकदरों और सरकारी सांस्थानों तथा व्यावसात्रयक स्थानों के त्रलए िरीदा जाता ह।ै . 54 www.visionias.in ©Vision IAS o हडांडीगलु ताला त्रनर्ामताओं का दावा ह ैकक उनके तालों र्ें सटीक लीवर तांत्र को एक अत्रद्वतीय कुां जी कोड के साथ र्नै्यअुल रूप स ेबनाया जाता ह।ै साथ ही, कत्रडयों की त्रडजाइन को अत्रतसकू्ष्र् रिा जाता ह।ै इसत्रलय ेइन्हें तोडना बहत करठन हो जाता ह।ै o हडांडीगलु के तालों को GI टैग प्राि ह।ै • इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै Q 99.B • बुद् काल (छठी र्ताब्दी ईसा पूवम) के दौरान दो प्रकार के र्हाजनपद अत्रस्तत्व र्ें थ ेजो राजतांत्र और गैर-राजतांत्र (गणराज्य) राज्यों र्ें त्रवभात्रजत थे। इन्हें गण या सांघ के रूप र्ें जाना जाता था। • राजतांत्र राज्य र्त्रिर्ाली राजाओं द्वारा र्ात्रसत थे। इनर्ें प्रर्ासन की एक कें द्रीकृत प्रणाली थी। दसूरी ओर, गणराज्यों पर कुलीन वगों अथामत् उस क्षेत्र र्ें रहने वाले प्रर्िु क्षत्रत्रय कुलों का र्ासन था। • गणराज्यों की र्ासन प्रणाली र्ें त्रनणमय लेने र्ें सभी कुलों की सार्ूत्रहक भागीदारी होती थी। • र्गध, अवांत्रत और चांपा के र्हाजनपदों र्ें राजताांत्रत्रक व्यवस्था थी। वत्रज्ज के र्हाजनपद की तरह यह सभी र्हाजनपद र्त्रिर्ाली राजाओं द्वारा र्ात्रसत थे। र्ल्ल र्ें एक गैर-राजताांत्रत्रक (गणराज्य) प्रणाली थी। • वत्रज्ज आठ कुलों के एक सांघ का प्रत्रतत्रनत्रधत्व करता था। इनर्ें से त्रवदहे, त्रलच्छवी और ज्ञानत्रत्रक सबसे प्रत्रसद् थे। • र्ल्लों का गणताांत्रत्रक कबीला कौर्ल के पडोस र्ें त्रस्थत था। र्ल्ल का क्षेत्र वत्रज्ज राज्य की उत्तरी सीर्ा को छूता था। र्ल्लों की एक राजधानी कुर्ीनारा थी जहाां गौतर् बुद् का र्हापररत्रनवामण हआ था। • इसत्रलए त्रवकल्प (b) सही उत्तर ह।ै Q 100.D • हात्रलया सांदभम: हाल ही र्ें, पाककस्तान और अांतरामष्ट्रीय र्ुद्रा कोष (IMF) के बीच त्रवस्ताररत त्रनत्रध सतु्रवधा (Extended Fund Facility: EFF) के तहत सातवीं और आठवीं सर्ीक्षा के त्रलए स्टाि-स्तरीय वाताम सांपन्न हई। इसत्रलए त्रवकल्प (d) सही उत्तर ह।ै • EFF की स्थापना गांभीर भगुतान असांतलुन का सार्ना करने वाले दरे्ों को सहायता प्रदान करने के त्रलए की गई थी। इन दरे्ों र्ें ऐसी त्रस्थत्रत सांरचनात्र्क बाधाओं या धीर्ी आर्थमक वतृ्रद् और स्वाभात्रवक रूप स ेकर्जोर भगुतान सांतलुन त्रस्थत्रत के कारण उत्पन्न हई थी। • यह त्रवस्ताररत अवत्रध र्ें सांरचनात्र्क असांतुलन को ठीक करने के त्रलए आवश्यक नीत्रतयों के साथ-साथ व्यापक कायमक्रर्ों के त्रलए सहायता प्रदान करती ह।ै • यह त्रवत्रभन्न दरे्ों के ऐसे आर्थमक कायमक्रर्ों का सर्थमन करती ह ैत्रजनकाउद्देश्य त्रनधमनता र्ें उल्लेिनीय और स्थायी कर्ी करना, सांवृत्रद् प्राि करना और इसके अनुरूप एक त्रस्थर एवां स्थायी सर्त्रष्ट आर्थमक त्रस्थत्रत को प्राि करना ह।ै o त्रवस्ताररत ऋण सुत्रवधा (Extended Credit Facility : ECF) अत्रतररि त्रवदरे्ी सहायता को बढ़ाने र्ें भी र्दद कर सकता ह।ै • पात्रता: यह पॉवटी ररडक्र्न एांड ग्रोथ रस्ट (PRGT) के पात्र ऐसे सदस्य दरे्ों के त्रलए उपलब्ध ह ैजो भुगतान सांतुलन की सर्स्या का सार्ना करत ेहैं। • कालावत्रध और पनुः उपयोग सांबांधी प्रावधान: ECF व्यवस्था के तहत सहायता तीन से पाांच वषम तक की प्रारांत्रभक अवत्रध के त्रलए प्रदान की जाती ह।ै इसर्ें कुल त्रर्लाकर अत्रधकतर् पाांच वषम की अवत्रध होती ह।ै o ECF व्यवस्था के अांत, त्रनराकरण या सर्ात्रि के बाद अत्रतररि ECF व्यवस्थाओं को र्ांजूरी दी जा सकती ह।ै • कें कद्रत सर्तम: ECF के तहत सदस्य दरे् त्रवत्रभन्न नीत्रतयों को लागू करने के त्रलए सहर्त होते हैं। ये नीत्रतयाां उन्हें र्ध्यर् अवत्रध र्ें एक त्रस्थर और सतत व्यापक आर्थमक त्रस्थत्रत की ओर ले जाने र्ें र्दद करती हैं। o त्रवत्रर्ष्ट र्तों सत्रहत इन प्रत्रतबद्ताओं का वणमन दरे् के आर्य-पत्र र्ें ककया जाता ह।ै Join Telegram- 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